Girnar Parvat Darshan LIVE सम्पूर्ण गिरनार दर्शन यात्रा Girnar Junagarh Parikrama गुरु दत्तात्रेय
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- เผยแพร่เมื่อ 27 ส.ค. 2024
- Sanjeev Kumar Gupta shot this video to shows people thronging with religious spirit.you will witness Shree datta sthan mahatmya darshan ( गुरु दत्तात्रेय स्थान ) from mountain View .In this video Jain Neminath temple is also shown. Mount Girnar is a nice place to visit in Gujarat With 1031 meter height , This is Girnar mountain documentary video showing Junagadh ni parikrama .You will be guided through the difficult route to Junagarh temple.
The girnar ropeway is complete . ગીરનાર પર્વત રોપ-વે 🚠 જૂનાગઢ-ગિરનારનો રોપ-વે તૈયાર
Watch , learn and enjoy !
Disclaimer - This is vlog. This video is not the sale of advertising, sponsorship, or promotions . It does not contain paid promotion. We do not charge for the showing the product. The objective of this video is educational purposes for people. We are unaware and not responsible for prices ,This video is shot at their location. Take care while dealing with anyone and do wisely.
► Location - Girnar, Junagarh Video
► Event -Bhavnath Mela 2017 Maha shiv Ratri Mela
► Production - * Shot by Sanjeev Kumar Gupta ( the owner of channel )
* Camera used in this video - Sony Handycam HDR PJ410
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Being a teacher, it also become my duty to impart knowledge from my teaching experience . Hence I also post educational videos on English language , science models and stage activities.
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#girnar #girnarparvat #Junagarh
We visited 4years back. Its a wonderful experience
Llk
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@@arvindnukshewale1015 ui fq
Aap kis mahine me gaye the, sal bhar me kabhi bhi ja sakate he kya parikrama ke liye
Gh
भगवान नेमीनाथ ने यही से मोक्ष धाम प्राप्त किया है पंचम टोक पर प्रभू के चरण है जय हो प्रभूवर की
*Original Old TV Red marcary, Kali haldi, sulemani stone, antique material call me shadab pathan 7083154313*
नेमीनाथजी गिरनार पर्वत 5 वी टोंक का अर्घ -
नेमिनाथ जिन सिद्ध भये, सिद्ध क्षेत्र गिरनार |
मन वच तन कर पूजहूँ, भव दधि पार उतार ||
ॐ ह्रीं श्री नेमिनाथ जिनेंद्रादि शम्बु प्रद्युम्न अनिरुद्ध इत्यादि 72 करोड़ 700 मुनि गिरनार पर्वत से मोक्ष गये, तिनके चरणारविन्द को मेरा मन, वच, काय से बारम्बार नमस्कार हो, जलादि अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ||
ने भगवान नेमिनाथ moksh कल्याणक भूमि के बार बारंबार नमन
Jai ho neminath bhagwan ki
Jai ho neminath bhagwan ki
Anadi nidhan Jain Dharm ki Jay Shri neminath
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
This is Jain Heritage Center...
Jai bolo neminath bhagwan ki Jai
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
Jai bholenath
@@smbimpex7813 स्वयंभू प्रभु तीनलोकाधिपति श्री 1008 नेमिनाथ भगवान की जय
मंगलं भगवानवीरो, मंगलं गौतमो गणी।
मंगलं कुंदकुंदार्यो, जैन धर्मोस्तु मंगलं।।
जैन धर्म अनादिनिधन है, तीर्थंकर मात्र धर्म तीर्थ का प्रवर्तन करते हैं, जैन धर्म का कोई संस्थापक नहीं,,
विश्व की एक मात्र सनातन परंपरा जैन धर्म की जय जय जय,,,
अभी आज से 81000 साल बाद हमारे उत्सर्पिणी काल के 1st तीर्थंकर भगवान अनंतवीर्य पूरे विश्व में अहिंसा धर्म का प्रसार कर देंगे,,,, जैन धर्म एक चक्र की भांति है, जो अनंता नंत काल से घूमरहा है और अनंतानंत काल तक घूमेगा,,,
बाकी काल्पनिक भगवान और धर्म तो आते ही रहेंगे।
जय जिनशासन
@@arpitjain6879 Bhai Arpit Tu jise bhagvan manta hai uska aahvahan Kar ki vo tumhare liye koi Naya parvat bana de fir vaha apna mandir transfer karle , tum bhi Khush aur hame bhi tumhare ye juth se shanti.
@@smbimpex7813 inko ye nahi malum ki dattatreya bhagwan shri ram ke bhi pehle ke hai , sirf kori baate karenge.
गिरनार जी भगवान नेमीनाथ की मोक्षस्थली है🙏
wah wah #girnaribhomiyo
Thanks giranar parvati darshan jay gurudev datt
Jai ho neminath bhagban ki
Sharma ji bus aise hi Bhai chara kayam rakhe hum 1 maa me 2 Bhai he ❤️❤️❤️❤️
Ambe maa bhagwaan Neminathji ki rakshak devi hai
Jay Ho Baba
जय गुरु दत्त जी नमः कोटि कोटि नमन प्रणाम 🌹🌹🌹🙏
I went on this pilgrimage in the year 1969, 52 years back. Went straight up to Bhagwan Dattatrey Mandir. Very few people went that far those days. Looking at these pictures, everything seems changed. Jai Girnari.
Also Jain temple
Girnar ji humara h
Ye pure bharat ka he Gurudev dutta
Jay ho neminath bhagwaan ki jay ho 🙏🙏🙏
Jay ho neminath bhagwan ki jay ho🙏🙏🙏
नेमीनाथजी गिरनार पर्वत 5 वी टोंक का अर्घ -
नेमिनाथ जिन सिद्ध भये, सिद्ध क्षेत्र गिरनार |
मन वच तन कर पूजहूँ, भव दधि पार उतार ||
ॐ ह्रीं श्री नेमिनाथ जिनेंद्रादि शम्बु प्रद्युम्न अनिरुद्ध इत्यादि 72 करोड़ 700 मुनि गिरनार पर्वत से मोक्ष गये, तिनके चरणारविन्द को मेरा मन, वच, काय से बारम्बार नमस्कार हो, जलादि अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ||
@@prerakjain1236 kya aap girnar gye h
छान मस्तच सुंदर अप्रतिम आहे निसर्ग सौंदर्य 🙏🌹
जय श्री सद्गुरू देवदत्त
जय गिरणारी 🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹
*Original Old TV Red marcary, Kali haldi, sulemani stone, antique material call me shadab pathan 7083154313*....
Shripad vallab digambara🙏🏽🌹 dattaguru bhavtaap haru.
Feel so blessed today. Bohot aabhar.🙏🏽
*Original Old TV Red marcary, Kali haldi, sulemani stone, antique material call me shadab pathan 7083154313*
Jai ho neminath bhagwan ki jai ho
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Jay girnari
Jay shree ram ki jay
Jai satya sanatan dharam ki. Jai Hind. Jai Hindutv.
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
Jai Neminath ,jai vardatt muni,girnarji jain tirth hai jain hi रहेगा
Jai jai neminath
W3tiijcnkllcbvl
Jai Jinendra, Jai Girnar
om shiv om shiv sabko jay girnath
Jay guru datt🙏🙏🙏🌷🌼🌹🌺
Girnar ji belongs to Jain community as said by the court of law
जैन एक मत है धर्म नहि
Where and when , these lies will further alienate you from the temple itself.
Jai jinendra
Jai Neminath
Kdk bhai
अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त.
Girnar ji is and was the place of jains
Girnaar jaino ka hai jaino ka tha or jaino ka hi rhega
Jai neminath
jay girnar har har mahadev
जय जय नेमिनाथ
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
नेमीनाथजी गिरनार पर्वत 5 वी टोंक का अर्घ -
नेमिनाथ जिन सिद्ध भये, सिद्ध क्षेत्र गिरनार |
मन वच तन कर पूजहूँ, भव दधि पार उतार ||
ॐ ह्रीं श्री नेमिनाथ जिनेंद्रादि शम्बु प्रद्युम्न अनिरुद्ध इत्यादि 72 करोड़ 700 मुनि गिरनार पर्वत से मोक्ष गये, तिनके चरणारविन्द को मेरा मन, वच, काय से बारम्बार नमस्कार हो, जलादि अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ||
दर्शन कर धन्य हो गया मैं तो
HII SUPER
Om Shri Datta Gurunche Smaran Kara Jagi Parmeshwar Tochi Kharach.Om Shanti.
अवधुत चिंतन श्रीगुरुदेव दत्त 🙏🙏
Naminath bagvn. ki jai ho
अनादिनिधन शाश्वत अर्थात जिसका न कोई आदि है न अंत तथा जिसका निर्माण किसी ने न किया हो । जैन धर्म के अनुसार यह सृष्टि अनादिकाल से है अनंतकाल तक रहेगी। इसमें दो रूपों में काल परिवर्तन होता है
1 अवसर्पणीकाल
2 उत्सर्पणी काल
ये दो कालों को क्रमशः 6-6 कालों में वांटा गया है।
हर उत्सर्पणीकाल के बाद अवसर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल के बाद उत्सर्पणीकाल आता है तथा यह काल परिवर्तन अनादिकाल से जारी है और अनंतानंत काल तक चलेगा, तथा हर उत्सर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल में धर्म तीर्थं का प्रवर्तन करने 24 -24 तीर्थंकर अनवरत लगातार अनंतानंत आए हैं व आते रहेंगे।
जैन आगम सनातन शास्वत अखण्ड है।
तीर्थंकर भगवान मात्र धर्म का प्रवर्तन करते हैं, जैन धर्म का कोई संस्थापक नहीं है।
इस लोक को न किसी ने बनाया,
न कोई इसे चलता है और न कोई इसे नष्ट कर सकता है।
अभी अवसर्पणी काल चल रहा है इस काल के "प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ" तथा "अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर।"
इसके पहले उत्सर्पणी काल के 24 तीर्थंकर "प्रथम श्री केवलज्ञानी जी" तथा "अंतिम श्री संप्रतिस्वामि जी।"
भविष्य के उत्सर्पणीकाल के तीर्थंकर में "प्रथम पद्मनाभ स्वामी" अंतिम "श्री भद्रंकरस्वामी जी।"
इस प्रकार जैनागम अनंतानंत काल तक रहेगा।
Excellant very happy Gurudeo Datta
Jai Sri krisna Jai Dwarikadheesjiki
JAI GURU DATTATREYA
SIVAYA GURAVENAMAH
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Jai neminath bhagvan ki jai
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
Jai yadu kul gorv तीर्थंकर महा रिसी नेमिनाथ भगवा न की जय
Jay gurudev datta jay jinendra jay shree krishna
बहेतरीन सेवा है गूरु दत्त का दर्शन
सम्पूर्ण गुरुशिखर दर्शन का आनंद लें : शानदार जगह यादगार यात्रा : Gurushikhar Darshan Yatra , Mt. Abu th-cam.com/video/r-YaIpSCBvY/w-d-xo.html
दिलवाड़ा जैन मंदिर के रहस्य Dilwara Jain Temples : Incredible Secrets Of Temple In India. th-cam.com/video/T_Tqir3sccY/w-d-xo.html
जैन मंदिरों के दर्शन करें वीडियोज़ Videos of Jain Temples In India goo.gl/b77C1J
भारत के और मंदिरों के दर्शन goo.gl/sFBNHD
यह दत्ता का नही जैनो का मंदिर है यह पर तो तुम लोग कब्ज़ा कर रहे हो
@@AbhishekJain-mp1iu tum logo ne chorichpi mandir banaya tu pura parvat tumhara ho gya. Ise chori pe sinajori bolte hai.
We, the full family had visited ,in 1974...we had counted 1,50,000 steps in all ....thanks brother to upload ..!
जय दत्तात्रेय भगवान की जय
जय गुरु दत्तात्रेय।
Thanks sanjeev kumar gharpe bethakehi aapne girnar darshan karvaya
पूजा जी ,
गिरनार दर्शन की याद , एक एक पल मुझे नहीं भूलता | वो माहौल ही कुछ ऐसा था जैसे कि स्वर्ग के रास्ते से गुजर रहा हूँ ..और भगवन से मिलूँगा |
सम्पूर्ण गुरुशिखर दत्तात्रेय दर्शन का आनंद लें : शानदार जगह यादगार यात्रा : Gurushikhar Dattatreya Darshan Yatra , Mt. Abu th-cam.com/video/r-YaIpSCBvY/w-d-xo.html
Jay ho happy good morning Jay Girnari
सम्पूर्ण गुरुशिखर दर्शन का आनंद लें : शानदार जगह यादगार यात्रा : Gurushikhar Darshan Yatra , Mt. Abu th-cam.com/video/r-YaIpSCBvY/w-d-xo.html
दिलवाड़ा जैन मंदिर के रहस्य Dilwara Jain Temples : Incredible Secrets Of Temple In India. th-cam.com/video/T_Tqir3sccY/w-d-xo.html
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गिरनारी भरोसा भारी शिखर पर बेठकर खबर लो हमारी 🚩🕉️🙏🔱
Jay
अनादिनिधन शाश्वत अर्थात जिसका न कोई आदि है न अंत तथा जिसका निर्माण किसी ने न किया हो । जैन धर्म के अनुसार यह सृष्टि अनादिकाल से है अनंतकाल तक रहेगी। इसमें दो रूपों में काल परिवर्तन होता है
1 अवसर्पणीकाल
2 उत्सर्पणी काल
ये दो कालों को क्रमशः 6-6 कालों में वांटा गया है।
हर उत्सर्पणीकाल के बाद अवसर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल के बाद उत्सर्पणीकाल आता है तथा यह काल परिवर्तन अनादिकाल से जारी है और अनंतानंत काल तक चलेगा, तथा हर उत्सर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल में धर्म तीर्थं का प्रवर्तन करने 24 -24 तीर्थंकर अनवरत लगातार अनंतानंत आए हैं व आते रहेंगे।
जैन आगम सनातन शास्वत अखण्ड है।
तीर्थंकर भगवान मात्र धर्म का प्रवर्तन करते हैं, जैन धर्म का कोई संस्थापक नहीं है।
इस लोक को न किसी ने बनाया,
न कोई इसे चलता है और न कोई इसे नष्ट कर सकता है।
अभी अवसर्पणी काल चल रहा है इस काल के "प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ" तथा "अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर।"
इसके पहले उत्सर्पणी काल के 24 तीर्थंकर "प्रथम श्री केवलज्ञानी जी" तथा "अंतिम श्री संप्रतिस्वामि जी।"
भविष्य के उत्सर्पणीकाल के तीर्थंकर में "प्रथम पद्मनाभ स्वामी" अंतिम "श्री भद्रंकरस्वामी जी।"
इस प्रकार जैनागम अनंतानंत काल तक रहेगा।
बाकी काल्पनिक देवी देवताओं को मानने बाले धर्म तो आते जाते रहते हैं।
जैनागम की जय
जिनेन्द्र भगवान की जय
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks for giving Girnar darshan and guidelines sir Jai Girnari
Shree Gurudev Datta 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏 Jai Guru Datta 🙏
This mountain belongs to Jainism.Jain's forever..
JAI JINENDRA
@@neilraj8897 U can't change history
Jain's are not coward u ppl are coward so u r capturing Jain heritage
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
भगवान दत्तात्रेय अनादी है अनंत है. वह तो नेमिनाथ आदी मुनीजनों के भी बुद्धीदाता है. तो सबसे पुराने ईश्वर को निर्बुध्द कहना अज्ञानी बालक कहना अपने अहंकार की परिसीमा है, जीनकी लीलाएँ समझ नही आती कम से कम अपनी बाल्यबुध्दी से उनको नापने की कोशीश तो ना करो.
Jai hoo bhagwan neminath ki
Guru Duttatrerya krupa...
*Original Old TV Red marcary, Kali haldi, sulemani stone, antique material call me shadab pathan 7083154313*....
@Bharat Wadkar Jain अनादिनिधन शाश्वत अर्थात जिसका न कोई आदि है न अंत तथा जिसका निर्माण किसी ने न किया हो । जैन धर्म के अनुसार यह सृष्टि अनादिकाल से है अनंतकाल तक रहेगी। इसमें दो रूपों में काल परिवर्तन होता है
1 अवसर्पणीकाल
2 उत्सर्पणी काल
ये दो कालों को क्रमशः 6-6 कालों में वांटा गया है।
हर उत्सर्पणीकाल के बाद अवसर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल के बाद उत्सर्पणीकाल आता है तथा यह काल परिवर्तन अनादिकाल से जारी है और अनंतानंत काल तक चलेगा, तथा हर उत्सर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल में धर्म तीर्थं का प्रवर्तन करने 24 -24 तीर्थंकर अनवरत लगातार अनंतानंत आए हैं व आते रहेंगे।
जैन आगम सनातन शास्वत अखण्ड है।
तीर्थंकर भगवान मात्र धर्म का प्रवर्तन करते हैं, जैन धर्म का कोई संस्थापक नहीं है।
इस लोक को न किसी ने बनाया,
न कोई इसे चलता है और न कोई इसे नष्ट कर सकता है।
अभी अवसर्पणी काल चल रहा है इस काल के "प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ" तथा "अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर।"
इसके पहले उत्सर्पणी काल के 24 तीर्थंकर "प्रथम श्री केवलज्ञानी जी" तथा "अंतिम श्री संप्रतिस्वामि जी।"
भविष्य के उत्सर्पणीकाल के तीर्थंकर में "प्रथम पद्मनाभ स्वामी" अंतिम "श्री भद्रंकरस्वामी जी।"
इस प्रकार जैनागम अनंतानंत काल तक रहेगा।
बाकी काल्पनिक देवी देवताओं को मानने बाले धर्म तो आते जाते रहते हैं।
जैनागम की जय
जिनेन्द्र भगवान की जय
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय गिरनार 🕉
श्री स्वामी समर्थ 🙏🙏🙏
Bahoot khub.Very good attempt. Thanks.
Wonderful place one has to visit once at least in life
👌👌👌
💯👌👌
જય ગીરનારની
જય બાપા સીતારામ
Jai Ho nemi rajul ki
Jay Girnari Guru Dev Datt
jay guru dattatrey
..
जय मां भगवती मां अंम्बै माताजी
जय गिरनारी
ॐ जय श्री गुरु द्त भगवान
Very nice videograhy
जय नेमिनाथ
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
Nemi nath ki खयाति se pando पुजारियों भि kariyo ka bharan 3:41 posan ho rha hai jai ho
i visited before 5years alongwith my children verymuch wonderful GOD blessing adventure
नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ भगवान
Om nmhashivaya🙏🙏🙏🙏🙏
Jay girnar
Jay shree ram
तीन लोक के नाथ ,सभी देवो के देव मोक्षगामी,सिद्ध भगवान,हे जिनेश्वर, श्री श्री श्री 1008 तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान कि जय... जय ... जय... जय... जय.... जय... जय... जय... जय.... हो.. हो... हो ... हो... हो...हो नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु भगवान.🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@@arpitjain6879 जय जिनेंद्र देव कि भय्याजी 🙏
@@bharatwadkarjain8628 🙏🙏जय जिनेन्द्र जी
जय गिरनारी
Avadhoot chintan jai guru dutt
Avdhut chintan shrre guru dev datt🙏
बहुत अच्छा किया सरजी र्घोडे के साथ साथ गिरनार दर्शन घडा या
1 Jan_ 2020 amhi jaun alo. chan darshan zale 🌹
amhi jaun al0 mastach👍
मस्त, सुंदर, जय श्री गुरुदत्त
Where are you from ???
Jya om nm sievhaya
Om nmh shivayh
girnar Jane ka Kabhi Moka Nagi Mila lekin aap ke is video mein hunne pura girne dekh liya thanks
jai girnari
SANJEEV KUMAR GUPTA 👊👊👊👊👊👊
😉
सम्पूर्ण गुरुशिखर दर्शन का आनंद लें : शानदार जगह यादगार यात्रा : Gurushikhar Darshan Yatra , Mt. Abu th-cam.com/video/r-YaIpSCBvY/w-d-xo.html
सम्पूर्ण गुरुशिखर दर्शन का आनंद लें : शानदार जगह यादगार यात्रा : Gurushikhar Darshan Yatra , Mt. Abu th-cam.com/video/r-YaIpSCBvY/w-d-xo.html
Jay Neminath dada
सम्पूर्ण गुरुशिखर दर्शन का आनंद लें : शानदार जगह यादगार यात्रा : Gurushikhar Darshan Yatra , Mt. Abu th-cam.com/video/r-YaIpSCBvY/w-d-xo.html
दिलवाड़ा जैन मंदिर के रहस्य Dilwara Jain Temples : Incredible Secrets Of Temple In India. th-cam.com/video/T_Tqir3sccY/w-d-xo.html
जैन मंदिरों के दर्शन करें वीडियोज़ Videos of Jain Temples In India goo.gl/b77C1J
भारत के और मंदिरों के दर्शन goo.gl/sFBNHD
Om namah shivaya..🙏🙏🙏🙏🙏
Shree Gurudev Datt. Jai Girnari ji.🇮🇳🇮🇳🇮🇳
रिसवदेब से बाईस्बे नेमिनाथ किशन के भाई महरिसी यादव कुल भूषण तीर्थंकर नेमिनाथ की जय
🙌JAY BHOLE🙌
मैं सोलापूर महाराष्ट्र से हू 2019 मैं जून मे सफर किए थे. 10000 पायरी चढणे मैं पुरा एक दिन गया.
मी हा ट्रेक साडे सहा तासात पूर्ण केला 2018 ला अती सुंदर आहे
Little cosmic chaos, nothing in order, but everything falls in place. Messed up but mesmerising. Divine place. Sri Gurudeva Datta
*Original Old TV Red marcary, Kali haldi, sulemani stone, antique material call me shadab pathan 7083154313*.....
Winter me every Sunday Jaya karte the jab Junagadh me college karte the
Saalo beet Gaye
Vapas darshan karvane k liye or purani yaade taaza karvane k liye
Dill se thank you brother
Hearty thanks
you and your friends did a good job
I really happy to your job
your wonder job was memorable
Very good quality video thank u sanjeev kumar ji
हर हर महादेव जय शिवगोरक्ष
नाथ जोगीजनों (योगीजनों ) ने दहाड लगाई
पियों सिद्धों उन्मूनी प्याला
सबसें ऊँचे शिखर विराजै शिवगोरख बाला
ॐसत नमों आदेश, अलख आदेश ॐ आदेश
नव नाथ चौरासी सिद्धों कों आदेश आदेश
जय गिरनार
इस दुनिया में प्रचलित कोई भी धर्म व उससे संबंधित लोग , जो अपने इष्ट को अपना और इस सृष्टि का करता,इस सृष्टि का संचालक और उसे स्वयं का विनाशक मानकर उनकी पूजा करते हैं ,
भगवान को प्रसन्न करने के लिये ही उनकी हर क्रियाएं होती हैं किन्तु क्या सचमुच इस सृस्टि का किसी ने निर्माण किया, क्या कोई सचमुच इसका कोई संचालन करता है , क्या कोई सचमुच इस सृस्टि का विनाशक है, क्या सचमुच कोई ईश्वर अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसका इष्ट अनिष्ट करता है ,
यदि हां तो इस सृष्टि के निर्माण करने वाले का निर्माण किसने किया , और उसे हम सबको बनाने का अधिकार किसने दिया और उसने हमें कहां बैठकर बनाया ,,,,,और सबसे महत्वपूर्ण क्यों बनाया, मात्र खेल खेलने के लिये। और इतनी असमानता क्यों सबको सुखी क्यों नहीं बनाया,,और भला हमें परेशान देखकर उसको मजा आ रहा,
कारण के बिना कार्य की सिद्धि नहीं होती ,,,,,
क्या सृष्टि का निर्माण करने वाले नें खिलौने के रूप में हमें बनाया है,,, फिर तो वह दूध पीता बच्चा है , उसके अस्तित्व को स्वीकार कोई बुद्धिमान पुरूष कैसे स्वीकार कर सकता है।
यदि इस सृष्टि का कोई संचालित यदि कोई कर रहा है तो कैसे कर रहा है , कुबुद्धि लोग एसा मानते हैं कि इस सृष्टि का एक पत्ता भी उसके बिना नहीं हिल सकता , तो सृस्टि में होने बाली सभी प्राकृतिक घटना का जिम्मेदार वही हुआ , जैसे कोरोना,कैंसर, HIV aids ,
विश्व में होने वाले सभी Raps आदि आदि सब बही कर रहा है, केवल अपनी प्रसन्नता के लिये , वो एसा क्यों करेगा शक्तिहीनों को परेशान करने वाला तो आततायी कहलाता है , और एक बात सुना है इस धरती पर पापियों का अंत करने जन्म भी लेते हैं किंतु जब वो सबका अन्त करने की जगह उसको सद्बुद्धि भी दे सकता है। फिर यदि उन विचारों को पैदा ही नही करता तो अंत करने का सवाल ही नहीं उठता ।
फिर वो अपनी ही सन्तानों को दुखी करता है क्यों ,,,
एसा इष्ट की संकल्पना करने वाले लोग क्या आपकी दृष्टि में बुद्धिमान हैं,,,,,,,
क्या इस सृष्टि का कोई विनाशक भी है लेकिन कोई क्यो इस धरती का विनाश करेगा
एसा देवता जिसने एक वेजुवान बाघ को मारकर उसकी खाल लपेटी ताकि उसके गुप्तांग न दिखें , क्यों ,, ,,,,
एक छोटे से बच्चे की बातों में आकर उसे अपने त्रिशूल से उडा दिया फिर उसको जब पता चला कि ये उसकी पत्नी ने बनाया व उसपर जान फूक दी ,, फिर उन्हे प्रसन्न करने एक निर्दोष हाथी के बच्चे को मार दिया , और अपने बच्चे को जिन्दा कर लिया , यदि वो सर्वज्ञ थे तो उसे ये क्यों पता नही चला ये उनका बच्चा है,,,??? और वापिस उसी सिर को क्यों नहीं लगाया और
कुबुद्धि लोग कहते हैं,, इन्ही के द्वारा सृष्टि का विनाश होगा और इनकी कृपा दृष्टि पाने लोग इनकी पूजा करते हैं ,,,आखिर इनको एसी शक्ति कैसे कहा और क्यो मिली , ,,,*और ये एक छोटे बच्चे के बाल हठ से क्रोधित होकर तांडव करने लगे थे,, ये बालकों के समान बुद्धि वाले देव कभी भी सृष्टि का विनाश कर देंगे,,,
इनका अस्तित्व कैसे स्वीकारें
और कुबुद्धि लोग इन्हे देवों के देव कहते हैं ; इनका अस्तित्व कैसै स्वीकारें।
और इनके अनुसार उपरोक्त देवों से ही बाकी 33 कोटि देवता उत्पन्न हुए हैं,,,,, कैसे???
वास्तव में धर्म का असली लक्ष्य हमे अपनी आत्मा को प्राप्त करना है।
हमारे धर्म में किसी perticular देव की पूजा उसके नाम से नहीं होती ,,,
"जिसने राग द्वेश कामादिक जीते सब जग जान लिया।
सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निष्पृह हो उपदेश दिया ,,,
"बुद्ध ,वीर,शिव ,हरिहर,ब्रह्मा,या उसको स्वाधीन कहो "
अर्थात हम भगवान उन्हे उनके गुणो की प्राप्ति के लिये कहते हैं
उनके गुणो की प्राप्ति के लिये करते हैं ,, हमे किसी देव के नाम से नहीं , उनके स्वरूप से मतलब है।
हमारे णमोकार मंत्र में किसी perticular देव की वंदना नहीं है
अरिहंत
सिद्ध
आचार्य
उपाध्याय
साधु
व्यक्ति नहीं पद हैं जो इन्हे प्राप्त कर ले वही हमारा भगवान,,
जय जिनेन्द्र
नेमिनाथ भगवान की जय🙏🙏🙏
अनादिनिधन शाश्वत अर्थात जिसका न कोई आदि है न अंत तथा जिसका निर्माण किसी ने न किया हो । जैन धर्म के अनुसार यह सृष्टि अनादिकाल से है अनंतकाल तक रहेगी। इसमें दो रूपों में काल परिवर्तन होता है
1 अवसर्पणीकाल
2 उत्सर्पणी काल
ये दो कालों को क्रमशः 6-6 कालों में वांटा गया है।
हर उत्सर्पणीकाल के बाद अवसर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल के बाद उत्सर्पणीकाल आता है तथा यह काल परिवर्तन अनादिकाल से जारी है और अनंतानंत काल तक चलेगा, तथा हर उत्सर्पणीकाल व अवसर्पणीकाल में धर्म तीर्थं का प्रवर्तन करने 24 -24 तीर्थंकर अनवरत लगातार अनंतानंत आए हैं व आते रहेंगे।
जैन आगम सनातन शास्वत अखण्ड है।
तीर्थंकर भगवान मात्र धर्म का प्रवर्तन करते हैं, जैन धर्म का कोई संस्थापक नहीं है।
इस लोक को न किसी ने बनाया,
न कोई इसे चलता है और न कोई इसे नष्ट कर सकता है।
अभी अवसर्पणी काल चल रहा है इस काल के "प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ" तथा "अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर।"
इसके पहले उत्सर्पणी काल के 24 तीर्थंकर "प्रथम श्री केवलज्ञानी जी" तथा "अंतिम श्री संप्रतिस्वामि जी।"
भविष्य के उत्सर्पणीकाल के तीर्थंकर में "प्रथम पद्मनाभ स्वामी" अंतिम "श्री भद्रंकरस्वामी जी।"
इस प्रकार जैनागम अनंतानंत काल तक रहेगा।
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Har har Mahadev Om namh shivay
Good video, which enabled mr to know about the trek.
i hd visited Girnaar in 1990.
me now indonesia.....really feel too much joy seeing the video......it changes a lot...Before no shops ,no supporting realing..baas kachcha pakka road,then some steps ,again road.....it was very difficult that time..aaj to uppar tak sab kuchh khane pine ka saman mil raha hai...👍👍👍
Glad to hear that
पर्वत गंदा करो मूर्खो
बहुत सुन्दर दश्रन ह
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अवधूतचिंतन श्रीगुरुदेव दत्त
गिरनार में शिवगोरखनाथ और दत्तात्रेय जी महाराज सतयुग सें विराजमान है
जय भोले शंकर की समस्त प्राणीयों का भला हो।
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Khupch sundar video pratyaksha Kayla milate ka te mahit nahi khup chan Darshan zale dhanyawad
,चार वर्षापूर्वी भेट दिली
खूप सुदंर आहे
मी 9 वर्षापूर्वी
Kiti payrya ahet... . .
@@sumitayawale2011 1000 आहेत भाऊ
मी चौथी च्या वर्गात होतो तेव्हा गेलो होतो आता मी 3rd year ला आहे
ओम श्री गुरुदेव दत्त, दत्त, दत्त