Organic Profitable Multiplier Technique With श्री Haunsraj Ghogare 7796691111

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 ก.ย. 2024
  • खेती में मल्टीप्लायर तकनीक का इस्तेमाल होने के बाद फसल में दिखनेवाले बदलाव.
    1) अगर फसल की ग्रोथ रुकी हो तो ग्रोथ सुरु हो जाती है.
    2) फसल में फ्लावरिंग स्टेज हो, तब ज्यादा फ्लावरिंग मिलती है.
    3) फसल में फ्लावरिंग गिर जाने की समस्या से निजात मिलती है.
    4) फ्लावरिंग पर आनेवाले किटक तथा रोग के अटैक कम से कम हो जाते है.
    5) फ्लावरिंग सेटिंग का प्रमाण बढ़ जाता है, सेटिंग हो चुके फल गिरने के प्रमाण में तुरंत कमी आती है.
    6) फसल के पत्ते हरे-हरे होना सुरु हो जाते है, अगर पत्ते हरे हों तो डार्क ग्रीन बन जाते है.
    7) जिन पत्तों की ग्रोथ सुरु है, उनका आकार बड़ा बन जाता है, नए आनेवाले पत्ते बड़े आकार के आते है.
    8) फसल का चहुमुखी विकास होता है, ज्यादातर फसलों में शाखाओं पर उत्पादन मिलता है, इसलिए शाखाओं की संख्या बढती है.
    9) मल्टीप्लायर के इस्तेमाल के बाद फसल ताकतवर बन जाती है, इसलिए उस फसल पर किटक तथा रोगों का अटैक कम से कम हो जाता है.
    10) रासायनिक खेती में फसल पर किटक और रोगों के लिए अनेक छिड़काव के बाद भी रिझल्ट नहीं मिलता, जबकि, मल्टीप्लायर के इस्तेमाल के बाद जहरीली दवाओं के छिड़काव कम से कम हो जाते हैं.
    11) मल्टीप्लायर का इस्तेमाल होनेवाली फसलों पर मादी फूल ज्यादा आते है.
    12) कुछ फसलों को भोजन कम मिलने के कारण उनके पत्ते लाल होनेलगते है, या पत्तों का किनारा लाल होने लगता है, जैसे कांदे की फसल में पत्तियों का अग्रभाग लाल हो जाता है, जैसे गर्मी के मौसम में भिन्डी की फसल के पत्ते पीले-पीले दिखने लगते है, जिसे यलो मोझक कहा जाता है,मल्टीप्लायर के इस्तेमाल से इन सभी समस्याओं पर निजात पाया जा सकता है.
    13) मल्टीप्लायर के इस्तेमाल से उत्पादन का आकार बढ़ता है, फलों का आकार बढ़ता है.
    14) मल्टीप्लायर के इस्तेमाल से उत्पादन की घनता बढ़ती है इसलिए वजन बढ़कर मिलता है, जिस कैरेट में आप २० किलो माल भरते थे,उसका वजन २५ से २८ किलो आता है.
    15) उत्पादन का स्वाद अप्रतिम बनता है, उत्पादन को आकर्षक कलर आता है, किसी भी फसल में जहाँ मल्टीप्लायर का इस्तेमाल हुआ है, वहां किटक तथा रोग कम से कम आते है.
    16) कपास लाल पड जाने से उत्पादन प्रभावित होता है, जिस खेत में मल्टीप्लायर का इस्तेमाल होता है उस खेत की फसल लाल नहीं पड़ती, अगर पड़ती है तब भी एक छिड़काव में हरी होने लगती है.
    17) मल्टीप्लायर इस्तेमाल करने से फसल का प्रकृति से सम्बन्ध जुड़ जाता है, इसलिए प्रकृति की विनाशकारी शक्तियां फसल को प्रभावित करने में अक्षम सिद्ध होती हैं, जैसे पानी की कमी में भी फसल का जिन्दा रहना.
    18) मल्टीप्लायर मिटटी में २ से ३ मीटर नीचे जा चुके केंचुओं (मराठी में गांडूळ गुजराती में अड़सिया) को ऊपर बुलाकर मिटटी को उपजाऊ बनाने के काम में लगाता है, 5से 7 साल में केंचुओं की निश्चित संख्या कार्यरत हो जाने के बाद प्रति वर्ष 120 टन केंचुआ खाद बिनामूल्य मिलता है, जब केंचुआ खाद आवश्यक मात्रा में मिलने लगता है, आपकी खेती में बाहर से एक रुपये का खाद नहीं डालना पड़ता.
    For More Details Contact - श्री Haunsraj Ghogare 7796691111

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