समान नागरिकता संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित है। यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत आता है और इसमें यह कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह समान नागरिकता संहिता को लागू करे, जो सभी नागरिकों के लिए समान हो।
उद्योगों के प्रबंधन कारगारों का भाग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 में आता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत आता है। अनुच्छेद 39 में यह कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह उद्योगों के प्रबंधन में कारगारों का भाग सुनिश्चित करे, ताकि उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो सके। इसके अलावा, अनुच्छेद 39(बी) में यह भी कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों के हितों की रक्षा करे और उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व प्रदान करे।
86 va samvidhan sanshodhan 2002 ke dwara11va maulik kartavya h jismein abhibhavakon ka kartavya hai bacchon Ko Shiksha ka avsar pradan karvana Aur anuchchhed 21 ke a mein 6 se 14 varsh ke bacchon ke liye nishulk Shiksha ka pravdhan hai
अभिभावकों को बच्चों को शिक्षा के अवसर दिलवाने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए में वर्णित है। यह अनुच्छेद 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था। अनुच्छेद 21ए के अनुसार, राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाएगा। इसके अलावा, अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का अधिकार भी है।
86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 ने भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया। इस संशोधन ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को लागू किया ¹। इस संशोधन ने संविधान के अनुच्छेद 21ए को जोड़ा, जो यह कहता है कि राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाएगा ¹। इस प्रकार, 86वें संविधान संशोधन अधिनियम ने शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत प्रदान किया गया है।
पर्यावरण का संरक्षण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48ए और 51ए(जी) में वर्णित है: अनुच्छेद 48ए: राज्य का कर्तव्य होगा कि वह पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए। अनुच्छेद 51ए(जी): प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में योगदान करे। इन अनुच्छेदों में पर्यावरण के संरक्षण के लिए राज्य और नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है।
शोषण के विरुद्ध अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जोड़ा गया है, जो जीवन के अधिकार के रूप में जाना जाता है। इस अनुच्छेद में यह कहा गया है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं करेगा, जब तक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ऐसा नहीं किया जाता है। इसके अलावा, अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के विरुद्ध विशिष्ट अधिकारों का उल्लेख किया गया है: अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और जबरन श्रम के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 24: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए जबरन श्रम के विरुद्ध अधिकार इन अनुच्छेदों में शोषण के विरुद्ध अधिकारों का उल्लेख किया गया है, जो व्यक्तियों को शोषण से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए हैं।
समान नागरिकता संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित है। यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत आता है और इसमें यह कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह समान नागरिकता संहिता को लागू करे, जो सभी नागरिकों के लिए समान हो।
समान नागरिकता संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित है। यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत आता है और इसमें यह कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह समान नागरिकता संहिता को लागू करे, जो सभी नागरिकों के लिए समान हो।
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उद्योगों के प्रबंधन कारगारों का भाग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 में आता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत आता है।
अनुच्छेद 39 में यह कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह उद्योगों के प्रबंधन में कारगारों का भाग सुनिश्चित करे, ताकि उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो सके।
इसके अलावा, अनुच्छेद 39(बी) में यह भी कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों के हितों की रक्षा करे और उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व प्रदान करे।
अनुच्छेद 43 (क)
86 va samvidhan sanshodhan 2002 ke dwara11va maulik kartavya h jismein abhibhavakon ka kartavya hai bacchon Ko Shiksha ka avsar pradan karvana
Aur anuchchhed 21 ke a mein 6 se 14 varsh ke bacchon ke liye nishulk Shiksha ka pravdhan hai
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अभिभावकों को बच्चों को शिक्षा के अवसर दिलवाने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए में वर्णित है। यह अनुच्छेद 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था।
अनुच्छेद 21ए के अनुसार, राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाएगा। इसके अलावा, अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का अधिकार भी है।
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86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 ने भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया। इस संशोधन ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को लागू किया ¹।
इस संशोधन ने संविधान के अनुच्छेद 21ए को जोड़ा, जो यह कहता है कि राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाएगा ¹।
इस प्रकार, 86वें संविधान संशोधन अधिनियम ने शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत प्रदान किया गया है।
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पर्यावरण का संरक्षण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48ए और 51ए(जी) में वर्णित है:
अनुच्छेद 48ए: राज्य का कर्तव्य होगा कि वह पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए।
अनुच्छेद 51ए(जी): प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में योगदान करे।
इन अनुच्छेदों में पर्यावरण के संरक्षण के लिए राज्य और नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है।
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शोषण के विरुद्ध अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जोड़ा गया है, जो जीवन के अधिकार के रूप में जाना जाता है। इस अनुच्छेद में यह कहा गया है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं करेगा, जब तक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ऐसा नहीं किया जाता है।
इसके अलावा, अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के विरुद्ध विशिष्ट अधिकारों का उल्लेख किया गया है:
अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और जबरन श्रम के विरुद्ध अधिकार
अनुच्छेद 24: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए जबरन श्रम के विरुद्ध अधिकार
इन अनुच्छेदों में शोषण के विरुद्ध अधिकारों का उल्लेख किया गया है, जो व्यक्तियों को शोषण से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए हैं।
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Dpsp mein anuchchhed 48 mein jo (A) bhag hai vo 42 ve sanvidhan sanshodhan 1976 mein Joda Gaya
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समान नागरिकता संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित है। यह अनुच्छेद राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत आता है और इसमें यह कहा गया है कि राज्य का उद्देश्य होगा कि वह समान नागरिकता संहिता को लागू करे, जो सभी नागरिकों के लिए समान हो।
Gud 👍