MahaMrityunjay Mantra||108 Times|| महामृत्युंजय मंत्र, Lyrics & Meaning,Hd

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 ต.ค. 2024
  • #mahamritunjaymantra #shiv #mantra #jaap_yajna_live
    ‪@TheDivinesourcemmvv‬
    Presented by : Divya Sri Mahamrityu MahaAmrit VishvaVidyalaya, [Natarajpuram, Gujarat.]
    -The School Of Spiritual Science
    -The School Of Divine Language
    🔴ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
    ☀️Hindi:हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं,
    हमारा पोषण करते हैं,
    जिस तरह फल शाखा के बंधन से
    मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु
    और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
    ☀️English:We worship the three-eyed
    One,
    who is fragrant and who
    nourishes all.
    Like the fruit falls off from
    the bondage of stem,
    may we be
    liberated from death,
    from mortality.
    ☀️Meaning:
    हे परमात्मा
    असत्य के साथ जुड़े
    मेरे संबंध को दूर कर
    परम सत्य के
    साथ मेरा संबंध जुड़े
    _________________________________________________
    ☘️🙏🌸
    🔥It is said that you should recite this powerful ancient sanskrit mantra 108 times everyday, for at least 40 days to see its impact. For a noticeable level of mantra siddhi (power of the mantra), you need to repeat the mantra 125,000 times (purascharna), the equivalent of 1,250 rounds of a mala.
    🔴The mantra is beneficial for Mental, Emotional, and Physical Health and Consider it a Moksha Mantra which bestows Longevity and Immortality
     •Great death-defeating Mantra•
    👉महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र ("मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र") जिसे त्रयम्बकम मन्त्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वन्दना है। इस मन्त्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष सनातन धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मन्त्र है।
    इस मन्त्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मन्त्र कहा जाता है; शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मन्त्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मन्त्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है।
    ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मन्त्र को वेद का ह्रदय कहा है। चिन्तन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मन्त्रों में गायत्री मन्त्र के साथ इस मन्त्र का सर्वोच्च स्थान है|
    🌄/🌙सुबह और सायं काल में प्रायः अपेक्षित एकान्त स्थान में बैठकर आँखों को बन्द करके इस मन्त्र का जाप (अपेक्षित दस-ग्यारह बार) करने से मन को शान्ति मिलती है और मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
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