Agrotourism In Bihar। एग्रो टूरिज्म के फायदे जान हैरान रह जाएंगे आप।

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ก.ย. 2022
  • एग्रो टूरिज्म के क्षेत्र में है अपार संभावनाएं !
    गांव की सुंदरता और खेती की विविधता व खूबसूरती को समेटकर पर्यटन की शक्ल देना एग्रो टूरिज्म कहलाता है। एग्रो टूरिज्म फिलहाल बहुत ही नया लेकिन ट्रेंडिंग शब्द है। फिलहाल देशभर में गिनती के एग्रो टूरिज्म फ़ार्म हैं। बिहार में भी कुछ किसान इस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। बैक टू फार्मिंग एग्रीकल्चर टूर ऑफ़ बिहार के दौरान हम लोग ऐसे ही एक फॉर्म पर पहुंचे। पटना के पास में ही स्थित ऐसे ही एक फॉर्म पर हमारी मुलाकात दीपक जी से हुई। दीपक पेशे से इंजीनियर है और फिलहाल 7 एकड़ में एक एग्रोटूरिज्म फॉर्म विकसित करने में लगे हुए हैं। वे अपने फार्म पर बागवानी , पशु पालन ,मछली पालन सहित कई कृषि कार्य करते हैं। उन्होंने इसी फॉर्म में रेस्टोरेंट्स भी बना रखा है जहां बाहर से आने वाले लोगों को फॉर्म से उत्पादित अनाज और सब्जियों से बने विभिन्न तरह के डिश सर्व किया जाता है।
    क्या है एग्रो टूरिज्म?
    भारत की कुदरती खूबसूरती गांव में ही मौजूद है, जहां सुबह की शुरुआत चिड़ियों की चह-चहाहट से होती है. गांव के खेतों की मिट्टी से निकलने वाली सौंधी खुशबू के पीछे लोग खिंचे चले आते हैं. यही कारण है कि शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी से छोटा-सा ब्रेक लेकर लोग सुकून की तलाश में गांव की ओर निकल पड़ते हैं.
    भारत के गांव पूरी दुनिया के सामने संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश करते हैं, जहां प्राकृतिक संसाधनों को सहेजते हुये खेती-किसानी की जाती है. गांव की इसी सुंदरता को रोजगार से जोड़ने के लिये एग्रीकल्चर टूरिज्म यानी कृषि पर्यटन की शुरुआत की गई है, जिसके जरिये किसानों और गांव के लोगों के लिये रोजगार के रास्ते खुलते हैं!
    पर्यावरण की गोद में मौजूद गांव की खूबसूरती और खेती-किसानी को लोगों के दीदार के लिये खोलना ही सही मायनों में एग्रो टूरिज्म है. कृषि पर्यटन में खेतों की हरियाली, फलों से लदे बाग, जमीन पर बिछे फूलों के बागीचों से आंखों को सुकून और दिमाग तरोताजा हो जाता है. ऐसे अनुभव के लिये सैलानी लाखों रुपये खर्च कर देते हैं और यहां तक दूर विदेशों तक जाने के लिये तैयार रहते हैं. पर्यटक मिट्टी व लकड़ी से बने घरों में रहकर अपने आप को प्रकृति के बहुत करीब पाते हैं।
    कितनी लागत आती है।
    एग्रो टूरिज्म विकसित करने में तकरीबन 25 लाख से दो करोड़ तक की लागत आती हैं। यह लागत मुख्य रूप से खेतों की फेंसिंग कराने मड़ और वुड हाउस का निर्माण कराने व विभिन्न कृषि उपक्रमों में होता है।
    फार्म आधारित खेती या एग्रो फार्म टूरिज्म
    फार्म आधारित खेती करने पर किसानों को कई फायदे होते हैं. सही मायनों में खेती करने का तरीका एकीकृत कृषि प्रणाली से प्रेरित है. जहां कृषि फार्म के सहारे ही अलग-अलग तरह की फसलों की खेती की जाती है. इसमें फल, सब्जी, अनाज, बागवानी के साथ-साथ पशुपालन मछली पालन और मधुमक्खी पालन भी शामिल है.
    एग्रो टूरिज्म के फायदे।
    एग्रो टूरिज्म से जुड़कर किसान आत्मनिर्भर बनते हैं और उन्हें आमदनी का नया जरिया भी मिल जाता है.
    इसकी मदद से किसानों को मॉर्डन फार्मिंग और गांव की लाइफस्टाइल को सुधारने और साफ-सुथरा रखने के लिये भी प्रेरणा मिलती है.
    खासकर जैविक खेती करने पर किसानों द्वारा उगाये गये ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट को बेचना आसान हो जाता है.
    एग्रो टूरिज्म में टूरिस्ट के ठहरने के लिये कृषि फार्म में ही सोने-बैठने और खान-पान की व्यवस्था की जाती है.
    इस तरह शहर के लोग गांव में सिर्फ सुकून ही नहीं पाते, बल्कि गांव में घूमकर वहां की संस्कृति से भी रूबरू होते हैं ।
    ध्यान देने योग्य बातें
    एग्रो टूरिज्म (Agro Tourism) के तहत कृषि फार्म को पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीकों से तैयार करना चाहिये, जिसमें गांव की मिट्टी से लिपे कच्चे मकान, मिट्टी के बर्तन और पुआल के साथ-साथ घास-फूस का छप्पर शामिल हो.
    इससे ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही एग्रो फार्म के साथ-साथ डेयरी के लिये पशुपालन, फार्म के पीछे मुर्गी पालन, तालाब में मछली पालन और खेतों में मधुमक्खी पालन करने से खान-पान का इंतजाम भी हो जायेगा.
    एग्रो फार्म को सजाने के लिये सांस्कृतिक कलाकृतियों (Traditional Arts) का इस्तेमाल, पेड़ के नीचे झूले का इंतजाम और गांव में घूमने के लिये बैल या घोड़ा गाड़ी की व्यवस्था भी कर सकते हैं. उदाहरण के लिये- केरल में सैलानी हाथी की सवारी करते हैं और राजस्थान में ऊंट की सवारी अपने आप में आकर्षण का केंद्र होती है. यहां लोग प्रकृति का स्पर्श हासिल करने के लिये पहुंचते हैं.
    एग्रो टूरिज्म के जरिये शहर के लोग खेती-किसानी के बारे में बेसिक जानकारी हासिल कर पाते हैं और किसानों को भी अपने खेत से निकले ऑर्गोनिक प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग में भीआसानी होती है.
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    Sudhakar Singh
    Krishify
    © लवकुश
    आवाज एक पहल

ความคิดเห็น • 11

  • @smitakumar4572
    @smitakumar4572 ปีที่แล้ว

    Great initiative Sir

  • @somnathkumar4892
    @somnathkumar4892 ปีที่แล้ว +1

    बहुत ही शानदार प्रदर्शन सर जी कार्य

  • @heralalrawat9411
    @heralalrawat9411 ปีที่แล้ว +1

    Very very good nallage thanks 👍 wish you welth

    • @Luvkush
      @Luvkush ปีที่แล้ว

      👍👍

  • @rajsinghtanda7272
    @rajsinghtanda7272 ปีที่แล้ว

    Plant fruit trees. Chandan. 🍊🍏🍑🥭🍅🍋🌎🇮🇳👍🏿

  • @rajaramsingh4665
    @rajaramsingh4665 ปีที่แล้ว

    यह फार्म हाउस कहां हैं।

    • @AawajEkPahal
      @AawajEkPahal  ปีที่แล้ว

      in patna

    • @srsentr-f7f
      @srsentr-f7f ปีที่แล้ว

      @@AawajEkPahal yahan Jane ka koi perfect map de