Sant Kabir Jeevan Charit । Kabir Amritvani | Sant Kabir biography

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 พ.ย. 2024
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    Kabir Jeevan Charit | Sant Kabir ki Guru diksha | Kabir Amritvani
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    Kabir Jeevan Charit Part 1
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    कबीर परमेश्वर जी 1398 (विक्रमी संवत् 1455) में ज्येष्ठ शुद्धि की पूर्णिमा में ब्रह्म मुहूर्त के समय (सूर्य उदय से डेढ़ घंटे पहले) लहरतारा तालाब के ऊपर एक कमल के फूल पर एक नवजात शिशु के रूप में प्रकट हुए। उस दिन अष्टानंद ऋषि वहां अपनी साधना कर रहे थे, उन्होंने आकाश से एक गोला आता हुआ देखा जिससे उसकी आँखें चौंधिया गयी। आँखें बंद करने पर उन्होंने एक बालक का रूप देखा, जब उन्होंने दुबारा आँखे खोली तब तक वह प्रकाश लहरतारा तालाब के एक कोने में सिमट गया था।
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    कबीर हमेशा रामानंद के शिष्य बनना चाहते थे। चूँकि वह एक मुस्लिम था, इसलिए उसके लिए किसी हिंदू से दीक्षा लेना लगभग असंभव था। अत: उसने एक युक्ति का सहारा लिया। रामानंद प्रतिदिन प्रातःकाल के अनुष्ठान के लिए स्नान घाट पर जाते थे।
    कबीर जी ने गुरु बनाने के लिए एक लीला की और 2.5 साल के बच्चे का रूप बनाया । ब्रह्म-मुहूर्त के समय गंगा घाट की सीढ़ियों पर लेट गए । स्वामी रामानन्द जी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने गंगा घाट गए ।स्वामी रामानन्द जी की खड़ाऊ कबीर साहेब जी के सिर पर लग गयी। भगवान कबीर साहेब जी अभिनय करते हुए बच्चे की तरह रोने लगे। स्वामी रामानन्द जी अचानक झुके। उनकी एक मनके की तुलसी माला (जो एक वैष्णव संतों की पहचान होती है) कबीर जी के गले में गिर गई। स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर जी के बाल रूप के सिर पर हाथ रखा और कहा, "बेटा, 'राम राम' कहो। राम के नाम से दुखों का नाश होता है। कबीर जी ने रोना बंद कर दिया। स्वामी रामानन्द जी कबीर जी को बाल रूप में वापस पौड़ी पर बैठाकर स्नान करने चले गए, यह सोचकर कि यह बच्चा भूल से यहाँ पहुँच गया होगा। हम उसे अपने आश्रम ले जाएंगे। वह जिस किसी का होगा, वे उसे वहाँ से ले लेंगे।” कबीर जी वहां से गायब हो गए और अपनी कुटिया में पहुंच गए।
    कबीर घाट की सीढ़ियों पर इस प्रकार लेटे कि रामानन्द का पैर उन पर पड़ गया। इस घटना से आहत होकर उन्होंने कहां 'राम!' राम !'।
    कबीर ने कहा कि चूंकि उन्हें उनसे 'राम' शब्द के रूप में शिक्षा मिली थी! अतः वे रामानंद के शिष्य थे। कबीर की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर रामानन्द ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया।

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