परिणामों में ,शरीरआश्रित क्रिया में, शास्त्र ज्ञान मे उपादेय बुद्धि हो, तो आत्मा अनुभूति नहीं होगी l अनुभती नहीं होगी तो सम्यक दर्शन नहीं होगा ,इसीलिए अभिप्राय को पलटना अत्यंत आवश्यक हैl
साधना जैन,,,, atma Iqbal ke barabar bhi bhajan nahin jail sakti humko ekadam nirodh AVN nirbhar hona hi padega यदि हम गहराई से तत्व विचार करें तो सिर्फ मैं मतलब ओनलीआई मतलब मैं के अलावा और कुछ है कहां जहां देखो वहां मैं ही मैंहूं मेरे अलावा और कुछ भी नहीं😊🙏☺️
अध्यात्म तो वह है जहा भेद ज्ञान की चर्चा हो तत्व की चर्चा हो l
Jay jinendra
Jai jinendra. Vashi Navi mumbai.
गहरे तत्व विचार से ,गहरे चिंतन मनन से ही अभिप्राय बदलता है🙏
Jai jinendra dahod
Jai jinender ji
👌🙏🙏🙏
उदयपुर आदरणीय पण्डित जी साहब सादर जय जिनैंद्र 🙏🙏🙏
जय जिनेन्द्र पंडित जी
सादर जयजिनेन्द्र,सरजी... 🙏🏻🕉️🙏🏻🕉️
Aap ka roje suneker hi nid aati hai. Jai jindre ji.
Jai jinendra bhai 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
सेमारी उदयपुर
परिणामों में ,शरीरआश्रित क्रिया में, शास्त्र ज्ञान मे उपादेय बुद्धि हो, तो आत्मा अनुभूति नहीं होगी l अनुभती नहीं होगी तो सम्यक दर्शन नहीं होगा ,इसीलिए अभिप्राय को पलटना अत्यंत आवश्यक हैl
अंततः विपरीत अभिप्राय रहित ही सम्यक दर्शन रूपी फूल का कारण है🙏
Thank you very very much Dr. VIVEK JI. Aap ke Gyaan ki bahut bahut anumodna . 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 .
मौन वंदना🙏🙏🙏
साधना जैन,,,, atma Iqbal ke barabar bhi bhajan nahin jail sakti humko ekadam nirodh AVN nirbhar hona hi padega यदि हम गहराई से तत्व विचार करें तो सिर्फ मैं मतलब ओनलीआई मतलब मैं के अलावा और कुछ है कहां जहां देखो वहां मैं ही मैंहूं मेरे अलावा और कुछ भी नहीं😊🙏☺️
🙏🙏🙏