POWERS OF LABOUR COURTS AND TRIBUNALS IN CASE OF DISCHARGE OR DISMISSAL OF WORKMEN |

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 17 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 14

  • @nilufarnazbin6974
    @nilufarnazbin6974 5 หลายเดือนก่อน +1

    Thank you so much 🙏

    • @legalgyan5
      @legalgyan5  5 หลายเดือนก่อน +1

      You're welcome 😊

  • @rajatmehta7
    @rajatmehta7 ปีที่แล้ว +1

    Very helpful video... Explained in very lucid manner 😇

  • @jyojk6348
    @jyojk6348 2 ปีที่แล้ว +2

    I'm trying to join but unable to do that ..my case is in court and and my company is saying that I'm not workman which is incorrect

  • @PrikshaBishnoi-dl6de
    @PrikshaBishnoi-dl6de 7 หลายเดือนก่อน +1

    Thank you 🙂🙂

  • @JitenderKumar-fy1kq
    @JitenderKumar-fy1kq ปีที่แล้ว +1

    Thanks a lot.

  • @poojarathore2783
    @poojarathore2783 2 ปีที่แล้ว +2

    Mem new labur code ke bare me bataye sachai kiya he

  • @evadhiman3477
    @evadhiman3477 11 หลายเดือนก่อน +1

    Thankyou

  • @deepakhedulkar1021
    @deepakhedulkar1021 2 ปีที่แล้ว +1

    डिअर मॅडम
    मै हाफकीन जीव औषध निर्माण महामंडळ parel मुंबई का एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी हू!
    2012 के एक डायरेक्ट भर्ती मे वरिष्ठ कार्यालय सहाय्यक एक पोस्ट मे जाहिरात की गई थी! इस पोस्ट मे मुझे प्रतीक्षा मे पाहिले स्थान पर नियुक्त किया गया! पर अंतिम पोस्ट नही मिला!पर जिस उमेदवार को नियुक्त किया गया वो गलत तारिकेसे नियुक्त किया गया! उनकी जादा उम्र का झूठा प्रस्ताव managing डायरेक्टर (ias)को सदर किया गया यह बाद मैने साबिद बी की!आखिर मे प्रशासन ने अपनी गलती लिखी स्वरूप मे मान ली!परंतु अभि tak मुझे न्याय नही मिला है!प्लीज advise me madam

    • @legalgyan5
      @legalgyan5  2 ปีที่แล้ว

      सबसे पहले आप RTI से अपने documents निकलवायें

  • @jyojk6348
    @jyojk6348 2 ปีที่แล้ว +1

    I need to talk with u

  • @rahul_agrawal1
    @rahul_agrawal1 2 ปีที่แล้ว +1

    Ye to sirf translation he

  • @inaren04
    @inaren04 2 ปีที่แล้ว +1

    मेम हम 10 लोग गुजरात के एक स्पेशियल इकोनॉमिक ज़ोन में कार्यरत थे और 2006 में गुजरात sez act के तहत चेप्टर V D लागू करके हमें निकाला गया था और हमारा केस इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में सन 2013 से चालू है। कंपनी ने कोर्ट को बताया कि world economic slowdown होने के कारण हमने इन कामदारों को निकाला है। कंपनी का नाम हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड है यह 100% एक्सपोर्ट करती है पर यह बात सच नही है कि कंपनी के पास काम नही था। कोर्ट में कंपनी ने ऐसा कोई सबूत पेश नही किया है जिससे ये साबित हो सके कि कंपनी में काम वाकई नही था क्योंकि हम कामदारों को निकाल ने के बाद कई सारे फिक्स टर्म वर्कर्स भर्ती किये गए और हमने यह बात जज के सामने भी रखी ओर पुख्ता सबूत भी दिए। कंपनी में दो युनियन थे जिसमें हमारे यूनियन की मेजोरिटी ज्यादा थी फिरभी दूसरे यूनियन ने धोखाधड़ी कर सख्ती से सेटलमेंट पर हस्ताक्षर करवा कर कोर्ट में पेश किया है क्योंकि सेटलमेंट से पहले हमने लेबर कमिश्नर को इस मामले में दखलंदाजी करने को पत्र भेजा था और साथ में यूनियन की मेजोरिटी लिस्ट ओर ऑथोराइज़्ड पत्र भी शामिल थे। यह केस लेबर कमिश्नर से होता हुआ ट्रिब्यूनल तक पहुचा ओर 2019-20 में कोर्ट ने फैसला कंपनी के फेवर में दे दिया। जो कि यह केस 2009 में किया गया था इसके चलते कंपनी ने unfair labour practice की ओर हमे 2013 में terminate किया है। अब हमारा केस award की स्थिति में है 11 जुलाई को आखिरी सुनवाई थी जजमेंट कभी भी आ सकता है। तो में ये जानना चाहता हु की आपके सोच विचार में जजमेंट क्या होना चाहिए ? अगर जजमेंट हमारे खिलाफ आता है तो हमे आगे क्या करना चाहिए? Please must reply

    • @legalgyan5
      @legalgyan5  2 ปีที่แล้ว

      The judgment will depend on judge.