*_हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किया जाना चाहिए, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा को प्राथमिक शिक्षा से ही शुरुआत कर उसका महत्व बढ़ाया जाए, जिससे भाषा संबधित समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है|_* *बहुत - बहुत धन्यवाद सर जी 🙏🙏*
हम लोगों को तो अंग्रेजी सही से पढ़ाया ही नहीं गया है यदि हम वकील या जज बनना चाहें तो हमारे लिए तो बहुत कठिन होगा😥😞 तो इसीलिए क्षेत्रीय भाषा भी बहुत जरूरी है 👍
जब हमारे PM किसी दूसरे देश की संसद में हिंदी में संबोधित करते हैं तो वहा सभी लोगो के पास एक ट्रांसलेटर होता है जो कान में लगा के सुना जाता है इस उपकरण उपयोग हम अपने अदालत के जजों व वकीलों द्वारा किया जा सकता है सबसे अच्छा विकल्प है ये 🙏🙏 Thanks team DIAS ... आपको हमारा सुझाव कैसा लगा
सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट की भाषा हिन्दी या स्थानीय भाषा लागू कर देनी चाहिए। इससे प्रत्येक हाईकोर्ट में भी भाषा हिन्दी या स्थानीय में परिवर्तित करने में दिक्कत नहीं होगी।
जब देश में एकीकृत न्यायपालिका की बात होती है तो फिर एकीकृत भाषा की भी बात होनी चाहिए हिंदी भाषा पूरे देश में सर्वमान्य है और प्रत्येक राज्य सरकार को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा के साथ साथ हिंदी को शामिल किया जाना चाहिए ताकि छात्र हिंदी के बारे में संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति कर सके। प्राथमिक शिक्षा से हिंदी की शुरुआत की जा सकती है और आने वाले दिनों में जब वही छात्र वकील या न्यायाधीश बन जायेगा तो न्यायालय में बहस करना,मुकदमा चलाना और फैसला सुनाना आसान हो जायेगा।🙏🙏
हम मानते हैं कि english language international language हैं और यह हर जगह काम आती हैं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम अपनी प्राचीन और अपनी मातृ भाषा को ही भूल जाए 🙏🙏🙏
हिंदी सभी जानते है समझते है लेकिन लोग अपने निजी अहं के कारण उसको महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लागू नहीं होने दे रहे है. इस देश में कहने के लिए केवल बाहरी एकता है आंतरिक एकता न कभी हुई और शायद कभी होगी भी नहीं।......
अन्य सुझाओ:- प्रतेक उच्च न्यायालय में एक अलग से अनुवाद विभाग की स्थापना की जाय, जो सभी निर्णयो का स्थानीय भाषा में अनुवाद करे। इससे कई लोगो को रोजगार भी मिलेगा और काफी हद तक इस समस्या का समाधान भी हो जायेगा। 🙏🏼🙏🏼
हम छात्रों का जीना मुश्किल कर दिया है इस दो भाषा फॉर्मूला ने ,भाई कोई भी एक चुनो हिंदी या इंग्लिश ।पूरे भारत के लिए ,इस भाषा के विविधता से कुछ भी फायदा नहीं होगा न भारत को न मनुष्य जाति को विज्ञापन या कहने के लिए बहुत अच्छा लगता है ,बहुभाषी देश ।
स्वतंत्रता के बाद से आज तक ये बदलाव नहीं हुए कोई बात नही लेकिन अब सबसे अच्छा विकल्प यही है कि आने वाली नई पीढ़ी को ना की सिर्फ न्यायालय में बल्कि हर क्षेत्र में इस समस्या से जूझना ना पड़े इसके लिए जल्द से जल्द नई शिक्षा नीति को लागू कर उसमे द्विभाषी प्रणाली को रखना चाइए। जिससे नई पीढ़ी क्षेत्रीय भाषा के साथ साथ अंग्रेजी भाषा में भी संपन्न और समर्थ हो।
@@tsubaida6650 koi taklif nahi hoga sale itani to Hindi sabhi log janate hai ki jitana vo samaj paye lekin English kya sabhi log janate hai tere gar pe kitane log English janate hai😡😡😡😡😡
ये क्या बात है नई शिक्षा नीति में हम स्थानीय भाषा पड़ेंगे तो इसका हल निकलेगा कंटेंट पर ध्यान दे मैं हिंदी ५वी तक पढू और फिर इंग्लिश भी साथ में तो मुझे अन्य राज्यों की भाषा कैसे आएगी । नई शिक्षा नीति भी बकवास है । हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया जाए और इंग्लिश को सहायक राजभाषा
हिन्दी भाषी राज्यो ने झोली भर कर बीजेपी को वोट देकर केन्द्र मे बीजेपी को 300 + सीटो पर जीत दिलवाई! .. लेकिन आज UPSC मे हिन्दी मीडीयम के छात्रो का सलेक्शन होना बहुत कठिन हो गया है! हिन्दी माध्यम के छात्रो का सलेक्शन प्रतिशत बहुत कम हो चुका है!
न्यायालयो में उस प्रकार के ट्रांस्लेटर की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिस प्रकार के ट्रांस्लेटर का उपयोग प्रधान मंत्री विदेशो में अपने भाषण के दौरान करते हैं।
अचानक अंग्रेजी को हटा देना सही नहीं है इसका सही विकल्प यह हो सकता है कि अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं मैं सर्वप्रथम शिक्षा दी जाए जिससे आने वाली पीढ़ी को दोनों ही भाषाएं समझने में और उस में बहस करने में रजिस्ट्री स्थिति उत्पन्न रहो फिर धीरे-धीरे करके कोर्ट की कार्रवाई को स्थानीय भाषा में बदला जा सकता है
Aaj bhi ham bhartiyo ke liye bahot saram ki baat hai ki itne achhe post pe baithe log apne hindi lanuage ki respected nhi karte aor baat des ki development ki karte hai pahle apni lanuage se pyar karna sikho
संस्कृत भाषा एक व्यवहारिक विकल्प हो सकती है, क्योकि भारत के सभी राज्यो, केन्द्रशासित प्रदेशो मे संस्कृत भाषा का अध्ययन -अध्यापन हो रहा है व सरल,स्पष्ट, शुद्ध, परिष्कृत भी है, अभी कुछ दिनो पूर्व ही स्थानीय लोक न्यायालय द्वारा संस्कृत मे निर्णय जारी कर इसकी शुरुआत की है जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है l जय हिन्द
पढ़ाई का माध्यम प्राइमरी तक मातृभाषा पर आधारित होनी चाहिए।। अनुच्छेद 348 की कठोरता को कम किया जाना चाहिए अगर दोनो पार्टी स्थानीय भाषा में जिरह के लिए राजी हो तो ऐसा होने देना चाहिए ।। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके ट्रांसलेशन की प्रकिया को सुलभा एवम सुगम्या बनाने की आवश्यकता है. कोर्ट्स के करवाही और जजमेंट को निष्पक्ष रूप से स्थानीय भाषा में समझने वाला प्लेटफार्म होना आवश्यक है।।
अर्थ(धन) के समान दूसरी धुरी न्याय है जो व्यवस्थाओं को चलाती है। भारत की न्यायपालिका न तो खुद अपने में बदलाव करती है और ना ही कोई अच्छी नियत और दूरगामी निर्णय या सुधार प्रस्तुत करता है उन्हे स्वीकार करती है, जिसका खामियाजा पूरा देश भ्रष्टाचार, अपराध, अव्यवस्था, लेटलतीफी के साथ निर्दोषों के साथ अन्याय और अपराधियों को संरक्षण के रूप में भुगत रहा है, जिसमें up, bihar और देश उदाहरण है। UP में केवल law & ऑर्डर पर काम हुवा पिछले कुछ वर्षो में तो आज up शीर्ष पर है। न्यायपालिका को भी सबसे ईमानदार नागरिकों को सम्मिलित कर पुलिस को अपने से जोड़कर टीम के रूप में रखना चाहिए और पुराने ढर्रे के स्थान पर क्रांतिकारी सुधारों की आवश्यकता है ताकि देश में व्यवस्थाओं का अतिक्रमण न हो, और न्यायपालिका में ias ips से अधिक कुशल लोग आए, प्रशिक्षण प्राप्त कर देश के विक्रमादित्य जैसा न्यायवादी का जिम्मा उठाए जो सही को सही और गलत को गलत बताए
आप पैदा भारत देश में है खाना जो है वह अमेरिका लोगों का कहते हैं तो कैसे बनेगा शरीर आपका भारतीय है और आप खाना पानी सब ठंडी लाख वाला खाएंगे तो कैसा होगा बिल्कुल वैसा ही हो रहा है
हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करना चाहिए और स्थानीय भाषा को ही न्यायालय की कार्रवाई में शामिल किया जाना चाहिए ये बात सत्य है कि भारत का अपना कोई राष्ट्र भाषा नहीं है ____ अंग्रेजी तो बाइस भाषाओं में शामिल भी नहीं है तो न्यायालय की कार्रवाई अंग्रेजी में क्यों?🤨
इस समस्या के निस्तारण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-1: देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा अनुमोदित त्रिस्तरीय भाषा को पूरे देश में प्रवर्तन में लाया जाए, 2-इस समस्या का समाधान अधुनिक अनुवादक तकनीकि के जरिए हो सकता है, 3- भाषाओं के अनुवाद में दुभाषिए की भी सहायता ली जा सकती है, इससे नए तरीके का रोजगार का श्रृजन होगा, इस तरह से अग्रेजी भाषा के प्रयोग (अनु-348) से बचने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जा सकते हैं
कुछ भी पढना चाहे तो पढ़ा नहीं पाते क्योंकि किताबें अंग्रेजी भाषा में है। ठीक करे तो क्या या फ्यूचर में बनाएंगे क्या? भाषा आज बहुत बड़ी मुश्किल बन गई है हर क्षेत्र में
अंग्रेज चले गए हैं लेकिन अंग्रेजों की गुलामी भाषा अभी भी पूरे भारतवर्ष में प्रयोग कर रहे हैं जिस प्रकार हम सभी दूसरे का दिया हुआ कपड़ा नहीं पहनते हैं तो हम अंग्रेजों की भाषा को कैसे अपना सकते हैं हम अभी भी गुलाम है भाषा के अंग्रेजों की
मुझे नहीं लगता कि भारत देश में न्याय व्यवस्था न्याय व्यवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण है न्याय बहुत ही महत्वपूर्ण प्रत्येक प्राणी प्रत्येक इंसान चाहते हैं कि उसके साथ कोई अन्य ना करें न्याय हो उसके साथ गलत नहीं होता है तो
जब अनुच्छेद 370 हठ सकता है, तो भाषा का क्या अस्तित्व, जब जिस दिन लेजिस्लेटिव चाह लेगा उस दिन भाईयो और बहनों कल से इंग्लिश भाषा बंद 😂😂😂😂😂 आप लोग भूल गए Modi hai to khuch bhi possible hai 😂
India is a huge diverse country. Not every citizen coming from different corners has knowledge of Hindi. On the other hand, given the universality of the English language and using it as a medium for administrative and judicial functions, it certainly makes sense.
भारत में हिंदी ही ऐसी भाषा है जो लगभग 42℅ आबादी बोलती है लेकिन पूर्वी भारत और दक्षिण भारत में उसकी मान्यता को लेकर विवाद है, वे क्षेत्रीय भाषाओं को ही वरीयता देते हैं जो उनके हिसाब से ठीक भी है। और यदि कोई भी विवाद उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय पर ले जाया जाएगा तो वहाँ भी भाषा की दिक्कत होगी। इसलिए अंग्रेजी भारत और सम्पूर्ण विश्व मे एक मानक भाषा के रूप में मान्य भी है और भारत मे आधी आबादी इसको समझने में सक्षम भी है। ल इसलिए कार्यवाही अंग्रेजी में होना चाहिए लेकिन यदि कोई अपनी क्षेत्रिय भाषा प्रयोग करना चाहता है तो उसको एक वकील या एक ट्रांसलेटर दिलवाया जाना चाहिए।
मेरे अनुसार यदि इस तरह का कोई भी उपाय नहीं है तो हाईकोर्ट एवम् सुप्रीमकोर्ट में ट्रांसलेटर की व्यवस्था की जाए। जिससे हर भाषा का व्यक्ति आसानी से दोनों पक्षों बातों को समझ सकेगा।
देश की भाषाई विविधता को देखती हुई संसद को इस प्रकार की रचनात्मक कार्य करने होंगे जैसे कि अगर हम भारत का उत्तरी भाग देखें तो वह हिंदी भाषाई प्रदेश के साथ-साथ लोग भी हिंदी बोलते और समझते भी है इसी प्रकार देश का दक्षिणी हिस्सा अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं का प्रयोग करता है इसी प्रकार एक कानून पास कर दिए जाने पर हो सकता है कि वहां की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए लोग अपनी भाषा से ही न्यायिक प्रक्रिया का पालन कर पाएंगे
Hindi ko rastriye bhasa bana dena chahiye aur second option hindi me bahas karna chahiye agar ye safal rahta hai to regional language bhi add kar dena chahiye
Mere samjh se High court ya suprime court me "English language" Me paper work hona chahiye Or apna paksh maukhik rup se rkhne Ke liye options me ashthaniye bhasa ko v rkhna chahiye. Loss--- desh me bahut sari rajya or raj bhasa h ess tarah Agr asthaniye bhasa ko dono uchchastariye court me maanyata milti h to bahut sare translater rkhne honge or may be nayayik karya me deri ho. Profit- Asthaniye bhasa ko badhava milegi.. Ajkl bachche asthaniye bhasa me dilchaspi nhi lete, Sath hi berojgari ghategi. Kyunki court me language ke padhae kiye logo ko job milega.
Sir bahut sare log jinko English nhi aati..jo ek common language hai.. Agar sir coart me ek aise person ko rkhe jise vha rural language ke sath English bhi aati ho..isse logo ko aasani hogi or sath hi isse kai log ko rojgar milega or log English sikhne ki bdava bhi milega 🙏🙏
राज्य भाषा कीसी इक राज्य के लिये तो ठीक है लेकिन वहीं गुजरात राज्य मे एमपी . UP. बिहार का नागरिक हों गुजराती भाषा को समझना असम्भव होगा जबकि अपना desh गुलाम था तब अँग्रेजी भाषा को Palan करना मज़बूरी थी लेकिन अपना देश स्वतन्त्र देश है तो देश कि राज्य भाषा को पालन करने का प्रावधान देश के प्रत्येक सरकारी/ प्राइवेट ऑफिस के साथ साथ न्यायालय मे लागू होना चाहिये
Sabhi Courts Ki Bhasa Ek Hi Hona Chahiye ye Jaruri Hai./ Translator Ka Arrangment Aur Judgments Ka Bhi Translation Local Language Mein Ho Jaye To Kaafi Had Tak Kathinayi Door Hogi.
कुछ भी हो राष्ट्रीय भाषा हिंदी होने के नाते और लोगो द्वारा हिंदी बोले जाने और समझे जाने के कारण हिंदी को मान्यता देनी चाहिए , सरकार को इस संदर्भ में उचित कानून बनाना चाहिए जो लोकतंत्र के आइना होगा और देश की जनता के साथ न्याय होगा
Azzadi ke 74 sal bad bhee abhee hame samjha nhi aaya hai 1-maa hamara sath nhi chhodti 2-matra bhumi hamara sath nhi chhodti 3-Hamari sanskriti hamara sath nhi chhodti ........ To hum en sab ka sath kyu chhod dete hai
kuchh aise vyavastha ko lagu karna chahie jisse ki har rajya ke log kisi bhi technology se apne apni Bhasha ko English mein convert kar sake isase High court aur aam Janata ko bhi aasani hogi. Udaharan ke liye dekh sakte hain ki Jaise Google ek multinational company jo ki Google assistant naam se ek software chalati hai usmein har Bhasha ka prayog ya translate kar sakte hain jisse ki ham kisi bhi court ke faisle ko Hindi ya Anya kshetriya bhashaon mein parivartit kar sakte hain aur tatha ek software ki Rachna karna chahie jo ki sabhi kshetriya English Hindi Urdu aadi bhashaon ko ek se dusre bhasha mein convert kar saken aur jismein bhi jismein kisi bhi Insan ki jarurat na pade, vah software apne aap se bhashaon ko convert kar sake, is tarah ke technology se hi ham Apne court Kanoon aur Desh mein Parivartan la sakte hain. Jay Hind........
Mere hisab se eske do samadhan hai(1 )pahla to ye ki Hindi ko all india me regulate kiya jaye (2)jaj ko wo bhasaye aani chahiye jo adhik bahulay jagho par boli jati hai chaye wo. Five language ho ya two
जिस देश की कोई राष्टभाषा नही होती है, वह देश हमेशा गुलाम बना रहता है।
हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए।
सही है।
Bilkul sahi kaha aapne Bhai
Salam hai sir apko Dil jit liya
Right 👍
Of course
आपकी टीम चर्चित मुद्दों पर बेहतरीन व्याख्यान देती है जोकि काबिल ए कद्र है।
*_हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किया जाना चाहिए, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा को प्राथमिक शिक्षा से ही शुरुआत कर उसका महत्व बढ़ाया जाए, जिससे भाषा संबधित समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है|_*
*बहुत - बहुत धन्यवाद सर जी 🙏🙏*
अंग्रेज चले गए भारत में अंग्रेजी छोड़ गए
भारत की मातृभाषा हिंदी को भूल गए🙏
बहस अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषा मे भी होना चाहिए I तभी न्याय पूर्ण रूप से आम जनता को भी समझ में आयेगा
हम लोगों को तो अंग्रेजी सही से पढ़ाया ही नहीं गया है यदि हम वकील या जज बनना चाहें तो हमारे लिए तो बहुत कठिन होगा😥😞 तो इसीलिए क्षेत्रीय भाषा भी बहुत जरूरी है 👍
😐😐😐😐
@HITLER GURU नहीं bro
😔😔😔
Karishma gautam
@💕Sana khan 💕 kyo English me behas kaare hum hindi hum logo ki Bhasha hain hum hindi me behas karege
जब हमारे PM किसी दूसरे देश की संसद में हिंदी में संबोधित करते हैं तो वहा सभी लोगो के पास एक ट्रांसलेटर होता है जो कान में लगा के सुना जाता है इस उपकरण उपयोग हम अपने अदालत के जजों व वकीलों द्वारा किया जा सकता है सबसे अच्छा विकल्प है ये 🙏🙏 Thanks team DIAS ... आपको हमारा सुझाव कैसा लगा
सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट की भाषा हिन्दी या स्थानीय भाषा लागू कर देनी चाहिए। इससे प्रत्येक हाईकोर्ट में भी भाषा हिन्दी या स्थानीय में परिवर्तित करने में दिक्कत नहीं होगी।
जी बहुत बहुत शुक्रीयाँ आपका !
जब देश में एकीकृत न्यायपालिका की बात होती है तो फिर एकीकृत भाषा की भी बात होनी चाहिए हिंदी भाषा पूरे देश में सर्वमान्य है और प्रत्येक राज्य सरकार को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा के साथ साथ हिंदी को शामिल किया जाना चाहिए ताकि छात्र हिंदी के बारे में संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति कर सके। प्राथमिक शिक्षा से हिंदी की शुरुआत की जा सकती है और आने वाले दिनों में जब वही छात्र वकील या न्यायाधीश बन जायेगा तो न्यायालय में बहस करना,मुकदमा चलाना और फैसला सुनाना आसान हो जायेगा।🙏🙏
हम मानते हैं कि english language international language हैं और यह हर जगह काम आती हैं लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम अपनी प्राचीन और अपनी मातृ भाषा को ही भूल जाए 🙏🙏🙏
हिंदी सभी जानते है समझते है लेकिन लोग अपने निजी अहं के कारण उसको महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लागू नहीं होने दे रहे है. इस देश में कहने के लिए केवल बाहरी एकता है आंतरिक एकता न कभी हुई और शायद कभी होगी भी नहीं।......
अन्य सुझाओ:-
प्रतेक उच्च न्यायालय में एक अलग से अनुवाद विभाग की स्थापना की जाय, जो सभी निर्णयो का स्थानीय भाषा में अनुवाद करे। इससे कई लोगो को रोजगार भी मिलेगा और काफी हद तक इस समस्या का समाधान भी हो जायेगा।
🙏🏼🙏🏼
हम छात्रों का जीना मुश्किल कर दिया है इस दो भाषा फॉर्मूला ने ,भाई कोई भी एक चुनो हिंदी या इंग्लिश ।पूरे भारत के लिए ,इस भाषा के विविधता से कुछ भी फायदा नहीं होगा न भारत को न मनुष्य जाति को विज्ञापन या कहने के लिए बहुत अच्छा लगता है ,बहुभाषी देश ।
हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करना चाहिए और न्यायालय में भी
स्वतंत्रता के बाद से आज तक ये बदलाव नहीं हुए कोई बात नही लेकिन अब सबसे अच्छा विकल्प यही है कि आने वाली नई पीढ़ी को ना की सिर्फ न्यायालय में बल्कि हर क्षेत्र में इस समस्या से जूझना ना पड़े इसके लिए जल्द से जल्द नई शिक्षा नीति को लागू कर उसमे द्विभाषी प्रणाली को रखना चाइए। जिससे नई पीढ़ी क्षेत्रीय भाषा के साथ साथ अंग्रेजी भाषा में भी संपन्न और समर्थ हो।
जिस जगा हम न्याय के अपील लेके जाना चाहते हैं वही किसी के गीरे में है। जब तक न्यायपालिका में बदला नहीं तब तक कुछ नहीं हो सकता। 🙏🏻🇮🇳🌍
हिंदी भाषा का प्रयोग होना चाहिए पूरा भारत के लोग समझ सकते हैं
Bilkul sahi
South ke logo ko problem hoga
English is the universal and accepted language throughout India so English is best for courts
@@tsubaida6650 koi taklif nahi hoga sale itani to Hindi sabhi log janate hai ki jitana vo samaj paye lekin English kya sabhi log janate hai tere gar pe kitane log English janate hai😡😡😡😡😡
Bas yahi gulami Vali manasikta hame sata Rahi he
ये क्या बात है नई शिक्षा नीति में हम स्थानीय भाषा पड़ेंगे तो इसका हल निकलेगा कंटेंट पर ध्यान दे मैं हिंदी ५वी तक पढू और फिर इंग्लिश भी साथ में तो मुझे अन्य राज्यों की भाषा कैसे आएगी ।
नई शिक्षा नीति भी बकवास है । हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया जाए और इंग्लिश को सहायक राजभाषा
अगर अंग्रेजी नहीं आती तो न्याय मौताज है 😥😥😥
हिन्दी भाषी राज्यो ने झोली भर कर बीजेपी को वोट देकर केन्द्र मे बीजेपी को 300 + सीटो पर जीत दिलवाई! .. लेकिन आज UPSC मे हिन्दी मीडीयम के छात्रो का सलेक्शन होना बहुत कठिन हो गया है! हिन्दी माध्यम के छात्रो का सलेक्शन प्रतिशत बहुत कम हो चुका है!
जिस प्रकार से कॉल सेंटर में हम अपनी भाषा चुनते है। न्याय व्यवस्था में भी अपनी भाषा चुनने का अधिकार होना चाहिए।
न्यायालयो में उस प्रकार के ट्रांस्लेटर की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिस प्रकार के ट्रांस्लेटर का उपयोग प्रधान मंत्री विदेशो में अपने भाषण के दौरान करते हैं।
कई स्थानीय भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल ही नहीं किया है
HC m resional laguange ko.bhi promote.krna chahiye
Dhanyavaad sir
मैं चाहता हु की लोकल भाषा को हाइकोर्ट मैं लाया जाए और अगर किसी को लोकल भाषा समझ मै न आए तो कोर्ट दोनो को समझाने के लिए ट्रांसलेटर की वावस्था करे!!
Ati mahatwapurn topic pe video tha..Thank team
Bahut hi best channel hai bahut hi informative news aati hai
Astha wifi study par 2 din pahle ye news ankit a avasthi sir ne kiya. Pls dekhiye
Thanks a lot Pandey sir 🌹🌹💝🙏🙏
Jay hind sir 🌹🇳🇪🕊️💝💘🎊✨🙏🙏🙏
हमारे चैनल को लाइक करने के लिए शुक्रिया। हम ऐसे ही वीडियों लाने के लिए प्रयासरत रहेगे।
अचानक अंग्रेजी को हटा देना सही नहीं है इसका सही विकल्प यह हो सकता है कि अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं मैं सर्वप्रथम शिक्षा दी जाए जिससे आने वाली पीढ़ी को दोनों ही भाषाएं समझने में और उस में बहस करने में रजिस्ट्री स्थिति उत्पन्न रहो फिर धीरे-धीरे करके कोर्ट की कार्रवाई को स्थानीय भाषा में बदला जा सकता है
Thanks for making such a informative video for us
Radhe Radhe
Aaj bhi ham bhartiyo ke liye bahot saram ki baat hai ki itne achhe post pe baithe log apne hindi lanuage ki respected nhi karte aor baat des ki development ki karte hai pahle apni lanuage se pyar karna sikho
Thank you dhyeya ias team🙏🙏🙏
संस्कृत भाषा एक व्यवहारिक विकल्प हो सकती है, क्योकि भारत के सभी राज्यो, केन्द्रशासित प्रदेशो मे संस्कृत भाषा का अध्ययन -अध्यापन हो रहा है व सरल,स्पष्ट, शुद्ध, परिष्कृत भी है, अभी कुछ दिनो पूर्व ही स्थानीय लोक न्यायालय द्वारा संस्कृत मे निर्णय जारी कर इसकी शुरुआत की है जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है l जय हिन्द
पढ़ाई का माध्यम प्राइमरी तक मातृभाषा पर आधारित होनी चाहिए।।
अनुच्छेद 348 की कठोरता को कम किया जाना चाहिए अगर दोनो पार्टी स्थानीय भाषा में जिरह के लिए राजी हो तो ऐसा होने देना चाहिए ।।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके ट्रांसलेशन की प्रकिया को सुलभा एवम सुगम्या बनाने की आवश्यकता है.
कोर्ट्स के करवाही और जजमेंट को निष्पक्ष रूप से स्थानीय भाषा में समझने वाला प्लेटफार्म होना आवश्यक है।।
हिंदी सभी के लिए कॉमन करना चाहिए
जिस देश में उसकी अपनी भाषा का सम्मान न हो, वह कैसे तरक्की कर सकता है।
अर्थ(धन) के समान दूसरी धुरी न्याय है जो व्यवस्थाओं को चलाती है। भारत की न्यायपालिका न तो खुद अपने में बदलाव करती है और ना ही कोई अच्छी नियत और दूरगामी निर्णय या सुधार प्रस्तुत करता है उन्हे स्वीकार करती है, जिसका खामियाजा पूरा देश भ्रष्टाचार, अपराध, अव्यवस्था, लेटलतीफी के साथ निर्दोषों के साथ अन्याय और अपराधियों को संरक्षण के रूप में भुगत रहा है, जिसमें up, bihar और देश उदाहरण है। UP में केवल law & ऑर्डर पर काम हुवा पिछले कुछ वर्षो में तो आज up शीर्ष पर है। न्यायपालिका को भी सबसे ईमानदार नागरिकों को सम्मिलित कर पुलिस को अपने से जोड़कर टीम के रूप में रखना चाहिए और पुराने ढर्रे के स्थान पर क्रांतिकारी सुधारों की आवश्यकता है ताकि देश में व्यवस्थाओं का अतिक्रमण न हो, और न्यायपालिका में ias ips से अधिक कुशल लोग आए, प्रशिक्षण प्राप्त कर देश के विक्रमादित्य जैसा न्यायवादी का जिम्मा उठाए जो सही को सही और गलत को गलत बताए
Kyonki Bharat abhi bhi aazad nhi ho paya h. Kahne ko bhle hi kahte rhein ki hum aazad h lekin sach yhin h ki hum aaj bhi gulaam h.
थैंक्स 🙏🙏🙏🙏
सभी भाषाओं को राज्य के अनुसार राजकीय भाषा मे (जिससे सभी लोगों को समझने मे परेशानी ना हो) होनी चाहिए सर 😷सभी लोगों को ENGLISH नहीं आती है
Good sir
Thanku sir
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Thank you so much sir very nice explanation 🙏🙏🙏👌👌👌👌👌
Thnx team ध्येय ias 😍
हमारे चैनल को लाइक करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। ऐसे ही वीडियों हम आपके लिए लाते रहेगे।
Thank you so much sir
Thanks for u sir
Important information ke liye
*Thanks and right sir 🙏🙏🌹*
आप पैदा भारत देश में है खाना जो है वह अमेरिका लोगों का कहते हैं तो कैसे बनेगा शरीर आपका भारतीय है और आप खाना पानी सब ठंडी लाख वाला खाएंगे तो कैसा होगा बिल्कुल वैसा ही हो रहा है
Good information ℹ️
हमारे चैनल को लाइक करने के लिए शुक्रिया।
humhare desh me ek hi language hindi hi honi chahiye ek language,ek hi desh india jai hind jai bharat
हर राज्य कि शिक्षण संस्थान में हिंदी भाषा अनिवार्य कर देना चाहिए
Thanks for teaching Sir
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। ऐसे ही वीडियों हम आपके लिए लाते रहेगे।
अगर उच्च न्यायालय में हिन्दी लागू होता है तो सबसे पहले दक्षिण भारत से विरोध होने लगेगा है ?
Ek comman bhasha honi chahiye english ko chhod kr jo hr students ko hr level pr padana pde...
हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करना चाहिए और स्थानीय भाषा को ही न्यायालय की कार्रवाई में शामिल किया जाना चाहिए
ये बात सत्य है कि भारत का अपना कोई राष्ट्र भाषा नहीं है ____ अंग्रेजी तो बाइस भाषाओं में शामिल भी नहीं है तो न्यायालय की कार्रवाई अंग्रेजी में क्यों?🤨
फिर एक बार बीजेपी सरकार 👍🚩🚩🚩🚩🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🚩🚩🚩👍 जय श्री राम 🚩🚩🚩🚩 जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳🇮🇳👍 योगी आदित्यनाथ फिर एक बार 👍🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 जय श्री राम🚩🚩
इस समस्या के निस्तारण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-1: देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा अनुमोदित त्रिस्तरीय भाषा को पूरे देश में प्रवर्तन में लाया जाए, 2-इस समस्या का समाधान अधुनिक अनुवादक तकनीकि के जरिए हो सकता है, 3- भाषाओं के अनुवाद में दुभाषिए की भी सहायता ली जा सकती है, इससे नए तरीके का रोजगार का श्रृजन होगा, इस तरह से अग्रेजी भाषा के प्रयोग (अनु-348) से बचने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जा सकते हैं
कुछ भी पढना चाहे तो पढ़ा नहीं पाते क्योंकि किताबें अंग्रेजी भाषा में है। ठीक करे तो क्या या फ्यूचर में बनाएंगे क्या? भाषा आज बहुत बड़ी मुश्किल बन गई है हर क्षेत्र में
अंग्रेज चले गए हैं लेकिन अंग्रेजों की गुलामी भाषा अभी भी पूरे भारतवर्ष में प्रयोग कर रहे हैं जिस प्रकार हम सभी दूसरे का दिया हुआ कपड़ा नहीं पहनते हैं तो हम अंग्रेजों की भाषा को कैसे अपना सकते हैं हम अभी भी गुलाम है भाषा के अंग्रेजों की
Nice
मुझे नहीं लगता कि भारत देश में न्याय व्यवस्था न्याय व्यवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण है न्याय बहुत ही महत्वपूर्ण प्रत्येक प्राणी प्रत्येक इंसान चाहते हैं कि उसके साथ कोई अन्य ना करें न्याय हो उसके साथ गलत नहीं होता है तो
Sir. Aapke video and sound quality very good..and your education
First viewer ❤️💖
Supreme court m hindi honi chahiye 100%
Thank you sir 👍
जब अनुच्छेद 370 हठ सकता है, तो भाषा का क्या अस्तित्व, जब जिस दिन लेजिस्लेटिव चाह लेगा उस दिन भाईयो और बहनों कल से इंग्लिश भाषा बंद 😂😂😂😂😂 आप लोग भूल गए Modi hai to khuch bhi possible hai 😂
👍
Thankyou 🙏 Sir
हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा घोषित करना चाहिए
Governor + with previous consent of president...can make any regional language as language of respective HC
India is a huge diverse country. Not every citizen coming from different corners has knowledge of Hindi. On the other hand, given the universality of the English language and using it as a medium for administrative and judicial functions, it certainly makes sense.
Not everyone know english either 🙂 this is just a consequences of colonialism
People who know Hindi are more than people who knows English or can speak in English, pl be clear.
If someone can learn English then they can learn Hindi to! so diverse country can learn their National language easily it's not problem.
Nice session sir ji
भारत में हिंदी ही ऐसी भाषा है जो लगभग 42℅ आबादी बोलती है लेकिन पूर्वी भारत और दक्षिण भारत में उसकी मान्यता को लेकर विवाद है, वे क्षेत्रीय भाषाओं को ही वरीयता देते हैं जो उनके हिसाब से ठीक भी है।
और यदि कोई भी विवाद उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय पर ले जाया जाएगा तो वहाँ भी भाषा की दिक्कत होगी।
इसलिए अंग्रेजी भारत और सम्पूर्ण विश्व मे एक मानक भाषा के रूप में मान्य भी है और भारत मे आधी आबादी इसको समझने में सक्षम भी है।
ल
इसलिए कार्यवाही अंग्रेजी में होना चाहिए लेकिन यदि कोई अपनी क्षेत्रिय भाषा प्रयोग करना चाहता है तो उसको एक वकील या एक ट्रांसलेटर दिलवाया जाना चाहिए।
Hindi hamari language h lkin hum usi ka use nhi kr skte wah gazab hum abhi bhi Britishers ke gulam h am i right
English bhasha jaruri hai lekin agar kisi ko English nhi ahe to hindi jo rashtrabhasha hai uska prayog pure bharat bhar ke high court me hona chahiye
मेरे अनुसार यदि इस तरह का कोई भी उपाय नहीं है तो हाईकोर्ट एवम् सुप्रीमकोर्ट में ट्रांसलेटर की व्यवस्था की जाए। जिससे हर भाषा का व्यक्ति आसानी से दोनों पक्षों बातों को समझ सकेगा।
Ek samadhan yah hai ki jajo ki tiyukti bhasha visheshyagya ke aadhar par ho my means har rajy se unki bhasa ke aadhar par jaj hone chahiye
देश की भाषाई विविधता को देखती हुई संसद को इस प्रकार की रचनात्मक कार्य करने होंगे जैसे कि अगर हम भारत का उत्तरी भाग देखें तो वह हिंदी भाषाई प्रदेश के साथ-साथ लोग भी हिंदी बोलते और समझते भी है इसी प्रकार देश का दक्षिणी हिस्सा अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं का प्रयोग करता है इसी प्रकार एक कानून पास कर दिए जाने पर हो सकता है कि वहां की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए लोग अपनी भाषा से ही न्यायिक प्रक्रिया का पालन कर पाएंगे
Hindi ko rastriye bhasa bana dena chahiye aur second option hindi me bahas karna chahiye agar ye safal rahta hai to regional language bhi add kar dena chahiye
Mere samjh se
High court ya suprime court me "English language" Me paper work hona chahiye Or apna paksh maukhik rup se rkhne Ke liye options me ashthaniye bhasa ko v rkhna chahiye.
Loss---
desh me bahut sari rajya or raj bhasa h ess tarah Agr asthaniye bhasa ko dono uchchastariye court me maanyata milti h to bahut sare translater rkhne honge or may be nayayik karya me deri ho.
Profit-
Asthaniye bhasa ko badhava milegi..
Ajkl bachche asthaniye bhasa me dilchaspi nhi lete,
Sath hi berojgari ghategi.
Kyunki court me language ke padhae kiye logo ko job milega.
Unique info😍
Es ka ek samadhan hai .Jaj ko traning Diya Jay !
वर्तमान परिस्थितियों में उच्च तथा उच्चतम न्यायालय में इंग्लिश ही एकमात्र विकल्प है
Sir bahut sare log jinko English nhi aati..jo ek common language hai..
Agar sir coart me ek aise person ko rkhe jise vha rural language ke sath English bhi aati ho..isse logo ko aasani hogi or sath hi isse kai log ko rojgar milega or log English sikhne ki bdava bhi milega
🙏🙏
Hr state ki language ke sath english ko jodkar kr skte hai kyuki abhi schools me general English ki study hoti hai
राज्य भाषा कीसी इक राज्य के लिये तो ठीक है लेकिन वहीं गुजरात राज्य मे एमपी . UP. बिहार का नागरिक हों गुजराती भाषा को समझना असम्भव होगा
जबकि अपना desh गुलाम था तब अँग्रेजी भाषा को Palan करना मज़बूरी थी
लेकिन अपना देश स्वतन्त्र देश है तो देश कि राज्य भाषा को पालन करने का प्रावधान देश के प्रत्येक सरकारी/ प्राइवेट ऑफिस के साथ साथ न्यायालय मे लागू होना चाहिये
English ko hataya jaye 🤬🤬🤬🤬🤬
Sabhi Courts Ki Bhasa Ek Hi Hona Chahiye ye Jaruri Hai./ Translator Ka Arrangment Aur Judgments Ka Bhi Translation Local Language Mein Ho Jaye To Kaafi Had Tak Kathinayi Door Hogi.
Kya ham angreji ko hamesa dhote rahenge.
👌
कुछ भी हो राष्ट्रीय भाषा हिंदी होने के नाते और लोगो द्वारा हिंदी बोले जाने और समझे जाने के कारण हिंदी को मान्यता देनी चाहिए , सरकार को इस संदर्भ में उचित कानून बनाना चाहिए जो लोकतंत्र के आइना होगा और देश की जनता के साथ न्याय होगा
Loksabha rajyasabha mai kyo nahi krte anivarya English ko baha bhi English ko kar de to shayad aadhe mp bhag jayege loksabha se🤣
Azzadi ke 74 sal bad bhee abhee hame samjha nhi aaya hai
1-maa hamara sath nhi chhodti
2-matra bhumi hamara sath nhi chhodti
3-Hamari sanskriti hamara sath nhi chhodti
........ To hum en sab ka sath kyu chhod dete hai
हिंदी को लागू करने की जरूरत है, बहुत बड़ी समस्या हल हो जाएगी
🙏
kuchh aise vyavastha ko lagu karna chahie jisse ki har rajya ke log kisi bhi technology se apne apni Bhasha ko English mein convert kar sake isase High court aur aam Janata ko bhi aasani hogi. Udaharan ke liye dekh sakte hain ki Jaise Google ek multinational company jo ki Google assistant naam se ek software chalati hai usmein har Bhasha ka prayog ya translate kar sakte hain jisse ki ham kisi bhi court ke faisle ko Hindi ya Anya kshetriya bhashaon mein parivartit kar sakte hain aur tatha ek software ki Rachna karna chahie jo ki sabhi kshetriya English Hindi Urdu aadi bhashaon ko ek se dusre bhasha mein convert kar saken aur jismein bhi jismein kisi bhi Insan ki jarurat na pade, vah software apne aap se bhashaon ko convert kar sake, is tarah ke technology se hi ham Apne court Kanoon aur Desh mein Parivartan la sakte hain. Jay Hind........
Sir Hindi ko national language kyu nhi kr dete?
Mere hisab se eske do samadhan hai(1 )pahla to ye ki Hindi ko all india me regulate kiya jaye (2)jaj ko wo bhasaye aani chahiye jo adhik bahulay jagho par boli jati hai chaye wo. Five language ho ya two
Parliament ko kanun bnana chahiya jisse high court & s.c me Hindi ko bhi mhtv mile