धर्म-दर्शन किसी विशिष्ट धर्म का अध्ययन नहीं करता बल्कि यह सभी धर्मों के कार्य मूल्य और सत्यता की निष्पक्ष विवेचना करता है। धर्म की उत्पत्ति के सिद्धांत इसके स्वरूप का प्रतिनिधित्व नहीं करते
@@Aspirant10717 मैंने बताया तो कि इसका स्वरूप किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेते हुए सभी धर्मों की छानबीन या विवेचना करना है। निष्पक्ष विवेचना ही इसका स्वभाव कहा जा सकता है। इसीलिए इसे धर्म दर्शन कहा है
मैम प्रणाम, धर्मदर्शन का स्वरूप क्या होता है ?? क्या इसके उत्पत्ति के सिद्धान्त ही इसके स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते है ??🙏
धर्म-दर्शन किसी विशिष्ट धर्म का अध्ययन नहीं करता बल्कि यह सभी धर्मों के कार्य मूल्य और सत्यता की निष्पक्ष विवेचना करता है। धर्म की उत्पत्ति के सिद्धांत इसके स्वरूप का प्रतिनिधित्व नहीं करते
@@ashachaudhary100 मैम तो धर्मदर्शन का स्वरूप क्या होता है ?
@@Aspirant10717 मैंने बताया तो कि इसका स्वरूप किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेते हुए सभी धर्मों की छानबीन या विवेचना करना है। निष्पक्ष विवेचना ही इसका स्वभाव कहा जा सकता है। इसीलिए इसे धर्म दर्शन कहा है