यदी असल सतय में रहना ह- तब मन सबद खतम करना उचीत मीठे एकरस ह - जब तक मन ह- तब तक सतय नहीं--- ऐसे बाबा में मन नहीं होता--- सीरफ बेहद नाटक के बूदधी व संसकार ह- अपने बाबा बेहद मीठे सतय खतम करने के या देने को नहीं कहता ह- अपने बाबा असतय या नहीं ह-- को कहते हं--- खतम करो अरथात अपने बेहद मीठे एकरस नीराकार एक बाबा को दे लीजीए---
भाग-1 --- बेहद के खूसी व खूशी में--- 99.99% अंतर ह अपने बाबानूसार-- खूसी में अंतर ह- या नहीं यह नीरनय अपने आप कर लीजीए--- अपने बाबा दवारा साकार में सहयोग इस-एक फरीसते के माधयम से-- समजा (या समझा )रहे हं--- अपने बाबा के समज परकास में आने के बाद--- बेहद के खूसी ह व खूसी ह- पहले यह नीरनय कर लीजीए--- अभी के खूसी---- खूसी नहीं--- बेहद एकरस सूख बेहद एकरस आनंद बेहद एकरस परेम के संतूसटी से सांंती ह-- सीरफ सांती में वीसवास करने वाले यहां से आगे ना पढे उनके लीए यह समज परकास नहीं ह--
भाग 2 बेहद के खूसी व खूसी में 99.99% अंतर ह- अपने बाबानूसार--- भाग 1 के बाद- परकास का बदला हूआ रूप सरीर के रहते सरीर के सभी संबंध व परापती सथीती वाले के लीए यह समज परकास ह-- सतयूग तरेतायूग में--- कोइ भी संबंध या रीसते होता नहीं--- वहां खूसी या गम सबद होते नहींं--- दवापर कलयूग में शरीर के रहते अतीइनदरीय या अतींद्रिय सूख या सवराजधीकार या एक से सभी संबंध- सबद होते नहीं--- दवापर कलयूग के खूसी अरथात न समज होने से कीए वीकरम से परापत सथीती या ओर ही नीचे के ओर आने के सथीती अपने बाबा ने यह समजाया ह --- यदी अब से पहले खूसी था तब--- अपने बाबा के समज परकास से अलग रह लीजीए--- जरूरत नहीं ह - जीसे पहले ही खूसी परापत ह-- समज से पहले को खूसी कह सकते हं--- या नहीं नीरनय अपने आप कर लीजीए---
Thank you baba🙏Thank you Didi 😇👌
Om shanti ji ❤❤❤🎉🎉🎉
Om shanti sister ❤
Om Shanti ❤
Om Shanti
Link for joining the classes is closed till December
We will share once it's open
Thank you
Okay, and what about whatsapp group?
मैं निरंतर साइलेंस हूं मेरे अंदर आवाज की दुनिया है यही याद रखना है❤
Om santi baba ❤
Many many thanks 🙏🏻
Didi mujhe bhi apki live class attend karna hai
pyare baba apka kya kehena❤
wah re mai atma😊
wah sweet di❤
Very well explained
Thank you
Om Shanti didi
Om shanti didi aatma aapaka online class kaise join kar shakti hai ?
यदी असल सतय में रहना ह- तब मन सबद खतम करना उचीत मीठे एकरस ह - जब तक मन ह- तब तक सतय नहीं--- ऐसे बाबा में मन नहीं होता--- सीरफ बेहद नाटक के बूदधी व संसकार ह-
अपने बाबा बेहद मीठे सतय खतम करने के या देने को नहीं कहता ह- अपने बाबा असतय या नहीं ह-- को कहते हं--- खतम करो अरथात अपने बेहद मीठे एकरस नीराकार एक बाबा को दे लीजीए---
Mujhe bhi ye class join karana hai ,kindly link jald hi open kre❤
Yesss mujhee bhi join krnaa hai
भाग-1 --- बेहद के खूसी व खूशी में--- 99.99% अंतर ह अपने बाबानूसार-- खूसी में अंतर ह- या नहीं यह नीरनय अपने आप कर लीजीए---
अपने बाबा दवारा साकार में सहयोग इस-एक फरीसते के माधयम से-- समजा (या समझा )रहे हं--- अपने बाबा के समज परकास में आने के बाद--- बेहद के खूसी ह व खूसी ह- पहले यह नीरनय कर लीजीए---
अभी के खूसी---- खूसी नहीं--- बेहद एकरस सूख बेहद एकरस आनंद बेहद एकरस परेम के संतूसटी से सांंती ह-- सीरफ सांती में वीसवास करने वाले यहां से आगे ना पढे उनके लीए यह समज परकास नहीं ह--
👍👍👌👌👌🎉🎉🎉❤️❤️
भाग 2 बेहद के खूसी व खूसी में 99.99% अंतर ह- अपने बाबानूसार---
भाग 1 के बाद- परकास का बदला हूआ रूप सरीर के रहते सरीर के सभी संबंध व परापती सथीती वाले के लीए यह समज परकास ह-- सतयूग तरेतायूग में--- कोइ भी संबंध या रीसते होता नहीं--- वहां खूसी या गम सबद होते नहींं---
दवापर कलयूग में शरीर के रहते अतीइनदरीय या अतींद्रिय सूख या सवराजधीकार या एक से सभी संबंध- सबद होते नहीं---
दवापर कलयूग के खूसी अरथात न समज होने से कीए वीकरम से परापत सथीती या ओर ही नीचे के ओर आने के सथीती अपने बाबा ने यह समजाया ह --- यदी अब से पहले खूसी था तब---
अपने बाबा के समज परकास से अलग रह लीजीए--- जरूरत नहीं ह - जीसे पहले ही खूसी परापत ह-- समज से पहले को खूसी कह सकते हं--- या नहीं नीरनय अपने आप कर लीजीए---