माता-पिता इसके पुत्र की पहले सेवा और पालना करते हैं तो वह सेवक और प्रौढावस्था तक उनके स्वामी और प्रौढावस्था को प्राप्त हुए पुत्र का वही पिता सखा भी होता है। वैसे भी अध्यात्म विशेष रूप से पुराण भाव और समर्पण का विषय है इसमें हेतुभूत हेतु तो अहंकार का शमन ही है। प्रणाम विभो..... 🌺🌹🙏
माता-पिता इसके पुत्र की पहले सेवा और पालना करते हैं तो वह सेवक और प्रौढावस्था तक उनके स्वामी और प्रौढावस्था को प्राप्त हुए पुत्र का वही पिता सखा भी होता है।
वैसे भी अध्यात्म विशेष रूप से पुराण भाव और समर्पण का विषय है इसमें हेतुभूत हेतु तो अहंकार का शमन ही है।
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प्रणाम गुरु जी को चरण स्पर्श
God morning
Jay Shree Krishna
हे तत्व दर्शी सन्त ध्यान आंखें बंद करके किया जाता है लेकिन ऐशि अवस्था आंख खुली हो कर भी हो सकती है
समजाये