तुम शरीर और मन से परे हो ! अवधूत गीता ! दत्तात्रेय कृत

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.ย. 2024

ความคิดเห็น • 12

  • @suvarnashelke8573
    @suvarnashelke8573 หลายเดือนก่อน +2

    श्री गुरुदेव 🙏🏻

  • @dilipthakkar1433
    @dilipthakkar1433 วันที่ผ่านมา

    જય ગુરુદેવ નમન સાદર વંદન પ્રણામ.

  • @vipulchaturvedi996
    @vipulchaturvedi996 2 หลายเดือนก่อน +2

    Brama styam kewalam
    Dhanyawad.

  • @santoshgoel2769
    @santoshgoel2769 2 หลายเดือนก่อน +1

    Om Namah narayan

  • @Krishna33-q1l
    @Krishna33-q1l 2 หลายเดือนก่อน

    ♥️🙏

  • @rishi1613
    @rishi1613 2 หลายเดือนก่อน +2

  • @ashudevi6444
    @ashudevi6444 2 หลายเดือนก่อน

    He guru apko koti koti pranam

  • @subirdey4495
    @subirdey4495 2 หลายเดือนก่อน

    ❤ Radhey Radhey ji

  • @ShahajiBhosale-xw7rp
    @ShahajiBhosale-xw7rp หลายเดือนก่อน

    Dfferce..colour..of..cow...milk..is..white..

  • @suncitybalaghat
    @suncitybalaghat 2 หลายเดือนก่อน

    प्रणाम अलखनिरंजन पात्र को मिल जाता है पर पिछे रहनें पर शंका क्यों , और उसमें लाभ हानीं क्यू ? मार्गदर्शन करियेगा प्रणाम 🙏
    महात्मन प्रणाम 🙏 मैं इस मार्ग पर चलनें की कोशिश कर रहा हूँ पर मुझे आजतक द्वैत और अद्वैत समझ नहीं आया है , विराट पर फिर भरोसे में शंशय क्यों होना चाहिये अज्ञानीं हूँ महात्मन शब्द में आपको समझा पाया हूँ प्रणाम 🙏 मार्गदर्शन करियेगा प्रणाम 🙏

    • @throughgeetslenses
      @throughgeetslenses 2 หลายเดือนก่อน +1

      यह अद्वैत का ज्ञान , श्रवण और सत्त मननन करते रहने से , प्रभु कृपा से अपने आप घाट जाता हैं ऐसा मेरा मत हैं । अपने प्रश्नों का स्वयं हाल खोजो , किसी के बताने से वह मन की एक और वृत्ति बन जाती हैं , और यह आत्म ज्ञान अनुभव का विषय है जिसको शब्दों से केवल संकेतिक किया जाता है। प्रभु मार्ग दर्शन करते है अगर आपकी जिज्ञासा त्रिव है तो ।
      आप दर्पण में अपने दर्शन करते है वैसे ही शास्त्र दर्पण तुल्य है जो आपको स्वयं अपने स्वरूप का दर्शन कराते हैं ।
      अयम आत्मा ब्रह्म 🙏🏽🕉️

    • @suncitybalaghat
      @suncitybalaghat 2 หลายเดือนก่อน +1

      प्रणाम महात्मन 🙏