पूजनीय आचार्य जी सादर प्रणाम, धन्य हैं आप और हम शोभाग्यशाली हैं जो आपकी रचना प्रशान्तराघवम् नाटक पर शोध करने का अवसर मिला और अलौकिक अनुभव के साथ विद्यावारिधि उपाधि हेतु आपका आशीर्वाद एंव सहयोग बराबर मिलता रहा।
गुरुजी कुछ नेट परीक्षा संदर्भिक साहित्य की तैयारी के लिये भी आप हमे संकेतरुपी मुख्या श्लोक सहित कुच तैयारी का भी वीडियो बनाकार हमपर अपना आशीष प्रदान कीजिये ।
मैं स्वयं ही टीचर हूं संस्कृत की टीचर हूं किंतु आप का जो समझाने का तरीका है बहुत ही अच्छा है मुझे तो बहुत अच्छा लगा आपका समझाने का तरीका हालांकि मैं भी अपना हिंदी वितान नाम से यह चैनल चलाती हूं किंतु आज मैं आप से पढ़ रही हूं और आपकी सब्सक्राइब अभी बन गई हूं मुझे मालिनी छंद समझ में नहीं आ रहा था किंतु आपने जो उदाहरण दिया सर सीजन विद अभिज्ञान शाकुंतलम् से मुझे वह पहले से आता था और मैं अब यह जान गई हूं कि अगर कोई मालिनी छंद आएगा तो मैं उस पद को गाकर के समझ जाऊंगी कि अगला पद अगर उसी तरह से गाया जा रहा तो वह मालिनी छंद है और आपने जो मालिनी छंद की व्याख्या की वह बहुत ही अच्छी है भोगिलोकै की व्याख्या मुझे बहुत अच्छी लगी आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद अगर आप अपना नंबर देना चाहे तो मैं आपसे बात भी करना चाहूंगी आप वास्तव में बहुत ही विद्वान है आपको प्रणाम
As mentioned at 4:30, how to remember gan ? Here is an Awsome trick to remember one word यमाताराजभानसलगा . All gan are self explained with 3 following characters.
This Chhanda can be recited as the shlokaa "त्वमेव माता..." try it & it will be easy to remember. I like the way you explain all details. Anyone can remember and learn deeply and easily with your video. But try to give more variances in reciting if possible.
बहुत ही सुन्दर कर्णप्रिय श्लोक और उसका अर्थ 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
अत्यंत सुंदर व्याख्यान महाशय। आपका कक्षा के अंत में उपदेश बहुत रोमांचकारी एवं प्रेरणादायी है।
पूजनीय आचार्य जी सादर प्रणाम, धन्य हैं आप और हम शोभाग्यशाली हैं जो आपकी रचना प्रशान्तराघवम् नाटक पर शोध करने का अवसर मिला और अलौकिक अनुभव के साथ विद्यावारिधि उपाधि हेतु आपका आशीर्वाद एंव सहयोग बराबर मिलता रहा।
नमन गुरुदेव!! 🙏🏼🙏🏼 ... बहुत ही सुन्दर वर्णन 🌷🌷
पूज्यनीय आचार्य जी, बहुत ही सुंदर मन्त्र।
शत शत नमन🙏
कोटि कोटि नमन आचार्य जी आपको
अद्भुत 👌👌👌👌👌
आपकी वाणी बहुत मधुर है।
Too good. I don't have words to express myself. Just superb.
टंटं टटंटं.... 👏👏👏👏👏👏👌👌👌👌
Very good 🎉
प्रेरणास्पद
अतिशोभनम्
कोटि कोटि प्रणाम
गुरु जी दोधक छन्द की वीडियो भी बनायें
गुरुजी कुछ नेट परीक्षा संदर्भिक साहित्य की तैयारी के लिये भी आप हमे संकेतरुपी मुख्या श्लोक सहित कुच तैयारी का भी वीडियो बनाकार हमपर अपना आशीष प्रदान कीजिये ।
आपका बहुत -बहुत आभार 🙏🏼🙏🏼🌷🌷
Sir প্রণাম নেবেন 🙏খুব সুন্দর লাগলো
🙏🙏🙏🌹
pranam gurdev
यमाताराजभानसलगा से गुण चिन्ह लगाए जाते हैं
गण
सर बहुत सुंदर
मैं स्वयं ही टीचर हूं संस्कृत की टीचर हूं किंतु आप का जो समझाने का तरीका है बहुत ही अच्छा है मुझे तो बहुत अच्छा लगा आपका समझाने का तरीका हालांकि मैं भी अपना हिंदी वितान नाम से यह चैनल चलाती हूं किंतु आज मैं आप से पढ़ रही हूं और आपकी सब्सक्राइब अभी बन गई हूं मुझे मालिनी छंद समझ में नहीं आ रहा था किंतु आपने जो उदाहरण दिया सर सीजन विद अभिज्ञान शाकुंतलम् से मुझे वह पहले से आता था और मैं अब यह जान गई हूं कि अगर कोई मालिनी छंद आएगा तो मैं उस पद को गाकर के समझ जाऊंगी कि अगला पद अगर उसी तरह से गाया जा रहा तो वह मालिनी छंद है और आपने जो मालिनी छंद की व्याख्या की वह बहुत ही अच्छी है भोगिलोकै की व्याख्या मुझे बहुत अच्छी लगी आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद अगर आप अपना नंबर देना चाहे तो मैं आपसे बात भी करना चाहूंगी आप वास्तव में बहुत ही विद्वान है आपको प्रणाम
Ty sir bhut badiya
श्यामाद्रि से श्यामल वर्ण वाले
सीरी सुगंधाकर संग सोभे
सर्वांग पीतांबर श्रेष्ठ भाता
मानो समाया अलि कर्णिका में।
सर यह मैंने स्वयं रचा है
अन्वय कैसे करें।इसपर भी वीडियो बनाये
Dhanywad sir
तगण तगण जगण गण गण ऽऽ। ऽऽ। ।ऽ। ऽ ऽ
As mentioned at 4:30, how to remember gan ? Here is an Awsome trick to remember one word यमाताराजभानसलगा . All gan are self explained with 3 following characters.
Please explain this video to me I can’t understand Hindi very well
गुरु जी कुल मुख्या छन्द कौं कौं से हैं ।एवं अन्य और मुख्या मिला कर कितने छंद हैं
धन्यवादाः गुरवे
This Chhanda can be recited as the shlokaa "त्वमेव माता..." try it & it will be easy to remember.
I like the way you explain all details. Anyone can remember and learn deeply and easily with your video. But try to give more variances in reciting if possible.
What is its origin? Rigveda?