राम से राम तक की यात्रा है जीवन || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण एवं कबीर साहब पर (2019)
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- เผยแพร่เมื่อ 28 ก.ย. 2024
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वीडियो जानकारी: अद्वैत बोध शिविर, 24.10.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत
प्रसंग:
राम कौन हैं?
कबीर साहब के चार राम कौन हैं?
जीवन क्या है?
संगीत: मिलिंद दाते
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चार राम है जगत में, तीन राम व्यवहार ।
चौथ राम सो सार हैं, ताको करो विचार ।।
एक राम दसरथ घर डोले, एक राम घट-घट में बोले ।
एक राम का सकल पसारा, एक राम है सबसे न्यारा ।।
~ संत कबीर
🔹🔹🔹🔹🔹🔹
श्रीमद्भग्वद्गीता अध्याय १५ श्लोक १७
उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः ।
यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः ॥
भावार्थः
इन दोनों के अतिरिक्त एक श्रेष्ठ पुरुष है जिसे परमात्मा कहा जाता है,
वह अविनाशी भगवान तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी प्राणीयों का भरण-पोषण करता है ।
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
This video deserves a reach to billions of human souls. Tears poured while listening to this exposition.
झूठ का मतलब जो टिकता नही है। इसीलिए दुनिया झूठी है। लेकिन सच की संभावना लिए है।
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
धन्यवाद जय श्री राम जी 🙏🙏🌈
अद्भुत
अद्वितीय
आपने जिस तरीके से समझाया कोई जवाब नही उसका। जय श्रीकृष्ण।
प्रश्न करताओ को साधुवाद और उनकी मनोस्थिति को भी साधुवाद जो आचार्य जी से ये प्रश्न किए,और हमेशा की तरह आचार्य जी को कोटि कोटि नमन, जो इतने ऊंचे दर्शन का या कहे सत्संग का आप ने सरल ब मृदु भाषा में मार्ग दर्शन किया। जय राम जी की
आचार्य जी को मेरा सत सत प्रणाम, आचार्य जी सन्त कबीर जी ने सत्य ही कहा है कि गुरू गोविन्द दोहू खड़े, काके लागो पाएं बली हारे गुरु आपने, गोविन्द दियो बताए।। आप ने इतने बढ़िया तरीके से समझाया मेरा परमात्मा में लगा इसका सारा श्रेय केवल आपको ही जाएगा, आपकी वीडियो देख देख कर मेरा क्रोध पचास प्रतिसत कम हो गया है मेरा मन सब में समान दिर्ष्ट होने को लालायित रहता है
Acharya Prashant Ji ko parnam 🌺💐🌸⭐
प्रणाम आचार्य जी🙏
pranam guruvar!
प्रणाम आचार्य जी आप में कबीर जी की झलक दिखती है
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
बिलकुल स्पष्ट कर दिया आपने ।🙏🙏
Pranam Acharyji 🙏
Dhanyavad 🙏
Ram Ram Ji 🙏
Thanks!
Aacharya Ji ko कोटि-कोटि pranam bahut Sundar dhang se samjhaya sahrday aabhar
Beautiful video ❤
प्रणाम आचार्य जीi
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
Dhanyavad aacharya....🙏🙏🙏
कबीर साहेब के चार राम स्थूल शरीर,सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर (अहं वृति), आत्मा है।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21||
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
❤❤
🙏🙏🙏
Naman Acharya g
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
समय बहुत कम है🙏
🙏✨💐
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
EVERGREEN VIDEO
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
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कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
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वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
🌹🙏💐
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kiti koti vandan
❤❤❤
🙏 गुरु कृपा🙏
Aap mere jeevan ke adars ban gaye ho
जय श्री राम
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
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जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
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Acharya Ji 🙏 Naman
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
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हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
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जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
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Ek Ram Dashrath ka beta Ek Ram Ghat Ghat Mein Baitha Ek Ram ka Jagat pasara Ek Ram Jagat se nyara
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
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जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙇
"राम" तत्व पर आपके मुखारबिंद से एक सत्संग की अपेक्षा है।🙏👏👏👌👍🙏
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
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कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
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वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏 हरे कृष्ण हरे राम नारायण नारायण
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🙏
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
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O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
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हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
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जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
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कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
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वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
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कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
🙏🙏🙏
🙏🙏
जितने भी शरीर हैं। वह सब है आत्मा के ही।
आज रामनवमीं के उपलक्ष्य में आचार्य जी से राम का मर्म समझा।
प्रणाम गुरुवर
समय बहुत थोड़ा है। इतना कुछ है करने को बाकी।
कितना स्पष्ट देख पाते हैं आप
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
हृदय से नमन आचार्य जी....
आचार्य जी राम नाम जपने से मनुष्य की मुक्ति कैसे होगी।
धन्यवाद आचार्य जी 🌷🌷🌷🌷🌷💐🌻🍁
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
As per Advaita " you are the forth one i.e Turiya "...🙏
नमस्कार आचार्य् जी को, शत शत नमन 🙏🙏
🙏🌼🙏
धन्य धन्य हो गुरुदेव आप
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
Pranam guruji
Jai shree krishana
गुरुजी प्रणाम बहुत सुंदर
Awesome.
Pranam Guruji
Ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay shree ram Jay
🙏🌅💖🌕🙏💐💞🙏🙏💞💐
Naman Acharya ji. ...
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
💐🙏
Hari OM.
🙏
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
Pranam acharya ji
Pranam acharya jiii
Jaisi siya raam 🙏🙏❣️❣️
जीवन का अमृत आपसे जाना है अनुग्रह
Acharya ji ke charanon mahi koti koti naman ❤❤❤❤❤
Pranam acharya ji
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏
चौथा राम को पहचानो वही परमात्मा है सच्चा
Koti koti pranam guruji 🙏🙏🙏
सत्यम शिवम सुंदरम
Naman
He ram
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❤️🌷🙏🕉️
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Ram 🙏
Gold✨
🙏🙏🙏
🙏
🙏🙏🙏
कबीर दास का कहना का तात्पर्य रहा होगा कि एक ही राम 4 जगह 4 रूप में है ।
राजा राम तूं ऐसा निरभउ तरन तारन राम राइआ ॥१॥ रहाउ ॥
हे मेरे राजा राम ! तू बहुत ही निडर है। हे स्वामी राम ! जीवों को भवसागर से पार करवाने के लिए तू एक नैया है॥ १॥ रहाउ ॥
O my Sovereign Lord King, You are Fearless; You are the Carrier to carry us across, O my Lord King. ||1|| Pause ||
जब हम होते तब तुम नाही अब तुम हहु हम नाही ॥
अब हम तुम एक भए हहि एकै देखत मनु पतीआही ।।
हे प्रभु ! अब तुम और हम एकरूप हो गए हैं, अब तुम्हें देखकर हमारा मन कृतार्थ हो गया है॥ १॥
Now, You and I have become one; seeing this, my mind is content. ||1||
जब बुधि होती तब बलु कैसा अब बुधि बलु न खटाई ॥
"(हे स्वामी !) जब तक हम जीवों में अपनी बुद्धि (का अभिमान) होता है, तब तक हमारे भीतर कोई आत्मिक बल नहीं होता, लेकिन अब (जब तुम स्वयं हमारे भीतर प्रकट हुए हो) तब हमारी बुद्धि एवं बल का हमें अभिमान नहीं रहा।
When there was wisdom, how could there be strength? Now that there is wisdom, strength cannot prevail.
कहि कबीर बुधि हरि लई मेरी बुधि बदली सिधि पाई ॥२॥
कबीर जी कहते हैं - (हे राम !) तुमने मेरी (अहंकारग्रस्त) बुद्धि छीन ली है, अब वह बदल गई है और सिद्धि प्राप्त हो गई है। २॥ २१ ॥ ७२॥
Says Kabeer, the Lord has taken away my wisdom, and I have attained spiritual perfection. ||2||21|| गुरु ग्रंथ (कबीरदास के दोहे) ।
वृंदावन मन हरण मनोहर कृष्ण चरावत गौ रे जाका ठाकुर तूही सारिंगधर मोहे कबीरा नाऊ(नाम) रे 🙏