तीन ताल के तीनों त्रिदेवों को मेरा सादर प्रणाम, मैं प्रयागी, इलाहाबाद से। ये मेरी पहली चिट्ठी है बहुत समय से चिट्ठी लिखने का मन था पर कोई अच्छा नाम नहीं सूझ रहा था इसलिए नहीं लिख सका पर आज अपने आप को रोक नहीं पाया लिखने से इसलिए जन्मभूमि के नाम के सहारे लिख रहा हूँ। भाई साहब आप लोग की बातों में अफ़ीम सा नशा है, पूरा दिन आपको ही सुनता रहता हूँ। आप लोग को सुनते सुनते जवानी की बाक़ी ज़रूरतें भूल चुका हूँ। मैं सबसे पहले ख़ान चाँ से कहना चाहूँगा यार क़सम से my dear आदमी हो आप, आपके क़िस्से सुन कर मुझे अपने ज़िंदगी से घिन सी आने लगी है, मतलब ग़ज़ब हरम्पंती थी आपके क़िस्से सुन के हृदय गति १५० हो जाती है, माफ़ कीजिएगा इसे गाली ना समझा जाये ये एक complement ही था, क्योंकि मैं भी उन क़िस्सो को जीना चाहता हूँ। अपने इस सादे और निरस जीवन से ऊब चुका हूँ। सोच रहा था कि आप से इतना जुड़ाव क्यों महसूस करता हूँ तो समझ में आया कि शायद अपने जीवन में चाचा के ना होने के कारण। मैं चाहता हूँ की आप सच में मेरे चाचा ही बन जाये, आपके क़िस्से सुन कर इनदिनों पुराने गाने सुनना शुरू किया है। आपसे एक बार बात करने की ख्वाइश है चाचा। कुलदीप भैया यार आप के लिए कुछ लिखना बहुत ही मुश्किल है कई बार लिखने का प्रयास किया पर हर बार यही लगा अपने शब्दों से आपको सही सम्मान नहीं दे पा रहा हूँ बस इतना ही कहूँगा छोटे भाई के तरफ़ से प्यार ख़ैर, मैं भी इलाहाबाद के एक विद्या मंदिर से ही पढ़ा हूँ इसलिए आपके तमाम सारे बातों से मेरा व्यक्तिगत संबंध सा जान पड़ता है, मेरे अनुमान से यदि आप सुल्तानपुर के क़ादीपुर वाले विद्यालय से हैं तो मेरे और आपके प्रधानाचार्य एक ही हैं (श्री बाँकेबिहारी पांडेय जी)। अंत में ताऊ, ताऊ का अब मैं बहुत सम्मान करता हूँ, हालाँकि शुरुआत में मैं ताऊ की बातों से इतना इत्तेफाक़ नहीं रखता था, उसकी एक अलग वजह है उसे फिर कभी साँझा करूँगा पर २-३ एपिसोड पहले कोलकाता रेप केस पर ताऊ के विचार सुन कर ठीक वैसी ही संतुष्टि हुई जैसे की अकसर श्री विकास दिव्यकीर्ति सर को सुन कर होती है। मैं आप तीनों से उम्र में बहुत छोटा हूँ, पंजाब के एक प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ, पर बिलकुल मज़ा नहीं आ रहा, ऐसा जान पड़ता है मानो किसी क़ैद में हूँ। पिछली छुट्टियों में इलाहाबाद गया था, स्टेशन से रिक्शे में बैठ कर जब घर को जा रहा था, एक अलग सी मुस्कान थी चेहरे पर, लग रहा था इस शहर के पुराने इमारतों को गले से लगा लूँ। थोड़ा आगे गया तो देखा बहुत तेज गति से निर्माण के कार्य चल रहे थे, और घरों को तोड़ा जा रहा था ये देख कर बहुत निराशा हुई, ऐसा लगा मानो मेरे शरीर का कोई अंग काटा जा रहा हो। ख़ैर लिखना तो और भी बहुत कुछ चाहता हूँ पर चिट्ठी लंबी होती जा रही है इसलिए अगली बार। जय हो। जय हो। जय हो।
जय हो जय हो जय हो । ताऊ, सरदार, और खान चा को सादर प्रणाम । अभी हाल में ही इस एपिसोड को देखते हुए एक किस्सा कौंधा मेरे दिमाग में । कोविड के बाद 2 साल तक निरंतर घर पे ही रहना पड़ा और संजोग से घर के बगल में एक जिम खुल गया । तो किसी तरह आना कानी करते हुए एक मित्र के धमकाने पे जिम ज्वाइन करना पड़ा ( ये किस्सा किसी और चिट्ठी में ) वहा पे एक भईया से मुलाकात हुई और उनसे बात चीत होती रही और एक अच्छी दोस्ती हो गई । आलस का असर कुछ यूं था की हर 3 से 4 महीने बाद जिम जाना छोड़ देता फिर पकड़ लेता था 😂। और हर बार जब वो भैया से मुलाकात होती तो बस इतना ही कहते की , तुम्हारे पापा को जानते है , हम बचपन में तुम्हारी दुकान पे जाया करते थे । फिर पढ़ाई की वजह से शहर छूट गया तो ये क्रम टूट गया । पर अभी हाल में गए थे समान लेने तो वो हमको पहचान लिए । बड़े अच्छे आदमी है । इतना कह के अपने वर्कआउट में वो लग गए । और मैं एक झूठी मुस्कान के साथ अपना वर्कआउट करने लगा । और अब जब भी उनसे मुलाकात होती है तो बस वो यही बोलते है और मेरी प्रतिक्रिया भी वही पुरानी होती है । वो वजन कम करने के संघर्ष में अभी तक कायम है और हम जिम तक जाने के संघर्ष में 😂। बशीर बद्र साहब के गजल के शेर है की , सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं न बादल घिरेंगे न बरसात होगी मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी फिर अब तीनो से मुलाक़ात होगी । आपका छोटा भाई और शागिर्द अभिनव , गाजीपुर से 😊।
ताऊ जैसे जैसे पन्नू और राहुल गांधी कि साँठ गाँठ पर ज़्यादा आगे बढ़ने लगे, सरदार को पूरी साहब द्वारा स्थापित पत्रकार संहिता कि चिंता हुई और तुंरत नये कॉफी मग जैसे गहरे विषय का ज़िक्र करने का आईडिया आ गया। जय हो जय हो जय हो।
तमाम तीन-तालीयों की तरफ से आप तीनो-तालों को जय हो जय हो जय हो... तीन-ताल मैने सुनना शुरू किया 'गुल संघ' वाले एपिसोड से जिसमे सरपंच थे...जब सुना तो ताऊ के मजेदार ज्ञान और सरदार के सहज और कमाल के वाचन का कायल हो गया और हर शनिवार शाम का इंतजार यूँ करता हूँ जैसे कोई मेरी पढ़ाई का वीडियो हो. अब बात आती है खान चा पर ये महाराज चूकि ताऊ और सरदार के कम्परिजन मे कम बोलते थे तो नया श्रोता होने के कारण ज्यादा समझ नही पा रहा था लेकिन लगातार के एपिसोड मे थोड़ा-थोड़ा सुनके धीर-धीरे समझ आने लगा...आज के एपिसोड मे तो खान चा ने पूरा अपना पोल खोल दिया । बीड़ी की डकैती की कहानी और वो भी अपने घर मे 😅कसम से हसते हसते पेट दुख गया था और जिस हिसाब से ये कहते हैं पीर बाबा का दम किए हुए पानी पीने की बात और धूमदंडिका का सेवन ऐसा लगता है किसी आयुर्वेदाचार्य का सुझाव पेश कर रहे हों।। एपिसोड मे चर्चा गाँव-शहर के नामो पे हो रही है...तो मै अपने यहा के गाव के नाम बताता हूँ जैसे- डूहाँ बिहरा,बाँसडीह,रतसर,सीसोटार,मनीयर,सीयर,बैरिया और फिर मऊ ईत्यादि....... पर आप तानो बहुत क्यूट हो यार । लम्बा नही लिखूंगा बाकी बाते अगली बार होंगी दिल्ली मे हूँ तो ख्वाहिश तो सामने से मिलके बात करने की है पर देखते हैं किस्मत... आपका तीन-ताल प्रशंसक नमोनारायण स्थायी आवास-बलिया (बिहरा) अस्थाई आवास-दिल्ली (करोलबाग) जय हो जय हो जय हो
जय हो जय हो जय हो ताऊ,खान चा और सरदार और तमाम तीन तालियों को मेरा प्रणाम!! तीन ताल से पहला परिचय तो ताऊ के इनकम टैक्स वाले ज्ञान की रील देख कर हुआ लेकिन उसके बाद ये किसी नशे से कम नही है। बहुत दिनों से सोच रहा था क्या लिखूं मेरा लिखना तीन ताल के स्तर का है भी या नही फिर सोचा लिखते है यार 2000 और उसके बाद पैदा हुए 80% का हाल यही है की हिंदी लिखना नही आता और इंग्लिश बोलना।मेरी हिंदी में कुछ कमी हो तो सरदार पढ़ने में ही संभाल लेना और चिट्ठी तोड़ा लंबी है क्यों की पहली बार कुछ लिख रहा हु,क्या लिखना है कितना लिखना है अंदाजा कुछ काम है। वैसे परिचय से याद आया कि पिछले एपिसोड में भी परिचय पे बात हुई तो मैं बचपन में अपने परिचय का किस्सा आप के सामने रखता हूं। "आप की जानकारी के लिए बता दू हम भी खान चा की तरह ही बचपन से ही "मानिंद लोगों" में आता थे,इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की मात्र 7 वर्ष की उम्र में मेरे घरवालों ने मुझे मेरे नाना के घर भेज दिया पढ़ने के लिए । अब मैं अपने बचपन के सबसे खास परिचय पे आता हु जो आज भी लोग बोल देते है। बचपन में छुट्टी में जब नाना के घर से अपने गांव आता था तो आते ही आस - पड़ोस वाले पहले तो बोलते थे ' कब आयोव भईया ' और अगली लाइन होती थी "कब जायक का है" गांव के कुछ बड़े लोग मेरे परिचय में बोलते थे- "आइए गाएं ' डीह- करन' ", मेरा गांव उत्तर - प्रदेश के गोंडा जिले में है,वहा ' डीह' का मतलब होता है ' ऐसी जमीन जो अब खंडार/बर्बाद हो गई हैं ' और ' डीह- करन' से उनका मतलब होता था की अगर मैं गांव में कुछ दिनों और रह गया तो गांव भी डीह होने की पूरी संभावना है। हालाकि की जब दसवीं और बरावी में जब 90% आए तो वही लोग अपने बच्चो को पढ़ने/समझने के लिए भी बोलते थे। अब जब LLB और company secretary पूरी होने को है तो वही लोग गांव के मामले में राय भी लेते है ,कभी - कभी तो कुछ लोगो को देख कर मन में आता है की इनका डीह कर दे देना चाहिए। खैर गांव में अगर आप का असली परिचय कुछ है तो वो आपके बाबा(grand father)का नाम होता है मेरे लिए तो यही है,कभी किसी को भी परिचय देना हो तो बस बाबा का नाम लो और बोल दो बाबा है मेरे। इस बात का अंदाजा तब लगा जब ,2 साल पहले मैंने अपने बाबा को खो दिया और अब कभी किसी को परिचय देना होता है गांव में तो कुछ पल का pause आ ही जाता है। परिचय से एक बात और याद आती है,जब 11 में नए स्कूल में प्रवेश लिया तो स्कूल असेंबली में प्रिंसिपल ने नए बच्चो को स्टेज पर इंट्रोडक्शन देने के लिए बुलाया,उसके बाद उन्होंने कहा आज के बाद किसी को परिचय देने की जरूरत नही है न किसी शिक्षक को न किसी छात्र को ,ये अब इनकी जिम्मेदारी है की तुम्हे याद रखे। उस दिन से 12वी होने ताकि कभी कोई परिचय नही पूछा। पिता जी कभी Parent's meet में नही जाते थे मेरे बड़े भाई ही जाते थे, 11वी बीता, 12वी के half-yearly exam के बाद का Parent's meet था,मेरे बड़े भाई अकेले कॉरिडोर से हो के आ रहे थे पीछे से प्रिंसिपल सर की आवाज आई और बोले "आप ही हर बार आते है,उसके पापा कभी नही आते" ,मेरे बड़े भाई से उनकी पहली और आखिरी मुलाकात 11वी के एडमिशन के समय हुई थी। एक बार मैने उनसे पूछ लिया की 1000 बच्चे आपको याद कैसे रहते है,उन्होंने कहा ' ये मेरा काम है और मैं अपना काम अच्छे से करता हूं तुम भी करना ' उनकी इस लाइन से प्रेरित हो कर मैने केमिस्ट्री लैब में रखी करीब 100 पुरानी फाइल्स को ₹150 पर फाइल के हिसाब से बेच दिया। टीचर को ₹50/फाइल बताया और उस 50 में से ₹10/फाइल मुझे कमिशन भी मिला। अब तक के 23 साल की उम्र में गोंडा,अयोध्या,और अब लखनऊ में रह रहा हु,हर शहर की अपनी अलग तासीर है,हर जगह मानिंद लोगो मिल ही जाते है। और मेरा जिला गोंडा ,खान चा के दुध्धि से कुछ काम नही है,यह के लोग तो बड़े वाले है ही नेता और बड़े वाले है। लखनऊ में एक अपार्टमेंट में रह रहा हु,नजाकत- नफासत पिछले 6 सालो में तो कम ही देखने को मिला शायद ये सब अब बस वो चीज है तो सैकिया लोग रखते है,नया लखनऊ अब पुराने लखनऊ को हजम कर जाने को आतुर है जिस पर कभी विस्तार से लिखूंगा। अपार्टमेंट में बैचलर्स की उतनी ही इज्जत होती है जितनी ताऊ को शिमला - मिर्च की है और यह भीड़ में भी अकेलापन ही है जिसमे तीन - ताल एक थेरेपी जैसे है।एक दिन पार्क में घूमते वक्त ,बगल बेंच पर बैठे कुछ हम - उम्र लोग ताऊ की बातो पे ठहके लगा रहे थे,बगल से गुजरते हुए मैने बोल दिया तीन - तलिए हो क्या भाई,सामने से जवाब आया " जय हो जय हो जय हो" आगे भी ऐसे ही लिखता रहूंगा,उम्मीद है मेरी ये पहली चिट्ठी शामिल होगी ताऊ सरदार और खान चा का शुक्रिया ऐसा बेहतरीन पॉडकास्ट देने के लिए। लो फिर आ गया परिचय!! पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या
अपने आसपास की दुनिया का ऐसा ग़ज़ब ऑब्जरवेशन आपको कहाँ मिलेगा ! फ़िलहाल मैंने नेटफ़्लिक्स देखना लगभग बंद ही कर दिया है । तीन ताल का ऐसा एडिक्शन हुआ है कि एक - एक एपिसोड निकाल कर ख़त्म कर रही हूँ और डर भी लगता है कि कहीं वो दिन ना जाये जब कोई एपिसोड बचे ही ना और नया वाला आने में दो - चार दिन बचे हों। कितना कमाल का अनुभव होता है बता ही नहीं सकती । ❤ ताऊजी , ख़ान चा और कुलदीप सर आपको यहाँ ऑस्ट्रेलिया से बहुत - बहुत सारा प्यार भेज रही हूँ 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जय हो जय हो जय हो । ताऊ, खान चा और सरदार को और तीन ताल सुनने वाले सभी तीन तालियों को मेरा सादर नमस्कार । तीन ताल से पहली मुलाक़ात उस वीडियो में हुई थी जहा पे खान चा मिर्ज़ापुर के अपने किस्सों को साझा कर रहे थे । मिर्जापुर और मेरा रिश्ता उन किस्सों पे आधारित है जो अक्सर मैं अपने चाचा और पिता जी से सुनते हुए आया हूं । आज भी गाजीपुर में बसे पूरे 26 साल हो गए हो , पर हर बात में मिर्जापुर याद आता है । शायद ये सत्य हैं की हर उस पुरुष का पहला प्यार उसका गांव , उसका शहर होता है जो , उसके अंदर बसा होता है । जाऊंन सुख भैया आपन गांव आपन शहर में ह , ऊ कही न मिली। एक डर भी लगता हैं आज की कही अपने उस घर से , अपने उस आंगन से दूर न हो जाऊं , और मुड़ के वापस ना जा पाऊं। क्युकी आज भी जब मजबूरी में जब किसी त्योहार में इलाहाबाद ( आज का प्रयागराज ) में रुकना पड़ता है तो दुख होता है , क्युकी उन त्योहारों में किस बार एक उदास मन के साथ इन बंद कमरों में हम बिताते है । दुख लगता है कि शायद जी त्यौहार में हम अपने पूरे शहर को नाप जाया करते थे , अब वह नहीं कर पाते हैं। अपने शहर की बात ही अलग है। वह गंगा का किनारा वहां दिन भर बैठाना वह शांति वह सुकून शायद यहां ना मिल पाए। 2 वर्ष हो गए इलाहाबाद में शायद इन 2 वर्षों में बहुत कट गया हूं अपने शहर से , हर 3 से 4 महीने में अपने शहर वापस जाना होता है और कुछ ना कुछ बदलाव अपने शहर में देखता हूं जो कुछ छोड़ कर आया उसमें कुछ बना कुछ टूट कुछ बिगड़ा कुछ सवरा मैं देखता हूं । जिस तरह खान चा बार बार दुद्धी का नाम लेते हैं , इस बात की ओर संकेत करता है कि वह कितना प्यार आज भी अपनी दुद्धी से करतें है । भले खान चा दुद्धी से निकल आए है , पर दुद्धी आज भी खान चा के अंदर बस रही है । खान चा को देख के अपने छोटे चाचा की याद आती है , जिस तरह उनके पास किस्सों का खजाना है उसे तरह हमारे चाचा हमे किस्से अपने सुनाते है । मिर्जापुर की बात है , उन समय हमारे सोनू चा कक्षा 8 में पढ़ रहे थे। हुआ ये की एक बार क्लास में मारपीट हो गई और चाचा जाऊं से लड़े रहे ऊ उनसे ताकतवर रहा । अब चाचा किसी तरह उसको गिरा के उसके पेट पे बैठ गए और उठे ही नहीं। इतने में क्लास टीचर आती है और उनसे बोलती है ,"संजय (सोनू चा के स्कूल का नाम ) , उठो, संजय उठो ।" अब इसपे चाचा हमारे रोने लगे और बोले मैडम अगर हम उठ गए तो फिर हमें मारेगा, हम नहीं उठेंगे । फिर किसी तरह समझा बुझा के उनकी सुलह की गई और उनको उठाया गया । मेरे जीवन में तीन ताल की एक अलग जगह है , हर रोज शाम का खाना बनाना और साथ में तीन ताल को सुनना । अभी पिछली बार भिंडी की कलोंजी बनाई थी और कसम से खान चा की बातों की तरह मजेदार बनी थी। मेरे जीवन का एक अनूठा पहलू तीन ताल बन गया है , जी जीवन के इस चिरायु रस के साथ हमको जोड़ता है की मैं भले अपने गाजीपुर की मिट्टी से दूर हु पर वो आज भी मेरे साथ जैसे की आज भी खान चा सरदार और ताऊ का सानिध्य उनकी बाते और उनका साथ आशीर्वाद साथ है । ये मेरी तीसरी चिट्ठी है , आशा है की सरदार की आवाज में अपने लिखे को सुनने को मिलेगी । अंत में बशीर बद्र साहब की पंक्तियों से अपनी बात खतम करना चाहूंगा कि सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं न बादल घिरेंगे न बरसात होगी मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए जय हो जय हो जय हो ।
आज तो ताऊ ने गर्दा उड़ा दिया ज्योत्सना वाला तो एकदम गजब ही था। इससे मुझे मेरे बार्बर के यहां आने वाले एक प्रोफेसर की याद दिला दी हम लोग इनको जार्ज बुश बुलाने लगे थे😆
सभी तीन तालियो को सादर प्रणाम ! ताऊ को चरण स्पर्श , सरदार को hi bro , और खान चा को love you 😊. दो ह्फते पेहले तीन ताल शुरु किया और अब session 2 लगभग निपटा चुका हू ! किसी दूर देश के एअरपोर्ट पर बैठा हू और अगली फ्लाईट मै ६ घंटे का टाइम है ! ये क्युकी पहले से pata था तो अपना असलाह साथ ले आये थे! अब मे , मेरी तनहाई और मेरा असलाह ( 6 episodes of teen taal downloaded). Safar main ab Lagta hai ki suffer nahi karna padega 😊. Love to entire teen taal team . 🙏
ताऊ, खान चा और सरदार को मेरा नमस्कार। मेरा नाम अजीत यादव है और पहली बार मैं यह लिख रहा हु। आज आवाज़ में वजन की बात हो रही थी। मुझे ताऊ की आवाज़ सुनकर ऐसा लगता है मानो कोई दस किलो का हथोड़ा हमारे छाती पर रख कर अपनी बात सुना रहा हो l ताऊ की आवाज़ और बात दोनों में दम होता है । हमारे शासकीय प्राथमिक शाला के हेडमास्टर भी कुछ इसी तरह हमें कहानियां सुनाया करते थे। जब तक वो कहानी सुना रहे होते थे कोई कक्षा के बाहर नहीं जाता सब ध्यान से उनकी बातें सुनते थे। और उनकी छींक ऐसी की किसी ने बहोत बड़ा बम फोड़ दिया हो जिससे पूरे स्कूल की दीवारें गूंज उठती थी। एक बार फिर से आप सभी को में मेरा *तह ए दिल* से मेरा ध्यानवाद और प्रणाम। जय हो जय हो जय हो।
क्या किसी ने ऐसे बाबा/मौलवी का नाम सुना है जो नींबू में कांटा लगा के १ लाख सब्सक्राइबर पूरे कराता हो। अगर हो तो खान चा को बता दो , वो नींबू का टोकरा सर पर रखकर नंगे पांव जायेगे। ताऊ is aloways wow and सरदार is असरदार । जय हो ३! #cfbr
1:46:55 Daenerys Targaryen - The First of Her Name, Queen of the Andals and the First Men, Protector of the Seven Kingdoms, The Mother of Dragons, The Khaleesi of the Great Grass Sea, The Unburnt, The Breaker of Chains.❤
Teen taal podcast sunte hue agar aap bazar me nikle hai to apke chehre pe aai hasi ko dekh kar log apko jarur pagal samjhenge 😂😂😂😂😂😂kyu jo content yaha pe milta hai vo best hai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ 😍😍😍😍😍😍
At 1:06:29 KM, you should have let Tau finish his sentence! I want to know who was the other celebrity who sent a handwritten response to him apart from Asha ji! It is a damn interesting anecdote.
Dear Teen Taliya & Team, Jai Ho! Jai Ho! Jai Ho! In other eoisodes the word " Chikai" used several times unknowngly and Tau stop other 2 taalis to use it.Thanks Tau for understanding Nepalese audience . Im from Jhapa district of Nepal and regular audience of Teen Taal. almost all episode covered in last 3 months Since both Nepali and Hindi are use Devnagari script , it helping me to improve my vocabulary . Many Thanks
Margherita is a picturesque town located in the northeastern state of Assam, India. Known for its rich coal mining history, the town was established during the British colonial era and named after Queen Margherita of Italy. Surrounded by lush tea gardens and dense forests, Margherita offers a tranquil environment and a gateway to the Patkai Hills.
Shikaayat + suggestion + love Mera nam TunTun (ye mere naniya-ur se mila hai) hai Tau ki bat mante hue UPSC ki tyari chod jo kar skta tha vahi karne me laga hu..Paisa aur maja dono barabar aa rha hai Tau ka zabra fan, khan cha ke sath baithne ki umeed aur sardar se thoda aur sikhne ki chah - ye mera hasil hai is show ka Bhai sahab kya charas show Banae hai ap log. Meri ek shikayat hai aisi nashili chij hai ye show ki ek dekha to ant me chhithiyo ka context samajhne k liye pichla dekhna pada hai. 😅 Aur ab mai ek aise loop me fas chuka hu ki mano time travel machine mil gai ho Bht shandar hai sir ap log jo bhi kr rhe hai....Mera hmesha se ek Darr rha hai ki kahi mere gaon ki chije jaise dhakiya, sohar (geet), 'marde', nimona, dalik dulha, etc kahi vilupt na ho jae kyoki ab genZ aa gaya hai ...vaise ashawadi hone k Nate ek umeed ye hai ki shayad agli generation gen-ka(Hindi) se hogi.... Bohot jaruri sa ho gaya hai apne culture aur customs (jo sehat k liye hanikarak nahi hain) unhe bacha k rakhna is pineapple on pizza k jamane me Ek suggestion hai kabi time mile to gaon ki shadiyo pe jarur bat kriyega.. Baki ek chij aur sare teen taliyo ko mera naman hai..kyoki hum jaise log critically endangered hain is gen Z ki duniya me Bht Sara Prem aur samman Sardar Bhai ko sneh, Khan cha we love you aur TAU ko Charan sparsh. Teen taal zindabad Tohar Apana TunTun
आप सबके प्रणाम, हम रजत बानी, दिल्ली वाया छपरा बिहार से, नया में सुने के शुरू कईले बानी, बंदर कौना साइड होला एह वाला रेफरेंस ना बुझ पावेनी, केहू बता दीं रउवा लोग में से ना ता कुलदीप भैया से निवेदन बा की अगला वीडियो में 1 मिनट में समझा दी, हमनी खानी नया तीन तालिया के, कॉमेंट सामिल होई तब हौसला बानी, तब अाउर लिखाई । बाकी सब बंधिया बा, जिंदगी कटतता लाहे लाहे । जय हो जय हो जय हो
I have worked with Son of Shri Santosh Anand Late Shankalp Anand in LNJN National Institute of Criminology and Forensic Science. He was such a lively person who died in a mysterious circumstances.
Jai ho jai ho jai ho. 1:51:45 mujhe ye jaan kar kaafi afsos hua ki Parichaye film jo ki bohot he achi filmon mein se ek hai, Guljar ki directed khoobsurat film ke baare mein aako nahi pata mujhe toh ek ek scene pata hai Parichay ka, jab hansi aati hai toh jungle ki taraf bhaag leta hoon aur, woh last ka dialogue "abhi tumara kaam khatam nahi hua Ravi, tumne hume toh seekhaya he nahi, aur phir ek smile aur Pran saab bolte hai shukriya tumne mujhe mere bacho se parichay kara diya" ... tau ka guess theek tha Jaya Bhadudi he thi 😂❤
Hamare gaon me kafi logo ne likhwaya tha.....Vijay kumar 'vidhyarthi', Dr bhavnath rai (jarahi dawakhana), madan kumar dah (master saheb), bhagat ji (compunder), Sonu kumar 'madesiya',
हज़ारों लोगों कि भीड़ पिछले कुछ वर्षों से भारत के विभिन्न शहरों मे “सर तन से जुदा” के नारे लगाते घूम रहे है। इन चिन्ताजनक घटनाओं पर आपको तीन ताल जैसे कार्यक्रमों पर कभी कोई चर्चा नहीं होते दिखाई देगी। कभी सोचा है क्यों?
Norm mera bhi favorite hai, ID wala joke Norm hi kar sakta hai. Carlin se Norm ka safar mera bhi raha hai. Agree with Tau on Congress and Sikh being a non issue. Tau on point on everything.
भाई साहब ...... में हरियाणा से हु...... आपका प्रोग्राम बहुत अच्छा ह...... बस आजकल advertisement. बहुत आती है..... में disturb हो जाता हु..... कृपा करके add कम चलाए
In Assamese there was several discrimination against 'Bihari' , 'Bengoli' and 'Marwari' , i was thinking before discrimination that assam is best place for live , but now i see several Assamese people discriminating with Bihari, and always demanding and snatching money from Bihari, for the names of bihu 😭
नेताजी वाला काम कल्पनाथ राय भी किया करते थे वो जब किसी गाँव मे जाते तो किसी लोकल को साथ ले लेते और उसका काम बस ये होता था कि सामने जो आदमी आता दिखे उसका नाम धीरे से बोल देता था और फिर वो अपने तरीके से उम्र के हिसाब से दादा काका जोड़कर उनका हाल चाल लिया करते थे और गांव के लोग खुश की मंत्री जी हमे जानते है
22:47 "जो कुत्ते लोग पालते हैं" 😂😂 ये सही था। कुत्ते ही पालते हैं लोगों को। By the way, मेरा मानना है कि कुत्ते पालने वाले सभी इंसान स्वार्थी होते हैं। आखिर कुत्ते को क्या फायदा है इंसान द्वारा पाले जाने से? उनको तरह तरह की बीमारियां होती हैं घर में रहने के कारण। चलिए इसपर एक Email वाली चिट्ठी ही लिखता हूं। ये बहुत कॉन्ट्रोवर्शियल मुद्दा है लोगों के लिए और इसमें तो मेरा View ऐसा है कि 1000 में 1 भी शायद agree ना करे।
जाती , पेहचान या परिचय का इस्तेमाल लोग सुरक्षित महसूस करने के लिये करते है, ये इस बात का लक्षण है कि आपकी व्यवस्था (न्याय , शासन या सामाजिक ) पर लोग पुरी तरह से विश्वास नही करते और जीवन में अन्य आधार कि खोज कर रहे है.
Tau bahut kamaal h. Sardaar aapto sambhale h show ko. Par pls khan cha ko bi bolne diya kijiye. Wo kbi ek shabd bolte hi h ki aaplog ignore krke bolne lgte h to wo chup ho jate h fauran se hi.
तीन ताल के तीनों त्रिदेवों को मेरा सादर प्रणाम, मैं प्रयागी, इलाहाबाद से। ये मेरी पहली चिट्ठी है बहुत समय से चिट्ठी लिखने का मन था पर कोई अच्छा नाम नहीं सूझ रहा था इसलिए नहीं लिख सका पर आज अपने आप को रोक नहीं पाया लिखने से इसलिए जन्मभूमि के नाम के सहारे लिख रहा हूँ। भाई साहब आप लोग की बातों में अफ़ीम सा नशा है, पूरा दिन आपको ही सुनता रहता हूँ। आप लोग को सुनते सुनते जवानी की बाक़ी ज़रूरतें भूल चुका हूँ। मैं सबसे पहले ख़ान चाँ से कहना चाहूँगा यार क़सम से my dear आदमी हो आप, आपके क़िस्से सुन कर मुझे अपने ज़िंदगी से घिन सी आने लगी है, मतलब ग़ज़ब हरम्पंती थी आपके क़िस्से सुन के हृदय गति १५० हो जाती है, माफ़ कीजिएगा इसे गाली ना समझा जाये ये एक complement ही था, क्योंकि मैं भी उन क़िस्सो को जीना चाहता हूँ। अपने इस सादे और निरस जीवन से ऊब चुका हूँ। सोच रहा था कि आप से इतना जुड़ाव क्यों महसूस करता हूँ तो समझ में आया कि शायद अपने जीवन में चाचा के ना होने के कारण। मैं चाहता हूँ की आप सच में मेरे चाचा ही बन जाये, आपके क़िस्से सुन कर इनदिनों पुराने गाने सुनना शुरू किया है। आपसे एक बार बात करने की ख्वाइश है चाचा।
कुलदीप भैया यार आप के लिए कुछ लिखना बहुत ही मुश्किल है कई बार लिखने का प्रयास किया पर हर बार यही लगा अपने शब्दों से आपको सही सम्मान नहीं दे पा रहा हूँ बस इतना ही कहूँगा छोटे भाई के तरफ़ से प्यार ख़ैर, मैं भी इलाहाबाद के एक विद्या मंदिर से ही पढ़ा हूँ इसलिए आपके तमाम सारे बातों से मेरा व्यक्तिगत संबंध सा जान पड़ता है, मेरे अनुमान से यदि आप सुल्तानपुर के क़ादीपुर वाले विद्यालय से हैं तो मेरे और आपके प्रधानाचार्य एक ही हैं (श्री बाँकेबिहारी पांडेय जी)।
अंत में ताऊ, ताऊ का अब मैं बहुत सम्मान करता हूँ, हालाँकि शुरुआत में मैं ताऊ की बातों से इतना इत्तेफाक़ नहीं रखता था, उसकी एक अलग वजह है उसे फिर कभी साँझा करूँगा पर २-३ एपिसोड पहले कोलकाता रेप केस पर ताऊ के विचार सुन कर ठीक वैसी ही संतुष्टि हुई जैसे की अकसर श्री विकास दिव्यकीर्ति सर को सुन कर होती है।
मैं आप तीनों से उम्र में बहुत छोटा हूँ, पंजाब के एक प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ, पर बिलकुल मज़ा नहीं आ रहा, ऐसा जान पड़ता है मानो किसी क़ैद में हूँ। पिछली छुट्टियों में इलाहाबाद गया था, स्टेशन से रिक्शे में बैठ कर जब घर को जा रहा था, एक अलग सी मुस्कान थी चेहरे पर, लग रहा था इस शहर के पुराने इमारतों को गले से लगा लूँ। थोड़ा आगे गया तो देखा बहुत तेज गति से निर्माण के कार्य चल रहे थे, और घरों को तोड़ा जा रहा था ये देख कर बहुत निराशा हुई, ऐसा लगा मानो मेरे शरीर का कोई अंग काटा जा रहा हो। ख़ैर लिखना तो और भी बहुत कुछ चाहता हूँ पर चिट्ठी लंबी होती जा रही है इसलिए अगली बार। जय हो। जय हो। जय हो।
खान चा के मोबाईल नंबर दे,
ज्योत्स्ना 😊
पहली बार पॉडकास्ट सुना ,बस मज़ा आ गया😂
जय हो जय हो जय हो । ताऊ, सरदार, और खान चा को सादर प्रणाम । अभी हाल में ही इस एपिसोड को देखते हुए एक किस्सा कौंधा मेरे दिमाग में । कोविड के बाद 2 साल तक निरंतर घर पे ही रहना पड़ा और संजोग से घर के बगल में एक जिम खुल गया । तो किसी तरह आना कानी करते हुए एक मित्र के धमकाने पे जिम ज्वाइन करना पड़ा ( ये किस्सा किसी और चिट्ठी में ) वहा पे एक भईया से मुलाकात हुई और उनसे बात चीत होती रही और एक अच्छी दोस्ती हो गई । आलस का असर कुछ यूं था की हर 3 से 4 महीने बाद जिम जाना छोड़ देता फिर पकड़ लेता था 😂। और हर बार जब वो भैया से मुलाकात होती तो बस इतना ही कहते की , तुम्हारे पापा को जानते है , हम बचपन में तुम्हारी दुकान पे जाया करते थे । फिर पढ़ाई की वजह से शहर छूट गया तो ये क्रम टूट गया । पर अभी हाल में गए थे समान लेने तो वो हमको पहचान लिए । बड़े अच्छे आदमी है । इतना कह के अपने वर्कआउट में वो लग गए । और मैं एक झूठी मुस्कान के साथ अपना वर्कआउट करने लगा । और अब जब भी उनसे मुलाकात होती है तो बस वो यही बोलते है और मेरी प्रतिक्रिया भी वही पुरानी होती है । वो वजन कम करने के संघर्ष में अभी तक कायम है और हम जिम तक जाने के संघर्ष में 😂। बशीर बद्र साहब के गजल के शेर है की , सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
फिर अब तीनो से मुलाक़ात होगी । आपका छोटा भाई और शागिर्द अभिनव , गाजीपुर से 😊।
ताऊ जैसे जैसे पन्नू और राहुल गांधी कि साँठ गाँठ पर ज़्यादा आगे बढ़ने लगे, सरदार को पूरी साहब द्वारा स्थापित पत्रकार संहिता कि चिंता हुई और तुंरत नये कॉफी मग जैसे गहरे विषय का ज़िक्र करने का आईडिया आ गया।
जय हो जय हो जय हो।
तमाम तीन-तालीयों की तरफ से आप तीनो-तालों को जय हो जय हो जय हो...
तीन-ताल मैने सुनना शुरू किया 'गुल संघ' वाले एपिसोड से जिसमे सरपंच थे...जब सुना तो ताऊ के मजेदार ज्ञान और सरदार के सहज और कमाल के वाचन का कायल हो गया और हर शनिवार शाम का इंतजार यूँ करता हूँ जैसे कोई मेरी पढ़ाई का वीडियो हो.
अब बात आती है खान चा पर ये महाराज चूकि ताऊ और सरदार के कम्परिजन मे कम बोलते थे तो नया श्रोता होने के कारण ज्यादा समझ नही पा रहा था लेकिन लगातार के एपिसोड मे थोड़ा-थोड़ा सुनके धीर-धीरे समझ आने लगा...आज के एपिसोड मे तो खान चा ने पूरा अपना पोल खोल दिया । बीड़ी की डकैती की कहानी और वो भी अपने घर मे 😅कसम से हसते हसते पेट दुख गया था और जिस हिसाब से ये कहते हैं पीर बाबा का दम किए हुए पानी पीने की बात और धूमदंडिका का सेवन ऐसा लगता है किसी आयुर्वेदाचार्य का सुझाव पेश कर रहे हों।।
एपिसोड मे चर्चा गाँव-शहर के नामो पे हो रही है...तो मै अपने यहा के गाव के नाम बताता हूँ जैसे- डूहाँ बिहरा,बाँसडीह,रतसर,सीसोटार,मनीयर,सीयर,बैरिया और फिर मऊ ईत्यादि.......
पर आप तानो बहुत क्यूट हो यार ।
लम्बा नही लिखूंगा बाकी बाते अगली बार होंगी
दिल्ली मे हूँ तो ख्वाहिश तो सामने से मिलके बात करने की है पर देखते हैं किस्मत...
आपका तीन-ताल प्रशंसक
नमोनारायण
स्थायी आवास-बलिया (बिहरा)
अस्थाई आवास-दिल्ली (करोलबाग)
जय हो जय हो जय हो
जय हो जय हो जय हो
ताऊ,खान चा और सरदार और तमाम तीन तालियों को मेरा प्रणाम!!
तीन ताल से पहला परिचय तो ताऊ के इनकम टैक्स वाले ज्ञान की रील देख कर हुआ लेकिन उसके बाद ये किसी नशे से कम नही है।
बहुत दिनों से सोच रहा था क्या लिखूं मेरा लिखना तीन ताल के स्तर का है भी या नही फिर सोचा लिखते है यार 2000 और उसके बाद पैदा हुए 80% का हाल यही है की हिंदी लिखना नही आता और इंग्लिश बोलना।मेरी हिंदी में कुछ कमी हो तो सरदार पढ़ने में ही संभाल लेना और चिट्ठी तोड़ा लंबी है क्यों की पहली बार कुछ लिख रहा हु,क्या लिखना है कितना लिखना है अंदाजा कुछ काम है।
वैसे परिचय से याद आया कि पिछले एपिसोड में भी परिचय पे बात हुई तो मैं बचपन में अपने परिचय का किस्सा आप के सामने रखता हूं।
"आप की जानकारी के लिए बता दू हम भी खान चा की तरह ही बचपन से ही "मानिंद लोगों" में आता थे,इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की मात्र 7 वर्ष की उम्र में मेरे घरवालों ने मुझे मेरे नाना के घर भेज दिया पढ़ने के लिए । अब मैं अपने बचपन के सबसे खास परिचय पे आता हु जो आज भी लोग बोल देते है। बचपन में छुट्टी में जब नाना के घर से अपने गांव आता था तो आते ही आस - पड़ोस वाले पहले तो बोलते थे ' कब आयोव भईया ' और अगली लाइन होती थी "कब जायक का है"
गांव के कुछ बड़े लोग मेरे परिचय में बोलते थे- "आइए गाएं ' डीह- करन' ",
मेरा गांव उत्तर - प्रदेश के गोंडा जिले में है,वहा ' डीह' का मतलब होता है ' ऐसी जमीन जो अब खंडार/बर्बाद हो गई हैं ' और ' डीह- करन' से उनका मतलब होता था की अगर मैं गांव में कुछ दिनों और रह गया तो गांव भी डीह होने की पूरी संभावना है।
हालाकि की जब दसवीं और बरावी में जब 90% आए तो वही लोग अपने बच्चो को पढ़ने/समझने के लिए भी बोलते थे। अब जब LLB और company secretary पूरी होने को है तो वही लोग गांव के मामले में राय भी लेते है ,कभी - कभी तो कुछ लोगो को देख कर मन में आता है की इनका डीह कर दे देना चाहिए।
खैर गांव में अगर आप का असली परिचय कुछ है तो वो आपके बाबा(grand father)का नाम होता है मेरे लिए तो यही है,कभी किसी को भी परिचय देना हो तो बस बाबा का नाम लो और बोल दो बाबा है मेरे।
इस बात का अंदाजा तब लगा जब ,2 साल पहले मैंने अपने बाबा को खो दिया और अब कभी किसी को परिचय देना होता है गांव में तो कुछ पल का pause आ ही जाता है।
परिचय से एक बात और याद आती है,जब 11 में नए स्कूल में प्रवेश लिया तो स्कूल असेंबली में प्रिंसिपल ने नए बच्चो को स्टेज पर इंट्रोडक्शन देने के लिए बुलाया,उसके बाद उन्होंने कहा आज के बाद किसी को परिचय देने की जरूरत नही है न किसी शिक्षक को न किसी छात्र को ,ये अब इनकी जिम्मेदारी है की तुम्हे याद रखे। उस दिन से 12वी होने ताकि कभी कोई परिचय नही पूछा।
पिता जी कभी Parent's meet में नही जाते थे मेरे बड़े भाई ही जाते थे, 11वी बीता, 12वी के half-yearly exam के बाद का Parent's meet था,मेरे बड़े भाई अकेले कॉरिडोर से हो के आ रहे थे पीछे से प्रिंसिपल सर की आवाज आई और बोले "आप ही हर बार आते है,उसके पापा कभी नही आते" ,मेरे बड़े भाई से उनकी पहली और आखिरी मुलाकात 11वी के एडमिशन के समय हुई थी।
एक बार मैने उनसे पूछ लिया की 1000 बच्चे आपको याद कैसे रहते है,उन्होंने कहा ' ये मेरा काम है और मैं अपना काम अच्छे से करता हूं तुम भी करना ' उनकी इस लाइन से प्रेरित हो कर मैने केमिस्ट्री लैब में रखी करीब 100 पुरानी फाइल्स को ₹150 पर फाइल के हिसाब से बेच दिया। टीचर को ₹50/फाइल बताया और उस 50 में से ₹10/फाइल मुझे कमिशन भी मिला।
अब तक के 23 साल की उम्र में गोंडा,अयोध्या,और अब लखनऊ में रह रहा हु,हर शहर की अपनी अलग तासीर है,हर जगह मानिंद लोगो मिल ही जाते है।
और मेरा जिला गोंडा ,खान चा के दुध्धि से कुछ काम नही है,यह के लोग तो बड़े वाले है ही नेता और बड़े वाले है।
लखनऊ में एक अपार्टमेंट में रह रहा हु,नजाकत- नफासत पिछले 6 सालो में तो कम ही देखने को मिला शायद ये सब अब बस वो चीज है तो सैकिया लोग रखते है,नया लखनऊ अब पुराने लखनऊ को हजम कर जाने को आतुर है जिस पर कभी विस्तार से लिखूंगा।
अपार्टमेंट में बैचलर्स की उतनी ही इज्जत होती है जितनी ताऊ को शिमला - मिर्च की है और यह भीड़ में भी अकेलापन ही है जिसमे तीन - ताल एक थेरेपी जैसे है।एक दिन पार्क में घूमते वक्त ,बगल बेंच पर बैठे कुछ हम - उम्र लोग ताऊ की बातो पे ठहके लगा रहे थे,बगल से गुजरते हुए मैने बोल दिया तीन - तलिए हो क्या भाई,सामने से जवाब आया " जय हो जय हो जय हो"
आगे भी ऐसे ही लिखता रहूंगा,उम्मीद है मेरी ये पहली चिट्ठी शामिल होगी
ताऊ सरदार और खान चा का शुक्रिया ऐसा बेहतरीन पॉडकास्ट देने के लिए।
लो फिर आ गया परिचय!!
पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है
कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या
अपने आसपास की दुनिया का ऐसा ग़ज़ब ऑब्जरवेशन आपको कहाँ मिलेगा ! फ़िलहाल मैंने नेटफ़्लिक्स देखना लगभग बंद ही कर दिया है । तीन ताल का ऐसा एडिक्शन हुआ है कि एक - एक एपिसोड निकाल कर ख़त्म कर रही हूँ और डर भी लगता है कि कहीं वो दिन ना जाये जब कोई एपिसोड बचे ही ना और नया वाला आने में दो - चार दिन बचे हों। कितना कमाल का अनुभव होता है बता ही नहीं सकती । ❤ ताऊजी , ख़ान चा और कुलदीप सर आपको यहाँ ऑस्ट्रेलिया से बहुत - बहुत सारा प्यार भेज रही हूँ 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
:)
जय हो जय हो जय हो । ताऊ, खान चा और सरदार को और तीन ताल सुनने वाले सभी तीन तालियों को मेरा सादर नमस्कार । तीन ताल से पहली मुलाक़ात उस वीडियो में हुई थी जहा पे खान चा मिर्ज़ापुर के अपने किस्सों को साझा कर रहे थे । मिर्जापुर और मेरा रिश्ता उन किस्सों पे आधारित है जो अक्सर मैं अपने चाचा और पिता जी से सुनते हुए आया हूं । आज भी गाजीपुर में बसे पूरे 26 साल हो गए हो , पर हर बात में मिर्जापुर याद आता है । शायद ये सत्य हैं की हर उस पुरुष का पहला प्यार उसका गांव , उसका शहर होता है जो , उसके अंदर बसा होता है । जाऊंन सुख भैया आपन गांव आपन शहर में ह , ऊ कही न मिली। एक डर भी लगता हैं आज की कही अपने उस घर से , अपने उस आंगन से दूर न हो जाऊं , और मुड़ के वापस ना जा पाऊं। क्युकी आज भी जब मजबूरी में जब किसी त्योहार में इलाहाबाद ( आज का प्रयागराज ) में रुकना पड़ता है तो दुख होता है , क्युकी उन त्योहारों में किस बार एक उदास मन के साथ इन बंद कमरों में हम बिताते है । दुख लगता है कि शायद जी त्यौहार में हम अपने पूरे शहर को नाप जाया करते थे , अब वह नहीं कर पाते हैं।
अपने शहर की बात ही अलग है। वह गंगा का किनारा वहां दिन भर बैठाना वह शांति वह सुकून शायद यहां ना मिल पाए। 2 वर्ष हो गए इलाहाबाद में शायद इन 2 वर्षों में बहुत कट गया हूं अपने शहर से , हर 3 से 4 महीने में अपने शहर वापस जाना होता है और कुछ ना कुछ बदलाव अपने शहर में देखता हूं जो कुछ छोड़ कर आया उसमें कुछ बना कुछ टूट कुछ बिगड़ा कुछ सवरा मैं देखता हूं । जिस तरह खान चा बार बार दुद्धी का नाम लेते हैं , इस बात की ओर संकेत करता है कि वह कितना प्यार आज भी अपनी दुद्धी से करतें है । भले खान चा दुद्धी से निकल आए है , पर दुद्धी आज भी खान चा के अंदर बस रही है । खान चा को देख के अपने छोटे चाचा की याद आती है , जिस तरह उनके पास किस्सों का खजाना है उसे तरह हमारे चाचा हमे किस्से अपने सुनाते है ।
मिर्जापुर की बात है , उन समय हमारे सोनू चा कक्षा 8 में पढ़ रहे थे। हुआ ये की एक बार क्लास में मारपीट हो गई और चाचा जाऊं से लड़े रहे ऊ उनसे ताकतवर रहा । अब चाचा किसी तरह उसको गिरा के उसके पेट पे बैठ गए और उठे ही नहीं। इतने में क्लास टीचर आती है और उनसे बोलती है ,"संजय (सोनू चा के स्कूल का नाम ) , उठो, संजय उठो ।" अब इसपे चाचा हमारे रोने लगे और बोले मैडम अगर हम उठ गए तो फिर हमें मारेगा, हम नहीं उठेंगे । फिर किसी तरह समझा बुझा के उनकी सुलह की गई और उनको उठाया गया ।
मेरे जीवन में तीन ताल की एक अलग जगह है , हर रोज शाम का खाना बनाना और साथ में तीन ताल को सुनना । अभी पिछली बार भिंडी की कलोंजी बनाई थी और कसम से खान चा की बातों की तरह मजेदार बनी थी। मेरे जीवन का एक अनूठा पहलू तीन ताल बन गया है , जी जीवन के इस चिरायु रस के साथ हमको जोड़ता है की मैं भले अपने गाजीपुर की मिट्टी से दूर हु पर वो आज भी मेरे साथ जैसे की आज भी खान चा सरदार और ताऊ का सानिध्य उनकी बाते और उनका साथ आशीर्वाद साथ है । ये मेरी तीसरी चिट्ठी है , आशा है की सरदार की आवाज में अपने लिखे को सुनने को मिलेगी । अंत में बशीर बद्र साहब की पंक्तियों से अपनी बात खतम करना चाहूंगा कि
सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
तब तक के लिए जय हो जय हो जय हो ।
आज तो ताऊ ने गर्दा उड़ा दिया ज्योत्सना वाला तो एकदम गजब ही था।
इससे मुझे मेरे बार्बर के यहां आने वाले एक प्रोफेसर की याद दिला दी हम लोग इनको जार्ज बुश बुलाने लगे थे😆
😂😂😂
How true.... JYOTSANA... har baar sunke hansi hi nahin rukti🤣🤣🤣
भाई साहब एक बार तो बुला लो पाणिनी बाबा को 🙏🙏 खाँ चा पसंद है हमको भी पर बाबा घर के बुजुर्ग है उनकी बाते हसी व्यंग दिल छू जाता था।
बिल्कुल यार बाबा को जरूर से बुलाओ, ताऊ रिटायर होने के बाद पर कोई प्रेशर भी नही होना चैनल का now he can do this easily, bus baba की भी हां होनी चाहिए
@@DeepakBhardwaj-nv9zmso TV9 me hai
Bahot hi anand aya ek aur romanchak episode tha.....jai ho jai ho jai ho....
" Yaadon ki kabaad" .... Legendary
जय हो जय हो जय हो!! एकदम गर्दा उड़ा दिए आप लोग इस एपिसोड में। ऐसे ही धुआं धुआं करते रहिए।
I used to ignore the podcast thinking just another podcast.
I watched you guys once
Now i am addicted.
Tau and khan cha complement each other
सभी तीन तालियो को सादर प्रणाम ! ताऊ को चरण स्पर्श , सरदार को hi bro , और खान चा को love you 😊. दो ह्फते पेहले तीन ताल शुरु किया और अब session 2 लगभग निपटा चुका हू ! किसी दूर देश के एअरपोर्ट पर बैठा हू और अगली फ्लाईट मै ६ घंटे का टाइम है ! ये क्युकी पहले से pata था तो अपना असलाह साथ ले आये थे! अब मे , मेरी तनहाई और मेरा असलाह ( 6 episodes of teen taal downloaded). Safar main ab Lagta hai ki suffer nahi karna padega 😊. Love to entire teen taal team . 🙏
ताऊ, खान चा और सरदार को मेरा नमस्कार। मेरा नाम अजीत यादव है और पहली बार मैं यह लिख रहा हु। आज आवाज़ में वजन की बात हो रही थी। मुझे ताऊ की आवाज़ सुनकर ऐसा लगता है मानो कोई दस किलो का हथोड़ा हमारे छाती पर रख कर अपनी बात सुना रहा हो l ताऊ की आवाज़ और बात दोनों में दम होता है । हमारे शासकीय प्राथमिक शाला के हेडमास्टर भी कुछ इसी तरह हमें कहानियां सुनाया करते थे। जब तक वो कहानी सुना रहे होते थे कोई कक्षा के बाहर नहीं जाता सब ध्यान से उनकी बातें सुनते थे। और उनकी छींक ऐसी की किसी ने बहोत बड़ा बम फोड़ दिया हो जिससे पूरे स्कूल की दीवारें गूंज उठती थी। एक बार फिर से आप सभी को में मेरा *तह ए दिल* से मेरा ध्यानवाद और प्रणाम। जय हो जय हो जय हो।
26:00 से सुनो
और सुनते जाओ ❤️❤️❤️❤️
फ़ैज़ 🌹❤️
क्या किसी ने ऐसे बाबा/मौलवी का नाम सुना है जो नींबू में कांटा लगा के १ लाख सब्सक्राइबर पूरे कराता हो। अगर हो तो खान चा को बता दो , वो नींबू का टोकरा सर पर रखकर नंगे पांव जायेगे। ताऊ is aloways wow and सरदार is असरदार । जय हो ३! #cfbr
1:46:55 Daenerys Targaryen - The First of Her Name, Queen of the Andals and the First Men, Protector of the Seven Kingdoms, The Mother of Dragons, The Khaleesi of the Great Grass Sea, The Unburnt, The Breaker of Chains.❤
Real id se aao Jorah Mormont
ताऊ क गोर लागै छियैन, सरदार क मंगल कामना कौरई छी अ खान चा क हमरा दिसन स आईब्लू यू...
9/11 और डार्क जोक्स की बात हुई और ताऊ ने नॉर्म मैकडोनाल्ड की बात नहीं कि। एक अच्छा मौका चूक गए।
हमारे बिहार के अंगिका क्षेत्र में एक गाली काफी प्रचलित है ' बरघैंसे ', जैसे दूसरी जगहों पर ' साला ' । ए एक Harmless ( हानिरहित) गाली मानी जाती है।
Jai ho Jai ho.. sab ka Jai ho
अतुल तिवारीजी - कैमरे का एंगल कुछ एपिसोड्स से टेढ़ा है | दीवार के पोस्टर , टेबल की एज सब टेढ़े दिख रहे हैं | ओ. सी. डी. हो रहा है। कृपा करें।
Teen taal podcast sunte hue agar aap bazar me nikle hai to apke chehre pe aai hasi ko dekh kar log apko jarur pagal samjhenge 😂😂😂😂😂😂kyu jo content yaha pe milta hai vo best hai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ 😍😍😍😍😍😍
55:50 "उसके बाद वो शब्बीर कुमार की आवाज में जो मोहम्मद रफी पैल के गाता है, " ताऊ ने यही पर ऑरकैस्ट्रा वाले को पैल दिया 😂
Intellect sarcasm humour satire. Bauht achhe ba-kamal.
At 1:06:29 KM, you should have let Tau finish his sentence! I want to know who was the other celebrity who sent a handwritten response to him apart from Asha ji! It is a damn interesting anecdote.
2:23:00 "ये सब अद्भुत अदम्य साहस की परिभाषा है" ye 90's ka dukh khatam kahe nhi hota hai be
Dear Teen Taliya & Team,
Jai Ho! Jai Ho! Jai Ho!
In other eoisodes the word " Chikai" used several times unknowngly and Tau stop other 2 taalis to use it.Thanks Tau for understanding Nepalese audience .
Im from Jhapa district of Nepal and regular audience of Teen Taal. almost all episode covered in last 3 months
Since both Nepali and Hindi are use Devnagari script , it helping me to improve my vocabulary .
Many Thanks
Margherita is a picturesque town located in the northeastern state of Assam, India. Known for its rich coal mining history, the town was established during the British colonial era and named after Queen Margherita of Italy. Surrounded by lush tea gardens and dense forests, Margherita offers a tranquil environment and a gateway to the Patkai Hills.
Teen tal Jai ho jai ho Parichay per Charcha achaa hai
Shikaayat + suggestion + love
Mera nam TunTun (ye mere naniya-ur se mila hai) hai
Tau ki bat mante hue UPSC ki tyari chod jo kar skta tha vahi karne me laga hu..Paisa aur maja dono barabar aa rha hai
Tau ka zabra fan, khan cha ke sath baithne ki umeed aur sardar se thoda aur sikhne ki chah - ye mera hasil hai is show ka
Bhai sahab kya charas show Banae hai ap log.
Meri ek shikayat hai aisi nashili chij hai ye show ki ek dekha to ant me chhithiyo ka context samajhne k liye pichla dekhna pada hai. 😅
Aur ab mai ek aise loop me fas chuka hu ki mano time travel machine mil gai ho
Bht shandar hai sir ap log jo bhi kr rhe hai....Mera hmesha se ek Darr rha hai ki kahi mere gaon ki chije jaise dhakiya, sohar (geet), 'marde', nimona, dalik dulha, etc kahi vilupt na ho jae kyoki ab genZ aa gaya hai ...vaise ashawadi hone k Nate ek umeed ye hai ki shayad agli generation gen-ka(Hindi) se hogi....
Bohot jaruri sa ho gaya hai apne culture aur customs (jo sehat k liye hanikarak nahi hain) unhe bacha k rakhna is pineapple on pizza k jamane me
Ek suggestion hai kabi time mile to gaon ki shadiyo pe jarur bat kriyega..
Baki ek chij aur sare teen taliyo ko mera naman hai..kyoki hum jaise log critically endangered hain is gen Z ki duniya me
Bht Sara Prem aur samman
Sardar Bhai ko sneh, Khan cha we love you aur TAU ko Charan sparsh.
Teen taal zindabad
Tohar Apana
TunTun
आप सबके प्रणाम, हम रजत बानी, दिल्ली वाया छपरा बिहार से, नया में सुने के शुरू कईले बानी, बंदर कौना साइड होला एह वाला रेफरेंस ना बुझ पावेनी, केहू बता दीं रउवा लोग में से ना ता कुलदीप भैया से निवेदन बा की अगला वीडियो में 1 मिनट में समझा दी, हमनी खानी नया तीन तालिया के,
कॉमेंट सामिल होई तब हौसला बानी, तब अाउर लिखाई ।
बाकी सब बंधिया बा, जिंदगी कटतता लाहे लाहे । जय हो जय हो जय हो
Kumar vishwas sir ka discussion kha se start hua hai?
50:40
Very pleasing conversation
I have worked with Son of Shri Santosh Anand Late Shankalp Anand in LNJN National Institute of Criminology and Forensic Science. He was such a lively person who died in a mysterious circumstances.
1:11:00 for jyotsna
26:10 faiz ki nazm ताऊ ताऊ ताऊ ❤
teen taal charas hai..
Kadak maal hai
Hum first hum first
मजा आ गया गुरू । फीस माफ़ी वाला किस्सा बड़ा रिलेट किया 😂😂 और इंग्लिश ट्रांसलेसन वाला किस्सा सुन के बहुत चाप् के हसा 😂😂😂 जय हो जय हो जय हो ।।
Jai ho jai ho jai ho. 1:51:45 mujhe ye jaan kar kaafi afsos hua ki Parichaye film jo ki bohot he achi filmon mein se ek hai, Guljar ki directed khoobsurat film ke baare mein aako nahi pata mujhe toh ek ek scene pata hai Parichay ka, jab hansi aati hai toh jungle ki taraf bhaag leta hoon aur, woh last ka dialogue "abhi tumara kaam khatam nahi hua Ravi, tumne hume toh seekhaya he nahi, aur phir ek smile aur Pran saab bolte hai shukriya tumne mujhe mere bacho se parichay kara diya" ... tau ka guess theek tha Jaya Bhadudi he thi 😂❤
जय हो चर्चा बहुत अच्छा है।
1 ghante pehle to aaya hi hai kaise eekh liya?
After this episode, the subscribers surely needs to be 1 lac
चिट्ठी पढ़ने के लिए धन्यवाद. This comment is for better reach. Vote for renaming of Hajipur to Dhoolpur.
Jai ho. Jai ho Jai ho.❤
Getting better day by day 😂❤
1:10:00 😄
Kuldeep bhai teen taal maza aayaa....1 baat bollna tha aapki shakal aur aawaaz stand-up comedian abhishek upmenyui se bahut milti hai...dhanyawaaad😅
Teen taal ❤
Jai ho
Hamare gaon me kafi logo ne likhwaya tha.....Vijay kumar 'vidhyarthi', Dr bhavnath rai (jarahi dawakhana), madan kumar dah (master saheb), bhagat ji (compunder), Sonu kumar 'madesiya',
Jai ho ❤❤
हज़ारों लोगों कि भीड़ पिछले कुछ वर्षों से भारत के विभिन्न शहरों मे “सर तन से जुदा” के नारे लगाते घूम रहे है।
इन चिन्ताजनक घटनाओं पर आपको तीन ताल जैसे कार्यक्रमों पर कभी कोई चर्चा नहीं होते दिखाई देगी।
कभी सोचा है क्यों?
Norm mera bhi favorite hai, ID wala joke Norm hi kar sakta hai. Carlin se Norm ka safar mera bhi raha hai.
Agree with Tau on Congress and Sikh being a non issue. Tau on point on everything.
Tao yaar 2.5 kgs...kya padh diye!! Lots of love tao
Naam se yaad aaya बनारस जाते हुए ट्रेन में एक स्टेशन का नाम पढ़ा " झिंगुर "
Jhingura
Ye teen tigdi suppar hitt
भाई साहब ...... में हरियाणा से हु...... आपका प्रोग्राम बहुत अच्छा ह...... बस आजकल advertisement. बहुत आती है..... में disturb हो जाता हु..... कृपा करके add कम चलाए
I am also from guwahati Assam. Me bhi teen taliya
Its so good 😂❤
Jo chhota shahar main 20 saal pahle chhod aya tha, woh yaha mil gaya tha ❤
Election slogans kis episode main tha?
ये podcast नहीं है, ये UP के लौंडों की जमघट है। ताऊ हैं, चच्चा हैं, भतीजे हैं। Ye podcast बोल कर आप इस के महत्व को छोटा कर देते हैं।
सरदार तीन ताल का मग हमे भी चाहिए
चियर्स
Jai Ho Jai Ho Jai Ho LOve you all🥰
meri caste, podcast में अब भी यही कहुंगा ताऊ को अब dialogue writing करनी चाहिए
Wo tau ne copy kiya hai satish ray ke videos se,
Par koi nhi Tau uske prashansak hai to chalega 😅
In Assamese there was several discrimination against 'Bihari' , 'Bengoli' and 'Marwari' , i was thinking before discrimination that assam is best place for live , but now i see several Assamese people discriminating with Bihari, and always demanding and snatching money from Bihari, for the names of bihu 😭
Jai ho jai ho jai ho
Hello Team of Teen Taal.,
Pls add khan cha in thumbnail toooo.
Tau pranaam, Tabi D O G ka reverse G O D …..😊
Jackal =jack+ call ,when you have jack then you can call anytime .😂😂😂
Waah😅
Love you khan cha 🤩
Waah tau aap jante ho Hajipur lalganj Vaishali ke bare me ye jaan ke maja aa gya
मिर्ज़ा ग़ालिब - पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है, कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या 😎
तीन ताल, चलती फिरती कोकेन है 💀
How to send letters?
Indore cricket club k opening batsman 😂 but this is very cruel 😢.
1:38:53 😂😂😂😂😂
No 1 podcast
49:42
1:21:05
Jai ho chitthi ke liye address ya mail address kripya bataye agar kisi ko pata ho
Salam sir ❤
ख़ान चा हसी गब्बर का याद दिला दिया. 😊 जय हो, जय हो, जय हो।
jai ho
The entire convo was not about dogs. Very subtle.
1:04:30 Prashant Agraval उपस्थिति दर्ज कराइए भाई!!
हरौली, गरौल, कुरहन्नी, चांदी- धनकी, मझौलिया, घटारो, रीखर, जतकौली, मरवन, बेलसर, महुआ, चपेट, ये सब हाजीपुर के आसपास के गांव के नाम है
गुरौल
हम सराय से ।
@@sahilkumar8495
चिट्ठी लिखो गुरु, बताओ कैसे सराय वाले हाईवे का मोटा मुआवजा पाए है
भगवानपुर से भाई❤
@@rishavrajsingh6208 जय हो
Jay ho jay ho jay ho
नेताजी वाला काम कल्पनाथ राय भी किया करते थे वो जब किसी गाँव मे जाते तो किसी लोकल को साथ ले लेते और उसका काम बस ये होता था कि सामने जो आदमी आता दिखे उसका नाम धीरे से बोल देता था और फिर वो अपने तरीके से उम्र के हिसाब से दादा काका जोड़कर उनका हाल चाल लिया करते थे और गांव के लोग खुश की मंत्री जी हमे जानते है
22:47 "जो कुत्ते लोग पालते हैं" 😂😂
ये सही था। कुत्ते ही पालते हैं लोगों को।
By the way, मेरा मानना है कि कुत्ते पालने वाले सभी इंसान स्वार्थी होते हैं।
आखिर कुत्ते को क्या फायदा है इंसान द्वारा पाले जाने से? उनको तरह तरह की बीमारियां होती हैं घर में रहने के कारण।
चलिए इसपर एक Email वाली चिट्ठी ही लिखता हूं। ये बहुत कॉन्ट्रोवर्शियल मुद्दा है लोगों के लिए और इसमें तो मेरा View ऐसा है कि 1000 में 1 भी शायद agree ना करे।
उनको तरह तरह की बीमारियां होती है ये आपने जिस रिसर्च में पढ़ा है उसका लिंक चिपका दीजिए। कुत्ता पालने वाले इंसान स्वार्थी नही होते है, प्रेमी होते है।
Parichay film me Jaya bhaduri hi hai. Tau ne bilkul sahi kaha tha.
Tau called out BRAH ❤
मजहर खान जीनत अमान के पति रहे मरने तक, जय हो जय हो जय हो, शैलू बाबा की ओर से
Wat an analogy
Coins are flashback moments for me
जाती , पेहचान या परिचय का इस्तेमाल लोग सुरक्षित महसूस करने के लिये करते है, ये इस बात का लक्षण है कि आपकी व्यवस्था (न्याय , शासन या सामाजिक ) पर लोग पुरी तरह से विश्वास नही करते और जीवन में अन्य आधार कि खोज कर रहे है.
Tau bahut kamaal h. Sardaar aapto sambhale h show ko. Par pls khan cha ko bi bolne diya kijiye. Wo kbi ek shabd bolte hi h ki aaplog ignore krke bolne lgte h to wo chup ho jate h fauran se hi.