🍃वि. सं. 1505 (सन् 1448) में कबीर परमेश्वर जी द्वारिका में गए। समुद्र के किनारे जहां गोमती नदी सागर में आकर मिलती है, उसके पास एक बालू रेत के टीले (कोठा) पर अर्थात् मिट्टी के ढ़ेर पर बैठकर तीर्थ भ्रमण पर आने वाले श्रद्धालुओं को तत्व ज्ञान सुनाया करते थे। उस स्थान पर एक गोलाकार चबूतरा (कोठा) बना रखा है। कहा जाता है कि आज तक उस बालू रेत के टीले (कोठे) को समुद्र की लहरों ने छुआ भी नहीं। समुद्र में ज्वार भाटा आता है। तब भी समुद्र की लहरें उस ओर नहीं जाती।
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जय गोमाता जय गोपल
Jay Gau Mata Jay Gopal Ram Ram ji Meerut UP bahut bahut dhanyvad
Har Har Mahadev❤❤
जय गौ माता जय गोपाल
🍃वि. सं. 1505 (सन् 1448) में कबीर परमेश्वर जी द्वारिका में गए। समुद्र के किनारे जहां गोमती नदी सागर में आकर मिलती है, उसके पास एक बालू रेत के टीले (कोठा) पर अर्थात् मिट्टी के ढ़ेर पर बैठकर तीर्थ भ्रमण पर आने वाले श्रद्धालुओं को तत्व ज्ञान सुनाया करते थे। उस स्थान पर एक गोलाकार चबूतरा (कोठा) बना रखा है। कहा जाता है कि आज तक उस बालू रेत के टीले (कोठे) को समुद्र की लहरों ने छुआ भी नहीं। समुद्र में ज्वार भाटा आता है। तब भी समुद्र की लहरें उस ओर नहीं जाती।
Jay Gou mata ❤
JAY GOMATA
Odisa vej sakte kya
Odisha ke liye kitna pement dena padega
❤
ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਗਾਂ ਹੈ ਜੀ