मर कर भी वो उसे छोड़ न सका..मुंशी प्रेमचंद~ बलिदान | Premchand ~ Balidan

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ต.ค. 2024
  • मर कर भी वो उसे छोड़ न सका..मुंशी प्रेमचंद~ बलिदान | Premchand ~ Balidan
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    ABOUT MUNSHI JI
    धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 - 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिंदी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिंदी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बंद करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध, साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
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ความคิดเห็น • 50

  • @sudhirpatil3706
    @sudhirpatil3706 2 ปีที่แล้ว +2

    श्वेता जी हम महाराष्ट्र से है, स्कूल में हिंदी की 'किताब में मुन्शी जी की एक कथा रहती ही थी, समझ ने की कुवत नही थी, लेकिन मुन्शी जी का फोटो को देखते रहता था, नाक, नक्षा, आँखे इत्यादी, आगे जाके मराठी साहित्य पढने की रुची उत्पन्न हुवी, काफी कुछ पढा, एक बार रेल स्टेशन पे मुन्शीप्रेमचंद जी का 'किताब खरिदा, थोडा बहुत पढा, उनकी कथा के उपर दूरदर्शन की सिरीयल के कुछ भाग देखे, लेकिन आप अपनी मिठी आवाज मे,मुन्शी जी की कहानी सूनके मन और आत्मा संतुष्ट हुवा, बस आपकी संवेदनशील स्वभाव को प्रणाम, हमारी हिंदी थोडी इधर उधार है, माफ करना, मेरी भावना अपनी मर्यादा में व्यक्त की है , बहुत धन्यवाद 🙏🙏, तत्वज्ञान और अध्यात्म समझ ने के लिये पुराण कथा से बोध ले सकते है, वैसेही मुन्शीजी की कहानी बोध करती है, आपने इसे प्रकाश मे लाया, बहुत धन्यवाद 🙏🙏,मुन्शी जी की कहानी मे मानवी रंग ढंग, प्रवृत्ती, वृती का अभ्यास आज भी मार्गदर्शक है, श्वेता जी बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว +1

      नमस्कार सुधीर जी 🙏🏻 भाषा का बंधन तत्व तक ही सीमित है जबकी भावनाएं असीमित होतीं हैँ, हर बंधन से परे 🙏🏻🙏🏻हमारी संवेदना ही हमें कहानियों में उतार लाती है और हम उसे जीने लगते हैँ 😇 बहुत अच्छा लगा आप महाराष्ट्र से होकर भी हिंदी साहित्य में रूचि रखते हैं 🙏🏻🙏🏻धन्यवाद सुधीरजी 🙏🏻🌹

    • @sudhirpatil3706
      @sudhirpatil3706 2 ปีที่แล้ว

      @@InspiredCorner 💐🙏

  • @dilipsuthar8804
    @dilipsuthar8804 2 ปีที่แล้ว +1

    आपका बहुत बहुत धन्यवाद

  • @bhawanadhapola7718
    @bhawanadhapola7718 2 ปีที่แล้ว +1

    Woow...bahut achi kahani h

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว +1

      धन्यवाद भावना जी ❤️

  • @drsureshyadav8154
    @drsureshyadav8154 2 ปีที่แล้ว +3

    यह
    मार्मिक
    कहानी
    हृदय
    को
    छू
    लेती
    है।
    गिरधारी बेचारा जो जीते जी
    ओंकारनाथ को १००रुपए
    खेत का नजराना न दे पाया।
    कालिका दिन नजराना देकर खेत को लपक लिया।
    गिरधारी की आसक्ति खेत के प्रति इतनी थी की
    मृत्यु पश्चात वह प्रेत रूपी शाया बनकर खेत के इर्द गिर्द
    दिखाई देने लगा।
    यह कहानी का
    बहुत ही मार्मिक
    दृश्य है।
    सुंदर कहानी के लिए
    आपको
    धन्यवाद
    🙏🙏

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว

      आख़िरकार यही सिद्ध हुआ की ओमकारनाथ भले ही गिरधारी के लिए soft corner रखते थे परन्तु जब राशि की बात आयी तो वो भी साथ न दे सके.... धन ने भावनाओ पर विजय पायी... परन्तु इंसान जब तक शारीरिक अवस्था में रहता है तभीतक उसे परेशान किया जा सकता है शरीर से परे हो जाता है तो उसका पकड़ पाना कठिन हो जाता है, वो ही खेत जिससे ओमकारनाथ और सारे गाँव वाले मुनाफा कामना चाहते थे,भय के कारण, बंजर छोड़ना पड़ा..
      धन्यवाद सर 🙏🏻

    • @drsureshyadav8154
      @drsureshyadav8154 2 ปีที่แล้ว +1

      Apne
      Bahut
      Sahi
      Kaha
      👌👌😇

  • @poojasingh8600
    @poojasingh8600 2 ปีที่แล้ว +1

    Bhut badiya 🙏🌹

  • @sanskritgyanakash
    @sanskritgyanakash ปีที่แล้ว +1

    Aapki aawaz bahut madhur hai

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  ปีที่แล้ว

      आभार 🙏🏻धन्यवाद 🌹

  • @jyotipattekar8407
    @jyotipattekar8407 2 ปีที่แล้ว +2

    Khup chan

  • @aaradhanasingh8086
    @aaradhanasingh8086 2 ปีที่แล้ว

    👍

  • @reenakaushik7596
    @reenakaushik7596 2 ปีที่แล้ว +1

    Very good.👏👏👏👏

  • @dr.shreeranjansooridevakav1958
    @dr.shreeranjansooridevakav1958 2 ปีที่แล้ว +2

    Wah... ❤️

  • @sunellkumar1329
    @sunellkumar1329 2 ปีที่แล้ว +2

    Nice sar

  • @ankitajaidka9875
    @ankitajaidka9875 2 ปีที่แล้ว +1

    मोह, प्रेम, जुड़ाव,त्याग, तपस्या और न जाने कितने भाव दर्शाती कहानी।कर्म भूमि इसलिए ही वंदनीय हो जाती है। मुंशी प्रेमचंद जी की तामाम कहानियों ये इतिहास उभर कर आया है। I always prefer your narration for Munshi ji stories specifically....you are best in it👍

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว

      So good to hear from you Ankita ji ❤️❤️Thankyou so much for ur love😇🙏🏻

  • @latanagle4784
    @latanagle4784 2 ปีที่แล้ว +1

    Nice story

  • @nitujha4212
    @nitujha4212 2 ปีที่แล้ว +1

    नमस्कार श्वेता जी🙏🌹
    कहानी " बलिदान" स्वयं को पूर्ण करती है।अपने प्राण त्याग कर मुक्त न होकर उसकी आत्मा प्रेत बनकर अपने खेतो की रखवाली कर रही है।वो खेत बिका नही लेकिन उसका सदुपयोग भी नही हो पाया।
    यह सृष्टि तो माया की है।क्या माया जीवन और मरण के बीच भी कार्य करती है?यह कहानी से यही समझ आता है की बलिदान शब्द तो सही है।लेकिन माया से मुक्ति न दिला सकी।
    परिवार,समाज,गृहस्थ,धन,मान,जमीन,सम्मान तो इस देह से जुड़ा है।फिर यह देह ही तज दिया फिर किस बात का मोह और माया।यह तो बहुत कष्टप्रद स्थिति है।जीवित रहते तो मेहनत मजदूरी ही सही कुछ करके अपनी जमीन वापस तो ले ही लेता।और इज्जत और सम्मान तो समय की मांग होती है।इससे इतना क्या घबराना।खुशी अपने पीछे दुख लेकर ही आती है।सब सिक्के के दो पहलू है।एक बिना दूसरा पूरा ही नही होता।अगर स्थिति को स्वीकार करने की शक्ति और समझ है तो सब संभव है इस जीवन में।
    कहानी से बहुत कुछ सीख सकते है।
    धन्यवाद श्वेता जी बेहतरीन कहानी के चयन के लिए।🌹🙏💕

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว +1

      नमस्कार नीतू जी 🙏🏻
      मैं जब यह कहानी पढ़ रही थी तो मुझे लग रहा था की आख़िर में ओमकारनाथ, गिरधारी के परिवार को ही वो खेत सौप देंगे ताकी उसके लड़कों को अजीविका का साधन मिले और गिरधारी की आत्मा को मुक्ति... परन्तु होनी को कुछ और ही मंज़ूर था 😇...जहाँ जन्म वहाँ मरण...जहाँ मोह वहाँ माया... मगर मरण के साथ मुक्ति मिल ही जाए यह आवश्यक नहीं... और इसका कोई प्रमाण भी नहीं है की मुक्ति कब और कैसे मिलती है... हम कथाएँ सुनते है और कल्पना करते है 🙏🏻
      धन्यवाद नीतू जी 🙏🏻आशा करती हूँ आप अच्छी होंगी 😇

    • @nitujha4212
      @nitujha4212 2 ปีที่แล้ว +1

      @@InspiredCorner
      श्वेता जी अगर खेत वापस कर देता तो कहानी का जो मर्म है समाज ,परिवार और उससे परे प्रकृति के नियम को कैसे समझ सकते है।
      लालच दोनो को अपनी अपनी जगह आत्मा से जकड़ी हुई थी।बीच के लोग उसके होने न होने से भी कैसे भी जी ही लेते।
      लेकिन दोनो की लालच और अकड़ जीते जी क्या मरने के बाद भी खुली नही।
      बंकी तो बीच की कहानी बस एक श्रृंखला है जिससे कहानी का मर्म समझा जा सके।
      मैं अच्छी हूं।आप कैसी है श्वेता जी।🙏❤️

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว +1

      @@nitujha4212 लालच बुरी बला.. कुछ लोगों के लालच का फल कई लोगों को भुगतना पड़ता है 🙏🏻🙏🏻

    • @nitujha4212
      @nitujha4212 2 ปีที่แล้ว +1

      @@InspiredCorner
      इतना सोचने की बुद्धि हो जाए तो लालच से ही तौबा कर ले।लेकिन प्रकृति कहां ऐसा करने देती है।कियू की प्रकृति ने हम सब को एक श्रृंखला से जोड़ रखा है।एक भी कड़ी टूटी तो घटनाओं के परिवर्तन से सब बिगड़ जाएगा।इसलिए प्रकृति ऐसे भूमिका में कलाकारों,और अदाकारों को बनाती और बिगड़ती रहती है।
      हमारी जिंदगी भी तो कई कहानियां कई भिन्न भिन्न घटनाओं के साथ बिताते है।सब स्वीकार है।लालच तो हमारा भी अपने लिए अपने परिवार के लिए होता ही है।अगर यह न हो तो फिर घटनाओं को कैसे घटते हुए देखेंगे।
      इसलिए लालच भी अच्छे है।😃☺️😉

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว +1

      @@nitujha4212 सकारात्मक लोग हर चीज में सकारात्मकता ढूंढ़ ही लेते हैं 😇😄 प्रणाम है आपको नीतू जी 🙏🏻😇❤️

  • @krishnachaudhary4964
    @krishnachaudhary4964 2 ปีที่แล้ว +3

    Madam shweta balidan pura kahani suna aap madhur our sweet awaj se eh kahani sunne ka anand our eh kahani ka ek kishan ki mushibat jo ushka pariwar pura bikhar Gaya thank shweta

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว +1

      कहानी भावनाओं के ऊपर धन की जीत को दर्शाती है, साथ की किसानों की दायनीय अवस्था को भी उजागर करती है 🙏🏻 धन्यवाद कृष्णा जी 🙏🏻🌹

  • @alkasunilkumar25
    @alkasunilkumar25 2 ปีที่แล้ว +2

    Behtreen👏👏👏

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว

      धन्यवाद अल्का जी 🙏🏻

  • @soniyakumari2828
    @soniyakumari2828 2 ปีที่แล้ว +1

    Gd afternoon mam

  • @AshishMishra-kw2zm
    @AshishMishra-kw2zm 2 ปีที่แล้ว +2

    ❤️❤️

  • @promilaseth6485
    @promilaseth6485 2 ปีที่แล้ว +2

    Touching story

  • @netrachaudhary3066
    @netrachaudhary3066 2 ปีที่แล้ว +1

    Mam last ka part thoda samajh nhi aaya.. please explain that in your own words..

    • @InspiredCorner
      @InspiredCorner  2 ปีที่แล้ว

      नेत्रा जी 🙏🏻 गिरधारी को वो खेत चाहिए था जिसे उसके पिता अपनी जान से भी ज्यादा चाहते थे, लेकिन उनके गुज़र जाने के बाद गिरधारी उस खेत की राशि न दे सका और वो खेल ओमकार नाथ ने किसी और को दे दिया.. गिरधारी इस गम को सह न सका और वो मर गया लेकिन मर के भो उसकी आत्मा उसी घर में,उसी खेत में भटक रही है, इसलिए वो लोगों को दिखता रहता है, उस खेत में जाने से लोग डरते है...

    • @netrachaudhary3066
      @netrachaudhary3066 2 ปีที่แล้ว

      @@InspiredCorner okay! Bahaut bahaut dhanyawad mam.. 🙏

  • @pallavichaturvedi4822
    @pallavichaturvedi4822 2 ปีที่แล้ว

    Adfud abaj

  • @dipakparamanick8151
    @dipakparamanick8151 2 ปีที่แล้ว +2

    Nice story