@thefusionbucket unbelievable की उत्तराखंड के इतने सारे लोग रहते है mumbai में तरस जाते हैं उत्तराखंड की बोली भाषा में बात करने के लिए मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था इतनी pablic देख के
मुम्बई जो भी आयोजक उत्तराखण्ड राज्य की संस्कृति धरोहर को संजोने का कार्य कर रहे हैं वो भी उत्तराखंड से सैकड़ों किलोमीटर दूर वे बधाई के पात्र हैं,, भीड़ आयोजन के हिसाब से काफी कम है, क्या वजह होगी समझ से परे है। भूपाल सिंह बिष्ट मेला डायरेक्टर उत्तरायणी मेला बरेली उत्तर प्रदेश।
Namaskar 🙏 Apne time nikal k comment kia uska bht bht shukriya😊🙏 Kauthig me hum week day (Thursday ) ko gye the , hum kafi jaldi (6pm) gye the tb bheed bht kum ti , Lakin dheere dheere pura maidan bhar gaya tha , kafi ache ache programs hue the , kauthig k last day yani weekend (Saturday, Sunday ) pe to bahot he bheed ho gye ti 😊 aur sabhi ane wale logo ne bht enjoy bhi kia. Aise he kauthig yaha aage bhi organise krte rahiyega, kyoki pahado se dur rehne wale hum jaise pahadi logo ko apne culture se judne ka aur apne logo se milne ka 1 sundar avsar milta hai isse bahane 😊🙏
एक तरफ पहाड़ की असली बेटी माया उपाध्याय देश/विदेशों में निर्भीक होकर मंचों पर पहाड़ी भाषा में खुलेआम बातचीत कर अपनी बोली भाषा को बचाने में अग्रदूत बन गई है दूसरी तरफ अनेक पहाड़ी कलाकार मंचों पर अपनी बोली भाषा में बातचीत नहीं कर पा रहे है यानी उन्हें पहाड़ी भाषा बोलनी नहीं आती है। ऐसी स्थिति में ही पहाड़ी लोक गीतकार को मैं पहाड़ों कू रैबासी तू देशावी (देशी) मेडम गीत लिखना पड़ा है। उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के एक आकलन के अनुसार पहाड़ी समाज के जिन युवाओं ने बचपन से ही पूरी तरह से अंग्रेजी मीडियम से स्टडी कर हायर प्रोफेशनल कोर्स किया है वो पहाड़ी भाषा नहीं बोल पा रहे थे लेकिन माया उपाध्याय की नयी पहाड़ी भाषा के आने से वो भी शुरूआती लेवल की पहाड़ी भाषा बोल पा रहे है। दादा/दादी/माता/पिता इन युवाओं के पहाड़ी भाषा न बोल पाने से बेहद चिंतित/उदास थे लेकिन अब उनमें आशा का संचार हुआ है।
Hum chaa uttrakhandi ❤❤❤❤❤❤❤❤
@@PoojaKandari1920 hoy 😍♥️🥳🥳
Bahut sundar 👌
जयदेवभूमि 🙏
@@latapant5477 thank you Maa ♥️♥️😘😘
👍👌👌 very nice vlog,😘😘😍🥰❤️🙋🍨
Thank you so much mumma ❤😊
Wow very nice ❤
@@mayankandtanisha1339 thank you ☺️
Very nice 🎉
@@chandrakishorepant3348 thank you ☺️
Wow! Seems interesting 🎉 will visit soon now
@@ankitasrivastava1681 Yess go , tomorrow is the last day ☺️😘♥️
Jai devbhumi Uttrakhand nice ❤❤❤❤vlog
@@Alex-d3z6n Jai Ho 🙏🙌🏻 thank you so much 😊
❤❤❤❤
@@rinkumehta6780 ☺️♥️😘🙏
❤️❤️
@@ishubhampant ♥️😘
Very nice
@@beenapant7244 thank you ☺️
Jai Uttarakhan.Jai Badrivishal ki
@@pathakbabakumauni Jai Ho 🙏🙌🏻
Loved the efforts
जय बद्री विशाल
Thank you ☺️ 🙏
Didi hum bhi aate the 31 से 9 fab tak सानपाडा और जुई नगर में भी जरूर आइएगा
@@Kedarnath_uttarakhand-j8h hi dear ☺️♥️bilkul Aiyege 🙏☺️
@thefusionbucket unbelievable की उत्तराखंड के इतने सारे लोग रहते है mumbai में तरस जाते हैं उत्तराखंड की बोली भाषा में बात करने के लिए मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था इतनी pablic देख के
Please share the dates
@@pahadikitchen8676 tomorrow is the last day of Kauthig , till 26th Jan
मुम्बई जो भी आयोजक उत्तराखण्ड राज्य की संस्कृति धरोहर को संजोने का कार्य कर रहे हैं वो भी उत्तराखंड से सैकड़ों किलोमीटर दूर वे बधाई के पात्र हैं,, भीड़ आयोजन के हिसाब से काफी कम है, क्या वजह होगी समझ से परे है।
भूपाल सिंह बिष्ट मेला डायरेक्टर उत्तरायणी मेला बरेली उत्तर प्रदेश।
Namaskar 🙏
Apne time nikal k comment kia uska bht bht shukriya😊🙏
Kauthig me hum week day (Thursday ) ko gye the , hum kafi jaldi (6pm) gye the tb bheed bht kum ti , Lakin dheere dheere pura maidan bhar gaya tha , kafi ache ache programs hue the , kauthig k last day yani weekend (Saturday, Sunday ) pe to bahot he bheed ho gye ti 😊 aur sabhi ane wale logo ne bht enjoy bhi kia.
Aise he kauthig yaha aage bhi organise krte rahiyega, kyoki pahado se dur rehne wale hum jaise pahadi logo ko apne culture se judne ka aur apne logo se milne ka 1 sundar avsar milta hai isse bahane 😊🙏
एक तरफ पहाड़ की असली बेटी माया उपाध्याय देश/विदेशों में निर्भीक होकर मंचों पर पहाड़ी भाषा में खुलेआम बातचीत कर अपनी बोली भाषा को बचाने में अग्रदूत बन गई है दूसरी तरफ अनेक पहाड़ी कलाकार मंचों पर अपनी बोली भाषा में बातचीत नहीं कर पा रहे है यानी उन्हें पहाड़ी भाषा बोलनी नहीं आती है। ऐसी स्थिति में ही पहाड़ी लोक गीतकार को मैं पहाड़ों कू रैबासी तू देशावी (देशी) मेडम गीत लिखना पड़ा है। उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के एक आकलन के अनुसार पहाड़ी समाज के जिन युवाओं ने बचपन से ही पूरी तरह से अंग्रेजी मीडियम से स्टडी कर हायर प्रोफेशनल कोर्स किया है वो पहाड़ी भाषा नहीं बोल पा रहे थे लेकिन माया उपाध्याय की नयी पहाड़ी भाषा के आने से वो भी शुरूआती लेवल की पहाड़ी भाषा बोल पा रहे है। दादा/दादी/माता/पिता इन युवाओं के पहाड़ी भाषा न बोल पाने से बेहद चिंतित/उदास थे लेकिन अब उनमें आशा का संचार हुआ है।
Very nice
Thank you so much ❤😊