राग भैरवी बंदिश छोटा ख्याल

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ม.ค. 2025
  • राग भैरवी का परिचय
    ''''रे ग ध नि कोमल राखत, मानत मध्यम वादी।
    प्रात: समय जाति संपूर्ण, सोहत सा संवादी॥''''
    कोमल स्वर - रिषभ, गंधार, धैवत और निषाद।
    शुद्ध स्वर - षडज, मध्यमा, पंचम।
    जाति - सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
    थाट - भैरवी
    वादी - मध्यमा
    संवादी - षडज
    आरोह- सा रे॒ ग॒ म प ध॒ नि॒ सां।
    अवरोह- सां नि॒ ध॒ प म ग॒ रे॒ सा।
    पकड़- म, ग॒ रे॒ ग॒, सा रे॒ सा, ध़॒ नि़॒ सा।
    राग जाति
    सम्पूर्ण - सम्पूर्ण
    गायन वादन समय
    दिन का प्रथम प्रहर प्रात: ४ बजे से ७ बजे तक (संधिप्रकाश )
    समप्रकृति राग
    भैरवी
    आरोह अवरोह
    सा रे१ ग१ म प ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ प म ग१ रे१ सा;
    वादी स्वर
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    मध्यम/षड्ज
    संवादी स्वर
    मध्यम/षड्ज
    Raag Bhairavi is an early morning Raag, but it is also used as a concluding piece in the concerts at any time.
    ...
    Swar Notations.
    SwarasRishabh, Gandhar, Dhaivat, Nishad Komal. Madhyam Shuddha.ThaatBhairaviVadi/SamvadiMadhyam/ShadjTime1st Prahar of the day (Sunrise), Sarv KalikVishranti SthanS; m; P; - S'; P; m;

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