अदभुत, आपने इस सारे बृहमांड का ज्ञान वीडियो में उढेल दिया है,0से लेकर 9 तक के अंकों का पूरा निचोड़ आपने विसतिरत रुप में समझा दिया है,आपका हृदय से आभार.
आप की यह पवित्र और शुध्द बुध्द की वाणी सुनकर, अमुल्य ज्ञान पाकर कृय कृत हुआ.. हमारी मिथ्य धरणाए ही हमारे दुख का कारण है..! Very true Happiness is my original Nature..! यह जीवन हमारी आत्मा की यात्रा ही है, भ्रम से छुटकारा पा कर सत्य की खोज करने हेतू..! मानव की दुनिया कितनी भ्रमीत हैं यह समझ में आ गया..! सत्यमेव जयते..! आप की दिव्य चेतना को कोटी कोटी वंदन..!!
पूर्ण गुरु के लक्षण पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है। दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है। तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है। चौथे उसके द्वारा बताया भक्ति कर्म वेदों में वर्णित विधि के अनुसार होता है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आप को जितना धन्यवाद किया जाए उतना कम है हजारों ऐसे जिज्ञासु भक्त हैं जो परम तत्व को जानना तो चाहते हैं लेकिन उनके पास साधन नहीं है आप उन सभी लोगों के लिए एक रोशनी की किरण है आपसे एक प्रार्थना है आप अपना वीडियो जल्दी दिया करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसका फायदा मिले
यह तो बहुत ही दुर्लभ ज्ञान हैं ! आपने गणित और विज्ञान की सहायता से अध्यात्म को समझाया हैं ! Thanks for enlightening us with such an esoteric knowledge !!
आप की बुद्धि को में बार बार सलाम करता हूं क्यों की मेने आजतक ऐसा इंसान कबी नहीं देखा आप परमात्मा ही है ऐसा इंसान की संसार में जरूरत है जय श्री राम जय श्री राम
व्वा.. जिससे प्रेम करते है वही परमेश्वर है...! सब से प्रेम करे तो साक्षात परमात्मा दिखने लगता हैं.. बूंद सागर से अलग नही जिसने यह समझा उसे सनातन का अर्थ समजमें आया..! प्रेम उर्जा हैं, तरंगे हैं बढाते जाए तो अनंतता विलिन हो गये..!
आपको बहुत बहुत धन्यवाद मान्यवर।मेरा जीवन सफल हो गया ।भटक रही थी अब तक।अब लगता है जीवन को सार मिल गया है।बहुत कुछ पुछना है।अभी शब्द अधुरे हैं मेरे।एक बार फिर से आपको कौटी कौटी धन्यवाद जी।🙏🌹
Ye sansaar ek jeevan chakra hai aur hume baar baar janam lekar es duniya me aate hai jeevan ka asli matlab kya hai duniya dari ke farj to hum nibhate hai par bhagwan ko pane ka sahi rasta kya hai aap ki video bahut bahut achchhi lagi man ko aatma ko Asim Shanti mili mere man me enek sawaal the jinke jawab aap ki video se mil gaye aap ko bahut bahut dhanyawad bhagwan app ki raksha kare aap ese hi video banate rahe nayi siksha dete rahe Namaste 🙏👍
Adarniya honourable sir sadar pranam itna mahan concept abhtpurv aisa k ki summarised vah vah vah hajure ala vah lajawab purantya vishvasniy great yun bhi keh sakta hu k good better se best tk kuch bhi nhi rha baki ho bhi sakta h aapki next video dekhte h aiye chliye
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )। ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है। जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष। जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया। मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
Jai Mata dii sadar pranam Aapke video bhut adyatam he magar ise samjne ki gyan sabko muskil he kyuki yh sansarik jivan me samay nhi he kuch adyatam jivan ki bare me kch soche aur rhi baat pad 78 aur rhi baat 369 ki uss kar insaan tab tak toh wo ussi chakra me sama jata he jo aap kh rhe he sab kuch apne andar hi he magar uss prakash ko jagrut krna waise prakash punchg gyani chahiye jo ishwar ko pta he kitne he is dharti parr Hari om
Sir... Mere paas kuch bhi nahi hai bolne ko... Bass ... Apko namaskar karta hun... Bhut bhut dhanyawad sir .. is video.. se hame.. aware karne k liye....
महोदय, आपने परब्रह्म के साक्षात्कार के स्वरूप को बहुत अच्छी तरहसे समझाया है. अंक 3 ,6 ,9 का रहस्य सरलतासे स्पष्ट किया है... स्री और पुरूष के पवित्र प्रेम को अखिल विश्व के लिए परमेश्वर के साथ जोड लिया...धन्यवाद ! ...हार्दीक शुभेच्छा !!. ... बबन रा.येरम... मुंबई
सर आपको मेरा दिल से प्रणाम हैं आप ही हमारे लिये परमंआत्मा है जो आपने हमे एक सच से रु ब रु करवाया हैं एसा ग्यान दिया आपने जो कोई सास्तर या कोई ऋषि मूनी भी नही दे सकते है आप इस भुलोक मे हम भक़्तो को रस्ता दिखाने के लिये ही आप अवतरित हुवे हैं आपको मे कोटि कोटि परनाम करता हूँ आपके दर्शन करना चाहते हैं हम प्रभू आप हमे अपका फेस तो दिखाईये
आपको कोटि कोटि नमन ।आप तो हमें ध्यान मार्ग पर ले जाने के लिए अद्भुत प्रयास कर रहे ।हम में से कोई एक सफल हो जाए बस यही आपका निःस्वार्थ प्रयास है ।हम आपको फिर बारम्बार प्रणाम करते हैं ।
भाई जी राम राम जी 🙏 बहुत दिनों बाद आए ध्यान तो मैं 20 साल से कर रही हूं आपका विडियो जबसे यानी करीब 10 महीने से अनुभव तो पहले भी होते रहे हैं परन्तु 3 दिन से बहुत ही प्यारा अनुभव हो रहा है धन्यवाद भाई जी 🙏🙏
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे यह ज्ञान मैं पहले जान चुकी हुं,हे परमपिता मुझे उस तरफ ले चलें अब जो मेरे इस जन्म का मकसद है। धन्यवाद आपको सर।🙏😌
आपको कोटि कोटि नमन ,आपने बहुत ही अच्छा जीवन को समझने का प्रयास किया आपने अंकों की प्रधानता (मूल्य)को बहुत ही सुन्दर समझाया,हमें अंकों का ग्यान ही नहीं था बहुत बहुत धन्यवाद र राधे
ईश्वर के दर्शन हो गये, नही ना, होगे भी नही, पूरा गुरु मिलेगा तभी होगे एक पल मे होगे, सुनकर, पढ़कर, बताने से नही होगा, केवल सत्गुरु के इशारे से समझ आयेगा!
Good trying for attainment of self realisations. . 0 to 9 =sravam khalvindam Braham (द्वेताद्वेत ) and when 9th entere in 1 next door =9 +1 =10th door =1+0=1 = अहम् ब्रह्मास्मि। तदेकम्।(पूर्ण अद्वैत ) ।धन्यवाद ।
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )। ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है। जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष। जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया। मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
जय गुरूदेव। ,,,,ज्ञान प्रापत करके बहुत आत्मा को खुशी मिली ओर मन शांत हुआ,,,,लग्न में गुरू पूज्य हो तो ,,,,क्या लाभ ओर क्या हानियां है,,,,जिसने जीवन में किसी से आज तक एक गेहूं का कण भी नहीं लिया फिर दुख क्यों आत्मा में,,,,,,?????? नीलम सक्सेना
aapne eak yogi ki wo sara anubhaw de diya jo apne yogy se gyan ko arjit karta hai wah parmatma jis room mai parmatma ko janata hai samjhta hai aapne 0=9 / 9=0 ke is ganitiy tark se hame wah gyan de diya jo ham hazaro kitabo se bhi padh kar nahi samjh sakte the .................. jai shreee krishn apko💗🙏🙏🙏🙏
WAH WAH WAH... 💖 DHANYA HAI HAMARA BHARAT DESH JISME AAP JAISE MAHAN AATMA AAJ BHI NIWAS KARTI HAI, MAI AAPKO KOTI KOTI... NAMAN 🙏 KARTA HU 💖. 0 HEE PARBRAHAM PARMESHWAR HAI JO NAHI HAI, JO HOKAR BHI NAHI HAI AUR JO NAHI HOKAR BHI HAI. 💖💖💖...
पूर्ण गुरु के लक्षण पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है। दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है। तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है। चौथे उसके द्वारा बताया भक्ति कर्म वेदों में वर्णित विधि के अनुसार होता है।
"The self is not something ready-made but something in continuous formation through choice of action." "स्वत्व कोई बनी बनाई वस्तु नहीं होती है, कर्म के चयन के परिणाम स्वरूप इसका निरन्तर निर्माण करना पड़ता है।" Syed Shahnawaz.
परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये। दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )। ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है। जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष। जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया। मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
मै बहुत ही बेचैनी से आपके इस वीडियो का इंतज़ार कर रहा हूं🙏🏻, और मै रोज आपके ही वीडियो बार बार सुनकर, उस गहराई को समझने की कोशिश कर रहा हूं, जो आप समझाना चाहते हो🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ओम 369 तो ओम की तरह ही हैँ 69 तो o हैँ और 3-0 ओम यही तो मोक्ष का मार्ग हैँ मूर्खो और विद्वानो दोनों को बुद्धि और तर्क ही समझ आते हैँ श्रद्धां भक्ति तपस्या त्याग वैराग्य दान सेवा कर्मयोग कहा समझ आता हैँ
Mera koi bhai nhi but aaj aapki video dekhne k baad life mei bas lgta h mere bhai ne hmko save kar lia thx u love u broooo mera mind totally stable ho chuka haii syad ye video mere liye tha
Marvelous.You have universally,Divinely and truthfully enlightened the "Rahasya" of 0 and 9,3&6 etc...Thanks and Sadhuvad for this unique fact...Alok Saxena.Agra
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )। ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है। जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष। जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया। मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
Very wonderful video. Es video me apne prmatma ko etni acche se explain kiya h k mere pas words nhi h. Apne 0=9 ko etne acche se btaya k aj tk kisi ne nahi btaya. Really you are great sir g....
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )। ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है। जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष। जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया। मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
@@lokeshbafna @Lokesh Jain apko bht gyan h lokesh g. Ap gyan yog ki bat kr rahe h. Ap to udhav ho gye . But krishan g ne kaha h, m gyaniyon se jayada premiyon k vash m hu. Or rahi bat davesh ki to jo prem krte h wo kisi ek se prem nhi krte wo prkrti ki bnayi sb chizon se prem krte h. Unse to prem bahta h. To davesh ka sthan kaha hoga. Aatma ka vishesh gun he prem or shanti h. Jb hum jite jee mukt nhi ho paye to marne k bad aatma kaha se moksh payegi. Aatma ko to shanti n prem chahiye. Prem prmatma ka he roop h. Or jaha prmatma h, waha moksh ko kaise roka ja skta h. Wo bat alg h k prem ko aj kl apne swarth k karn etna badnam kr diya h k. Uske naam se he dr lgta h.
@@shardasharma5427 में आपको कुछ बताना चाहता है जरा ध्यान दीजिएगा। हर पदार्थ में मूल गुण और पर्याय होता है। मूल गुण कभी भी पदार्थ से अलग नही हो सकता लेकिन पर्याय बदलता रहता है। अगर मूल गुण ही बदल जाये या नष्ट हो जाए तो वो द्रव्य ही नष्ट या बदल जाएगा। सूर्य का मूल गुण है प्रकाश और गर्मी देना और पर्याय है गर्मी और प्रकाश काम या ज्यादा देना। सूर्य की पर्याय बदलने से उसका सूर्य पना खत्म नही हो जाता लेकिन अगर मूल गन नष्ट हो जाये जैसे सूर्य प्रकाश और गर्मी देना बंद कर दे तो वो सूर्य नही कुछ और हो जाएगा, मतलब ये हुआ के चाहे कुछ भी कर लो कोई भी पदार्थ अपने मूल गुण को किसी भी स्तिथि में पूरी तरह से नही छोड़ता चाहे कुछ कम ज्यादा हो सकता है पर सम्पूर्ण नष्ट नही होता। अब बात करते है आत्मा की। आत्मा का मूल गुण है 1. चैतन्य 2. अनंत ज्ञान 3. शांति 4. शक्ति 5. अनंत आत्मिक सुख 6. निराहार 7. राग द्वेष रहित और भी बहुत है। कोई भी जीव चैतन्य शून्य कभी नही हो सकता। हर जीव ज्ञान शून्य नही होता, एक छोटी सी चींटी के आगे भी हाथ रख दो तो वो भी अपना रास्ता बदलने की समज रखती है। कोई भी जीव लगातार गुस्सा नही कर सकता पर शांति से ज्यादा समय तक रह सकता है। कोई भी जीव हमे शक्ति शून्य नही दिखाई देता है। हर जीव आंतरिक सुख चाहता है दुखी कोई नही होना चाहता। कोई भी जीव हर समय आहार नही कर सकता पर ज्यादा समय तक निराहार रह सकता है, कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने सिर्फ पानी पर 6 महीने निकाले है। राग हमेशा अकेला नही चलता उसके साथ द्वेष अपने आप साथ हो जाता है, इसके बहुत से उदाहरण दिए जा सकते है। कोई बुड्डा सड़क पर कर रहा है और अचानक से कोई car आकर उसे ठोक दे और आपके सामने ये सब हो रहा हो तो आपके मन मे क्या आएगा। बुढ्ढे के प्रति दया राग का भाव लेकिन उस ड्राइवर के प्रति गुस्सा द्वेष का भाव अपने आप आ गया। accident से पहले दोनों के प्रति कोई भाव नही था लेकिन कुछ ही क्षणों में ये क्या हो गया एक के प्रति negative और दूसरे के प्रति positive भाव आ गए। अगर राग या प्रेम सही है तो मन मे इतनी खलभलट क्यों हो रही है, क्यों मन आकुल व्याकुल हो रहा है। इसी जगह कोई ऐसा भी इंसान हो सकता था जो बुड्ढे इंसान को अपना कर्तव्य समझ कर बचा भी लेता और ड्राइवर के प्रति मन मे कोई गलत भाव भी नही लाता, अब बताव क्या ऐसा लगता है के दूसरे आदमी दुखी हुआ, नही हुआ क्योंकि उसने किसी के प्रति कोई राग लाया ही नही तो किसी और के प्रति द्वेष भी नही आया। में जानता हूं के हम परिवार लेकर बैठे है ये बहुत मुश्किल है के बिना राग के साथ परिवार में रहना लेकिन अगर मोक्ष सुख को पाना है तो ध्याय माता के समान रहना पड़ेगा, ध्याय माता महारानी के पुत्र को अपने बेटे जैसा पालती है पर मैन में जानती है के ये मेरा असल पुत्र नही है लेकिन मुझे मेरे कर्त्तव्य को अच्छी तरह से निभाना है। आप खुद ही सोचो ऐसी आत्मा जिसके कोई भी कर्म परमाणु का बंधन नही है मतलब न राग है न द्वेष, क्रोध, मान, माया और लोभ का कोई अस्तित्व ही नही है तो क्या उस आत्मा के लिए संसार मे सभी जीव एक सम्मान नही होंगे? जब सभी जीव के प्रति न कोई राग न कोई द्वेष तो किस प्रकार का दुख होगया उनको? मुक्त आत्माएं तो अनंत सुख का रसास्वादन कर रही है। उन्हें संसारी किसी भी वस्तु से कोई लेना देना नही है। जब कोई आत्मा 8 कर्मो में से मूल 4 घाती को नाश कर देती है तक उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है जिससे वे दूसरे जीवो को भी मुक्ति का मार्ग दिखाते है।
@@lokeshbafna apko aatma ka bht gyan h. Sahi m apko udhav kahna glt nhi h. But m etne gyan ko nhi smjh pati. Mujhe to samrpan bhav or prem bhav pta h. Esse jyada ka mujhe gyan nhi h. Updesh sir ki bat b 100 % sahi h. Unki bat smjhna bht easy h. Apki bat b sahi h but apki bat smjhna bht hard h.
अदभुत, आपने इस सारे बृहमांड का ज्ञान वीडियो में उढेल दिया है,0से लेकर 9 तक के अंकों का पूरा निचोड़ आपने विसतिरत रुप में समझा दिया है,आपका हृदय से आभार.
Very good Knowledge to share to living creatures on This earth
Ise jibon ke koi bhi karma mai kiss taraha se upyog mein la sakte hai (3 and 6)?
🎉乙…🎉@@RajuDhar-wn6lg
आप की यह पवित्र और शुध्द बुध्द की वाणी सुनकर, अमुल्य ज्ञान पाकर कृय कृत हुआ.. हमारी मिथ्य धरणाए ही हमारे दुख का कारण है..! Very true Happiness is my original Nature..! यह जीवन हमारी आत्मा की यात्रा ही है, भ्रम से छुटकारा पा कर सत्य की खोज करने हेतू..! मानव की दुनिया कितनी भ्रमीत हैं यह समझ में आ गया..!
सत्यमेव जयते..!
आप की दिव्य चेतना को कोटी कोटी वंदन..!!
बेहद अद्भुत ज्ञानवर्द्धक,,,0 और 9 का रहस्य समझ आया🙏🕉️🙏ॐ नमः शिवाय
आपके समजाने का तरीका बहोत ही सरल है। बहोत ही गहनता है आपकी बातों में। बहोत ही अच्छा लगा वीडियो देख के। बहोत बहोत आभार आपका।💐
अत्यंत गहरा ज्ञान है । धन्यवाद गहराई में उतारने के लिए।जय सद्गुरु।
पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है।
दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है।
तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है।
चौथे उसके द्वारा बताया भक्ति
कर्म वेदों में वर्णित विधि के अनुसार होता है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आप को जितना धन्यवाद किया जाए उतना कम है हजारों ऐसे जिज्ञासु भक्त हैं जो परम तत्व को जानना तो चाहते हैं लेकिन उनके पास साधन नहीं है आप उन सभी लोगों के लिए एक रोशनी की किरण है आपसे एक प्रार्थना है आप अपना वीडियो जल्दी दिया करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसका फायदा मिले
यह तो बहुत ही दुर्लभ ज्ञान हैं ! आपने गणित और विज्ञान की सहायता से अध्यात्म को समझाया हैं !
Thanks for enlightening us with such an esoteric knowledge !!
आप एक महान आत्मा है , अतिमनमोहक जनकारी
आप की बुद्धि को में बार बार सलाम करता हूं क्यों की मेने आजतक ऐसा इंसान कबी नहीं देखा आप परमात्मा ही है ऐसा इंसान की संसार में जरूरत है जय श्री राम जय श्री राम
Lmkkkkkkklllllllllkkkkkllkkkkokokiooommkk
व्वा.. जिससे प्रेम करते है वही परमेश्वर है...! सब से प्रेम करे तो साक्षात परमात्मा दिखने लगता हैं.. बूंद सागर से अलग नही जिसने यह समझा उसे सनातन का अर्थ समजमें आया..! प्रेम उर्जा हैं, तरंगे हैं बढाते जाए तो अनंतता विलिन हो गये..!
,अपने शरीर की तरंगो को कैसे उत्पन्न करे और कैसे समजे
*||ॐ: नमस्ते सदा वत्सले मातृभुमे त्यवा हिन्दुभुमे सुखम वरधि तोहम, महामंगले पुण्यभुमे त्यदर्थे पतत्ये सकायो नमस्ते नमस्ते ॐ:||*
*> वंदे मातरम् _ साधु साधु _ आपना दर्शन केवी रिते थाय ?
पहले तुम ही अमीर बनकर दिखाओ
आपको बहुत बहुत धन्यवाद मान्यवर।मेरा जीवन सफल हो गया ।भटक रही थी अब तक।अब लगता है जीवन को सार मिल गया है।बहुत कुछ पुछना है।अभी शब्द अधुरे हैं मेरे।एक बार फिर से आपको कौटी कौटी धन्यवाद जी।🙏🌹
Guruji, Radhe Radhe,meri,oumar,61,vars,he,mene,jivan,me,bhut,kasat,dekha,he,mene,,sadhna,or,pirem,bhgwan,se,mere,andar,ak,ras,ki,pirapti,hui,he,meri,aankho,me,bindu,agye,hne,,mari,manthe,ki,nasne,vaivirsan,karti,hne,mne,age,badhna,chanhta,hnu,sansar,mne,muje,sabne,chhod,diya,he,
जय हो हो गुरू जी आपको जो आपने 0से9 तक के द्वारा पूरे ब्रह्माण्ड को समझा दिया ,कोटि कोटि प्रणाम आपको 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Ye sansaar ek jeevan chakra hai aur hume baar baar janam lekar es duniya me aate hai jeevan ka asli matlab kya hai duniya dari ke farj to hum nibhate hai par bhagwan ko pane ka sahi rasta kya hai aap ki video bahut bahut achchhi lagi man ko aatma ko Asim Shanti mili mere man me enek sawaal the jinke jawab aap ki video se mil gaye aap ko bahut bahut dhanyawad bhagwan app ki raksha kare aap ese hi video banate rahe nayi siksha dete rahe Namaste 🙏👍
१से९अंको द्वारा आध्यात्म को समझाने का अद्भुत विष्लेषण मेरा आपको शत-शत नमन
Very nice
Aur iss bichar ke liye apko onek dhanyavaad❤❤
Adarniya honourable sir sadar pranam itna mahan concept abhtpurv aisa k ki summarised vah vah vah hajure ala vah lajawab purantya vishvasniy great yun bhi keh sakta hu k good better se best tk kuch bhi nhi rha baki ho bhi sakta h aapki next video dekhte h aiye chliye
अद्भुत है गुरुजी आपका ये वीडियो सुनकर तो मंत्रमुग्ध हो गयी बिल्कुल सच्चाई है इसमें ....
इस बारे में कुछ और भी जानना चाहते हैं।
Very nice 👍🙏🙏
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )।
ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है।
जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष।
जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।
मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
Thanku
so good nice sir,mene ek New vedic, Astrology palmestry channel banaya hai aap ese subscribe and like kare,soluations jivan ka
@soluationsjivanka19.
बहोत गहरी बात सरलतासे समझाई आपने महनतम बाते . . .
Jai Mata dii sadar pranam Aapke video bhut adyatam he magar ise samjne ki gyan sabko muskil he kyuki yh sansarik jivan me samay nhi he kuch adyatam jivan ki bare me kch soche aur rhi baat pad 78 aur rhi baat 369 ki uss kar insaan tab tak toh wo ussi chakra me sama jata he jo aap kh rhe he sab kuch apne andar hi he magar uss prakash ko jagrut krna waise prakash punchg gyani chahiye jo ishwar ko pta he kitne he is dharti parr Hari om
अद्भुत . . अनिर्वचनीय . . सत्य से झरता मीठा मीठा सा झरना . .
उच्चतमतम ज्ञान देने के लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद धन्यवाद,,,,,
Sir... Mere paas kuch bhi nahi hai bolne ko... Bass ... Apko namaskar karta hun...
Bhut bhut dhanyawad sir .. is video.. se hame.. aware karne k liye....
परमात्मा की शास्त्र प्रमाणित साधना करने से साधक को वह सब लाभ घर में शांति व्यापार में लाभ तथा मोक्ष प्राप्त होते हैं
महोदय, आपने परब्रह्म के साक्षात्कार के स्वरूप को बहुत अच्छी तरहसे समझाया है. अंक 3 ,6 ,9 का रहस्य सरलतासे स्पष्ट किया है... स्री और पुरूष के पवित्र प्रेम को अखिल विश्व के लिए परमेश्वर के साथ जोड लिया...धन्यवाद ! ...हार्दीक शुभेच्छा !!.
... बबन रा.येरम... मुंबई
सर आपको मेरा दिल से प्रणाम हैं आप ही हमारे लिये परमंआत्मा है जो आपने हमे एक सच से रु ब रु करवाया हैं एसा ग्यान दिया आपने जो कोई सास्तर या कोई ऋषि मूनी भी नही दे सकते है आप इस भुलोक मे हम भक़्तो को रस्ता दिखाने के लिये ही आप अवतरित हुवे हैं आपको मे कोटि कोटि परनाम करता हूँ आपके दर्शन करना चाहते हैं हम प्रभू आप हमे अपका फेस तो दिखाईये
आपको कोटि कोटि नमन ।आप तो हमें ध्यान मार्ग पर ले जाने के लिए अद्भुत प्रयास कर रहे ।हम में से कोई एक सफल हो जाए बस यही आपका निःस्वार्थ प्रयास है ।हम आपको फिर बारम्बार प्रणाम करते हैं ।
भाई जी राम राम जी 🙏 बहुत दिनों बाद आए ध्यान तो मैं 20 साल से कर रही हूं आपका विडियो जबसे यानी करीब 10 महीने से अनुभव तो पहले भी होते रहे हैं परन्तु 3 दिन से बहुत ही प्यारा अनुभव हो रहा है धन्यवाद भाई जी 🙏🙏
आपने सही कहा,लेकिन एक सत्गुरु की आवश्यकता होगी ही इसके बिना असम्भव है। सभी वेदों, ग्रंथों में बताया है।
धन निरंकार जी आप जी के चरणों में👏👏
स्वयं पर विश्वास करना ही एकमात्र रास्ता है।
अति सुन्दरता व सरलता के साथ अध्यात्मिक गूढ ज्ञान को समझाया है आपने! 🙏🙏🌹🌹
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे यह ज्ञान मैं पहले जान चुकी हुं,हे परमपिता मुझे उस तरफ ले चलें अब जो मेरे इस जन्म का मकसद है।
धन्यवाद आपको सर।🙏😌
Hi
same muje bhi aisa aabhas hota he ki ye mere sath hua he🙂
सवास के साथ नाम जप करें मन वश हो जाएगा फिर परम् पूज्य गुरुदेव जी के दर्शन होंगे
You r really great!!bohut achha laga.waiting for such speech. God bless you.🙏🙏
वाह अति सुंदर.. जितना सुनो उतना डूबते जाना और सागर में मिल जाना... Speechless🙏🙏
Heads of to you
Sat ya KO khoj
Sat ya KO khoj
@Vasantbhai Suthar the
ओम् स्वस्ति!! अंकों की महिमा भी अद्भुत है, महान है। इस ज्ञानवर्धक उपदेश के लिए बहुत-बहुत साधुवाद एवं धन्यवाद!!
Sir...aap ka bahut bahut dhanyavaad jis tarike se aap jivan ke gadit ko samjhaye sayad Aisa koyi nahi samjha pata 🙏🙏🙏
ऐसी अद्भुत ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आपको कोटि-कोटि धन्यवाद 🙏🙏🙏
Ppl
@@devsonboir9506 😂
अद्भुत,विचारों और शब्दों के आगे भी 0-9,9-0.लग गया।
Respected sir Ji
Thanking you for your quick info and Best regards
Most welcome
सर ,एक रहस्य को आपने जिस तरह से समझाया है,उस ज्ञानी को मेरा कोटी कोटी प्रणाम ।
अदभूत ज्ञान दिया आपने
कभी नही सुना था . धन्यवाद
Pavitra Atma ke rishte aapka बहुत-बहुत dhanyvad
बहुत सुंदर और सटीक विश्लेषण।गहन चिंतन से निकला नवनीत। बारंबार प्रणाम और साधुवाद।समय समय पर अनुग्रहित करते रहें 🙏🙏🙏
Bahut bahut dhanyabad jo aap jaise mahapurush sabkoaadhyatm ke margka sahi rup batane ka kam kar rahe hain. Jay jay siyaram.
Dhanyawad sir, bahut satik video hai. Bhartiyon ka darshan Mahaan hai.
Ye vidiyo duniya ka sabse sundar vidiyo he mere liye
Super duper, 👍💎💎💎💎💎
आपको कोटि कोटि नमन ,आपने बहुत ही अच्छा जीवन को समझने का प्रयास किया आपने अंकों की प्रधानता (मूल्य)को बहुत ही सुन्दर समझाया,हमें अंकों का ग्यान ही नहीं था बहुत बहुत धन्यवाद र राधे
अनमोल सत्संग अवसय दैखे
अदभूत ज्ञान दिया गुरुजी आपने 🙏🏻🙏🏻🙏🏻बहौत बहौत धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻🙏🏻गुरुजी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻💙
Thank you sir.you are a good preacher.so spritual knowledge.
ईश्वर के दर्शन हो गये, नही ना, होगे भी नही, पूरा गुरु मिलेगा तभी होगे एक पल मे होगे, सुनकर, पढ़कर, बताने से नही होगा, केवल सत्गुरु के इशारे से समझ आयेगा!
पूरे ब्रह्मांड का विश्लेषण है इन अंकों में, सारा ब्रह्माण्ड 0 से 9 के मध्य ही स्थित है। बहुत सुंदर प्रस्तुति है।
बहुत अति सुंदर बिधलेशन आत्म, परमात्मा व मोक्ष बिषय पर।
@@anil7206 uiiio99o 9PM
@@anil7206 77
Fgyy
औऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔौशऔशऔशौशौनऔशऔ
Guruji namaste very nice vidiyo I am very happy thankyou
राम नाम इक अंक हे ,सब साधन है शून !
अंक गए कछु हाथ नहीं,अंक रहे दस गून !!
स्थिति स्पष्ट है ! राम राम राम राम राम राम 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
🕉️🔱🚩✌️🌹👣🌹🔔मां🐄अति उत्तम सन्देश 🇮🇳 👍🇮🇳🌞👌🌹🌷💯✔️
Good trying for attainment of self realisations. . 0 to 9 =sravam khalvindam Braham (द्वेताद्वेत ) and when 9th entere in 1 next door =9 +1 =10th door =1+0=1 = अहम् ब्रह्मास्मि। तदेकम्।(पूर्ण अद्वैत ) ।धन्यवाद ।
जी प्रभु धन्यवाद ऐसा ज्ञान दिया आपने जो ढूंढने पर भी ना मिले कोटि-कोटि धन्यवाद
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )।
ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है।
जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष।
जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।
मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।🌻🌙🍊🌺🌷🎻🌸🍀🌹🌼🍎🌰🍇✍️⛳🔔🏮🙏
Respectfully you have just on +/-way wish you best of luck,....!!!
Nikolas TESLA explained the 369 as well. Thank you for the video.
Can u tell in brief what he explained
True
जय गुरूदेव। ,,,,ज्ञान प्रापत करके बहुत आत्मा को खुशी मिली ओर मन शांत हुआ,,,,लग्न में गुरू पूज्य हो तो ,,,,क्या लाभ ओर क्या हानियां है,,,,जिसने जीवन में किसी से आज तक एक गेहूं का कण भी नहीं लिया फिर दुख क्यों आत्मा में,,,,,,?????? नीलम सक्सेना
Thanks ,,,gurugi
.
आपका ये विडियो देखकर हम विवश हो गए आपका चैनल सब्सक्राइब करने के लिए। Very nice video। कोई जवाब नहीं। जितनी प्रसंसा किया जाय उतना कम। 🙏
It's the true 'Ramayan' I believe !
With gratitude ... ✨👏💖
आप जो भी हैं शत-शत आपको नमन मैं भी बूंद होना चाहती हूं सुनने होना चाहती हूं और मार्गदर्शन करें आप प्लीज
Very nice. Bahut badhiya Gyan. Thanks so much
👍🙏👌🌹 बहुत सुंदर वचन है ऐसे ही ज्ञान कराते रहें हम सब आप को धन्यवाद करते हैं
I think I am nothing.Wonderful! What a spiritual knowledge you have!🙏🌹🌹🙏
aapne eak yogi ki wo sara anubhaw de diya jo apne yogy se gyan ko arjit karta hai wah parmatma jis room mai parmatma ko janata hai samjhta hai aapne 0=9 / 9=0 ke is ganitiy tark se hame wah gyan de diya jo ham hazaro kitabo se bhi padh kar nahi samjh sakte the ..................
jai shreee krishn apko💗🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद गुरु जी आपकी अमृत वाणी सुनकर मै बहुत ही शांत हो जाता हूँ विषेसकर ओउम ध्वनि को! ध्यान की और ध्यान कर रहा हूँ
Om namah shivay guru bhai ji bahut badhia jankari di apne dhanyabad.
Please share your no..
🙏🙏कोटि कोटि नमन आपको जीवन की गूढ़ता को इतने सरलता से बताने के लिए🙏🙏
पहली बार ऐसा कुछ जाना है जो 0,9 का एक अलग मतलब था पहली बार कुछ ऐसा है जो 369 का जो सच है वह सही लगा Thank you so much Sir
WAH WAH WAH... 💖 DHANYA HAI HAMARA BHARAT DESH JISME AAP JAISE MAHAN AATMA AAJ BHI NIWAS KARTI HAI, MAI AAPKO KOTI KOTI... NAMAN 🙏 KARTA HU 💖.
0 HEE PARBRAHAM PARMESHWAR HAI JO NAHI HAI, JO HOKAR BHI NAHI HAI AUR JO NAHI HOKAR BHI HAI. 💖💖💖...
मैं कई वर्षों से इसकी खोज में था आपने कितनी सरलता से बता दिया. मैं धन्य हो गया प्रभु, धन्यवाद आपका
@Vasantbhai Suthar awesome
Excellent knowledge.
Very nicely expressed
Thanks a lot
अद्भुत अद्भुत अद्भुत अद्भुत मंत्रमुग्ध हुए सर जी ❤️🙏 अद्भुत अकल्पनीय अविश्वसनीय अद्भुत है ❤️🙏🙏❤️
Paramaatma ka adbhut varanan
20
Adhbhudh aklpniye avishvasneeya aap dhane hai
so good nice sir,mene ek New vedic, Astrology palmestry channel banaya hai aap ese subscribe and like kare,soluations jivan ka
@soluationsjivanka19.
पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत सर्व वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है।
दूसरे वह मन-कर्म-वचन से यानि सच्ची श्रद्धा से केवल एक परमात्मा समर्थ की भक्ति स्वयं करता है तथा अपने अनुयाईयों से करवाता है।
तीसरे वह सब अनुयाईयों से समान व्यवहार (बर्ताव) करता है।
चौथे उसके द्वारा बताया भक्ति
कर्म वेदों में वर्णित विधि के अनुसार होता है।
अद्भुत , अकल्पनीय, आपकी वाणी कितनी सद्धी हुई है ।धन्यवाद
Bahut sundar jankari mili
"The self is not something ready-made but something in continuous formation through choice of action."
"स्वत्व कोई बनी बनाई वस्तु नहीं होती है, कर्म के चयन के परिणाम स्वरूप इसका निरन्तर निर्माण करना पड़ता है।"
Syed Shahnawaz.
Unbelievable scientific information, Shat Shat NAMAN 🙏🙏🙏🙏
बहुत ही सरल भाव से आपने समझाया अद्भुत ज्ञान बड़े सरल तरीके से ा आपने समझाया
Sir aap jo bhi hai bahot legend hai.aapko bhagwan ne darshan diya hoga qki aapke pass adbhut gyan hai.
परमेश्वर कबीर साहेब जी का सतलोक को सशरीर प्रस्थान
माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब जब मगहर से सशरीर सतलोक गये तब का वर्णन संत गरीब दास जी ने किया है कि
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं।।
सशरीर ग ए इसका मतलब उनकी हत्या हुई और शरीर नष्टकिया ऐसाही होता है.
अद्भुत ग्यान , आपको कोटी कोटी प्रणाम
Aap ki video si
Miri life mi bhut kuch chang huwaa hi
Very goooood👍👍👍🙏🙏🙏 very nice
आपके अद्भुत ज्ञान के लिये आभारी हू.ऐसा लगता है जिस की प्रतीक्षा थी उस्के पास जाने का मार्ग मिल रहा है. प्रणाम, नमस्कार आपको 🙏
Thankyou
बिलकुल सही बात हैं | धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )।
ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है।
जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष।
जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।
मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
अद्भुत दृश्य का ग्यान प्राप्त हुआ है कृपया ऐसै ही और विडीओ बनते रहे ओर हमेशा हमारे जिवन मे बदलाव होता रहे
🙏जय गुरुदेव 🌹🙏
अद्धभुत, अद्वितीय आज पहली बार एक नई ऊर्जा का संचार अपने भीतर स्पन्दीत अनुभव कर रहा हूँ, आपके 369 को पूरा देखने के पश्चात्. आपका हृदय से आभार 🙏
अंतर्मन से आपको प्रणाम।
❤️🌹🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🌹💅🏵️🏵️🏵️🌹🌹🌹 अनंता अनंत 🌹🌹🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🍁🍁🍁
मै बहुत ही बेचैनी से आपके इस वीडियो का इंतज़ार कर रहा हूं🙏🏻, और मै रोज आपके ही वीडियो बार बार सुनकर, उस गहराई को समझने की कोशिश कर रहा हूं, जो आप समझाना चाहते हो🙏🏻🙏🏻🙏🏻
You're phone no
बकवास
@@vishwapatisharma4910 tera sakal bakwas hai
@@bibekjaiswal1330 तुमने क्या अपनी बहन की शादी करनी है जो शक्ल देख रहे हो ।जय हिन्द ।जय श्री राम
Bahut sahi jankari diye hai mahashay ji🙏🙏❤️
महाशय प्रणाम
जब खोने को कुछ नहीं बचता तो सारा ब्रह्मांड तुम्हारा है।
बहुत-बहुत धन्यवाद
👌👍🙏💞💞💞
Very comprehensive, कई बार में समझ आया पर पढने से जी नहीं घबराया
Mere pass kuchh bhi bhasa nehi he appko bolne ke liye...isliye mera sato koti pranam grahan kijiyega...
Beautifully explained and very knowledgeable.
अदभुत ज्ञान आपकी आवाज रामानंद सागर की रामायण मे राम से मिलती है🥰🥰🥰🥰 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ओम 369 तो ओम की तरह ही हैँ 69 तो o हैँ और 3-0 ओम यही तो मोक्ष का मार्ग हैँ मूर्खो और विद्वानो दोनों को बुद्धि और तर्क ही समझ आते हैँ श्रद्धां भक्ति तपस्या त्याग वैराग्य दान सेवा कर्मयोग कहा समझ आता हैँ
@@HinduRashtraMaker789I 9th
Mera koi bhai nhi but aaj aapki video dekhne k baad life mei bas lgta h mere bhai ne hmko save kar lia thx u love u broooo mera mind totally stable ho chuka haii syad ye video mere liye tha
अक्ह अनाम ही पूर्ण विदेही सर्वव्यापी सभी जीवो में बराबर रूप से रमा हुआ परमात्मा है 🙏🙏
Marvelous.You have universally,Divinely and truthfully enlightened the "Rahasya" of 0 and 9,3&6 etc...Thanks and Sadhuvad for this unique fact...Alok Saxena.Agra
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )।
ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है।
जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष।
जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।
मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
बस हाथ जोडकर आप को शुक्रीया कहना चाहता हुँ। कोटी कोटी धन्यवाद। 🎶🙏🏻🎶
Brilliant n interesting analysis of numbers 0 to 9 n its impact on life .
Very wonderful video. Es video me apne prmatma ko etni acche se explain kiya h k mere pas words nhi h. Apne 0=9 ko etne acche se btaya k aj tk kisi ne nahi btaya. Really you are great sir g....
अंको को जानने से अच्छा है आत्मा को जानो। आत्मा को जानने से ही मोक्ष मिलता है। प्रेम से कोई भी मोक्ष में नही जा सकता, क्योंकि जहाँ किसी एक से प्रेम है तो वही किसी और से द्वेष से जरूर होगा। जहां राग और द्वेष है वहा मोक्ष नही है। हम हमेशा अपने बच्चे को class में first आने के लिए सोचते है मतलब अपने बच्चे से तो राग और अनजाने में ही बाकी सभी बच्चो से द्वेष हो जाता है, इसलिए जब तक मन से ये राग और द्वेष नही निकलता मोक्ष संभव नही। कर्म रज हमारी आत्मा से अनादि काल से चिपके हुए है जैसे जैसे उनका फल देने का समय आता है वैसे वैसे वो अपना फल देकर निकल जाते है लेकिन हम राग द्वेष के कारण नए कर्मो को और बांध लेते है, इसलिए इस संसार मे अनादि काल से भटक रहे है। मोक्ष का मतलब होता है कर्म रज से सम्पूर्ण रूप से मुक्ति और वो तभी हो सकता है जब हम अपने जुने कर्मो को तपस्या से आत्मा से निकले ( निर्जरा ) और नए कर्मो को त्याग के द्वारा आत्मा के साथ चिपकने से रोके ( संवर )।
ये पूरा संसार 9 तत्वों में विभक्त है।
जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष।
जीव और अजीव तो आप जानते ही है। पुण्य और पाप अजीव के ही भेद है, पुण्य और पाप भी आप जानते है। आश्रव मतलब आत्मा की ऐसी परिणीति जिससे नए कर्मो के आने का कारण हो, कर्मो के आने के बाद ये तय हो जाता है के इसमें से कोनसे कर्म पुण्य और कोनसे पाप में परिवर्तित होंगे और कितने समय तक आत्मा के साथ रहेंगे और कितना मंद या त्रीव फल देंगे। संवर मतलब आत्मा की त्याग के द्वारा ऐसी परिणिती जिससे कर्मो को आना बंद हो। निर्जरा मतलब आत्मा की ऐसी स्तिथि जिससे आत्मा में पड़े हुए जुने कर्मो को तपस्या से समय के पहले ही भोग लिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मा को खपा सके। बंद मतलब आत्मा के साथ चिपके हुए कर्म जो अभी फल देने की स्तिथि में नही आये है। मोक्ष मतलब आत्मा संपूर्ण रूप से कर्मो से मुक्त हो गयी और अब नए कर्मो का बंधन हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया।
मोक्ष कोई स्थान विशेष का नाम नही है बल्कि मोक्ष का मतलब है आत्मा की पूर्ण रूप से शुद्ध स्थिति। मोक्ष मतलब कोई शरीर नही, कोई विकार नही, न कोई पुण्य और न कोई पाप के कर्म का साथ होना, अनंत आत्मिक सुख का आनंद लेना, अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत शक्ति को होना। लेकिन ऐसी आत्मा को कही तो रहना होगा इसलिए ये अनंत आत्मायें जिन्होंने मोक्ष को पा लिया है वो ऊपर लोक के अग्र भाग पर अनंत काल के लिए विराजमान है। अब उनके लिए इस संसार मे करने के लिए कोई कार्य नही है वो बस पूरे लोक को ज्ञाता द्रष्टा भाव से देख और जान रहे है।
@@lokeshbafna @Lokesh Jain apko bht gyan h lokesh g. Ap gyan yog ki bat kr rahe h. Ap to udhav ho gye .
But krishan g ne kaha h, m gyaniyon se jayada premiyon k vash m hu. Or rahi bat davesh ki to jo prem krte h wo kisi ek se prem nhi krte wo prkrti ki bnayi sb chizon se prem krte h. Unse to prem bahta h. To davesh ka sthan kaha hoga. Aatma ka vishesh gun he prem or shanti h. Jb hum jite jee mukt nhi ho paye to marne k bad aatma kaha se moksh payegi.
Aatma ko to shanti n prem chahiye. Prem prmatma ka he roop h. Or jaha prmatma h, waha moksh ko kaise roka ja skta h.
Wo bat alg h k prem ko aj kl apne swarth k karn etna badnam kr diya h k. Uske naam se he dr lgta h.
@@shardasharma5427 में आपको कुछ बताना चाहता है जरा ध्यान दीजिएगा।
हर पदार्थ में मूल गुण और पर्याय होता है। मूल गुण कभी भी पदार्थ से अलग नही हो सकता लेकिन पर्याय बदलता रहता है। अगर मूल गुण ही बदल जाये या नष्ट हो जाए तो वो द्रव्य ही नष्ट या बदल जाएगा। सूर्य का मूल गुण है प्रकाश और गर्मी देना और पर्याय है गर्मी और प्रकाश काम या ज्यादा देना। सूर्य की पर्याय बदलने से उसका सूर्य पना खत्म नही हो जाता लेकिन अगर मूल गन नष्ट हो जाये जैसे सूर्य प्रकाश और गर्मी देना बंद कर दे तो वो सूर्य नही कुछ और हो जाएगा, मतलब ये हुआ के चाहे कुछ भी कर लो कोई भी पदार्थ अपने मूल गुण को किसी भी स्तिथि में पूरी तरह से नही छोड़ता चाहे कुछ कम ज्यादा हो सकता है पर सम्पूर्ण नष्ट नही होता।
अब बात करते है आत्मा की।
आत्मा का मूल गुण है
1. चैतन्य
2. अनंत ज्ञान
3. शांति
4. शक्ति
5. अनंत आत्मिक सुख
6. निराहार
7. राग द्वेष रहित
और भी बहुत है।
कोई भी जीव चैतन्य शून्य कभी नही हो सकता। हर जीव ज्ञान शून्य नही होता, एक छोटी सी चींटी के आगे भी हाथ रख दो तो वो भी अपना रास्ता बदलने की समज रखती है। कोई भी जीव लगातार गुस्सा नही कर सकता पर शांति से ज्यादा समय तक रह सकता है। कोई भी जीव हमे शक्ति शून्य नही दिखाई देता है। हर जीव आंतरिक सुख चाहता है दुखी कोई नही होना चाहता। कोई भी जीव हर समय आहार नही कर सकता पर ज्यादा समय तक निराहार रह सकता है, कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने सिर्फ पानी पर 6 महीने निकाले है। राग हमेशा अकेला नही चलता उसके साथ द्वेष अपने आप साथ हो जाता है, इसके बहुत से उदाहरण दिए जा सकते है।
कोई बुड्डा सड़क पर कर रहा है और अचानक से कोई car आकर उसे ठोक दे और आपके सामने ये सब हो रहा हो तो आपके मन मे क्या आएगा। बुढ्ढे के प्रति दया राग का भाव लेकिन उस ड्राइवर के प्रति गुस्सा द्वेष का भाव अपने आप आ गया। accident से पहले दोनों के प्रति कोई भाव नही था लेकिन कुछ ही क्षणों में ये क्या हो गया एक के प्रति negative और दूसरे के प्रति positive भाव आ गए। अगर राग या प्रेम सही है तो मन मे इतनी खलभलट क्यों हो रही है, क्यों मन आकुल व्याकुल हो रहा है। इसी जगह कोई ऐसा भी इंसान हो सकता था जो बुड्ढे इंसान को अपना कर्तव्य समझ कर बचा भी लेता और ड्राइवर के प्रति मन मे कोई गलत भाव भी नही लाता, अब बताव क्या ऐसा लगता है के दूसरे आदमी दुखी हुआ, नही हुआ क्योंकि उसने किसी के प्रति कोई राग लाया ही नही तो किसी और के प्रति द्वेष भी नही आया। में जानता हूं के हम परिवार लेकर बैठे है ये बहुत मुश्किल है के बिना राग के साथ परिवार में रहना लेकिन अगर मोक्ष सुख को पाना है तो ध्याय माता के समान रहना पड़ेगा, ध्याय माता महारानी के पुत्र को अपने बेटे जैसा पालती है पर मैन में जानती है के ये मेरा असल पुत्र नही है लेकिन मुझे मेरे कर्त्तव्य को अच्छी तरह से निभाना है। आप खुद ही सोचो ऐसी आत्मा जिसके कोई भी कर्म परमाणु का बंधन नही है मतलब न राग है न द्वेष, क्रोध, मान, माया और लोभ का कोई अस्तित्व ही नही है तो क्या उस आत्मा के लिए संसार मे सभी जीव एक सम्मान नही होंगे? जब सभी जीव के प्रति न कोई राग न कोई द्वेष तो किस प्रकार का दुख होगया उनको?
मुक्त आत्माएं तो अनंत सुख का रसास्वादन कर रही है। उन्हें संसारी किसी भी वस्तु से कोई लेना देना नही है। जब कोई आत्मा 8 कर्मो में से मूल 4 घाती को नाश कर देती है तक उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है जिससे वे दूसरे जीवो को भी मुक्ति का मार्ग दिखाते है।
@@lokeshbafna apko aatma ka bht gyan h. Sahi m apko udhav kahna glt nhi h. But m etne gyan ko nhi smjh pati. Mujhe to samrpan bhav or prem bhav pta h. Esse jyada ka mujhe gyan nhi h.
Updesh sir ki bat b 100 % sahi h. Unki bat smjhna bht easy h. Apki bat b sahi h but apki bat smjhna bht hard h.
@@shardasharma5427 ok shardaji no problem, thanks for comment. ek bolkar samjhana aur msg se samjhane me fark to hota hi hai. anyway thanks again...
निःसंदेह आप एक महान आत्मा है आपसे मिलने वाली जानकारी अद्भुत है, सौभाग्य है मेरा जो ये चैनल मुझे प्राप्त हुआ..❤❤
इसी गणित को कबीर साहब जी ने अपनी बाणियो में समझाया है कि। घूंघट के पट खोल तोकू पीव मिलेंगे।