अलौकिक है हिंदी साहित्य के महान साहित्यकारों की कलम से जगमगाते दीपों का प्रकाश

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 17

  • @shradhapathak2757
    @shradhapathak2757 8 วันที่ผ่านมา +3

    अदभुत

  • @Jaatbhai_12197
    @Jaatbhai_12197 8 วันที่ผ่านมา +2

    🔥🔥

  • @arnavahuja9693
    @arnavahuja9693 8 วันที่ผ่านมา +2

    ❤❤

  • @Rajj2009
    @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา +3

    एक शौक बेमिसाल रखा करो
    🎸
    हालात जैसे भी हो
    होठों पर हमेशा #मुस्कान रखा करो
    🎸🎸

  • @foodstoriesbysandhya
    @foodstoriesbysandhya 8 วันที่ผ่านมา +3

    बहुत ही शानदार वीडियो बनाया है आपने 🎉 बहुत सारी जानकारी मिलती हैं आप के वीडियो में ✅👌👍 like done 👍 full watch 👌

  • @purusharma8192
    @purusharma8192 8 วันที่ผ่านมา +2

    Great video 😊❤

    • @Rajj2009
      @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา

      Thanks for watching!

  • @realvarunsharma
    @realvarunsharma 8 วันที่ผ่านมา +2

    Nice

    • @Rajj2009
      @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา

      Thanks

  • @Rajj2009
    @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา +2

    मुझे तोड़ लेना बनमाली,
    उस पथ पर देना तुम फेंक
    मातृ-भूमि पर शीश-चढ़ाने,
    जिस पथ पर जावें वीर अनेक

  • @arushipathak5906
    @arushipathak5906 5 วันที่ผ่านมา +1

    सुंदर☺️

  • @devvratpathak18
    @devvratpathak18 7 วันที่ผ่านมา +1

    संस्कृत से संस्कृति हमारी, हिंदी से हिंदुस्तान है 🇮🇳

  • @Rajj2009
    @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา +1

    मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
    स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
    क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
    नयनों में दीपक से जलते,
    पलकों में निर्झरिणी मचली!
    मेरा पग-पग संगीत भरा,
    श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
    नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
    छाया में मलय बयार पली,

  • @Rajj2009
    @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา +1

    Some of Jaishankar Prasad's plays include:
    Skandagupta: A famous play written in 1928
    Chandragupta: A famous play
    Dhruvaswamini: Considered by some to be Prasad's best play, set in the Gupta Age
    Titli: A play by Jaishankar Prasad
    Ajatshatru: A play by Jaishankar Prasad
    Kankal: A play by Jaishankar Prasad

  • @Rajj2009
    @Rajj2009  8 วันที่ผ่านมา +1

    हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के बारे में कुछ खास बातें:
    वे भक्तिकालीन साहित्य के अच्छे जानकार थे.
    उन्हें साल 1957 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
    उनके मित्र और परिवार ने उन्हें 'मुकेश शास्त्री' उपनाम दिया था.
    उनकी लेखनी में मौलिक चिंतन का छाप मिलता है.
    उन्होंने सरकार और शासन पर कटाक्ष किया है.
    उन्होंने उपन्यास, निबंध, और संपादन के ज़रिए लोगों तक हिन्दी और उसके प्रभाव को पहुंचाने का काम किया है.

  • @sanatanroy7587
    @sanatanroy7587 7 วันที่ผ่านมา +1

    Hindi Rastriyo Basha???