Bhagavad Gita: Chapter 4, Verse 6

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  • เผยแพร่เมื่อ 22 ส.ค. 2024
  • अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन्।
    प्रकृति स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया ॥6॥
    यद्यपि मैं अजन्मा और समस्त जीवों का स्वामी और अविनाशी प्रकृति का हूँ तथापि मैं इस संसार में अपनी दिव्य शक्ति योगमाया द्वारा प्रकट होता हूँ।

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