Bhagavad Gita: Chapter 4, Verse 7, 8

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 11 ก.ย. 2024
  • यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
    अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥7॥
    जब जब धरती पर धर्म का पतन और अधर्म में वृद्धि होती है तब उस समय मैं पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।
    परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
    धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥8॥
    भक्तों का उद्धार और दुष्टों का विनाश करने और धर्म की मर्यादा पुनः स्थापित करने के लिए मैं प्रत्येक युग में प्रकट होता हूँ।

ความคิดเห็น •