सर्वं खल्विदं ब्रह्म के माध्यम से औपनिषदिक आचार्यों ने कवीर जैसे लोगों के विचारों का जड़ से समापन कर दिया है। श्रीकृष्ण के विचारों का भी इसी तरह से समापन हो जाता है।
पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्ण विमुच्यते। पूर्णात् पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।। ब्रह्म प्याज कटने से अपना पूर्व रूप खो नहीं देता है, वह जगत में है और उसके परे भी है। शास्त्रों में ब्रह्म को अंतर्यामी तथा परात्पर दोनों ही कहा गया है। जय मां गुरु ❤
@@nagchannel5298 प्याज अपने छिलकों के अतिरिक्त कुछ नहीं है। छिलकों का संघटित रूप ही प्याज है।इसी तरह से यह दृश्यमान और अस्तित्ववान् जगत् परमात्मा ही है।
आप को सुनकर बहुत अच्छा लगा ❤ हम तो अज्ञान बस स्वयं को इतना कमजोर पाते है की इस ब्रहमाण्ड में भगवान या वह परम तत्व जो इस संसार को चलाता है पूजा के माध्यम से अपील कर लिया जाता है की जेहि विधि होई नाथ हित मोरा करही सुवेगि दास मंह तोरा 💐🙏🏽
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय
🙏🙏
Akshaya tritiya ki bahut bahut shubhkamnaye 🙏 😊 aap ko
कृपया इस वीडियो के सम्बन्ध में अपने विचारों को साझा करें।
Aap ko Akshaya tritiya ki shubhkaamnayein 🙏
🙏अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
हां,यह धार्मिक ईश्वर की स्तुति है। नैतिक ईश्वर की नहीं।
परात्पर रूप में साक्षी है, अंतर्यामी रूप में घट घट वासी हैं। 'हाथी के पग नूपुर बाजे सो भी साहब सुनता है ' -कबीर ❤
@@nagchannel5298 धन्यवाद बन्धु!
सर्वं खल्विदं ब्रह्म के माध्यम से औपनिषदिक आचार्यों ने कवीर जैसे लोगों के विचारों का जड़ से समापन कर दिया है। श्रीकृष्ण के विचारों का भी इसी तरह से समापन हो जाता है।
Bahut snder varnan🌷🌷
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ।।
सुनकर बहुत अच्छा लगा ।।
विषयक अज्ञानता बस चाह कर भी कुछ कमेंट कर पाना मेरे लिए मुसाकिल है 💐🙏🏽
पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्ण विमुच्यते।
पूर्णात् पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।
ब्रह्म प्याज कटने से अपना पूर्व रूप खो नहीं देता है, वह जगत में है और उसके परे भी है। शास्त्रों में ब्रह्म को अंतर्यामी तथा परात्पर दोनों ही कहा गया है।
जय मां गुरु ❤
@@nagchannel5298 प्याज अपने छिलकों के अतिरिक्त कुछ नहीं है। छिलकों का संघटित रूप ही प्याज है।इसी तरह से यह दृश्यमान और अस्तित्ववान् जगत् परमात्मा ही है।
आप को सुनकर बहुत अच्छा लगा ❤
हम तो अज्ञान बस स्वयं को इतना कमजोर पाते है की इस ब्रहमाण्ड में भगवान या वह परम तत्व जो इस संसार को चलाता है पूजा के माध्यम से अपील कर लिया जाता है की
जेहि विधि होई नाथ हित मोरा करही सुवेगि दास मंह तोरा 💐🙏🏽
धन्यवाद,यही गति हम मानवों की है, किन्तु तथ्य तो इसके विपरीत ही है।