Meaning of the mantra “na tasya pratimā asti” | “न तस्य प्रतिमा अस्ति” मन्त्र का अर्थ | Hin

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 มิ.ย. 2024
  • क्या “न तस्य प्रतिमा अस्ति” (शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिन संहिता, ३२.३) मन्त्र में ईश्वर के आकार और मूर्ति का निषेध है, जैसा दयानन्द सरवती सदृश आर्यसमाजी और ज़ाकिर नायक जैसे अन्य मतावलम्बी कहते हैं? अथवा क्या यहाँ प्रतिमा का अर्थ मूर्ति नहीं है? आइए जानें सन्दर्भ और अनेक भाष्यों सहित इस मन्त्र के अर्थ को।
    न तस्य प्रतिमा अस्ति यस्य नाम महद्यशः।
    हिरण्यगर्भ इत्येष मा मा हिꣳसीदित्येषा यस्मान्न जात इत्येषः॥ ३२.३॥
    00:00 प्रस्तावना
    00:56 सन्दर्भ और अर्थ
    02:51 प्रतिमा शब्द के अर्थ
    04:21 उवट और महीधर का भाष्य
    06:20 पण्डित सातवळेकर का भाष्य
    08:30 आर्य समाज का भाष्य
    11:56 करपात्र स्वामी का भाष्य
    13:29 यजुर्वेद में प्रतिमा शब्द
    17:47 अन्यत्र वेदों में प्रतिमा और प्रतिमान
    20:41 उपसंहार
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ความคิดเห็น • 529

  • @igorgorbechov7696
    @igorgorbechov7696 ปีที่แล้ว +19

    हमारे इतना सामर्थ्यवान ईश्वर निर्गुण निराकार होते हुए भी भक्तों के अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के कारण मूर्ति में भी बिराजमान हो जातें हैं।

    • @unadpotrarahim2006
      @unadpotrarahim2006 ปีที่แล้ว

      🤣🤣

    • @kafir-e-aazam8499
      @kafir-e-aazam8499 ปีที่แล้ว

      @@unadpotrarahim2006 अरे दीनदार (अल्लाह के गुलाम) तू भी 🤣🤣

    • @Ram47988
      @Ram47988 ปีที่แล้ว +1

      @Dharma Jigyasa निर्गुण और सगुण को साकार निराकार नही कहते है। अर्थ का अनर्थ नही करे

    • @Ram47988
      @Ram47988 ปีที่แล้ว

      @Dharma Jigyasa aapke nirgun ke sath sagun kyo nhi likha.

    • @harshtiwari9797
      @harshtiwari9797 ปีที่แล้ว

      पुरुषसूक्त पहला श्लोक । 👏🏻

  • @kusumsharma2565
    @kusumsharma2565 ปีที่แล้ว +15

    प्रणाम नित्यानंद ji ।ऐसी चर्चायें तरुण समाज सुने तो, समाज की अन्य कई समस्याएं भी हाल हो सकती हैं। आप का अभिनंदन व आभार ।

  • @nirajbarot9099
    @nirajbarot9099 ปีที่แล้ว +41

    What a great comprehensive video. I was in university when those videos of zakir Nayak came out. As a young hindu I was lost, and had no answers to gave to my Muslim friends when it came to these scholarly topics. Continue your great work.

    • @deepakkumr
      @deepakkumr ปีที่แล้ว +4

      - 1: अर्जुन ने पूछा - जो आपकीसेवा में सदैव तत्पर रहते हैं, या जो अव्यक्त निर्विशेष ब्रह्म की पूजाकरते हैं, इन दोनों में से किसे अधिक पूर्ण (सिद्ध) माना जाय?
      12 - 2: श्रीभगवान् ने कहा - जो लोगअपने मन को मेरे साकार रूप में एकाग्र करते हैं, और अत्यन्त श्रद्धापूर्वकमेरी पूजा करने में सदैव लगे रहते हैं, वे मेरे द्वारा परम सिद्ध मानेजाते हैं |
      12 - 5: जिनलोगों के मन परमेश्र्वर के अव्यक्त, निराकार स्वरूप के प्रति आसक्त हैं, उनके लिए प्रगति कर पाना अत्यन्त कष्टप्रद है | देहधारियों के लिए उसक्षेत्र में प्रगति कर पाना सदैव दुष्कर होता है |

    • @Aryapurush
      @Aryapurush ปีที่แล้ว +1

      BHAi, yeah nityanand ko khud nahi pata.
      There's no relation of upama with partima.
      If you wanna refute zakir naik you should read satyarth parkash

    • @deepakkumr
      @deepakkumr ปีที่แล้ว

      @@Aryapurush Satyarth prakash tells mother not to breast feed own child. Life on Sun is possible.

    • @manansharma9872
      @manansharma9872 ปีที่แล้ว

      ​@@AryapurushZakir Naik took all his arguments from Oreo samajis themselves, Actual traditional acharyas like Karpatri Maharaj had the exact same interpretation

    • @manansharma9872
      @manansharma9872 ปีที่แล้ว

      ​@@Beast_ik2😂😂😂

  • @pramodagrawal7112
    @pramodagrawal7112 ปีที่แล้ว +4

    आपका प्रयास सराहनीय है, स्तुत्य है। साधु साधु,अतीव उत्तम।
    उल्लू को सूर्य के दर्शन नहीं हो सकते।

  • @DvloperGame
    @DvloperGame ปีที่แล้ว +10

    🕉️ आप को एक सनातनी भाई की ओर से नमन भ्राता श्री🙏🏻

  • @kamalshadija1048
    @kamalshadija1048 6 หลายเดือนก่อน +3

    Excellent, Thank you so much. Jai Shri Krishna

  • @VedicLiterature12
    @VedicLiterature12 ปีที่แล้ว +3

    अतिसुन्दर, धन्यवाद गुरूजी
    मेरे सनातनी मित्रो किर्प्या करके आप सब इस को याद कर ले अथवा अपने मित्रो और गली मोहले मैं शेयर करे।

  • @yt.tathagatachakraborty
    @yt.tathagatachakraborty ปีที่แล้ว +10

    आपने अंत में ‘अप्रतिम’ शब्द का प्रयोग दर्शाया - मुझे आपके इस चलचित्र का शीर्षक देखने के बाद ही यह शब्द का स्मरण हुआ। बोहोत ही सुंदर ढंग से आपने प्रमाणादि प्रस्तुत किया, इसलिए अनेक धन्यवाद।

  • @rajibsarkar5043
    @rajibsarkar5043 ปีที่แล้ว +7

    स पर्य॑गाच्छु॒क्रम॑का॒यम॑व्र॒णम॑स्नावि॒रꣳ शु॒द्धमपा॑पविद्धम्।क॒विर्म॑नी॒षी प॑रि॒भूः स्व॑य॒म्भूर्या॑थातथ्य॒तोऽर्था॒न् व्यदधाच्छाश्व॒तीभ्यः॒ समा॑भ्यः॥८॥
    अकायम अर्थ क्या है?
    Yajurved 40/8

  • @Ramarya14
    @Ramarya14 ปีที่แล้ว +11

    अद्भुत ❤❤

  • @utkarshsharmaji
    @utkarshsharmaji ปีที่แล้ว +11

    Much appreciation for choosing this topic. It can be used as a good forwardable for all such people who misuse this mantra.

    • @Aryapurush
      @Aryapurush ปีที่แล้ว

      There's not a single evidance that partima =upama
      He is misusing it

  • @loversrliars86
    @loversrliars86 ปีที่แล้ว

    Dhanywad 🙏🏻 sadhuwaad

  • @tanumishra407
    @tanumishra407 ปีที่แล้ว +3

    Great orator and sweet voice

  • @user-zy9yt1vq8m
    @user-zy9yt1vq8m ปีที่แล้ว

    आपको धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @nutanpanda6771
    @nutanpanda6771 หลายเดือนก่อน

    Thank you so much Sir

  • @jaswant534
    @jaswant534 ปีที่แล้ว

    Prtima ka bhut hi vidwtapuran arth btaya hai acharay ji ne.

  • @rajeshupadhyay-wu6kv
    @rajeshupadhyay-wu6kv ปีที่แล้ว

    परास्यशक्तिः विविधैः श्रुयते स्वाभाविकी ज्ञानक्रिया बलस्य।

  • @ShyamkishorMishra
    @ShyamkishorMishra ปีที่แล้ว +8

    गणपत्यथर्वशीर्ष में उल्लिखित-“सूर्यग्रहे महानद्यां प्रतिमासन्निधौ वा जप्त्वा सिद्धमन्त्रो भवति”-इस वाक्य में प्रतिमा (= मूर्ति) की सन्निधि में जप करने के विषय में आपका क्या विचार है? मेरे मत से अनादिकाल से ही प्रतिमापूजन सनातनधर्म में मान्य है और निरन्तर प्रचलित है।

  • @igorgorbechov7696
    @igorgorbechov7696 ปีที่แล้ว +5

    वो कैसा ईश्वर है जो मूर्ति में आ नहीं सकती।

    • @butterfly.10855
      @butterfly.10855 ปีที่แล้ว

      Aree hai na muhhamad NE kiya tha na blatkar voh ahishya ka

    • @amrishtripathi3831
      @amrishtripathi3831 ปีที่แล้ว +1

      ​@Ankit JAT tumhare liye murti ki tulna balatkar ke samaksh hai

    • @chessmuch2976
      @chessmuch2976 ปีที่แล้ว

      ​@Ankit JAT 😂😂sahi bola

    • @chessmuch2976
      @chessmuch2976 ปีที่แล้ว

      @Ankit JAT mai Arya Samaji hu😎

    • @HinduPhoenix
      @HinduPhoenix ปีที่แล้ว +1

      @Ankit JAT ये मोरल स्फेयर की बात है, कर सकने की बात नहीं है कर तो कुछ भी सकता है।
      क्या ईश्वर को रोक लोगे कुछ करने से जिसने हर शरीर बनाया है वो तो कुछ भी कर सकता है।
      मनुष्य समझा है क्या ईश्वर को

  • @simpleboy4209
    @simpleboy4209 11 หลายเดือนก่อน +1

    Me agale video ka wait karubga sir

  • @shyamkantverma1262
    @shyamkantverma1262 9 หลายเดือนก่อน +1

    Nityananda ji 🙏 for your Scholarly Analysis , so beautifully explained the meaning of word " Pratima " . This is an ever burning topic . Your Narrative will help and relieve many of us . Your videos are Always a great pleasure and learning . Please keep enlightening us.

  • @BhimRamji29
    @BhimRamji29 ปีที่แล้ว

    धन्यवाद:। 🙏

  • @asj12sonu
    @asj12sonu ปีที่แล้ว

    आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं 🙏

  • @user-mr3lv7oq3e
    @user-mr3lv7oq3e ปีที่แล้ว

    न तस्य प्रतिमा= अप्रतिम =विलक्षण ,विशेष,खास।
    उदाहरण- आप बहुत अप्रतिम लेखक है

  • @prabhatrajput2827
    @prabhatrajput2827 ปีที่แล้ว +8

    आप vaidik physics चैनल पर जाइये और आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी द्वारा ब्राह्मण ग्रंथों के विज्ञान को सुनिये । उन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया है ब्रह्मण ग्रन्थ पर

  • @chandrashekharholla787
    @chandrashekharholla787 6 หลายเดือนก่อน +1

    Fine. A good attempt. It’s explained beautifully. It is useful for those who are quite bent upon diversifying the Truth according to their beliefs. Faith is different lucidly flows over coming such natural words. Words are of limited use when Truth and Faith are at work. Thanks for taking strains to dispel the doubts of Doubters.

  • @aniltiwary7032
    @aniltiwary7032 ปีที่แล้ว

    Superb!

  • @ila140
    @ila140 ปีที่แล้ว +1

    सही सटीक अर्थ बताया बाकी कुछ श्रेष्ठ समाज वाले तो अपने अनुकुल अर्थ करके मिलावटी अर्थ करते ही है

  • @cutestar564
    @cutestar564 ปีที่แล้ว

    Thnkx,,,,

  • @bhartithakur6744
    @bhartithakur6744 ปีที่แล้ว

    Namo 🌺

  • @vanhannu
    @vanhannu ปีที่แล้ว

    Very nice

  • @pankajpandit9731
    @pankajpandit9731 ปีที่แล้ว +6

    बहुत ही अच्छा गुरु जी
    बहुत अच्छे से समझाया आपने ❤❤

  • @VRhwanDanikik
    @VRhwanDanikik 5 หลายเดือนก่อน +1

    Thankyou sir. Some idiots cherry pick our Hindu verses. But still if someone of you may if still confused where does Hindusim permits of Vigraha/Murti Pujan So it's in Srimad Bhagavatam by Ved Vyasa Canto 4 chapt 30 verse 28 ( or just search in chrome ŚB 4.30.28) Where it clearly states God has a expansion form as archavigraha which is made through Clay,Mud or stone. But the point is it's just a reprsentation of the god for spiritual purposes that's does the Vigraha will consist all the characters of God,It's only a way to connect with him. So it is the way/path to god.

  • @rudraksha9330
    @rudraksha9330 ปีที่แล้ว

    साधु साधु
    आपके जैसे सनातन विज्ञानी बहुत ही कम है

  • @lokendrasinghsisodiya9035
    @lokendrasinghsisodiya9035 ปีที่แล้ว

    Honorable sir,
    Please be kind enough to go through Sri Aurobindo's " Ved Rahasya "bcoz Veda can't be understand by word to word but it is listen by Rishis in heart. I appreciate your hard work.

  • @vikramurunkar3581
    @vikramurunkar3581 ปีที่แล้ว

    wonderfully explained, thanks.

  • @caarvaak
    @caarvaak ปีที่แล้ว

    🙏

  • @sidharthasatapathy3491
    @sidharthasatapathy3491 ปีที่แล้ว

    🕉❤🙏

  • @bhinbhinkaka6514
    @bhinbhinkaka6514 ปีที่แล้ว +1

    Namo va

  • @aries5534
    @aries5534 ปีที่แล้ว +1

    Thank paramatma for internet 🙏💪

  • @absmart915
    @absmart915 ปีที่แล้ว

    Sir, do you have any contact for good astrologers for creating janma patrika and getting a date for annaprasanna.

  • @madhavpratapsingh8274
    @madhavpratapsingh8274 ปีที่แล้ว +7

    त्रयंबकम यजामहे
    ऋग्वेद का महा मृत्युंजय मंत्र, अथर्ववेद का श्री गणेश अथर्व शीर्ष स्त्रोत क्या कहता है?
    Ek dantam chatur hastam
    अर्थात वेदों में साकार निराकार दोनों ही उपासना वर्णित है क्योंकि वो सर्वशक्तिमान है साकार भी निराकार भी जैसा चाहे

    • @kshatrapavan
      @kshatrapavan ปีที่แล้ว +1

      सूर्यग्रहे महानद्यां प्रतिमासंन्निधौ वा जप्त्वा सिद्धमंत्रो भवति। - गणपत्यथर्वशीर्षोपनिषद्

    • @madhavpratapsingh8274
      @madhavpratapsingh8274 ปีที่แล้ว +4

      @@kshatrapavan इस नाम का कोई उपनिषद नहीं।
      अथर्वशीर्ष स्त्रोत में ही श्री गणेश के दोनों ही स्वरूपों का वर्णन है। इसका मतलब वो दोनों ही स्वरूपों में हैं भक्तों के लिए साकार और वहीं प्रकृति संचालन में उनकी निराकार शक्ति।
      आप स्वयं स्त्रोत को पढ़ें। 9 वां छंद।
      निराकार समर्थक जिद पूर्वक साकार को नकारता क्यों है वह वेद मंत्रों को भी कुतर्क द्वारा मन चाहा व्याख्यायित कर देता है।
      जबकि एक साकार भक्त ईश्वर के दोनों रूपों को सहर्ष स्वीकार कर उनकी उपासना करता है।
      हमारे सभी पर्व परंपरा भी साकार से जुड़ी हैं समस्त मंदिर भी।

    • @kshatrapavan
      @kshatrapavan ปีที่แล้ว +1

      @@madhavpratapsingh8274 मुक्तिकोपनिषद् मे १०८ उपनिषदोंकि सूचि है, उसी मे गणपत्युपनिषद् अर्थात् गणपत्यथर्वशीर्षोपनिषद् है। उसी मे अन्ततः वचन है "य एवं वेद इत्युपनिषद्"। यह उपनिषद् अथर्ववेदसे संलग्न है। अतः यह वेद का ही भाग है।
      उपरोक्त "सूर्यग्रहे महानद्या प्रतिमासन्निधौ वा जप्त्वा सिद्धमन्त्रो भवति" यह वाक्य उसी के फलश्रुति मे से है। उस मे स्पष्टतः मंत्र को सिद्ध करने का विधान बताय है। सूर्यगहण के समय किसी पवित्र नदी तट अथवा (गणपति कि) प्रतिमा के सामने जप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है।
      अतः वैदिक विधा में भी मूर्तिपूजा का आदेश है।

  • @vipinkumardixit5036
    @vipinkumardixit5036 5 หลายเดือนก่อน

    सत्य लिखा है प्रतिमा का अर्थ है वैसा ही अन्य स्वरूप जैसा मूल रूप में हो ईश्वर को देखने वाले ऋषि मुनि आदि प्रतिमाकार/ मूर्तिकार नही थे एवम किसी प्रतिमाकार/मूर्तिकार ने ईश्वर को देखा नही अथवा देखकर बनाई नही।
    मनुष्य केवल अपनी कल्पना से या ग्रंथों में लिखे विवरण से ईश्वर की मूर्ति बना सकते हैं प्रतिमा नहीं।

  • @mahimanewsomkarlekar6181
    @mahimanewsomkarlekar6181 7 หลายเดือนก่อน +1

    गुरूजी नमस्कार एक सवाल आपसे डायरेक्ट. क्या बेटा बाप को बना सकता है? या बाप बेटे को बना सकता है? सही जवाब चाहिए.

  • @durmada
    @durmada ปีที่แล้ว +2

    Nityananda Mishra ji, could you please record a video on ,,na tasya pratimā asti'' in English? 🙏

  • @hnbhattacharya8761
    @hnbhattacharya8761 ปีที่แล้ว +4

    It means God has no particular form .He can take any form .

    • @naimaakter1958
      @naimaakter1958 7 หลายเดือนก่อน

      So...god is shapeless...that's true...but why does hindu give shape to god...u can pray without shape(murti)

  • @p.iabhivyakti9641
    @p.iabhivyakti9641 ปีที่แล้ว +1

    ...............🙏🙏

  • @shubhammusic98
    @shubhammusic98 ปีที่แล้ว

    नमस्कार नित्यान्द जी, क्या आप कृपया करके कुछ अच्छे संस्कृतम् - हिन्दी अथवा संस्कृतम् - संस्कृतम् शब्दकोश के विषय में सुझाव दे सकते हैं। यहां मैं पुस्तक के विषय में पूछ रहा हूं, किसी अंतर्जाल वेबसाइट के बारे में नहीं।

  • @studies3327
    @studies3327 ปีที่แล้ว +12

    कुछ नया लाइए नित्यानन्द जी, यह सब तो महर्षि दयानन्द ने ही निपटा दिया😌🙏

  • @ijaan108
    @ijaan108 ปีที่แล้ว

    Sir, i would like to know the meaning of bhuranyu... can it be kept as a name and whats the meaning... pls do help

  • @bhagwanmishra7243
    @bhagwanmishra7243 ปีที่แล้ว +20

    यहां ब्रह्म की बात है। अनन्त वै ब्रह्म।अनंत की प्रतिमा हो ही नहीं सकती व्यापाक व्याप्त अदृश्य अगोचर तत्व की प्रतिमा प्रतिमान प्रतीक उपमान प्रति कृति डूप्लीकेट एकोहम् द्वितीयो नास्ति का दूसरा हो हीं कैसे सकता है। धन्यवाद

    • @madhavpratapsingh8274
      @madhavpratapsingh8274 ปีที่แล้ว +8

      😅 और ऋग्वेद का महा मृत्युंजय मंत्र, अथर्ववेद का श्री गणेश अथर्व शीर्ष स्त्रोत क्या कहता है?
      Ek dantam chatur hastam

    • @pankajnerurkar8869
      @pankajnerurkar8869 ปีที่แล้ว +11

      महाराज, आपने भी ब्रह्म के बारे लिखने के लिए शब्द की प्रतिमा बना ही डाली ना ?

    • @bhagwanmishra7243
      @bhagwanmishra7243 ปีที่แล้ว +8

      @@pankajnerurkar8869 यही सत्य है जब वह ब्रह्म त्रिगुण माया प्रकृति के साथ संयोग करता है तो शरीर धारण कर के ब्रह्मा विष्णु महेश सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा बन जाते हैं फिर चुकीं ब्रह्म सबमें व्यापक रूप से है हम पूजा ध्यान कराने के लिए प्रतिमा प्रतीक मूर्तियां बनाते हैं l

    • @adityanathshanatani2133
      @adityanathshanatani2133 ปีที่แล้ว

      ​@@bhagwanmishra7243महाराज जी , त्रिगुणी माया का जो कारण (ब्रह्म) है , वह त्रिगुणी माया के गुणों से भिन्न कैसे रह सकता है ?

    • @abhinnakhale7520
      @abhinnakhale7520 ปีที่แล้ว +3

      @@bhagwanmishra7243ja kr kena upanishad khol lijiye ye abrahmic hate idol k against dikha kr tum koi dharmik sabit nhi ho skte..ese hi tum arya namazi nhi ho.

  • @RohanKumar-xf1mj
    @RohanKumar-xf1mj ปีที่แล้ว

    Dharmo rakshati rakshata ,ye shlok puura hai ya isske aage bhi hai plzz clear krde

  • @AryanTheNoble
    @AryanTheNoble ปีที่แล้ว +2

    क्या सायण और माहीदर के वेदों के भाष्य मान्य हैं?

  • @ashoksinghal5620
    @ashoksinghal5620 ปีที่แล้ว +1

    Thanks for explanation. Just wondering if inclusion of reference to 'Purush suktam' could have been good, which concludes with 'Hrischa te Lakshmish cha Patnyau ---.

    • @Yashpromax
      @Yashpromax ปีที่แล้ว +1

      Yes

    • @Aryapurush
      @Aryapurush ปีที่แล้ว

      Search on Google "agniveer vedas ".your doubts will get resolved

  • @user-zy9yt1vq8m
    @user-zy9yt1vq8m ปีที่แล้ว +1

    ईश्वर सर्वशक्तिमान् होतें है तो एक जीवन रूप क्यों नहीं धारण कर सकता अपने योगमाया के सहारे❓
    जय श्री राम हर हर महादेव🙏🙏🙏🙏🙏

    • @chessmuch2976
      @chessmuch2976 ปีที่แล้ว +3

      Kyuki vo sarvashaktiman hai vo apna har kaam nirakar rehte hue hi kar sakta hai.
      Agar use kuch karne ke liye sakar hona pade to kahe ka sarvashaktiman

    • @user-zy9yt1vq8m
      @user-zy9yt1vq8m ปีที่แล้ว +2

      @@chessmuch2976 jarurat parne par vi sakr rup nehi le sakta?
      Jese ravan jesa Ohonkari parantu sidhya purush Otyachari hojaye tab vi nehi ❓❓bakwaas mat karo vi

    • @user-zy9yt1vq8m
      @user-zy9yt1vq8m ปีที่แล้ว

      @@chessmuch2976 abe Tu to bohut kamina hai👎👎👎👎 kiyun ki Tu bachche ki dimag kharab kar ne bala channel khola hai sirf apne faida k liye 😂😂😂😂

    • @HinduPhoenix
      @HinduPhoenix ปีที่แล้ว +1

      जीवन रूप? स्थूल रूप शरीर की बात कर रहे हो।
      तो करते तो हैं अवतार लेते हैं भगवान स्वयं ईश्वर रूप भी है उनका सगुण साकार रूप जो कि शिव जी हैं।

    • @HinduPhoenix
      @HinduPhoenix ปีที่แล้ว +2

      @@chessmuch2976 नहीं उससे ज्यादा अत्याचारी आज नहीं हैं, रावण के पास जो शक्तियां थी आज वो किसी के पास नहीं हैं।
      और भगवान श्री राम केवल रावण को मारने नहीं बल्कि मनुष्यों को अपने जीवन से शिक्षा देने आए थे।

  • @spiritulafritterer
    @spiritulafritterer ปีที่แล้ว +3

    महोदय, कृपया एक वीडियो यम और यमी पर उठने वाले वामपंथी आक्षेप पर भी बनाइए।

    • @Aryapurush
      @Aryapurush ปีที่แล้ว

      Read arya samaj scriptures

    • @spiritulafritterer
      @spiritulafritterer ปีที่แล้ว

      @@Aryapurush जी, वहां का संदर्भ देखा है ।

    • @vinit1366
      @vinit1366 ปีที่แล้ว

      ​@@AryapurushArya samaj is corrupt

  • @VirendraKumar-yc7qt
    @VirendraKumar-yc7qt ปีที่แล้ว

    Indra ka kya arth kya Indra sakar devta hain sarvatra ved main. Niruktar ka kya mat hain is barae main. Kitnae sthano par ved mantro sae pooranic sidhhant kae kandhan hota hain..Marut ko ved Mae Mrat kaha gaya hain purona kae anusar to devta Amar hain kya reply hain aapka.

  • @marwarikapish
    @marwarikapish ปีที่แล้ว

    ओम् नमस्ते जी, संघटन सही शब्द ही या संगठन, कृपया प्रकाश डालें।

  • @adinathmishra9837
    @adinathmishra9837 4 หลายเดือนก่อน

    कृपा करके मुझे जप स्मरण भजन कीर्तन में अन्तर बतलाबे

  • @govindaaggarwal103
    @govindaaggarwal103 ปีที่แล้ว +2

    🙏🙏🙏
    According to Bhagwat Geeta by Swami Ramsukhkas, he said Nirgun can not be Smagrah because it doesn't allow Gunas but Sagun is Smagrah because there is no "Nishedh" in it.
    I personally feel that indeed Sagun is limited in comparison with Nirgun. However, at the individual level, it is Sagun, which opens up endless possibilities, even that of Nirgun.

    • @knowledgeworld1451
      @knowledgeworld1451 ปีที่แล้ว +2

      nirguna means devoid of bad qualities
      saguna means full of auspicious qualities

    • @piyushdevnath293
      @piyushdevnath293 ปีที่แล้ว +1

      ​@@knowledgeworld1451 bhai madarsa mei padha tha kya😅

    • @Yashpromax
      @Yashpromax ปีที่แล้ว

      @@piyushdevnath293 Allah ko bhi toh dikhta nhi h and bhai jitne bhi abrahamic mazhub h vo bhi issi philosophy mein maante h unhone kya kara h shrishti ka ye tum jaante nhi kya

    • @vivek8580
      @vivek8580 ปีที่แล้ว

      ​@@YashpromaxArre murkh islam sirf nirakar mee maanta hai jbki sanatani dharm nirgun nirakar maanta hai

    • @Yashpromax
      @Yashpromax ปีที่แล้ว

      @@vivek8580 Kya bakwaas kar rha h bhai sanatan dharm saakar aur nirakar dono mein maanta h ab core difference kuch nhi h bhai nirakar ya nirgun nirakar mein

  • @aadityasisode9108
    @aadityasisode9108 ปีที่แล้ว +4

    Murtipuja ved pratipadit nahi hain to ved viruddh bhi nahi hain yagya bhi ek prakar ki murtipuja hi hain hum ved grantho par matha tekte hain to ye bhi murtipuja hi hain
    Rahi baat nirakar aur sakar to ishwar dono rupo main rah sakta hain(ishavasyopnishad mantra 5)
    Bhagwad gita adhyay 12 shlok 1-7 main bhagwan ne hi kaha hain ki nirakar aur sakar dono hi rupo ki upasna ishwar ki hi upasna hain par nirakar ki prapti kathin hain sakar ki prapti saral hain par dono hi ved pratipadit hain
    Om tat sat om gan ganpataye namh jai shri ram har har mahadev🕉️🚩

    • @aadityasisode9108
      @aadityasisode9108 ปีที่แล้ว

      @Shubham ha to tum hi batado gita ke adhyay 12 shlok 1 se 7
      Rahi baat nirakar ki to nirakar ko mana kon kar raha hain ishwar sakar aur nirakar(sarvyapi) dono rupo main hain

  • @sam_mac22
    @sam_mac22 ปีที่แล้ว

    Do u think devta and ishwar is same pl. Coment in somevideo

  • @haqimgautam4833
    @haqimgautam4833 ปีที่แล้ว

    Buddhism is the religion of Atheists.
    Please read book-The "The Buddha and his Dhamma"
    www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/ambedkar_buddha/
    Siddhartha Gautama Mahabhinishkarman
    th-cam.com/video/B37MXvsB_Vc/w-d-xo.html
    बौद्ध धम्म की 22 प्रतिज्ञा
    youtu.be/vurJa
    Hindu to buddhist
    th-cam.com/video/vCB-Sn1iJNw/w-d-xo.html
    नरक में जायेंगें 22 प्रतिज्ञा वाले
    th-cam.com/video/eniuRtW8Gq0/w-d-xo.html
    आजादी की लड़ाई में योगदान
    th-cam.com/video/wZcKHuCpzbI/w-d-xo.html
    हिन्दू राष्ट्र मतलब बराहम्ण राष्ट्र
    th-cam.com/video/oQxNNy7GWpc/w-d-xo.html
    बौद्ध धम्म से पहले कौन सा धर्म था-
    th-cam.com/video/ooQoXLRZpJQ/w-d-xo.html
    यादव,पटेल, गुर्जर
    शूद्र है
    th-cam.com/video/wRgM3426QeQ/w-d-xo.html
    मनुवादी सरकार या EVM सरकार
    लोकतंत्र खत्म
    th-cam.com/video/7GT1Y5_09LA/w-d-xo.html
    नीरज भाई पटेल और 22 प्रतिज्ञा
    th-cam.com/video/R3KoAz6k1fo/w-d-xo.html
    अपने बच्चों कोIAS-IPS स्कैम से बचायें
    th-cam.com/video/ggflLZxfAJ8/w-d-xo.html
    नीरज भाई पटेल की मिसाल न बराहम्ण भोज न अस्थि विसर्जन
    th-cam.com/video/UkMt9tL8m2A/w-d-xo.html
    हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म नहीं है
    ये एक बराहम्ण धरम है और जो ये बराहम्ण धरम है ये धर्म नहीं है बल्कि भारत की मूलनिवासी जनता को विदेशी आर्य बराहम्ण द्वारा परमानेंट गुलाम बनाये रखने का षडयंत्र है।
    इंसान को नीच और गाय के मूत को अमृत मानने वाला सिस्टम धर्म नहीं हो सकता।
    ज्यादा जानकारी के लिये इस वेबसाइट के सभी लेख ध्यान से पढे- yadavshakti.org
    अमेरिका में सवर्ण उतरे जातिवाद के समर्थन में -th-cam.com/video/kdLIeCGfUzA/w-d-xo.html
    हिन्दू शब्द और सुप्रीम कोर्ट
    th-cam.com/video/wwRXvl2wp0k/w-d-xo.html
    यादव शक्ति पत्रिका के सभी लेख ध्यान से पढे - yadavshakti.org
    हिन्दू शब्द आया कहां से
    th-cam.com/video/ZuiN9UtmDgQ/w-d-xo.html
    हिन्दू महिलाओं को अधिकार मतलब हिन्दू कोड बिल
    hindi.feminisminindia.com/2022/06/27/ambedkar-hindu-code-bill-explainer-in-hindi/?amp
    बलात्कार की संस्कृति ब्राहाम्ण धर्म में
    m.facebook.com/149555465103476/photos/a.301975199861501/683866225005728/?type=3
    जन्नत में 72 हूर
    th-cam.com/video/UAIEQ29Nifo/w-d-xo.html
    EVM मशीन मतलब Every vote for Manuvad
    th-cam.com/video/TDeJ5o3ZlEQ/w-d-xo.html
    हिन्दूराज मतलब सवर्ण राज
    th-cam.com/video/jY1tzMi40Vw/w-d-xo.html
    हिन्दू धर्म यानि ब्राहाम्ण धर्म का कानून मनुस्मृति
    th-cam.com/video/B6aBczlUm_g/w-d-xo.html
    सवर्ण मीडिया की हकीकत
    th-cam.com/video/unbXcnXfSYk/w-d-xo.html
    ब्राह्मणवाद क्या है और इसका हिन्दू धर्म से क्या संबंध है
    www.forwardpress.in/2018/10/ambedkar-ki-najar-me-brahmanvad-aur-hindu-dharm-kya-hai/
    ब्राहाम्णों का काला सच
    moolnivasibahujan.blogspot.com/2019/10/blog-post_9.html?m=1
    घाल मेल हिन्दू धर्म का
    th-cam.com/video/DIIp-4mtJmw/w-d-xo.html
    बाबा साहब ने बौद्ध धर्म ही क्यों अपनाया 1
    th-cam.com/video/huEXer5dGVk/w-d-xo.html
    बाबा साहब ने बौद्ध धर्म ही क्यों अपनाया 2
    th-cam.com/video/iaaoBm55hKI/w-d-xo.html
    Shudra to khalsa
    th-cam.com/video/blzfXADfp90/w-d-xo.html

  • @rajanya157
    @rajanya157 ปีที่แล้ว +2

    जो महीधर को प्रमाण माने वह कभी पवित्र नहीँ हो सकता है । महीधर के अनुयायी वेदनिन्दकनास्तिक आर्यद्रोही म्लेच्छानुयायी स्वपक्षक्षयकारक निर्लज्ज पतित। विभिन्नमतोँ मेँ विभक्तविभाजितमूर्खहिन्दू।।

  • @Rohit-Kumar-arya-namaji-ka-bap
    @Rohit-Kumar-arya-namaji-ka-bap 11 หลายเดือนก่อน

    1:38

  • @khushiansari7109
    @khushiansari7109 10 หลายเดือนก่อน

    Itna uljha diya quraan me diractly kha gya h sbko smj aa jayga god is great and god is only one.✍️

  • @arvindjaiswal5359
    @arvindjaiswal5359 ปีที่แล้ว

    Main bhi is ke bare me Janana chahta thanks

  • @shamliarun
    @shamliarun ปีที่แล้ว +1

    कृपया स्पष्ट करें कि आप प्रतिमा के संदर्भ मे ईश्वर की बात कर रहें हैं या देवताओ की?

    • @Aryapurush
      @Aryapurush ปีที่แล้ว

      Kripya shri dyanand ka satyarth parkash padhe aapko PDF mil jayegi

  • @user-lw9wj9rz6q
    @user-lw9wj9rz6q 7 หลายเดือนก่อน

    गुरुजी हम जो अपना कोई गुजर जाने के बाद जो रिस्तेदार सुद्धिकरण करते हैं उसपर वेदाङ्ग(धर्म-शास्त्र) में कोइ प्रमाण है क्या ? यदि है थोडा हमें वताने की कृपा करे

  • @mayankjangid1543
    @mayankjangid1543 ปีที่แล้ว

    Sir, please Srila Prabhupada ke Bhagwad Gita as it is ke translations par apne vichaar batye! Aapse vinamra vinati hai.

    • @santanupkamath
      @santanupkamath ปีที่แล้ว

      Dustbin मे फेंकने लायक है

  • @11176
    @11176 ปีที่แล้ว +1

    जय श्री राम जी की🙏🚩💯🇮🇳

  • @-dr.arundevsharma1155
    @-dr.arundevsharma1155 ปีที่แล้ว +3

    क्या ईश्वर की कोई प्रतिमा हो सकती है ? क्या उसका कोई परिमाण अर्थात् उसे तोलना, मापना, मूर्त्ति/तस्वीर या किसी भी आकृति/सीमा में लाना सम्भव है ? नहीं 👇
    *प्रतिमीयते यया सा प्रतिमा अर्थात् प्रतिमानम् । जिससे प्रमाण अर्थात् परिमाण किया जाय उसको प्रतिमा कहते हैं जैसे बाट इत्यादि* । यह अर्थ *मनुस्मृति* में लिखा है -
    *तुलामानं प्रतिमानं सर्वं च स्यात् सुलक्षितम् ।*
    *षट्सु षट्सु च मासेषु पुनरेव परीक्षयेत् ।।* - मनु० ८.४०३
    *संक्रमध्वजयष्टीनां प्रतिमानां च भेदकः ।*
    *प्रतिकुर्याच्च तत्सर्वं पञ्च दद्याच्छतानि च ।।*
    - मनु० ९.२८५
    प्रतिमान अर्थात् प्रतिमा की परीक्षा अवश्य करे राजा । जिससे कि अधिक न्यून प्रतिमा अर्थात् दुकान के बांट जितने हैं उनमें कोई छल से घट-बढ़ न कर सके । ... इससे बाट और यज्ञ के चमसाकार चमस/चम्मच आदि पात्र इत्यादि को ही प्रतिमा जानें ।
    - *हुगली शास्त्रार्थ तथा प्रतिमापूजन विचार - महर्षि दयानन्द*
    *न तस्य प्रतिमाSअस्ति यस्य नाम महद्यशः ।*
    *हिरण्यगर्भSइत्येष मा मा हिं सीदित्येषा यस्मान्न जातSइत्येषः ।।*
    पदार्थ - ... *तस्य=उस परमेश्वर की प्रतिमा=प्रतिमा-परिमाण उसके तुल्य अवधि का साधन प्रतिकृति, मूर्त्ति वा आकृति न, अस्ति=नहीं है । ... उसका प्रतिमा=प्रतिबिम्ब तस्वीर नहीं है*
    भावार्थ - *हे मनुष्यो ! जो कभी देहधारी नहीं होता जिस का कुछ भी परिमाण सीमा का कारण नहीं है, जिसकी आज्ञा का पालन ही नामस्मरण है । जो उपासना किया हुआ अपने उपासकों को पर अनुग्रह करता है, वेदों के अनेक स्थलों में जिसका महत्त्व कहा गया है । जो नहीं मरता न विकृत होता न नष्ट होता उसी की उपासना निरन्तर करो जो इससे भिन्न की उपासना करोगे तो इस महान् पाप से युक्त हुए आप लोग दुःख क्लेशों से नष्ट होंगे ।*
    - *महर्षि दयानन्द कृत यजुर्वेद भाष्य यजुर्वेद ३२.३*
    *ईश्वर की प्रतिमा अर्थात् तोलने, नापने, सीमा में बाँधने वाली कोई वस्तु, मूर्त्ति, आकृति, तस्वीर इत्यादि नहीं है* फिर भी पूर्वाग्रही लोगों ने अपनी अविद्या, अज्ञानता से, वेदविरुद्ध होकर उसको मूर्त्ति, तस्वीर, आकृति की सीमा में मानकर मूर्त्तिपूजन को ही ईश्वर-सत्कार मान रखा है । जबकि ईश्वर का सत्कार जप, ध्यान करने से होता है ।
    प्रस्तुतिः - अरुणदेवः

    • @Negotium__
      @Negotium__ 6 หลายเดือนก่อน

      किस तरह लोग को गुमराह किया जाता है आईए जानते हैं ancient टाइम में ईश्वर की ग्रंथ को बदल जाता था और कहा जाता था यही सच्चा ग्रंथ है और आज मॉडर्न टाइम में शब्द को बदल जाता है कैसे आई जानते हैं आज से ठीक 1 साल पहले शनि राठौर नामक एक यूट्यूब वीडियो डालता है और उसमें वह कहता है प्रतिमा का मतलब होता है तुलना और इसको इंग्लिश में करेंगे तो कंपैरिजन तो क्या यह सच है आईए जानते हैं देखिए यहां पर किस तरह बात को बदला जा रहा है सिर्फ अपने आप को सच दिखाने के लिए और जबकि हकीकत तो यह है कि प्रतिमान शब्द एक संस्कृत शब्द है और इसको ट्रांसलेट करते हैं ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी से हिंदी में तो निकाल के आता है तुलना बराबर और इसको इंग्लिश में ट्रांसलेट करते हैं तो निकाल कर आता है कंपैरिजन और प्रतिमा एक संस्कृत शब्द है और अगर इसको ट्रांसलेट करते हैं हिंदी में तो निकाल कर आता है मूर्ति देवी देवताओं की मूर्ति और यह कोई जरूरी नहीं है कि सिर्फ हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति और अगर प्रतिमा को ट्रांसलेट करते हैं इंग्लिश में तो निकाल कर आता है आइडल तो कुछ मिलता जुलता शब्द से कैसे यहां पर बदला जा रहा है यह देखिए यहां पर ancient टाइम की नीतियों को अपनाया जा रहा है.....

  • @somparkash3759
    @somparkash3759 ปีที่แล้ว

    मान्यवर मोहदय
    सकन्द पुराण के हिमाद्री खण्ड के विषय में आप से जानकारी चाहिए, इस संबंध में आपको टिविट भी किया था, जिसका रिप्लाई नहीं मिला
    कृपया जानकारी शेयर करें कि मुझे हिमाद्री खण्ड कैसे और कहाँ से मिल सकता हैँ
    कृपया संज्ञान लें कर रिप्लाई करें 🙏🙏🙏

  • @findingthewayoftruth
    @findingthewayoftruth 3 หลายเดือนก่อน

    sir samaj nahi aaraha hai............. short me batao na

  • @ravaldipakkumar3767
    @ravaldipakkumar3767 ปีที่แล้ว

    पंडितजी, प्रतिमा शब्द का प्रकरण अनुसार पूर्व अपर संबंध से उचित अर्थ निश्चित कर के बताइए ।

  • @learningkids9069
    @learningkids9069 ปีที่แล้ว +7

    Namaskar!
    Please speak on the trueness of the book "Gyan Ganga" by Sant Rampal, an acharya from Kabirpanth. He has taken shloks from many hindu scriptures including Geeta and translated them. But his translations are completely different.

    • @jinmuwon1108
      @jinmuwon1108 ปีที่แล้ว +9

      That book is joke

    • @adityanathshanatani2133
      @adityanathshanatani2133 ปีที่แล้ว +4

      सही कहूँ तो उनको संस्कृत का साधारण ज्ञान भी नही है !!!!!!
      उदाहरण :- भगवत गीता के सभी श्लोकों को पढ़ने का एक पैटर्न है .....
      यद्यदाचरति श्रेष्ठ: , तत्देवो तरोजनः ।
      स यत्प्रमाणं कुरुते , लोकस्त अनुवर्तते।।
      इसमे पैटर्न है जो हर श्लोक में पाया जाता है।
      पर रामपाल जिस श्लोक को लेते है वो है
      वास्तविक :-
      सर्वधर्मान्परित्यज्य , मामेकं सरणम ब्रज।
      अहम त्वाम सर्व पपेभ्यो:, मोक्षयष्यामि मा शुचः।।
      रामपाल :-
      सर्वधर्मान्परित्यज्य माम् , एकम सरणम ब्रज।
      😊😊😊😊😊😊

    • @learningkids9069
      @learningkids9069 ปีที่แล้ว +1

      @@jinmuwon1108 I too feel the same.

    • @learningkids9069
      @learningkids9069 ปีที่แล้ว +2

      @@adityanathshanatani2133 Dhanyawad. Your example is a good example for proving his book a fake one.

    • @jinmuwon1108
      @jinmuwon1108 ปีที่แล้ว +1

      I purchased his 3 books cost rupees 30, the boy who was selling was uneducated

  • @vedicsanatan417
    @vedicsanatan417 ปีที่แล้ว +6

    aap shastrath kyu nhi krta fr. vedo mai nishad hai murti pooja jo chejo aap puranik manta hai vedo mai un sbka khandan hai esliya aapka suam ka mat ka khandan ho jata hai

    • @VarunSingh-mr5yq
      @VarunSingh-mr5yq ปีที่แล้ว +1

      namazi bahut ved padh liye lagra tune

    • @vedicsanatan417
      @vedicsanatan417 ปีที่แล้ว +1

      @@VarunSingh-mr5yq beta tera sa jyada agr himmat hain toh debate kr liyo.

    • @tirtharajchakraborty442
      @tirtharajchakraborty442 ปีที่แล้ว

      Tum log aao Kashi mein pratima ka birodh karne. Pele jaigo

    • @Aryapurush
      @Aryapurush ปีที่แล้ว

      @@tirtharajchakraborty442 Hume KYa Lena, agar Tumahri budhi KAM nahi KARATI to

    • @simpleboy4209
      @simpleboy4209 11 หลายเดือนก่อน +1

      Arya Namaji
      Ap sant rahe 😂...
      Kyoki iswar ke akar ka vedo me hi ullekh he

  • @hiteshpanwar54
    @hiteshpanwar54 6 หลายเดือนก่อน

    भारत मे मूर्ति पूजा कब शुरू हुई

  • @jinmuwon1108
    @jinmuwon1108 ปีที่แล้ว

    Kya satya pir hi satya narayan hai,

  • @amaratvak6998
    @amaratvak6998 ปีที่แล้ว +5

    Is shlok ka mool shaabdik arth jo bhi ho, sau baat ki ek baat ye hai ke Sanatan Dharma mein moorti us eeshwar / avataar mein dhyaan lagaane ke liye aur hriday mein shraddhabhaav utpann karne ke liye hoti hai. Iska ye arth nahin hai ke hum eeshwar ko kisi nishchit roop (maanav roop) ya aakaar mein hi maante hain.

    • @gauravshah89
      @gauravshah89 ปีที่แล้ว +1

      haa. magar aaj ki pooja paddhatiyan nayi hai. vedon me iska koi ullekha nahi hai.

    • @amaratvak6998
      @amaratvak6998 ปีที่แล้ว +2

      @@gauravshah89 Pooja paddhatiyon ka dharmik granthon se koi lena dena nahin hota..aur na hona bhi chaahiye..Inka udgam toh manushya dwara kaalantar mein apne samaaj mein prachalit maanyataaon aur swayam ke shraddhabhaav ke anusaar hota hai. In mein samayaanusaar badlaav bhi ho sakte hain. Har baat, har kriya "aadesh" ya "commandments" ke roop mein granthon mein nahin bataayi ja sakti. Anyatha, isse toh wahi hoga jo hum islam roopi daanav mein aaj dekh rahe hain.

    • @vishakhasharma2209
      @vishakhasharma2209 ปีที่แล้ว +1

      ​@@amaratvak6998 👍👍👌👌 hamare granth hame commands nahi dete , balki uss param satya ko swayam janne ki utsukta ko janm dete hai ......
      I like yr clarity 👏

    • @amaratvak6998
      @amaratvak6998 ปีที่แล้ว

      @@vishakhasharma2209 Thank you dear sister 🙏🏽🙌.

  • @Hktreandingdance5476
    @Hktreandingdance5476 7 หลายเดือนก่อน

    Sir apne avi ak issor blo tha

  • @vickydonor5922
    @vickydonor5922 ปีที่แล้ว

    Pratimaan se bhi pratima ka artha samjha ja sakta hai.

  • @devendrashastri9221
    @devendrashastri9221 หลายเดือนก่อน

    आदि सृष्टि में चार ऋषियों के हृदय में ईश्वर की कृपा से वेदज्ञान का प्रकाश हुआ, ऋषि ही बता सकते हैं कि किस वेदमंत्र का क्या सत्यार्थ है, अन्य लोग तो अर्थ का अनर्थ ही करते हैं

  • @meditationformind3423
    @meditationformind3423 ปีที่แล้ว +3

    नमस्ते जी मान लेते हैं मुर्ति पुजा सही है वेदों में भी है पर क्या आप इसे सिध्द कर सकते हैं कि मुर्ति पुजा सही है ☺

    • @NoLeftNoRight12287
      @NoLeftNoRight12287 ปีที่แล้ว +1

      क्या आप यह सिद्ध कर सकते हैं कि माता पिता का सम्मान करना, उन्हें प्रणाम करना सही है?

    • @ViralMemes30
      @ViralMemes30 ปีที่แล้ว

      मूर्ति की पूजा करना और मूर्ति के जरिए भगवान की पूजा करना..इन दोनो में फरक है..समझा

  • @umeshrathi3791
    @umeshrathi3791 ปีที่แล้ว +2

    अच्छा होता आर्य समाज के विद्वान के साथ शास्त्रार्थ करे और फिर you tube में दे।

  • @user-tw4nz1zf1d
    @user-tw4nz1zf1d 9 หลายเดือนก่อน +1

    नमस्ते जी । महाशय कभी वेदांगों अर्थात् व्याकरण निरुक्त आदि ग्रंथ भी देख लिया कीजिए । निरुक्त में ऋषि यास्क ने दैवत काण्ड में देवताओं की व्याख्या की है । और ऋषि दयानन्द जी ने निरुक्त सम्मत अर्थ ही किया है । रही बात साकार की तो यजुर्वेद कुछ अन्य मन्त्रों को देख लीजिएगा - स पर्यगात् .....

  • @sudhanshuswami2304
    @sudhanshuswami2304 ปีที่แล้ว +2

    प्रति : in front of. सामने,
    मा : नहीं है .
    प्रतिमा : क्या इसका अर्थ यह हो सकता है कि
    1 उसके सदृश्य कोई नहीं है ...
    २ ऐसा कुछ भी "नहीं" है जो उसके "सामने" ना हो ????
    अर्थात वह सर्वव्यापी है, सर्वज्ञानी है ???

  • @NikhilSingh-de5vj
    @NikhilSingh-de5vj 10 หลายเดือนก่อน

    प्रतिमान् से तो तुल्यता का भाव स्पष्ट होता है न कि विग्रह।

  • @RajbhashaNet
    @RajbhashaNet ปีที่แล้ว

    ब्रह्म ईश्वर देवता भगवान सब संज्ञाएं भिन्न-भिन्न हैं तथा जैसे विद्युत का चुंबकत्व का शक्ति प्रयोग अनुसार भिन्नता है गुण प्रकट होते हैं वैसे ही ब्रह्म के विस्तार से गुण प्रकट होते जाते हैं। अतः समस्त प्रकार निर्गुण सगुण निराकार साकार संभव हैं अवतरण संभव है हालांकि अंत में मनुष्य जान ही नहीं सकता है कहते हुए अज्ञेय भी कह दिया गया है तो व्याख्या अंत में अनुपयोगी भी हो जाती हैं।

  • @puneetchitkara7179
    @puneetchitkara7179 ปีที่แล้ว

    Agni can take any shape - this is fine... but where does this connote that God has a form? Even if it is UpmaaN... then even MURTI is UpmaaN

  • @barbosa6142
    @barbosa6142 ปีที่แล้ว

    What about chapter 40 mantra 9?

    • @SHAKTISM_108
      @SHAKTISM_108 5 หลายเดือนก่อน

      Yajur ved chapter 40 mantra 9
      अन्धम्। तमः। प्र। विशन्ति। ये। असम्भूतिमित्यसम्ऽभूतिम्। उपासत इत्युपऽआसते॥ ततः। भूयऽइवेति भूयःऽइव। ते। तमः। ये। ऊँऽइत्यूँ। सम्भूत्यामिति सम्ऽभूत्याम्। रताः
      Down into the darkest dark do they fall who enjoy only the life of this material nature . Still deeper and darker do they fall who enjoys the existential materialistic lifestyle and are lost therein.
      (Bhashya by ishaputra maharaj of kaulantak peeth shakta sampraday)
      This means that if you enjoy this material life and material stuffs like going to pub (bar) drinks wine . Have extra martial affairs with multiple womans . Etc etc and don't practice spirituality you fall into darkness . And those fall into more darkness who are completely lost themselves in enjoying this things . Those who don't have control on their senses and run towards materialistic sources in order to satisfy the senses they fall into darkness. And those who are completely addicted to it they fall into more darkness.

  • @AryanTheNoble
    @AryanTheNoble ปีที่แล้ว

    क्या शास्त्रों स्मृतियों और उपनिषदों में मूर्ति पूजा के प्रमाण मिलते हैं ?मुझे नहीं लगता।

    • @sankalpsrivastava1312
      @sankalpsrivastava1312 ปีที่แล้ว

      😂😂 Valmiki Ramayan, Shrimad Bhagvat puran aur Mahabharat me bhi hai
      Ram tapani upanishad aur Gopal tapani upanishad ka nam sune ho ? Usme ram aur krishna ko ishwar bataya gya hai.

  • @shd5969
    @shd5969 ปีที่แล้ว

    Sringeri Shankaracharya also told same thing. His holiness that, it is essential to study Sanskrit, otherwise people will spread false narations.

  • @shivamtiwari7925
    @shivamtiwari7925 ปีที่แล้ว +4

    अ॒न्धन्तमः॒ प्र वि॑शन्ति॒ येऽस॑म्भूतिमु॒पास॑ते।ततो॒ भूय॑ऽइव॒ ते तमो॒ यऽउ॒ सम्भू॑त्या र॒ताः|| yajur- 40-9
    सम्भू॑तिं च विना॒शं च॒ यस्तद्वेदो॒भय॑ꣳ स॒ह।वि॒ना॒शेन॑ मृ॒त्युं ती॒र्त्वा सम्भू॑त्या॒मृत॑मश्नुते॥ yaju 40- 11
    In dono mantro par bhi jara video banaye , jo murti puja karne par andhakar me jaane ki baat karta hai , jara isko bhi samjhayein video bana kar

    • @Ramarya14
      @Ramarya14 ปีที่แล้ว +1

      आगे के मंत्र में इसका उत्तर है। वह देख ले

    • @VarunSingh-mr5yq
      @VarunSingh-mr5yq ปีที่แล้ว +1

      UnArya Namazi spotted.

    • @gauravshah89
      @gauravshah89 ปีที่แล้ว +1

      Quran me likha hai murti pooja mat karo magar momin din me 5 baar patther ki kaali building k aage sir jhukaate hai. kaale patther ko choomte hai aur patther ki building k chakkar lagaate hai.
      Is par bhi comment likh Abdul.

    • @HinduPhoenix
      @HinduPhoenix ปีที่แล้ว

      अपने बाप और उसके बाप से पूछ दो लात मारेंगे तेरे जैसे को यदि असली ब्राह्मण हुए तो। जिन मूर्तियों के लिए तेरे पुरखों ने अपनी जानें दे दी आज तू उनको न मानके अपने पुरखों के मुंह पे थूक रहा है।

    • @Ram47988
      @Ram47988 ปีที่แล้ว

      @@gauravshah89 हा तो वे भी मूर्तिपूजक है

  • @studies3327
    @studies3327 ปีที่แล้ว +14

    मूर्तिपूजा के पक्ष में दिए जाने वाले एक तर्क का खण्डन:
    प्रश्न:
    वेद में मूर्तिपूजा का विधान नहीं है, माना, परन्तु खण्डन भी तो नहीं है। इससे आपका खण्डन करना वेदविरुद्ध क्यों न हुआ?
    उत्तर:
    वेद परमात्मा का दिया उपदेश है। जैसे एक पिता अपने पुत्र को उपदेश करे कि पूर्व दिशा में जा, अब पुत्र का यह पूछना कि "उत्तर में न जाऊॅं"?, "पश्चिम में न जाऊॅं"? इत्यादि व्यर्थ है यतः जब किसी एक दिशा में जाने को कहा गया तो अन्य तीनों का स्वतः ही निषेध हो गया। रही बात प्रत्यक्ष निषेध वा खण्डन की तो वेद घोषणापूर्वक कहता है:
    *न तस्य प्रतिमाऽअस्ति यस्य नाम महद्यशः। हिरण्यगर्भऽइत्येष मा मा हिंसीदित्येषा यस्मान्न जातऽइत्येषः।।*
    *(यजु० अ० ३२- मं० ३)*
    शब्दार्थ:-(यस्य) जिसका (नाम) प्रसिद्ध (महत् यशः) बड़ा यश है (तस्य) उस परमात्मा की (प्रतिमा) मूर्ति (न अस्ति) नहीं है (एषः) वह (हिरण्यगर्भः इति) सूर्यादि तेजस्वी पदार्थों को अपने भीतर धारण करने से हिरण्यगर्भ है।(यस्मात् न जातः इति एषः) जिससे बढ़कर कोई उत्पन्न नहीं हुआ, ऐसा जो प्रसिद्ध है।
    *प्रश्न* :
    इस मन्त्र में प्रतिमा का अर्थ उपमान या मान, सदृश है। परमात्मा के समान संसार में कोई नहीं है। इसलिये आर्य समाजियों का इस मन्त्र में मूर्तिपूजा का निषेध बतलाना ठीक नहीं |
    *उत्तर* :
    प्रतिमा शब्द का अर्थ मूर्ति होता है इस बात को पौराणिक मानते हैं " *दैवतप्रतिमा हसन्ति* " इस प्रमाण में सब पौराणिकों ने प्रतिमा शब्द का अर्थ मूर्ति किया है तो आपके पास इस बात का क्‍या प्रमाण है, कि प्रतिमा का अर्थ मूर्ति न किया जावे यदि आप कहें कि महीधर आदि ने इसका ऐसा अर्थ नहीं किया। महीधर आदि का भाष्य हमारे लिये प्रमाण नहीं। दूसरी बात यह है कि यदि आपके करने के अनुसार प्रतिमा का अर्थ उपमान, सदृश लिया जावे तो भी परमात्मा की मूर्ति सिद्ध नहीं होती । जितनी आपने मन्दिरों में मूर्तियाँ रक्खी हैं उनके सदृश वा उनसे अच्छी अनेक मूर्तियाँ मिल सकती हैं। उनके लिये सैंकड़ों उपमाएँ दे सकते हैं। आपके शरीरधारी अवतारों के लिये घनश्याम यानि बादल की तरह काला आदि अनेक उपमाएँ पुराणों में मौजूद हैं । जो देहधारी वा मूर्तिमान्‌ हो उसके तुल्य कोई नहीं होता, यह बात ठीक नहीं है, यह बात केवल निराकार परमेश्वर में ही घट सकती है।

    • @dynamicculturevlogs267
      @dynamicculturevlogs267 ปีที่แล้ว +2

      ओम

    • @studies3327
      @studies3327 ปีที่แล้ว +3

      (प्रश्न) जब परमेश्वर व्यापक है तो मूर्त्ति में भी है। पुनः चाहें किसी पदार्थ में भावना करके पूजा करना अच्छा क्यों नहीं? देखो-
      न काष्ठे विद्यते देवो न पाषाणे न मृण्मये।
      भावे हि विद्यते देवस्तस्माद्भावो हि कारणम्।।
      परमेश्वर देव न काष्ठ, न पाषाण, न मृत्तिका से बनाये पदार्थों में है किन्तु परमेश्वर तो भाव में विद्यमान है। जहां भाव करें वहां ही परमेश्वर सिद्ध होता है।
      (उत्तर) जब परमेश्वर सर्वत्र व्यापक है तो किसी एक वस्तु में परमेश्वर की भावना करना अन्यत्र न करना यह ऐसी बात है कि जैसी चक्रवर्ती राजा को सब राज्य की सत्ता से छुड़ा के एक छोटी सी झोंपड़ी का स्वामी मानना। देखो! यह कितना बड़ा अपमान है? वैसा तुम परमेश्वर का भी अपमान करते हो। जब व्यापक मानते हो तो वाटिका में से पुष्पपत्र तोड़ के क्यों चढ़ाते? चन्दन घिस के क्यों लगाते? धूप को जला के क्यों देते ? घण्टा, घरियाल, झांज, पखाजों को लकड़ी से कूटना पीटना क्यों करते हो? तुम्हारे हाथों में है, क्यों जोड़ते? शिर में है, क्यों शिर नमाते? अन्न, जलादि में है, क्यों नैवेद्य धरते? जल में है, स्नान क्यों कराते क्योंकि उन सब पदार्थों में परमात्मा व्यापक है। और तुम व्यापक की पूजा करते हो वा व्याप्य की? जो व्यापक की करते हो तो पाषाण लकड़ी आदि पर चन्दन पुष्पादि क्यों चढ़ाते हो। और जो व्याप्य की करते हो तो हम परमेश्वर की पूजा करते हैं, ऐसा झूठ क्यों बोलते हो? हम पाषाणादि के पुजारी हैं; ऐसा सत्य क्यों नहीं बोलते? अब कहिये ‘भाव’ सच्चा है वा झूठा? जो कहो सच्चा है तो तुम्हारे भाव के आवमीन होकर परमेश्वर बद्ध हो जायगा और तुम मृत्तिका में सुवर्ण, रजतादि; पाषाण में हीरा, पन्ना आदि; समुद्रफेन में मोती, जल में घृत, दुग्ध, दधि आदि और धूलि में मैदा, शक्कर आदि की भावना करके उन को वैसे क्यों नहीं बनाते हो? तुम लोग दुख की भावना कभी नहीं करते; वह क्यों होता? और सुख की भावना सदैव करते हो; वह क्यों नहीं प्राप्त होता? अन्धा पुरुष नेत्र की भावना करके क्यों नहीं देखता? मरने की भावना नहीं करते; क्यों मर जाते हो? इसलिये तुम्हारी भावना सच्ची नहीं। क्योंकि जैसे में वैसी करने का नाम भावना कहते हैं। जैसे अग्नि में अग्नि, जल में जल जानना और जल में अग्नि, अग्नि में जल समझना अभावना है। क्योंकि जैसे को वैसा जानना ज्ञान और अन्यथा जानना अज्ञान है। इसलिये तुम अभावना को भावना और भावना को अभावना कहते हो।
      आचार्यऽउपनयमानो ब्रह्मचारिणमिच्छते ।।२।।
      अतिथिर्गृहानुपगच्छेत् ।।३।। अथर्व०।।
      अचर्त प्रार्चत प्रिय मेधासो अचर्त ।।४।। ऋग्वेदे०।।
      त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि।।५।। -तैनिरीयोप०।।
      कतम एको देव इति स ब्रह्म त्यदित्याचक्षते।।६।।
      -शतपथ प्रपाठ० ५। ब्राह्मण ७। कण्डिका १०।।
      मातृदेवो भव पितृदेवो भव आचार्यदेवो भव अतिथिदेवो भव।।७।।
      -तैनिरीयोप०।।
      पितृभिर्भ्रातृभिश्चैता पतिभिर्देवरैस्तथा ।
      पूज्या भूषयितव्याश्च बहुकल्याणमीप्सुभि ।।८।।
      पूज्यो देववत्पतिः।।९।। मनुस्मृतौ।।
      प्रथम माता मूर्त्तिमती पूजनीय देवता, अर्थात् सन्तानों को तन, मन, धन से सेवा करके माता को प्रसन्न रखना, हिसा अर्थात् ताड़ना कभी न करना। दूसरा पिता सत्कर्त्तव्य देव। उस की भी माता के समान सेवा करनी।।१।। तीसरा आचार्य जो विद्या का देने वाला है उस की तन, मन, धन से सेवा करनी।।२।।
      चौथा अतिथि जो विद्वान्, धािर्मक, निष्कपटी, सब की उन्नति चाहने वाला जगत् में भ्रमण करता हुआ, सत्य उपदेश से सब को सुखी करता है उस की सेवा करें।।३।।
      पांचवां स्त्री के लिये पति और पुरुष के लिये स्वपत्नी पूजनीय है।।८।। ये पांच मूर्त्तिमान् देव जिन के संग से मनुष्यदेह की उत्पत्ति, पालन, सत्यशिक्षा, विद्या और सत्योपदेश की प्राप्ति होती हैं ये ही परमेश्वर को प्राप्ति होने की सीढ़ियां हैं। इन की सेवा न करके जो पाषाणादि मूर्त्ति पूजते हैं वे अतीव पामर, नरकगामी तथा वेदविरोधी हैं।

    • @studies3327
      @studies3327 ปีที่แล้ว +3

      (प्रश्न) माता पिता आदि की सेवा करें और मूर्त्तिपूजा भी करें तब तो कोई दोष नहीं?
      (उत्तर) पाषाणादि मूर्त्तिपूजा तो सर्वथा छोड़ने और मातादि मूर्त्तिमानों की सेवा करने ही में कल्याण है। बड़े अनर्थ की बात है कि साक्षात् माता आदि प्रत्यक्ष सुखदायक देवों को छोड़ के अदेव पाषाणादि में शिर मारना स्वीकार किया। इसको लोगों ने इसीलिये स्वीकार किया है कि जो माता पितादि के सामने नैवेद्य वा भेंट पूजा धरेंगे तो वे स्वयं खा लेंगे और भेंट पूजा ले लेंगे तो हमारे मुख वा हाथ में कुछ न पड़ेगा। इससे पाषाणादि की मूर्त्ति बना, उस के आगे नैवेद्य धर, घण्टानाद टं टं पूं पूं और शखं बजा, कोलाहल कर, अंगूठा दिखला अर्थात् ‘त्वमङ्गुष्ठं गृहाण भोजनं पदार्थं वाऽहं ग्रहिष्यामि’ जैसे कोई किसी को छले वा चिढ़ावे कि तू घण्टा ले और अंगूठा दिखलावे उस के आगे से सब पदार्थ ले आप भोगे, वैसी ही लीला इन पूजारियों अर्थात् पूजा नाम सत्कर्म के शत्रुओं की है। ये लोग चटक मटक, चलक झलक मूर्त्तियों को बना ठना, आप ठगों के तुल्य बन ठन के विचारे निर्बुद्धि अनाथों का माल मारके मौज करते हैं। जो कोई धार्मिक राजा होता तो इन पाषाणप्रियों को पत्थर तोड़ने, बनाने और घर रचने आदि कामों में लगाके खाने पीने को देता; निर्वाह कराता।
      (प्रश्न) जैसे स्त्री की पाषाणादि मूर्ति देखने से कामोत्पत्ति होती है वैसी वीतराग शान्त की मूर्त्ति देखने से वैराग्य और शान्ति की प्राप्ति क्यों न होगी?
      (उत्तर) नहीं हो सकती। क्योंकि उस मूर्त्ति के जड़त्व धर्म आत्मा में आने से विचारशक्ति घट जाती है। विवेक के विना न वैराग्य और वैराग्य के विना विज्ञान, विज्ञान के विना शान्ति नहीं होती। और जो कुछ होता है सो उनके संग, उपदेश और उनके इतिहासादि के देखने से होता है क्योंकि जिस का गुण वा दोष न जानके उस की मूर्त्तिमात्र देखने से प्रीति नहीं होती। प्रीति होने का कारण गुणज्ञान है। ऐसे मूर्त्तिपूजा आदि बुरे कारणों ही से आर्य्यावर्त्त में निकम्मे पुजारी भिक्षुक आलसी पुरुषार्थ रहित क्रोड़ों मनुष्य हुए हैं। सब संसार में मूढ़ता उन्हीं ने फैलाई है। झूठ छल भी बहुत सा फैला है।
      (प्रश्न) देखो! काशी में ‘औरंगजेब’ बादशाह को ‘लाटभैरव’ आदि ने बड़े-बड़े चमत्कार दिखलाये थे। जब मुसलमान उन को तोड़ने गये और उन्होंने जब उन पर तोप गोला आदि मारे तब बड़े-बड़े भमरे निकल कर सब फौज को व्याकुल कर भगा दिया।
      (उत्तर) यह पाषाण का चमत्कार नहीं किन्तु वहां भमरे के छत्ते लग रहे होंगे। उन का स्वभाव ही क्रूर है। जब कोई उन को छेड़े तो वे काटने को दौड़ते हैं। और जो दूध की धारा का चमत्कार होता था वह पुजारी जी की लीला थी।
      (प्रश्न) देखो! महादेव म्लेच्छ को दर्शन न देने के लिये कूप में और वेणीमाधव एक ब्राह्मण के घर में जा छिपे। क्या यह भी चमत्कार नहीं है?
      (उत्तर) भला जिस के कोटपाल, कालभैरव, लाटभैरव आदि भूत प्रेत और गरुड़ आदि गणों ने मुसलमानों को लड़के क्यों न हटाये? जब महादेव और विष्णु की पुराणों में कथा है कि अनेक त्रिपुरासुर आदि बड़े भयंकर दुष्टों को भस्म कर दिया तो मुसलमानों को भस्म क्यों न किया? इस से यह सिद्ध होता है कि वे बिचारे पाषाण क्या लड़ते लड़ाते? जब मुसलमान मन्दिर और मूर्त्तियों को तोड़ते-फोड़ते हुए काशी के पास आए तब पूजारियों ने उस पाषाण के लिंग को कूप में डाल और वेणीमाधव को ब्राह्मण के घर में छिपा दिया। जब काशी में कालभैरव के डर के मारे यमदूत नहीं जाते और प्रलय समय में भी काशी का नाश होने नहीं देते तो म्लेच्छों के दूत क्यों न डराये? और अपने राज के मन्दिरों का क्यों नाश होने दिया? यह सब पोपमाया है।

    • @studies3327
      @studies3327 ปีที่แล้ว +1

      (प्रश्न) भला यह तो जाने दो परन्तु जगन्नाथ जी में प्रत्यक्ष चमत्कार है। एक कलेवर बदलने के समय चन्दन का लकड़ा समुद्र में से स्वयमेव आता है। चूल्हे पर ऊपर-ऊपर सात हण्डे धरने से ऊपर-ऊपर के पहले-पहले पकते हैं। और जो कोई वहां जगन्नाथ की परसादी न खावे तो कुष्ठी हो जाता है और रथ आप से आप चलता पापी को दर्शन नहीं होता है। इन्द्रदमन के राज्य में देवताओं ने मन्दिर बनाया है। कलेवर बदलने के समय एक राजा, एक पण्डा, एक बढ़ई मर जाने आदि चमत्कारों को तुम झूठ न कर सकोगे?
      (उत्तर) जिस ने बारह वर्ष पर्यन्त जगन्नाथ की पूजा की थी वह विरक्त हो कर मथुरा में आया था; मुझ से मिला था। मैंने इन बातों का उत्तर पूछा था। उस ने ये सब बातें झूठ बतलाईं। किन्तु विचार से निश्चय यह है-जब कलेवर बदलने का समय आता है तब नौका में चन्दन की लकड़ी ले समुद्र में डालते हैं वह समुद्र की लहरियों से किनारे लग जाती है। उस को ले सुतार लोग मूर्त्तियां बनाते हैं। जब रसोई बनती है तब कपाट बन्द करके रसोइयों के विना अन्य किसी को न जाने, न देखने देते हैं। भूमि पर चारों ओर छः और बीच में एक चक्राकार चूल्हे बनाते हैं। उन हण्डों के नीचे घी, मट्टी और राख लगा छः चूल्हों पर चावल पका, उनके तले मांज कर, उस बीच के हण्डे में उसी समय चावल डाल छः चूल्हों के मुख लोहे के तवों से बांध कर, दर्शन करने वालों को जो कि धनाढ्य हों, बुला के दिखलाते हैं। ऊपर-ऊपर के हण्डों से चावल निकाल, पके हुए चावलों को दिखला, नीचे के कच्चे चावल निकाल दिखा के उन से कहते हैं कि कुछ हण्डे के लिये रख दो। आंख के अन्धे गांठ के पूरे रुपया अशर्फी धरते और कोई-कोई मासिक भी बांध देते हैं। शूद्र नीच लोग मन्दिर में नैवेद्य लाते हैं। जब नैवेद्य हो चुकता है तब वे शूद्र नीच लोग झूठा कर देते हैं। पश्चात् जो कोई रुपया देकर हण्डा लेवे उस के घर पहुंचाते और दीन गृहस्थ और साधु सन्तों को लेके शूद्र और अन्त्यज पर्य्यन्त एक पंक्ति में बैठ झूंठा एक दूसरे का भोजन करते हैं। जब वह पंक्ति उठती है तब उन्हीं पत्तलों पर दूसरे को बैठाते जाते हैं। महा अनाचार है। और बहुतेरे मनुष्य वहाँ जाकर, उन का झूंठा न खाके, अपने हाथ बना खाकर चले आते हैं, कुछ भी कुष्ठादि रोग नहीं होते। और उस जगन्नाथपुरी में भी बहुत से परसादी नहीं खाते। उन को भी कुष्ठादि रोग नहीं होते। और उस जगन्नाथपुरी में भी बहुत से कुष्ठी हैं, नित्यप्रति झूंठा खाने से भी रोग नहीं छूटता। और यह जगन्नाथ में वाममार्गियों ने भैरवीचक्र बनाया है क्योंकि सुभद्रा, श्री कृष्ण और बलदेव की बहिन लगती है। उसी को दोनों भाइयों के बीच में स्त्री और माता के स्थान बैठाई है।

    • @studies3327
      @studies3327 ปีที่แล้ว +3

      जो भैरवीचक्र न होता तो यह बात कभी न होती। और रथ के पहिये के साथ कला बनाई है। जब उन को सूधी घुमाते हैं घूमती है, तब रथ चलता है। जब मेले के बीच में पहुंचता है तभी उस की कील को उल्टी घुमा देने से रथ खड़ा रह जाता है। पुजारी लोग पुकारते हैं दान देओ, पुण्य करो, जिस से जगन्नाथ प्रसन्न होकर अपना रथ चलावें, अपना धर्म रहै। जब तक भेंट आती जाती है तब तक ऐसे ही पुकारते जाते हैं। जब आ चुकती है तब एक व्रजवासी अच्छे कपड़े दुसाला ओढ़ कर आगे खड़ा रहके हाथ जोड़ स्तुति करता है कि ‘हे जगन्नाथ स्वामिन्! आप कृपा करके रथ को चलाइये, हमारा धर्म रक्खो’ इत्यादि बोल के साष्टांग दण्डवत् प्रणाम कर रथ पर चढ़ता है। उसी समय कील को सूधा घुमा देते हैं और जय-जय शब्द बोल, सहस्रों मनुष्य रस्सा खीचते हैं, रथ चलता है। जब बहुत से लोग दर्शन को जाते हैं तब इतना बड़ा मन्दिर है कि जिस में दिन में भी अन्धेरा रहता है और दीपक जलाना पड़ता है। उन मूर्त्तियों के आगे पड़दे खैंच कर लगाने के पर्दे दोनों ओर रहते हैं। पण्डे पुजारी भीतर खड़े रहते हैं। जब एक ओर वाले ने पर्दे को खींचा, झट मूर्त्ति आड़ में आ जाती है। तब सब पण्डे पुजारी पुकारते हैं-तुम भेंट धरो, तुम्हारे पाप छूट जायेंगे, तब दर्शन होगा। शीघ्र करो। वे बिचारे भोले मनुष्य धूर्त्तों के हाथ लूटे जाते हैं। और झट पर्दा दूसरा खैंच लेते हैं तभी दर्शन होता है। तब जय शब्द बोल के प्रसन्न होकर धक्के खाके तिरस्कृत हो चले आते हैं। इन्द्रदमन वही है कि जिस के कुल के लोग अब तक कलकत्ते में हैं। वह धनाढ्य राजा और देवी का उपासक था। उसने लाखों रुपये लगा कर मन्दिर बनवाया था। इसलिये कि आर्यावर्त्त देश के भोजन का बखेड़ा इस रीति से छुड़ावें। परन्तु वे मूर्ख कब छोड़ते हैं? देव मानो तो उन्हीं कारीगरों को मानो कि जिन शिल्पियों ने मन्दिर बनाया। राजा, पण्डा और बढ़ई उस समय नहीं मरते परन्तु वे तीनों वहां प्रधान रहते हैं। छोटों को दुःख देते होंगे। उन्होंने सम्मति करके (उसी समय अर्थात् कलेवर बदलने के समय वे तीनों उपस्थित रहते हैं; मूर्त्ति का हृदय पोला रक्खा है। उस में सोने के सम्पुट में एक सालगराम रखते हैं कि जिस को प्रतिदिन धोकर चरणामृत बनाते हैं। उस पर रात्री की शयन आर्त्ती में उन लोगों ने विष का तेजाब लपेट दिया होगा। उस को धोके उन्हीं तीनों को पिलाया होगा कि जिस से वे कभी मर गये होंगे। मरे तो इस प्रकार और भोजनभट्टों ने प्रसिद्ध किया होगा कि जगन्नाथ जी अपने शरीर बदलने के समय तीनों भक्तों को भी साथ ले गये। ऐसी झूंठी बातें पराये धन ठगने के लिये बहुत सी हुआ करती हैं।

  • @badangle9085
    @badangle9085 ปีที่แล้ว +4

    माताजी - भोजन कैसा बना है ?
    मैं - अप्रतिम
    ज़ाकिर नाईक - देखो देखो, हिंदू धर्म में भोजन की प्रतिमा नही होती, भोजन का फोटू निकालना हिंदू धर्म के खिलाफ है, अहमदतूलुल्लीहिला

    • @piyushdevnath293
      @piyushdevnath293 ปีที่แล้ว

      Madarsa logic

    • @_oO00o_
      @_oO00o_ ปีที่แล้ว

      समझा नही मैं
      कौन क्या किसकी तरफ है आप।
      आसान समझाये

  • @RAMESH-js9lc
    @RAMESH-js9lc ปีที่แล้ว +1

    Explanation should be such that Common man sould understand easily.....
    Worship is not to the Idol or murti.....
    Hindu connects to the unseen unknown god through an Idol. Idol is only a medium. That is why visarjan of pratima is done after worship .

  • @abedalimondal2571
    @abedalimondal2571 5 หลายเดือนก่อน

    islam is only one true religion ,or (deen ), the way of life full journey ❤❤❤❤

  • @sushilarya1424
    @sushilarya1424 9 หลายเดือนก่อน

    सहस्र प्रतिमा में यदि न लगा होता तो वहां भी निषेधात्मक ही अर्थ होता ।

  • @barbosa6142
    @barbosa6142 ปีที่แล้ว

    What about chapter no 40 sloka number 3

    • @SHAKTISM_108
      @SHAKTISM_108 5 หลายเดือนก่อน

      Yajur ved chapter 40 mantra 3
      असुर्य्याः। नाम। ते। लोकाः। अन्धेन। तमसा। आवृता इत्याऽवृताः॥ तान्। ते। प्रेत्येति प्रऽइत्य। अपि। गच्छन्ति। ये। के। च। आत्महन इत्यात्मऽहनः। जनाः
      Surely after death and even while living, demonical souls sunk in darkness who kill their conscience and live only a materialistic life (void of virtue) go to those underworld lokas , sunless regions of the brahmanda which are covered in the impenetrable darkness of sufferance.
      (Bhashya by ishaputra maharaj of kaulantak peeth shakta sampraday)
      This means these demonic Asuras who live materialistic life , don't practice spirituality , don't keep their senses under control and always run behind it in order to satisfy the senses and completely addicted to it . They in afterlife reincarnate as nagas (humanoid serpents or half human half serpent creatures) in the underworld lokas like nag lok (atal , vital , sutal , talatal , mahatal , rastal , patal ) where the divine grace of lord savitar (surya dev) dosen't reach and thise lokas filled with pain and sufferings and misfortune.

    • @SHAKTISM_108
      @SHAKTISM_108 5 หลายเดือนก่อน

      Yajur ved chapter 40 mantra 9
      अन्धम्। तमः। प्र। विशन्ति। ये। असम्भूतिमित्यसम्ऽभूतिम्। उपासत इत्युपऽआसते॥ ततः। भूयऽइवेति भूयःऽइव। ते। तमः। ये। ऊँऽइत्यूँ। सम्भूत्यामिति सम्ऽभूत्याम्। रताः
      Down into the darkest dark do they fall who enjoy only the life of this material nature . Still deeper and darker do they fall who enjoys the existential materialistic lifestyle and are lost therein.
      (Bhashya by ishaputra maharaj of kaulantak peeth shakta sampraday)
      This means that if you enjoy this material life and material stuffs like going to pub (bar) drinks wine . Have extra martial affairs with multiple womans . Etc etc and don't practice spirituality you fall into darkness . And those fall into more darkness who are completely lost themselves in enjoying this things . Those who don't have control on their senses and run towards materialistic sources in order to satisfy the senses they fall into darkness. And those who are completely addicted to it they fall into more darkness.