यह कर्नाटिक गीत श्रीगणेश को समर्पित है । यह गीत मैसुर वासुदेवाचार्य द्वारा राग काम्भोजी व चतुरश्र रूपक ताल में रचा गया है । यहां यह गीत गायत्री वेंकटराघवन द्वारा गाया गया है । यह गीत देवनागरी लिपि में कुछ इस प्रकार है - ।। पल्लवि - लम्बोदरम् अवलम्बे अम्बा-सुतम् अहर्निशम् अनुपल्लवि - तुम्बुरु-नारद-विनुतम् लम्बालकम् इभ-वदनम् चरणम् - सुर-भूसुर-संसेवित-चरणम् अघ-विदूरम् शरणागत-मन्दारम् करुणा-सागरम् हरिणाङ्क-गर्व-हरम् धीरम् गुह-सोदरम् वर-पाशाङ्कुश-धरम् वासुदेव-भक्त-वरम् ।।
WOW!!
This song is set to which tala?
Rupaka
Excellent...sweet voice..
यह कर्नाटिक गीत श्रीगणेश को समर्पित है । यह गीत मैसुर वासुदेवाचार्य द्वारा राग काम्भोजी व चतुरश्र रूपक ताल में रचा गया है । यहां यह गीत गायत्री वेंकटराघवन द्वारा गाया गया है । यह गीत देवनागरी लिपि में कुछ इस प्रकार है -
।। पल्लवि - लम्बोदरम् अवलम्बे अम्बा-सुतम् अहर्निशम्
अनुपल्लवि - तुम्बुरु-नारद-विनुतम् लम्बालकम् इभ-वदनम्
चरणम् - सुर-भूसुर-संसेवित-चरणम् अघ-विदूरम् शरणागत-मन्दारम् करुणा-सागरम् हरिणाङ्क-गर्व-हरम् धीरम् गुह-सोदरम् वर-पाशाङ्कुश-धरम् वासुदेव-भक्त-वरम् ।।