पितृ पक्ष को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस पक्ष के दौरान हिंदू मत को मानने वाले लोग अपने मरे हुए पूर्वजों और पितृ को तर्पण और पिंड दान करते है। इस समय के दौरान जो लोग गया, प्रयाग, गोकर्ण, काशी, आदि क्षेत्रों में जाकर अपने पूर्वजों की श्राद्ध कर पाते है वह बहुत भाग्यशाली होते है। पितृ पक्ष के अमावस्या(नवरात्रि से एक दिन पहले) यानी महालय अमावस्या के दिन जो अपने पितरों को पिंड दान तर्पण प्रधान करता है उसका पुण्य वृद्धि होता है।
Om sharee sarvebhyo pitrebhyo namah.
पितृ पक्ष को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस पक्ष के दौरान हिंदू मत को मानने वाले लोग अपने मरे हुए पूर्वजों और पितृ को तर्पण और पिंड दान करते है। इस समय के दौरान जो लोग गया, प्रयाग, गोकर्ण, काशी, आदि क्षेत्रों में जाकर अपने पूर्वजों की श्राद्ध कर पाते है वह बहुत भाग्यशाली होते है। पितृ पक्ष के अमावस्या(नवरात्रि से एक दिन पहले) यानी महालय अमावस्या के दिन जो अपने पितरों को पिंड दान तर्पण प्रधान करता है उसका पुण्य वृद्धि होता है।
🙏🙏🙏🙏 बहुत अच्छी जानकारी
Thank you 🙏 soo much for this great information..... Jai shree ram... 🙏
Har har mahadev.... 🙏😇
Thanks for the information 🙏
महाराज गय असुर नहीं थे। वह प्रभु श्रीराम के पूर्वज थे। कृप्या रामायण पढ़िए। उन्होंने जो नगरी बसाई उसका नाम उनके ऊपर गया पड़ा।
😉😉🙄😉😉❤️😭😉😉❤️❤️🙄❤️