Contribution | प्रकृति सिर्फ़ त्याग सूंगती है | Harshvardhan Jain | 7690030010

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.ย. 2024
  • #contribution #प्रकृति_सिर्फ़_त्याग_सूंगती_है #harsvardhanjain
    Successful people make others partners in their success, which makes their success immortal. The more they help people, the more nature helps and supports them. Due to which their empire of success becomes bigger.
    आपका चरित्र आपका पहचान पत्र होता है। आप जैसा दुनिया के सामने चरित्र प्रस्तुत करते हैं, वही चरित्र प्रकृति की डायरी में रिकॉर्ड हो रहा होता है। प्रकृति कभी भी भेदभाव नहीं करती है। प्रकृति के फैसले समय की सीमाओं से परेय होते हैं। यदि जीवन जीना है तो इस तरह से जियो कि यदि आपके संपूर्ण जीवन की विवेचना करनी हो तो उसमें आपकी भूमिका की चर्चा हो और आपके योगदान की चर्चा हो। परोपकार की भावना प्रकृति को प्रभावित करती है। सहयोग और त्याग की भावना प्रकृति के तराजू पर भारी पड़ती है। इसलिए सहयोगी चरित्र का निर्माण करना शानदार भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होता है। अपनी उन्नति के साथ-साथ दूसरों की उन्नति के लिए रास्ते बनाना आपके भावी भविष्य के उदय होने का संकेत है। यदि आप दूसरों की सफलता के लिए मार्गदर्शन करते हैं, तो आपका मार्गदर्शन करने के लिए स्वयं प्रकृति प्रबंध करती है क्योंकि प्रकृति सिर्फ आपकी भावना देखती है। भविष्य आपकी भावना का परिणाम होता है।
    यदि करना ही है तो योगदान करो, सहयोग करो और दुनिया की उन्नति में अपनी भूमिका स्पष्ट करो क्योंकि योगदान करने से ही आपकी इच्छाओं को पूरा करने का वरदान मिलता है। अधिकतर लोग योगदान के विषय में नहीं, बल्कि स्वयं को मिले दान की चर्चा करते हैं। लेकिन सफल लोग दुनिया की उन्नति में अपने योगदान की योजना बनाते हैं, अपनी भूमिका को रेखांकित करते हैं और अपना व्यक्तित्व तय करते हैं। अधिकतर लोग जहां मिलने की बात आती है, वहां पर शेर की तरह बोलते हैं। लेकिन जहां देने की बात आती है, वहां चूहे की तरह बोलते हैं। लेकिन प्रकृति का नियम कुछ अलग ही होता है। प्रकृति के न्यायालय में आपके योगदान की चर्चा होती है, आपके चरित्र की चर्चा होती है क्योंकि प्रकृति की परीक्षा में कोई भेदभाव नहीं होता है। आपने जितना दिया है उतना ही आपको मिलता है। सफलता इसी सिद्धांत पर काम करती है।
    प्रत्येक व्यक्ति नदी के समान होता है। जिस प्रकार नदी के जल का उपयोग करने से नदी में जल की कमी नहीं होती है। उसी प्रकार यदि हम अपनी सहयोगात्मक भूमिका का निर्माण करें, तो पूरा जीवन सुखी और संपन्न हो जाता है। अधिकतर लोग अपनी भूमिका अस्पष्ट रखते हैं, जिससे वे कभी अपने जल रूपी धन का बंटवारा नहीं कर पाते हैं। जिससे उन्हें उपहार स्वरूप सफलता मिलने के संकेत कम हो जाते हैं। लेकिन सफलता का साम्राज्य बनाने वाले लोग भली भांति जानते हैं कि हमारी भूमिका हमारे भविष्य का निर्माण करती है। यदि हम अपनी भूमिका का चुनाव ही न करें, तो भविष्य का चित्रांकन कौन करेगा। यदि हम अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे, तो अधिकार कैसे मिलेंगे। इसीलिए वे अपने भविष्य का निर्माण करने के लिए ही अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सफल लोग अपनी सफलता में लोगों को हिस्सेदार बना देते हैं, जिससे उनकी सफलता अमर हो जाती है। जितना वे लोगों का सहयोग करते हैं, उतना ही प्रकृति उन्हें सहयोग और समर्थन करती है। जिससे उनकी सफलता का साम्राज्य बड़ा हो जाता है। FOR TRAINING CONTACT US:
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