आचार्यजी मै आपसे पौराणिक कहनिया जो हमारा इतिहास है.उनमे जिक्र मिलता है की देवोके शस्त्र,सिद्धिया उन को मनुष्य हासिल कर के वह और ताकतवर और धर्म के के नाश और धर्म की रक्षा हेतू करते थे.इसी कारण से पृथ्वीलोक मे धर्म और अधर्म का नाश और राज होता था. आज के समय की बात भी यही है की धर्म के पतन के मुख्य वजह भी यही है की मानविय घातक अस्त्र शस्त्र धन अधर्मीयोंके पास है और धर्म हर दिन समय कमजोर और असहाय होता जा रहा है.धर्म से लोगोंका भरोसा उठता जा रहा है.जरुर यह कल्युग है मगर आज भी हम वह शस्त्र अस्त्र सिद्धीया प्राप्त करके हम स्वयं इस धर्म की रक्षा कर सक्ते है जियकी वजह से हमेशा इस धर्म की रक्षा हमने की हुई है. आचार्यजी आपने बहोत ग्रंथ और किताबे पढ़ चुके हो और आपको इस विषय मे जो शस्त्र अस्त्र और सिद्धिया का जिक्र हमारे ऐतिहासिक किताब ग्रंथोमे लिखा हुआ है उन्को धर्म रक्षा के लिये हमे तत्काल प्राप्त करना होन्गा इस कारन मै आपसे सहयता चाहता हू मै अपना जिवन मोक्ष मे लगाने के अलावा धर्म रक्षा और धर्म के स्थापना हेतू लगाना चाहता हू और मुझे यह मार्ग ही नजर आता है कृपया आप मेरी सहयता करे या इस विषय मे मार्गदर्शन करे.और डिटेल दे देता मगर यह उस डिटेल का शॉर्ट नोट है.मै आशा करता हू आप इस विषय मे जरुर मार्ग दर्शन करेंगे मै आपके उत्तर का इंतजार करुन्गा.पूज्य आचार्य जी आपको कोटि कोटि प्रणाम.जय श्री राम.
Acharya ji , I want you to speak on jotish shashtra.i know that most of things in jotish shashtra are false but my question is ,"does really planets effect human beings"
आचार्य श्री...पर भगवतगीता में स्पष्ट शब्दो लिखा है कि, प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण (रज, तम, सत) अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बांधते है। आचार्य श्री...जब प्रकृति के गुण ही जीवात्मा को मुक्त नहीं होने देना चाहते कृपया मार्गदर्शन करें... 🙏🙏
5:15 अगर मैं उपहार में तुमको कलम दू तो बताओ कि मेरी क्या इच्छा है? - कि तुम लिखो। और अगर मैं तुमको उपहार में तलवार दूं तो बताओ मेरी क्या इच्छा है? - कि तुम लड़ो। >तो प्रकृति ने जो तुम्हें उपहार दिए है (तुम्हारी मां ने जो तुम्हें उपहार दिए हैं), तो उसी से समझ लो कि मां की इच्छा क्या है तुमसे - प्रकृति ने हमें खास उपहार दिया है जो जानवरों को नहीं दिया है। बुद्धि का और बोध का, चेतना की ऊंचाई का समझदारी का
आचार्य जी बच्चे को पैदा ही क्यों करना , बार बार वही चक्र में फसने में कैसी मुक्ति? कैसा आनंद? प्रश्न बच जाते है क्योंकि निरंतर जन्म होते रहता है किसी न किसी का?सारे प्रश्न ढह से जाते है जब यह सोचता हु। आचार्य जी तो मेरा प्रश्न यह है की मात्र बचे पैदा न करके , क्या हम समस्त मानव जाति के मुक्ति में एक बड़ी अहम भूमिका निभा सकते है की नही। क्या यह एक अचूक उपाय नहीं है मुक्ति का? क्या हमे इस प्रश्न पर ज्यादा जोर नही देना चाहिए, बजाय दूसरे के , क्यूंकि आचार्य जी मेरा मानना है की व्यक्ति खुद मुक्ति की तरफ भले न कदम उठाए और व्यर्थ जीवन बिता दे परंतु बचे न पैदा करके वह 90% काम कर के चला जायेगा। 🙏🙏🙏
@@emraanmalik53 maa ka meaning ye hai kee hum prakriti se hi hai agar prakriti main koi dikat ayegi toh aisa toh nahi hoga ki asar hum par na pade samjhane ke liye maa shabda ka prayog kiya hai acharya jee nai basss.. topic ko asanee se pahochane ke liye
प्रणाम आचार्य जी🙏 बहुत ही क्रांतिकारी प्रवचन होते है गुरु जी के अगर पूरी समर्पण से सुने तो सुनने मात्र से मुक्ति। बड़ा अजीब है हम इतना उलझे है अपने पुराने विचारों से । गुरुजी का हर वक्तव्य जैसे जैसे हम शुद्ध होते है वैसे वैसे स्पष्ट होता है और गुरुजी की बाते समझने वाले की चेतना पर निर्भर करती है की उस समय चेतना का स्तर क्या है हमारा🙏
प्रकृति मां की तरह हैं उसने तुम आजाद होने का साधन भी दे रखा और तुम्हें अपने से दूर भी नहीं करना चाहती, पर उसकी खुशी इसी में हैं कि तुम उससे पार निकल जाओ। 🙏🙏🙏 आचार्य जी।
तो ये चुनाव तुम्हें करना है दोष प्रकृति पर मत डाल देना , तुम्हें जो कुछ मिला है प्रकृति से उसका उपयोग किस लिए करोगे , तुम्हें उपयोग करना है प्रकृति से ही आगे जाने के लिए 🙏🙏
जिन विषयों पर लोगों की भीड़ और जिज्ञासा ज्यादा बढ़ रही है और उनको जवाब समझने में मुश्किल हो रही थी।लेकिन आप उन विषयों को इतनी प्राथमिकता नहीं देते रहे थे। लेकिन अब आपने वही विषय जब अपने मंच पर खड़े किए तो आपके समझाने के तरीकों से प्रभावित होकर एक बड़ा बदलाव और सकारात्मक संदेश जा रहा है समाज को। आप का समझाने का तरीका बहुत ही सरल और सराहनीय है🙏🙏
आचार्य जी जैसे गुरु की प्राप्ति ईश्वर की प्राप्ति , कृष्ण की प्राप्ति के समान है ,कोटि कोटि नमन इस युगपुरुष को 🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️ आचार्य जी के कहने के बाद कहने को कुछ रह ही नहीं जाता , और कहने का कुछ मन भी नहीं करता , बस उनके शब्दों की गूंज को , गहराई को कुछ देर मौन रहकर मन में महसूस करते हुए आनंदित रहने का मन करता है l नमन है इस युगपुरुष को 🙏🙏🙏🙏❤️❤️
Pranam Aacharya jii🙏🙏🙏🙏 Aapke videos 1 month se dekhna strt ki hi, mujhe phle kuch pta hi nhi chlta tha ki life h Kay.....? Bs jee rhi thi aur life Kat ti ja rhi thi.Vedon,Upanishd ke bare me dur -dur tk kuch pta hi nhi tha ki ye hmare jivan jeene k lye ek margdarshk h aur inka sath kr lene se insan akela bhi jee skta h. Abhi tk to mai andhere m hi thi ki Prakriti ka mtlb---🌴🌴🌱🌱🍀,badal,pahar,nadiyan etc.PAr jaise-2 aapke videos dekhti ja rhi hu sb clear hota ja rha h. Bs aapka sath jb tk jiyu tb tak rhe,yhi kamna h.
आचार्य जी आप को शत-शत नमन आपने बहुत अच्छी तरीके से मां और प्रकृति का उदाहरण देकर हमें बोध करा दिया कि हम क्यों पैदा हुए हैं, और हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है।
Namaste Acharyaji. Ram Ram. Aapka ek ek shabd jeevan ka sach hai. Main aapka har video dekh aur samajh raha hu. Very mature and simple thinking . Dhanyawad. Jay Shree Ram.🙏
Sir hum sab log bht blessed h jo aap jese guru hmara marg Darshan krte h .. aapki har baat practical aur sachii lgti h ..bhgwan aapko ese hi himat de hmara marg Darshan krne ki ..
Mere according,manusya ka uddeshya hai nature ko apne saath lekr chlna .nature ki care krna , nature ki har cheez ki care krna , Shyd isiliye nature ne hame itna develop kiya h ,sochne ki power di hai ki ham animals ki care kare unk andr bhi thinking ki power develop kare or unke sath mil jul kr rahe Bt hm abhi jst iska ulta kr rhe h
बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी👍 आचार्य जी, आपने बताया कि प्रकृति के पार (समस्त वासनाओं/इच्छाओं से मुक्त होकर) ही परमात्मा को पाया जा सकता है, कहा जाता है कि सभी इच्छाओं से मुक्त होने पर वैराग्य का जन्म होता है और मन में उस अवस्था में गहन उदासी छाने लगती हैं जिसे सहन करना सरल नहीं होता है, तब उस अमनी अवस्था में एक साधक को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, मन के परे जाने पर क्या अनुभूति होती है, और क्या यह संभव है, कृपया इस पर प्रकाश डालें।
प्रकृति शक्ति स्वरूपा है ,हम जिस भी चीज के प्रति इच्छा प्रकट करते है,चाहे वह सांसारिक वस्तु हो या भक्ति, ज्ञान ,ओर वैराग्य हो । प्रकृति हमे वो चीजे प्रदान कर देती है।
कुछ लोग कहते हैं की बुद्ध ने अपना कर्तव्य निर्वाह नहीं किया और अपने बच्चों और पत्नी को छोड़कर जंगल चले गए, पहले कर्तव्य या पहले सत्य? बुद्ध के नाम पर जो सवाल उठाए जाते हैं उनपर प्रकाश डालें🙏
Respect and honours thank you thankyou thankyou for sharing Wise wisdom words learning more open books angles wakeup calls habits gifts of god thanks again
Acharya shri, Sadar parnam. U have said in this video that few people work in right direction. A scientist and a great humanist and writer, late sh. S s Dhillon used to tell me, " it is all in genetic set up . Every generic set up is unique. A glass cannot be made a diamond. Yes, Diamond can be polished." U also say that your videos are not for everyone. Regards. H. k. Bansal
आचार्य जी नमस्कार , मैं यह जानना चाहता हूं कि जो लोग जन्म से ही विकृत पैदा होते है उनका अपना उसमे क्या होता है ,एक लड़का मैंने देखा जी न सही आवाज निकाल सकता है हाथ पैर से वक्राकार है चल उठ नहीं सकता ,मानसिक हालत खराब है ,सिर भी गंजा , सड रहा है ,आंखे चेहरा बंद सी है, ऐसा जीवन कितना कष्टदायक , पीड़ायक होता है ये देखकर में समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा जन्म क्यों मिलता है , मन में विचार आ रहा था कि बचपन में ही ऐसे जीवन का अंत कर दिया जाए ,इतना कष्टकर जीवन पूरी जिंदगी कैसे झेला जाएगा ,वह अपनी मुक्ति का प्रयास करने में भी अक्षम है ,आचार्य जी मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे इस बारे में जरूर बताएं मै जानना चाहता हूं ,आपकी बहुत कृपा होगी, मै आपका बहुत आभारी रहूंगा ,धनबाद आचार्य जी
प्रणाम आचार्य जी🙏 हमें प्रतिपल अपनी चेतना को एक नया आयाम देना होगा हम कैसे अपने जीवन को सवारे वही सोचे वही करें बस सतत एक ही दिशा में निरंतर बहते चले जाएं अगर है शौक मिलने का तू हरदम लौ लगाता जा मिटा कर खुद नुमा ही को भस्म तन पर लगाता जा बस सद्गुरु से यही प्रार्थना करना कि जीवन में प्यास उतर जाए खुद को जानने की🙏🙏🙏
धन्यवाद, आचार्य जी और संस्था। आचार्य जी, वर्तमान में मेरी चेतना सुख खोजी है। इसको कैसे बताएँ कि यह मुक्ति खोजी है, सुख खोजी नहीं? आचार्य जी, अगर मेरा स्वभाव मुक्ति है तो मैं मुक्ति क्यों नहीं खोजती हूँ ? अनजाने में ही सही, बेहोशी में ही सही, सुख तो खोजती हूँ। चेतना सुख को खोजती है, मुक्ति को नहीं। चेतना को मुक्ति अनसमझा हुआ और दूर का मालूम पङता है। वर्तमान में तो ऐसा लगता है। आचार्य जी, आप कहते हैं कि जीवन का लक्ष्य मुक्ति है। मुझे कैसे पता चले कि मेरे जीवन का लक्ष्य मुक्ति है?
आचार्यजी मै आपसे पौराणिक कहनिया जो हमारा इतिहास है.उनमे जिक्र मिलता है की देवोके शस्त्र,सिद्धिया उन को मनुष्य हासिल कर के वह और ताकतवर और धर्म के के नाश और धर्म की रक्षा हेतू करते थे.इसी कारण से पृथ्वीलोक मे धर्म और अधर्म का नाश और राज होता था. आज के समय की बात भी यही है की धर्म के पतन के मुख्य वजह भी यही है की मानविय घातक अस्त्र शस्त्र धन अधर्मीयोंके पास है और धर्म हर दिन समय कमजोर और असहाय होता जा रहा है.धर्म से लोगोंका भरोसा उठता जा रहा है.जरुर यह कल्युग है मगर आज भी हम वह शस्त्र अस्त्र सिद्धीया प्राप्त करके हम स्वयं इस धर्म की रक्षा कर सक्ते है जियकी वजह से हमेशा इस धर्म की रक्षा हमने की हुई है. आचार्यजी आपने बहोत ग्रंथ और किताबे पढ़ चुके हो और आपको इस विषय मे जो शस्त्र अस्त्र और सिद्धिया का जिक्र हमारे ऐतिहासिक किताब ग्रंथोमे लिखा हुआ है उन्को धर्म रक्षा के लिये हमे तत्काल प्राप्त करना होन्गा इस कारन मै आपसे सहयता चाहता हू मै अपना जिवन मोक्ष मे लगाने के अलावा धर्म रक्षा और धर्म के स्थापना हेतू लगाना चाहता हू और मुझे यह मार्ग ही नजर आता है कृपया आप मेरी सहयता करे या इस विषय मे मार्गदर्शन करे.और डिटेल दे देता मगर यह उस डिटेल का शॉर्ट नोट है.मै आशा करता हू आप इस विषय मे जरुर मार्ग दर्शन करेंगे मै आपके उत्तर का इंतजार करुन्गा.पूज्य आचार्य जी आपको कोटि कोटि प्रणाम.जय श्री राम.
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आचार्यजी मै आपसे पौराणिक कहनिया जो हमारा इतिहास है.उनमे जिक्र मिलता है की देवोके शस्त्र,सिद्धिया उन को मनुष्य हासिल कर के वह और ताकतवर और धर्म के के नाश और धर्म की रक्षा हेतू करते थे.इसी कारण से पृथ्वीलोक मे धर्म और अधर्म का नाश और राज होता था.
आज के समय की बात भी यही है की धर्म के पतन के मुख्य वजह भी यही है की मानविय घातक अस्त्र शस्त्र धन अधर्मीयोंके पास है और धर्म हर दिन समय कमजोर और असहाय होता जा रहा है.धर्म से लोगोंका भरोसा उठता जा रहा है.जरुर यह कल्युग है मगर आज भी हम वह शस्त्र अस्त्र सिद्धीया प्राप्त करके हम स्वयं इस धर्म की रक्षा कर सक्ते है जियकी वजह से हमेशा इस धर्म की रक्षा हमने की हुई है.
आचार्यजी आपने बहोत ग्रंथ और किताबे पढ़ चुके हो और आपको इस विषय मे जो शस्त्र अस्त्र और सिद्धिया का जिक्र हमारे ऐतिहासिक किताब ग्रंथोमे लिखा हुआ है उन्को धर्म रक्षा के लिये हमे तत्काल प्राप्त करना होन्गा इस कारन मै आपसे सहयता चाहता हू मै अपना जिवन मोक्ष मे लगाने के अलावा धर्म रक्षा और धर्म के स्थापना हेतू लगाना चाहता हू और मुझे यह मार्ग ही नजर आता है कृपया आप मेरी सहयता करे या इस विषय मे मार्गदर्शन करे.और डिटेल दे देता मगर यह उस डिटेल का शॉर्ट नोट है.मै आशा करता हू आप इस विषय मे जरुर मार्ग दर्शन करेंगे मै आपके उत्तर का इंतजार करुन्गा.पूज्य आचार्य जी आपको कोटि कोटि प्रणाम.जय श्री राम.
Thank you sir
Acharya ji , I want you to speak on jotish shashtra.i know that most of things in jotish shashtra are false but my question is ,"does really planets effect human beings"
🙏❣️
आचार्य श्री...पर भगवतगीता में स्पष्ट शब्दो लिखा है कि, प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण (रज, तम, सत) अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बांधते है।
आचार्य श्री...जब प्रकृति के गुण ही जीवात्मा को मुक्त नहीं होने देना चाहते
कृपया मार्गदर्शन करें... 🙏🙏
जो बात मुझे पचास साल के जीवन ने सिखाई उसका हजार गुना ज्यादा आचार्य जी युवाओं को सिखा दे रहे हैं। शत् शत् नमन गुरु जी।
5:15
अगर मैं उपहार में तुमको कलम दू तो बताओ कि मेरी क्या इच्छा है?
- कि तुम लिखो।
और अगर मैं तुमको उपहार में तलवार दूं तो बताओ मेरी क्या इच्छा है?
- कि तुम लड़ो।
>तो प्रकृति ने जो तुम्हें उपहार दिए है (तुम्हारी मां ने जो तुम्हें उपहार दिए हैं), तो उसी से समझ लो कि मां की इच्छा क्या है तुमसे
- प्रकृति ने हमें खास उपहार दिया है जो जानवरों को नहीं दिया है। बुद्धि का और बोध का, चेतना की ऊंचाई का समझदारी का
Perfect 👍🙏
Nice bro ❤🎉
Awesome 👍🎉
Khud ki mukti paaa lo moksha paa lo taki swam ki janam maran ki chakra se chhutkaara pa sako ❤
इससे ज़्यादा साफ़ और उत्तम और कोही उदाहरण नहीं हो सकता था 🙏🏻👏🏻
आचार्य जी बच्चे को पैदा ही क्यों करना , बार बार वही चक्र में फसने में कैसी मुक्ति? कैसा आनंद? प्रश्न बच जाते है क्योंकि निरंतर जन्म होते रहता है किसी न किसी का?सारे प्रश्न ढह से जाते है जब यह सोचता हु।
आचार्य जी तो मेरा प्रश्न यह है की मात्र बचे पैदा न करके , क्या हम समस्त मानव जाति के मुक्ति में एक बड़ी अहम भूमिका निभा सकते है की नही। क्या यह एक अचूक उपाय नहीं है मुक्ति का?
क्या हमे इस प्रश्न पर ज्यादा जोर नही देना चाहिए, बजाय दूसरे के , क्यूंकि आचार्य जी मेरा मानना है की व्यक्ति खुद मुक्ति की तरफ भले न कदम उठाए और व्यर्थ जीवन बिता दे परंतु बचे न पैदा करके वह 90% काम कर के चला जायेगा। 🙏🙏🙏
अचार्य जी हमने आपको ही आपने जीवन का मार्गदर्शन मान लिया है ।।।।। अचार्य जी आप हमेशा ऐसे ही लोगो को सही दिशा दिखाते रहिये
Thank you
❤
मैं बहुत खुश हूं कि यह देख कर के बहुत सारे लोग अब आप के मार्ग में चल रहे हैं सभी को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद आचार्य प्रशांत जी आप को
आपका समझना ने का तरीका बहुत बढ़िया है।
~21वीं सदी के महान समाज सुधारक - 👉आचार्य प्रशांत💥
प्रकृति मां की तरह है उसने तुम्हे जन्म दिया है लेकिन उसने तुम्हे वो सारे क्षमता दिए है जिनके माध्यम से तुम एक स्वस्थ्य युवक बन सकते हो 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@@emraanmalik53 maa ka meaning ye hai kee hum prakriti se hi hai
agar prakriti main koi dikat ayegi toh aisa toh nahi hoga ki asar hum par na pade samjhane ke liye maa shabda ka prayog kiya hai acharya jee nai basss.. topic ko asanee se pahochane ke liye
धन्यवाद मैडम, आप कोविड से जूझने के बावजूद अपने धर्म से नही डिग रही और हमारे लिए विडियोज एडिट करती ही जा रही हैं। सलाम इस नारी शक्ति को।🙏🏻
आचार्य जी ने तो ज़िन्दगी के सच्चाई की सारी पोल ही खोल दी। अद्भुत विचार।
आचार्य जी के साथ तो वही लोग चल सकते हैं जो अन्वेषण को ही सफर मानते हैं।
शत् शत् नमन आचार्य जी 💞🙏
प्रणाम आचार्य जी🙏
बहुत ही क्रांतिकारी प्रवचन होते है गुरु जी के अगर पूरी समर्पण से सुने तो सुनने मात्र से मुक्ति। बड़ा अजीब है हम इतना उलझे है अपने पुराने विचारों से । गुरुजी का हर वक्तव्य जैसे जैसे हम शुद्ध होते है वैसे वैसे स्पष्ट होता है और गुरुजी की बाते समझने वाले की चेतना पर निर्भर करती है की उस समय चेतना का स्तर क्या है हमारा🙏
तुम प्रकृति से आगे निकल जाओ, तुम अब चिपको नहीं प्रकृति की ही चीजों से🙏🙏😍
ज़रूरी था इस महामारी का आना🌺
हे परमपिता परमेश्वर महादेव मेरे देश मेरे परिवार की रक्षा करना 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जरूरी बिल्कुल भी नहीं था इस महामारी का आना, हम ऐसे भोगवादी लोग हैं की प्रकृति को जबरन ऐसा करना पड़ा।।
@@sandiplivingandlife typing issue मैं भी Sir यहीं कहना चाह रही थी... Anyhow Take care there
@@sandiplivingandlife बिल्कुल सही कहा आपने !
मन ही मिटने लगता है सुन कर।
प्रकृति मां की तरह हैं उसने तुम आजाद होने का साधन भी दे रखा और तुम्हें अपने से दूर भी नहीं करना चाहती, पर उसकी खुशी इसी में हैं कि तुम उससे पार निकल जाओ।
🙏🙏🙏 आचार्य जी।
आचार्य जी प्रणाम❤🎉
Prakriti hamari maa hai....She want to give us mukti
चेहरे पर फेसबुक सी रौनक है, दिल व्हाट्सप्प हुआ जा रहा है। समाज से कटकर भी, इंसान सोशल हुआ जा रहा है।
Nice 👍👍👍👍👍👍
महान दार्शनिक श्री आचार्य प्रशांत 🙏🙏
तो ये चुनाव तुम्हें करना है दोष प्रकृति पर मत डाल देना , तुम्हें जो कुछ मिला है प्रकृति से उसका उपयोग किस लिए करोगे , तुम्हें उपयोग करना है प्रकृति से ही आगे जाने के लिए 🙏🙏
जिन विषयों पर लोगों की भीड़ और जिज्ञासा ज्यादा बढ़ रही है और उनको जवाब समझने में मुश्किल हो रही थी।लेकिन आप उन विषयों को इतनी प्राथमिकता नहीं देते रहे थे।
लेकिन अब आपने वही विषय जब अपने मंच पर खड़े किए तो आपके समझाने के तरीकों से प्रभावित होकर एक बड़ा बदलाव और सकारात्मक संदेश जा रहा है समाज को।
आप का समझाने का तरीका बहुत ही सरल और सराहनीय है🙏🙏
शानदार आपने मुक्ति की ओर direction किया है और परे जाने की बात की है..
हर रोज आप हमारे अहंकार को तोड़ते हैं ऐसे ही तोड़ते रहिए उस दिन तक जब तक ये खतम ही ना जाए 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
रिया धन्यवाद आचार्य जी इतनी गहराई के लिए 🙏🙏🙏
आचार्य जी जैसे गुरु की प्राप्ति ईश्वर की प्राप्ति , कृष्ण की प्राप्ति के समान है ,कोटि कोटि नमन इस युगपुरुष को 🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️
आचार्य जी के कहने के बाद कहने को कुछ रह ही नहीं जाता , और कहने का कुछ मन भी नहीं करता , बस उनके शब्दों की गूंज को , गहराई को कुछ देर मौन रहकर मन में महसूस करते हुए आनंदित रहने का मन करता है l
नमन है इस युगपुरुष को 🙏🙏🙏🙏❤️❤️
प्रकृति हमारी जननी है.... मै हमेसा सुबह उठर धरती माँ का चरण स्पर्श करती हु... गुरु वर......
Acharyaji is not an ordinary insaan..He is ishwar himself.
Adhyatm ko golden words me define krne k liye apka dil se abhar guruji 🥰 sadar charan sparsh 🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌
क्या बात है sir, क्या बात है sir, what an intellect sirji 🙏
गजब
Pranam Aacharya jii🙏🙏🙏🙏
Aapke videos 1 month se dekhna strt ki hi, mujhe phle kuch pta hi nhi chlta tha ki life h Kay.....? Bs jee rhi thi aur life Kat ti ja rhi thi.Vedon,Upanishd ke bare me dur -dur tk kuch pta hi nhi tha ki ye hmare jivan jeene k lye ek margdarshk h aur inka sath kr lene se insan akela bhi jee skta h. Abhi tk to mai andhere m hi thi ki Prakriti ka mtlb---🌴🌴🌱🌱🍀,badal,pahar,nadiyan etc.PAr jaise-2 aapke videos dekhti ja rhi hu sb clear hota ja rha h. Bs aapka sath jb tk jiyu tb tak rhe,yhi kamna h.
स्वयंसेवक को मेरा नमन 💓🧡❣️💕
The example of gift was awesome. Good question as well, it answered my question too. Thanks for addressing Acharya Ji.
ये चुनाव तुम्हे करना है कि जो कुछ तुम्हे मिला है प्रकृति से उसका उपयोग किस लिए करना हैं 🙏🏻
आध्यात्मिक व्यक्ति जीवन से ही होता है यह तुम्हारे ऊपर निर्भर करता है कि तुम दाम चुकाओगे या नहीं
आचार्य जी अगर जीवन में ना होते तो पता नहीं क्या होता हमाराll
आचार्य जी आप को शत-शत नमन आपने बहुत अच्छी तरीके से मां और प्रकृति का उदाहरण देकर हमें बोध करा दिया कि हम क्यों पैदा हुए हैं, और हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है।
अध्यात्म किसी एक तरफ के विशेष झुकाव के नाम नहीं है , अध्यात्म अपने सारे ही झुकावों को तिरोहित करने का नाम है ।
आचार्य श्री आपके वीडियोज सुनकर मेरी जिंदगी में काफी सकारात्मक बदलाव अनुभव करता हूं आप युं ही उपदेश करते रहिए आप को मेरा कोटि कोटि नमन,,,
आप हमेशा ऐसे ही सही दिशा दिखाना स्वामी जी। ❤️❤️
Namaste Acharyaji. Ram Ram. Aapka ek ek shabd jeevan ka sach hai. Main aapka har video dekh aur samajh raha hu. Very mature and simple thinking .
Dhanyawad.
Jay Shree Ram.🙏
Ye desh dhanya jinhe aap jaise mahatma mile
Mein abhi 22 saal ki hu...mujhe aapse ye gyaan mil rha hai..bohot bhagyashali anubhav kr rhi hu
देखन में ये बाग सुहाना , जिन जिन भोगा तिन तिन पछताना ~~
Sir hum sab log bht blessed h jo aap jese guru hmara marg Darshan krte h .. aapki har baat practical aur sachii lgti h ..bhgwan aapko ese hi himat de hmara marg Darshan krne ki ..
बहुत बहुत धन्येवाद आचार्य जी बहुत सुंदर प्रवाचनं! आपके प्रवाचनं बहुत सरल सीधे और उच्च कोटि के होते है!👍👍👍
Waoooo thankyou acharya ji prakriti aur maa k similarity ko itne ache se samjhane k liye ❤❤🙏🏻💝🌺
Parivartan hi prakriti ka niyam hai 😊
samjh me aa rhi h baat:)))))hai ho
प्रणाम आचार्य जी आपके प्रवचन सुनने से मुझे शांति मिली है जी
Koti koti pranaam aacharya ji... Aapko ye jivan samarpit h
Om Jay shree radhe radhe krishna aap dono ko shree charno mai koti koti pranam 🌹🙏
आचार्य जी की वीडियो देखते रहिए जीवन में क्रांतिकारी परिणाम आएंगे
सही जगह कभी तुमको यूं ही संयोगवश नहीं मिल जानी है वो तो दाम दे कर के पाने पड़ती है🙏
युद्ध्यस्व❤
Mere according,manusya ka uddeshya hai nature ko apne saath lekr chlna .nature ki care krna , nature ki har cheez ki care krna ,
Shyd isiliye nature ne hame itna develop kiya h ,sochne ki power di hai ki ham animals ki care kare unk andr bhi thinking ki power develop kare or unke sath mil jul kr rahe
Bt hm abhi jst iska ulta kr rhe h
Janam ka Laksh hi jeevan sundar banarhe...jaisrikrashn, pranam aacharyaji..guruvar..
बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी👍
आचार्य जी, आपने बताया कि प्रकृति के पार (समस्त वासनाओं/इच्छाओं से मुक्त होकर) ही परमात्मा को पाया जा सकता है, कहा जाता है कि सभी इच्छाओं से मुक्त होने पर वैराग्य का जन्म होता है और मन में उस अवस्था में गहन उदासी छाने लगती हैं जिसे सहन करना सरल नहीं होता है, तब उस अमनी अवस्था में एक साधक को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, मन के परे जाने पर क्या अनुभूति होती है, और क्या यह संभव है, कृपया इस पर प्रकाश डालें।
Acharyji aap bahut hi achhe tarike and pura kiliyar tarah se samghate hai kalug me aise guruo ki jarurat hai thank you so much
Aap gyan ke sagar ho acharya ji❤
_ये_ कोई_ नही _बताता है_,❣️😘__⚡
Hme aaj ki education bdlni chaiye😐. . ... Aaj ka education ek business bs bn gya h..
This video is very helpful for me .. thank you #AcharyaJi
& Hare Krishna 🙏
Thank you 🙏🏾🦚❤️🕉️❤️
Mujhe aapki baat samajh aa gyi h aap ka koti koti dhanyawad Acharya j❤❤❤❤
बहुत ही सरल और सुंदर भाव से कहा 👍🙏🙏🌺🌺
प्रकृति शक्ति स्वरूपा है ,हम जिस भी चीज के प्रति इच्छा प्रकट करते है,चाहे वह सांसारिक वस्तु हो या भक्ति, ज्ञान ,ओर वैराग्य हो । प्रकृति हमे वो चीजे प्रदान कर देती है।
शत् शत् नमन आचार्य जी।
कुछ लोग कहते हैं की बुद्ध ने अपना कर्तव्य निर्वाह नहीं किया और अपने बच्चों और पत्नी को छोड़कर जंगल चले गए, पहले कर्तव्य या पहले सत्य? बुद्ध के नाम पर जो सवाल उठाए जाते हैं उनपर प्रकाश डालें🙏
Satya se alawa koi hai hi nhi to parivaar kya.
Kuch log aise bhi hote hai jo pariwar me rahkar bhi satya ko pa lete.our kuch aise bhi hote jo pariwar chodkar bhi satya ko pa nhi sakte.
Sabse pehli zimmedaari khud k Prato Hoti hai. Hamari haalat daldal mein phanse hue Insaan ki tarah hai. Pehle khud bahar niklenge aur fir dusro ki madad karenge. Daldal mein parivaar nahi banana hai.
Respect and honours thank you thankyou thankyou for sharing Wise wisdom words learning more open books angles wakeup calls habits gifts of god thanks again
Acharya shri,
Sadar parnam.
U have said in this video that few people work in right direction. A scientist and a great humanist and writer, late sh. S s Dhillon used to tell me, " it is all in genetic set up . Every generic set up is unique. A glass cannot be made a diamond. Yes, Diamond can be polished." U also say that your videos are not for everyone.
Regards.
H. k. Bansal
Thanks❤️0🙏
Love❤️BMS health❤️Blessings❤️Freedom Abundance❤️Peace❤️to All🌸🕊️🦋🌍
आचार्य जी नमस्कार , मैं यह जानना चाहता हूं कि जो लोग जन्म से ही विकृत पैदा होते है उनका अपना उसमे क्या होता है ,एक लड़का मैंने देखा जी न सही आवाज निकाल सकता है हाथ पैर से वक्राकार है चल उठ नहीं सकता ,मानसिक हालत खराब है ,सिर भी गंजा , सड रहा है ,आंखे चेहरा बंद सी है, ऐसा जीवन कितना कष्टदायक , पीड़ायक होता है ये देखकर में समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा जन्म क्यों मिलता है , मन में विचार आ रहा था कि बचपन में ही ऐसे जीवन का अंत कर दिया जाए ,इतना कष्टकर जीवन पूरी जिंदगी कैसे झेला जाएगा ,वह अपनी मुक्ति का प्रयास करने में भी अक्षम है ,आचार्य जी मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि मुझे इस बारे में जरूर बताएं मै जानना चाहता हूं ,आपकी बहुत कृपा होगी, मै आपका बहुत आभारी रहूंगा ,धनबाद आचार्य जी
बिल्कुल,,sty वचन 😮❤🎉
Ye Mera swal tha
Guru dev daya koro din jone🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Aise kabhi socha na tha ,samaz ab ayi hea .
Danywad
प्रणाम आचार्य जी🙏 हमें प्रतिपल अपनी चेतना को एक नया आयाम देना होगा हम कैसे अपने जीवन को सवारे वही सोचे वही करें बस सतत एक ही दिशा में निरंतर बहते चले जाएं अगर है शौक मिलने का तू हरदम लौ लगाता जा मिटा कर खुद नुमा ही को भस्म तन पर लगाता जा बस सद्गुरु से यही प्रार्थना करना कि जीवन में प्यास उतर जाए खुद को जानने की🙏🙏🙏
dhanywaad Acharya Ji
naman prakitiko🙏🙏🙏
Jai ho gurudev🙏🙏 🇮🇳🇮🇳
Absuletly Right Acharya Shri 🙏🚩❤
Very nice Acharya Ji
सही है सर जी 🙏🙏
Kya aap job karte hai vardi me hai
Hare Krishna 🙏🏼 जय हिन्द 🇮🇳
धन्यवाद, आचार्य जी और संस्था।
आचार्य जी, वर्तमान में मेरी चेतना सुख खोजी है। इसको कैसे बताएँ कि यह मुक्ति खोजी है, सुख खोजी नहीं?
आचार्य जी, अगर मेरा स्वभाव मुक्ति है तो मैं मुक्ति क्यों नहीं खोजती हूँ ? अनजाने में ही सही, बेहोशी में ही सही, सुख तो खोजती हूँ।
चेतना सुख को खोजती है, मुक्ति को नहीं।
चेतना को मुक्ति अनसमझा हुआ और दूर का मालूम पङता है। वर्तमान में तो ऐसा लगता है।
आचार्य जी, आप कहते हैं कि जीवन का लक्ष्य मुक्ति है। मुझे कैसे पता चले कि मेरे जीवन का लक्ष्य मुक्ति है?
Naman acharya g
A true jnana yogi
May all be blissful 🙏🏻🕉❤️🙇🏻♂️
आचार्य जी 🙏
आचार्यजी मै आपसे पौराणिक कहनिया जो हमारा इतिहास है.उनमे जिक्र मिलता है की देवोके शस्त्र,सिद्धिया उन को मनुष्य हासिल कर के वह और ताकतवर और धर्म के के नाश और धर्म की रक्षा हेतू करते थे.इसी कारण से पृथ्वीलोक मे धर्म और अधर्म का नाश और राज होता था.
आज के समय की बात भी यही है की धर्म के पतन के मुख्य वजह भी यही है की मानविय घातक अस्त्र शस्त्र धन अधर्मीयोंके पास है और धर्म हर दिन समय कमजोर और असहाय होता जा रहा है.धर्म से लोगोंका भरोसा उठता जा रहा है.जरुर यह कल्युग है मगर आज भी हम वह शस्त्र अस्त्र सिद्धीया प्राप्त करके हम स्वयं इस धर्म की रक्षा कर सक्ते है जियकी वजह से हमेशा इस धर्म की रक्षा हमने की हुई है.
आचार्यजी आपने बहोत ग्रंथ और किताबे पढ़ चुके हो और आपको इस विषय मे जो शस्त्र अस्त्र और सिद्धिया का जिक्र हमारे ऐतिहासिक किताब ग्रंथोमे लिखा हुआ है उन्को धर्म रक्षा के लिये हमे तत्काल प्राप्त करना होन्गा इस कारन मै आपसे सहयता चाहता हू मै अपना जिवन मोक्ष मे लगाने के अलावा धर्म रक्षा और धर्म के स्थापना हेतू लगाना चाहता हू और मुझे यह मार्ग ही नजर आता है कृपया आप मेरी सहयता करे या इस विषय मे मार्गदर्शन करे.और डिटेल दे देता मगर यह उस डिटेल का शॉर्ट नोट है.मै आशा करता हू आप इस विषय मे जरुर मार्ग दर्शन करेंगे मै आपके उत्तर का इंतजार करुन्गा.पूज्य आचार्य जी आपको कोटि कोटि प्रणाम.जय श्री राम.
Aap sahi kah rahe hai aachary ji
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।🙏
GREAT TO HAVE YOU SIR ❤️🙏
Ankhen khol di
" chunav tumhare hai budhhi, Chetna ka istemal karke prakriti se pare chale jao" -. Aacharya Prasant 🕉️
Absuletly Right Acharya ji 🙏💯❤
Abhi Mujhe Our Gyan Chahiye 😢
प्रमाण अचार्य श्री 🙏🙏🙏