Jo Mere Ghar Kabhi Nahin Aayenge | Naresh Saxena | Episode 3 | Hindinama Originals
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- เผยแพร่เมื่อ 4 ธ.ค. 2024
- Hosted By - Mudit Srivastava
Directed By - Ujjwal Bhadana
D. O. P. and Art Direction - Mayank Aswal
Camera - Harsh
Produced By - Ankush Kumar
'जो मेरे घर कभी नहीं आएंगे' के तीसरे एपिसोड में हम आए हैं नरेश सक्सेना जी के यहाँ उनके साथ पूरा एक दिन बिताने, जिसमें हम जानेंगे उनकी पूरी दिनचर्या के बारे में। उनके घर परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में। और यह भी कि एक लेखक आप जीवन में कैसा होता है।
शृंखला के बारे में
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'जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे' ये शृंखला हिन्दीनामा के लिए एक सपना था। हम बहुत बार देखते हैं कि बड़े-बड़े बॉलीबुड हीरो-हीरोइन पर आधारित कई बार ऐसा कुछ किया जाता है कि लोग उसे देखने में दिलचस्पी लें, उनके निजी जीवन को थोड़ा बहुत जान सकें। तो हमें लगा ऐसा हिन्दी साहित्यकारों और अन्य कलाकारों के साथ क्यों नहीं किया जा सकता। बस इसी की उपज है यह शृंखला।
इस शृंखला में हिन्दीनामा के माध्यम से हम जा रहे हैं ऐसे ही लेखकों और कलाकारों के घर जिनके बारे में हम सभी कुछ और जानना चाहते हैं। हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं उनकी पूरी दिनचर्या। यानि अब आप भी अपने पसंदीदा कलाकार के पूरे दिन से अवगत हो पाएँगे कि वह पूरे दिन क्या करता है। यह शृंखला करना हमारे लिए बहुत आसान नहीं था। बहुत कठिनाइयों और ढेर सारे परिश्रम के बाद जल्दी ही तीसरा एपिसोड आपके सामने आने वाला है। आशा है आपको यह ज़रूर पसंद आएगा, और हिन्दी में किए गए इस प्रयोग को आप दौगुना प्रेम देंगे।
धन्यवाद।
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नरेश सक्सेना के बारे में -
16 जनवरी, 1939; ग्वालियर, मध्य प्रदेश में जन्म। मुरैना से शिक्षा की शुरुआत। जबलपुर में बीई (ऑनर्स) और कलकत्ता के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हाइज़ीन से एमई-पीएच का प्रशिक्षण।
उत्तर प्रदेश जल निगम में उपप्रबन्धक, टेक्नोलॉजी मिशन के कार्यकारी निदेशक और त्रिपोली (लीबिया) में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में काम करने के बाद सरकारी सेवा से निवृत्त।
साहित्यिक पत्रिका ‘आरम्भ’, ‘वर्ष’ और उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की त्रैमासिक ‘छायानट’ का सम्पादन अपने मित्रों क्रमश: विनोद भारद्वाज, रवींद्र कालिया और ममता कालिया के साथ।
टेलीविज़न और रंगमंच के लिए ‘हर क्षण विदा है’, ‘दसवीं दौड़’, ‘एक हती मनू’ (बुंदेली) का लेखन। एक नाटक ‘आदमी का आ’ देश की कई भाषाओं में पाँच हज़ार से ज़्यादा बार प्रदर्शित। ‘सम्बन्ध’, ‘जल से ज्योति’, ‘समाधान’ और ‘नन्हे क़दम’ आदि लघु फ़िल्मों का निर्देशन। विजय नरेश द्वारा निर्देशित वृत्त फ़िल्मों ‘जौनसार बावर’ और ‘रसखान’ का आलेखन।
साहित्य के लिए सन् ‘2000 का पहल सम्मान’। 1992 में निर्देशन के लिए ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’। 1973 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सम्मान। एक महीने के लिए आईआईटी कानपुर में आमंत्रित अतिथि कवि। विभिन्न शहरों में कविता कार्यशाला का संयोजन। लखनऊ आकाशवाणी से राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए निराला, धूमिल, कुँवर नारायण, लीलाधर जगूड़ी आदि की कविता की संगीत संरचनाएँ, वर्ष 2018 में ‘जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान’ से सम्मानित।
प्रस्तुतकर्ता के बारे में -
मुदित भोपाल में रहते हैं। बच्चों की पत्रिका चकमक में सहायक संपादक है। बच्चों के साथ खेलना-कूदना, किस्से-कहानियाँ, कविताएँ सुनना-सुनाना मुदित का पसंदीदा काम है। कहानियाँ, कविताएँ लिखते हैं। घूमने फिरने और बतियाने के बहाने ढूँढते रहते हैं।
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