चारों वेदों के बारे में विस्तार से जानकारी,आचार्य आनंद पुरुषार्थी जी द्वारा

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 เม.ย. 2024
  • चारों वेदों के बारे में विस्तार से जानकारी#धार्मिक_भजन #शानदार #अदभुत #धार्मिक_भजन #आर्यसमाज #गुरुकुलशिक्षा #आनंद पुरुषार्थी जी द्वारा

ความคิดเห็น • 8

  • @HaridevSharma-rc1jv
    @HaridevSharma-rc1jv หลายเดือนก่อน +1

    आचार्य आनन्द पुरूषार्थी जी को सादर नमस्ते वेद भगवान् का सही उपदेश आर्य समाज में अत्यावश्यक है तदर्थ बहुत बहुत धन्यवाद।। ओम् शान्ति शान्ति शान्ति।।

  • @BhushanKumar-qf2kp
    @BhushanKumar-qf2kp หลายเดือนก่อน +1

    नमन हो गुरुदेव आप को

  • @harishchoudhary3686
    @harishchoudhary3686 24 วันที่ผ่านมา +1

    OM 🕉 🙏

  • @HaridevSharma-rc1jv
    @HaridevSharma-rc1jv หลายเดือนก่อน +1

    हम सब ऋषि मुनियों की संतान आर्य पुत्र आजकल हिन्दू कहलाते हैं। आदि सृष्टि कर्ता ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप निराकार सर्व व्यापक सर्वान्तर्यामी अजर अमर अभय नित्य पवित्र और अजन्मा है।।

  • @user-dv4lr2ii9n
    @user-dv4lr2ii9n 3 วันที่ผ่านมา +1

    ओउम् आचार्य श्री सादर प्रणाम नमस्ते 🎉🎉🎉🎉🎉🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹 अति आनंद प्रभु जी बहुत दिनों से दर्शन नहीं हुये कहा बिराज रहे है आप, मनीष नर्मदापुरम्

    • @anandpurusharthi8523
      @anandpurusharthi8523 3 วันที่ผ่านมา

      एक माह के लिए बांग्लादेश गए थे अब भारत आ गए है ।

  • @munnalal-ui6lb
    @munnalal-ui6lb หลายเดือนก่อน

    🎉 वेदों में केवल निराकार तक का ज्ञान है। लेकिन निराकार के आगे का सुझाव है। जिस संसार में ओम सर्व व्यापक है वह संसार झूठ है फरेब है क्षणभंगुर है तो ओम क्या हुआ?
    जहां परमात्मा सर्व व्यापक है वहां सत्य ही सत्य है चेतन ही चेतन है आनंद ही आनंद है। उसे परमधाम अरस अजीम कहते हैं।
    🎉 लेकिन संसार के गुण अलग हैं संसार झूठ है जड़ रूप है और दुख रूप है। इसलिए संसार परमधाम अरस अजीम नहीं हो सकता।
    🎉 वेद ज्ञान जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।

    • @anandpurusharthi8523
      @anandpurusharthi8523 18 วันที่ผ่านมา

      नमस्ते जी । संसार झूठा फरेब नहीं है। अपितु यह साधन है ईश्वर को पाने का ।
      पमेश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है। यद्यपि उनके गौड़ नाम बहुत से है । ईश्वर सर्वव्यापक है । वे मूल प्रकृति से हम जीवो के कल्याण के लिए संसार को बनाते है वे झूठा संसार नहीं बनाते तब ही तो ये हमारा साधन हो पाता है ।सत्यार्थ प्रकाश के ७-८-९ समुल्लास को पढ़ने से स्पष्ट हो जाएगा । ईश्वर निराकार ही हमेशा रहते है उनके गुण कर्म स्वभाव बदलते नहीं हैं ।