हम सब ऋषि मुनियों की संतान आर्य पुत्र आजकल हिन्दू कहलाते हैं। आदि सृष्टि कर्ता ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप निराकार सर्व व्यापक सर्वान्तर्यामी अजर अमर अभय नित्य पवित्र और अजन्मा है।।
🎉 वेदों में केवल निराकार तक का ज्ञान है। लेकिन निराकार के आगे का सुझाव है। जिस संसार में ओम सर्व व्यापक है वह संसार झूठ है फरेब है क्षणभंगुर है तो ओम क्या हुआ? जहां परमात्मा सर्व व्यापक है वहां सत्य ही सत्य है चेतन ही चेतन है आनंद ही आनंद है। उसे परमधाम अरस अजीम कहते हैं। 🎉 लेकिन संसार के गुण अलग हैं संसार झूठ है जड़ रूप है और दुख रूप है। इसलिए संसार परमधाम अरस अजीम नहीं हो सकता। 🎉 वेद ज्ञान जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
नमस्ते जी । संसार झूठा फरेब नहीं है। अपितु यह साधन है ईश्वर को पाने का । पमेश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है। यद्यपि उनके गौड़ नाम बहुत से है । ईश्वर सर्वव्यापक है । वे मूल प्रकृति से हम जीवो के कल्याण के लिए संसार को बनाते है वे झूठा संसार नहीं बनाते तब ही तो ये हमारा साधन हो पाता है ।सत्यार्थ प्रकाश के ७-८-९ समुल्लास को पढ़ने से स्पष्ट हो जाएगा । ईश्वर निराकार ही हमेशा रहते है उनके गुण कर्म स्वभाव बदलते नहीं हैं ।
आचार्य आनन्द पुरूषार्थी जी को सादर नमस्ते वेद भगवान् का सही उपदेश आर्य समाज में अत्यावश्यक है तदर्थ बहुत बहुत धन्यवाद।। ओम् शान्ति शान्ति शान्ति।।
नमन हो गुरुदेव आप को
OM 🕉 🙏
हम सब ऋषि मुनियों की संतान आर्य पुत्र आजकल हिन्दू कहलाते हैं। आदि सृष्टि कर्ता ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप निराकार सर्व व्यापक सर्वान्तर्यामी अजर अमर अभय नित्य पवित्र और अजन्मा है।।
ओउम् आचार्य श्री सादर प्रणाम नमस्ते 🎉🎉🎉🎉🎉🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹 अति आनंद प्रभु जी बहुत दिनों से दर्शन नहीं हुये कहा बिराज रहे है आप, मनीष नर्मदापुरम्
एक माह के लिए बांग्लादेश गए थे अब भारत आ गए है ।
🎉 वेदों में केवल निराकार तक का ज्ञान है। लेकिन निराकार के आगे का सुझाव है। जिस संसार में ओम सर्व व्यापक है वह संसार झूठ है फरेब है क्षणभंगुर है तो ओम क्या हुआ?
जहां परमात्मा सर्व व्यापक है वहां सत्य ही सत्य है चेतन ही चेतन है आनंद ही आनंद है। उसे परमधाम अरस अजीम कहते हैं।
🎉 लेकिन संसार के गुण अलग हैं संसार झूठ है जड़ रूप है और दुख रूप है। इसलिए संसार परमधाम अरस अजीम नहीं हो सकता।
🎉 वेद ज्ञान जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
नमस्ते जी । संसार झूठा फरेब नहीं है। अपितु यह साधन है ईश्वर को पाने का ।
पमेश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है। यद्यपि उनके गौड़ नाम बहुत से है । ईश्वर सर्वव्यापक है । वे मूल प्रकृति से हम जीवो के कल्याण के लिए संसार को बनाते है वे झूठा संसार नहीं बनाते तब ही तो ये हमारा साधन हो पाता है ।सत्यार्थ प्रकाश के ७-८-९ समुल्लास को पढ़ने से स्पष्ट हो जाएगा । ईश्वर निराकार ही हमेशा रहते है उनके गुण कर्म स्वभाव बदलते नहीं हैं ।