घर की जमीन पर पारिवारिक लड़ाई: तहसीलदार के फैसले को कोर्ट में चुनौती | म्यूटेशन की प्रक्रिया
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.พ. 2025
- घर की जमीन पर पारिवारिक लड़ाई: तहसीलदार के फैसले को कोर्ट में चुनौती | म्यूटेशन की प्रक्रिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में जस्टिस द्वारकाधीश बंसल के समक्ष पारिवारिक संपत्ति विवाद का मामला आया। इस केस में तहसीलदार के म्यूटेशन आदेश को चुनौती दी गई है। जानें म्यूटेशन की प्रक्रिया, पारिवारिक जमीन के विवाद के कानूनी पहलू और कोर्ट के फैसले की अहमियत। यह वीडियो ग्रामीण और शहरी दर्शकों के लिए बेहद उपयोगी है।
A family dispute over ancestral land has reached the MP High Court, Jabalpur, under Justice Dwarkadhish Bansal. The case challenges the mutation order passed by the Tehsildar. Learn about the legal aspects of mutation, the court's perspective on family land disputes, and the significance of this judgment. This video is informative for both rural and urban audiences.
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This Video is strictly for Legal Awareness & Education Purpose only.📚
Video Source - mp High Court Live Stream
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ये सुनवाई हाइकोर्ट में हो रही या जिला कोर्ट में
सिविल में जब केस चल रहा है तो यहां क्यो आये
आज जज साब परेशान हो गये मूर्ख वकीलों से
सर जी धारा 250 में 12 वर्ष से अधिक से कब्जा नहीं है कैसे प्राप्त करें
धारा 250 भारतीय दंड संहिता (IPC) से संबंधित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संविधान की अनुच्छेद 250 के तहत स्थानीय नगरपालिका क्षेत्र या अन्य विशेष कानूनों से जुड़ी हो सकती है। यदि आपका प्रश्न भूमि कब्जे से संबंधित है, तो इसके लिए भारतीय संघटन विधि (Indian Property Law) में विभिन्न प्रावधानों के अनुसार 12 वर्ष से अधिक समय तक कब्जा होने पर भूमि का स्वामित्व प्राप्त किया जा सकता है।
यदि आपने भूमि पर 12 वर्षों तक शांतिपूर्वक कब्जा किया है, तो आप आधिकारिक कब्जे के तहत अधिकार का दावा कर सकते हैं। इसे Adverse Possession कहा जाता है। इसमें, यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर बिना किसी विधिक विवाद के लगातार और अव्यवधान कब्जा करता है, तो वह कब्जा करने वाले व्यक्ति को कुछ समय बाद उस संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है, बशर्ते वह सभी कानूनी शर्तों को पूरा करे।
Adverse Possession के लिए कुछ प्रमुख शर्तें हैं:
1. कब्जा: व्यक्ति को संपत्ति पर बिना किसी रुकावट के लगातार कब्जा करना होगा।
2. कानूनी दावे का अभाव: अन्य पार्टी से कोई कानूनी दावे का न होना।
3. 12 वर्ष से अधिक: कम से कम 12 वर्षों तक कब्जा बरकरार रखना होगा।
एक मुखिया के तीन बेटे हैं जमीन बंटवारा करते समय तीनों के बराबर जमीन कर दी गई पर छोटे बेटे के साथ उसकी मां के नाम को जोड़ दिया गया इसको कैसे अब हटाया जा सकता है मां की मृत्यु हो गई कृपया गाइडलाइन दे
Nahi htaya ja sakta maa ka hissa agar jiske saath naam juda h wo raaji h to har jayega warna nahi
यदि जमीन के बंटवारे के समय छोटे बेटे की जमीन के साथ माँ का नाम भी जोड़ा गया था और अब माँ की मृत्यु हो चुकी है, तो माँ के नाम को हटाने और पूरी जमीन छोटे बेटे के नाम पर करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
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1. मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate):
सबसे पहले, माँ की मृत्यु का प्रमाण पत्र (Death Certificate) स्थानीय नगर पालिका, पंचायत, या ब्लॉक कार्यालय से प्राप्त करें। यह दस्तावेज माँ की मृत्यु को प्रमाणित करेगा।
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2. उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Legal Heir Certificate):
माँ की संपत्ति से जुड़े नामांतरण (mutation) के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। इसे स्थानीय तहसीलदार कार्यालय से या सिविल कोर्ट के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रमाण पत्र दिखाएगा कि माँ के कानूनी वारिस कौन हैं।
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3. अन्य उत्तराधिकारियों की सहमति (NOC):
यदि माँ के नाम की जमीन छोटे बेटे के नाम पर करना है, तो अन्य कानूनी वारिसों (जैसे बड़े और मंझले बेटे) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (No Objection Certificate - NOC) लेना होगा। यह NOC तहसील कार्यालय में आवेदन के साथ जमा करना होगा।
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4. राजस्व विभाग में नामांतरण के लिए आवेदन करें:
तहसील या राजस्व विभाग में जाकर जमीन के नामांतरण (mutation) के लिए आवेदन करें। आवेदन में माँ के नाम को हटाकर छोटे बेटे के नाम पर जमीन करने का निवेदन करें।
आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज़ जमा करें:
मृत्यु प्रमाण पत्र
उत्तराधिकार प्रमाण पत्र
जमीन के दस्तावेज (खसरा, खतौनी, पट्टा आदि)
NOC (यदि अन्य वारिस सहमत हों)
पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि)
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5. अदालत में दावा दाखिल करें (यदि विवाद हो):
यदि परिवार के अन्य सदस्य सहमत नहीं हैं या कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो छोटे बेटे को अदालत में जाकर जमीन पर अपने अधिकार के लिए दावा दाखिल करना होगा। अदालत माँ के उत्तराधिकार के अनुसार फैसला देगी।
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6. वकील से सलाह लें:
यह प्रक्रिया कानूनी है और सही तरीके से करने के लिए आपको एक अनुभवी वकील से परामर्श करना चाहिए। वकील आपके सभी दस्तावेजों को सही तरीके से तैयार करके प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं।
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कानूनी सलाह के लिए संपर्क करें:
📞 Adv. Somesh Rai
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वे आपके मामले को विस्तार से समझकर सही कानूनी मार्गदर्शन देंगे।
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"माँ का हिस्सा हटाने का सवाल कानूनी दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। यदि माँ का नाम जमीन में सह-स्वामी (co-owner) के रूप में दर्ज है और उनकी मृत्यु हो चुकी है, तो उनके हिस्से का अधिकार उत्तराधिकारियों को मिलता है।
अगर जमीन के सह-स्वामी (छोटा बेटा) और अन्य कानूनी वारिस सभी सहमत हैं और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) दे देते हैं, तो माँ का नाम हटाकर जमीन छोटे बेटे के नाम पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
लेकिन अगर सह-स्वामी या परिवार के अन्य सदस्य राजी नहीं होते, तो मामला कानूनी विवाद में बदल जाएगा। इस स्थिति में अदालत ही यह तय करेगी कि जमीन का बंटवारा कैसे किया जाए और माँ के हिस्से पर किसका अधिकार है।
कानून और उत्तराधिकार के तहत संपत्ति का सही फैसला तभी हो सकता है जब सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। इसलिए, सही सलाह और मार्गदर्शन के लिए कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करना उचित होगा।
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