ذكرتني بعشائية ٢٣ محرم ١٤٤٥ صاحب الحنجرة الذهبية و الصوت الآسر و الإبداع المتجدد و الأداء الخاشع و أحب المشايخ الي قلبي الشيخ ياسر الدوسري حفظه ووفقه وبارك الله فيه اللهم أسعده في الدارين و احشرني ووالدىّ معه و مع سيدنا محمد صلى الله عليه وسلم
ما شاء الله تبارك الله تلاوة رائعه لفواتح سورة آل عمران وهذا ليس جديد على فضيلة الشيخ الاستاذ الدكتور ياسر الدوسري الله يحفظه ويمتعه بالصحة والعافية والعمر المديد يارب .
﴿إِنَّ الدّينَ عِندَ اللَّهِ الإِسلامُ..﴾ الحمد لله علي نعمة الإسلام وكغي بها نعمة اللهم زد وبارك يارب في عدد المسلمين واعز الاسلام والمسلمين في كل مكان يارب العالمين
ماشاء الله انا كنت موجود كان صلاة الفجر يوم الخميس سبحان الله تلاوة على الطبيعة بصوت الشيخ ياسر تخليك فعلا خاشع وصلينا صلاة الميت على الاموات الله يرحمهم ويغفر لهم
فجريات الشيخ ياسر من النعيم المعجل في الدنيا ☺️ الله يجعلك ياشيخنا من الذين يقال لهم يوم القيامة إقرأ ورتل وارتق مثل ما كنت ترتل في الدنيا وانزلك الفردوس الأعلى جوار نبينا محمد وجمعنا بك بصلوات خلفك في بيته الحرام ، وفي جنة عرضها السموات والأرض آمين آمين يا رب
ماشاء الله تبارك الله تلاوة عطرة خاشعة ماتعة من فواتح سورة( آل عمران ) الآية 1إلي 20 تلاوة من روائح صلاة التراويح وشهر رمضان المبارك جزاكم الله خيرا شيخنا المبارك
3:1 Alif, Lām, Meem. 3:2 Allāh - there is no deity except Him, the Ever-Living, the Self-Sustaining. 3:3 He has sent down upon you, [O Muḥammad], the Book in truth, confirming what was before it. And He revealed the Torah and the Gospel 3:4 Before, as guidance for the people. And He revealed the Criterion [i.e., the Qur’ān]. Indeed, those who disbelieve in the verses of Allāh will have a severe punishment, and Allāh is Exalted in Might, the Owner of Retribution. 3:5 Indeed, from Allāh nothing is hidden in the earth nor in the heaven. 3:6 It is He who forms you in the wombs however He wills. There is no deity except Him, the Exalted in Might, the Wise. 3:7 It is He who has sent down to you, [O Muḥammad], the Book; in it are verses [that are] precise - they are the foundation of the Book - and others unspecific. As for those in whose hearts is deviation [from truth], they will follow that of it which is unspecific, seeking discord and seeking an interpretation [suitable to them]. And no one knows its [true] interpretation except Allāh. But those firm in knowledge say, "We believe in it. All [of it] is from our Lord." And no one will be reminded except those of understanding. 3:8 [Who say], "Our Lord, let not our hearts deviate after You have guided us and grant us from Yourself mercy. Indeed, You are the Bestower. 3:9 Our Lord, surely You will gather the people for a Day about which there is no doubt. Indeed, Allāh does not fail in His promise." 3:10 Indeed, those who disbelieve - never will their wealth or their children avail them against Allāh at all. And it is they who are fuel for the Fire. 3:11 [Theirs is] like the custom of the people of Pharaoh and those before them. They denied Our signs, so Allāh seized them for their sins. And Allāh is severe in penalty. 3:12 Say to those who disbelieve, "You will be overcome and gathered together to Hell, and wretched is the resting place." 3:13 Already there has been for you a sign in the two armies which met [in combat at Badr] - one fighting in the cause of Allāh and another of disbelievers. They saw them [to be] twice their [own] number by [their] eyesight. But Allāh supports with His victory whom He wills. Indeed in that is a lesson for those of vision. 3:14 Beautified for people is the love of that which they desire - of women and sons, heaped-up sums of gold and silver, fine branded horses, and cattle and tilled land. That is the enjoyment of worldly life, but Allāh has with Him the best return [i.e., Paradise]. 3:15 Say, "Shall I inform you of [something] better than that? For those who fear Allāh will be gardens in the presence of their Lord beneath which rivers flow, wherein they abide eternally, and purified spouses and approval from Allāh. And Allāh is Seeing [i.e., aware] of [His] servants - 3:16 Those who say, "Our Lord, indeed we have believed, so forgive us our sins and protect us from the punishment of the Fire," 3:17 The patient, the true, the obedient, those who spend [in the way of Allāh], and those who seek forgiveness before dawn. 3:18 Allāh witnesses that there is no deity except Him, and [so do] the angels and those of knowledge - [that He is] maintaining [creation] in justice. There is no deity except Him, the Exalted in Might, the Wise. 3:19 Indeed, the religion in the sight of Allāh is Islām. And those who were given the Scripture did not differ except after knowledge had come to them - out of jealous animosity between themselves. And whoever disbelieves in the verses of Allāh, then indeed, Allāh is swift in [taking] account. 3:20 So if they argue with you, say, "I have submitted myself to Allāh [in Islām], and [so have] those who follow me." And say to those who were given the Scripture and [to] the unlearned, "Have you submitted yourselves?" And if they submit [in Islām], they are rightly guided; but if they turn away - then upon you is only the [duty of] notification. And Allāh is Seeing of [His] servants.
ما شاء تبارك الرحمن اللهم بارك بارك الله فيكم جميعاً اللهم صل على محمد وعلى ال محمد كما صليت على ابراهيم وعلى ال ابراهيم انك حميد مجيد وبارك على محمد وعلى ال محمد كما باركت على ابراهيم وعلى ال ابراهيم انك حميد مجيد
3:1 अलिफ़, लाम, मीम। 3:2 अल्लाह (वह है कि) उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। (वह) जीवित है, हर चीज़ को सँभालने (क़ायम रखने) वाला है। 3:3 उसने आप पर (यह) पुस्तक सत्य के साथ उतारी, जो उसकी पुष्टि करने वाली है जो इससे पूर्व है, और उसने तौरात तथा इंजील उतारी। 3:4 इससे पहले, लोगों के मार्गदर्शन के लिए। और उसने फ़ुरक़ान (सत्य और असत्य में अंतर करने वाला मानदंड) उतारा। निःसंदेह जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों का इनकार किया, उनके लिए बहुत कड़ी यातना है। और अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली, बदला लेने वाला है। 3:5 निःसंदेह अल्लाह वह है जिससे न धरती में कोई चीज़ छिपी रहती है और न आकाश में। 3:6 वही है जो गर्भाशयों में तुम्हारे रूप बनाता है, जिस तरह चाहता है। उसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, (वह) सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है। 3:7 (ऐ नबी!) वही है जिसने आप पर (यह) पुस्तक उतारी, जिसमें से कुछ आयतें मोह़कम (स्पष्ट तर्क वाली) हैं, वही पुस्तक का मूल हैं, तथा कुछ दूसरी (आयतें) मुतशाबेह (छिपे हुए और पोशीदा अर्थ वाली) हैं। फिर जिनके दिलों में टेढ़ है, तो वे फ़ित्ने की तलाश में तथा उसके असल आशय की तलाश के उद्देश्य से, सदृश अर्थों वाली आयतों का अनुसरण करते हैं। हालाँकि उनका वास्तविक अर्थ अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। तथा जो लोग ज्ञान में पक्के हैं, वे कहते हैं हम उसपर ईमान लाए, सब हमारे पालनहार की और से है। और शिक्षा वही लोग ग्रहण करते हैं, जो बुद्धि वाले हैं। 3:8 (तथा वे कहते हैं :) ऐ हमारे पालनहार! हमें हिदायत देने के बाद हमारे दिलों को टेढ़ा न कर, और हमें अपनी ओर से दया प्रदान कर। निःसंदेह तू ही बहुत बड़ा दाता है। 3:9 ऐ हमारे पालनहार! निःसंदेह तू सब लोगों को उस दिन के लिए इकट्ठा करने वाला है, जिस (के आने) में कोई शक नहीं। निःसंदेह अल्लाह वादे के विरुद्ध नहीं करता। 3:10 निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके धन तथा उनकी संतान उन्हें अल्लाह (की यातना) से (बचाने में) कदापि कुछ काम नहीं आएँगे, तथा वही आग का ईंधन हैं। 3:11 (इनका हाल) फ़िरऔनियों तथा उन लोगों के हाल की तरह है जो उनसे पहले थे। उन्होंने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया, तो अल्लाह ने उन्हें उनके गुनाहों के कारण पकड़ लिया और अल्लाह बहुत सख़्त अज़ाब वाला है। 3:12 (ऐ नबी!) काफ़िरों से कह दें कि तुम जल्द ही पराजित किए जाओगे तथा जहन्नम की ओर इकट्ठे किए जाओगे और वह बहुत बुरा ठिकाना है। 3:13 निश्चय तुम्हारे लिए उन दो दलों में बड़ी निशानी थी, जिनमें (बद्र के मैदान में) मुठभेड़ हुई। एक दल अल्लाह के मार्ग में लड़ता था और दूसरा काफ़िर था। ये (मुसलमान) उन (काफ़िरों) को अपनी आँखों से अपने से दुगना देख रहे थे। और अल्लाह जिसे चाहता है अपनी सहायता से शक्ति प्रदान करता है। निःसंदेह इसमें आँखों वालों के लिए निश्चय बड़ी इबरत (सीख) है। 3:14 लोगों के लिए भौतिक इच्छाओं का प्यार सुसज्जित कर दिया गया है, जो औरतें, बेटे, सोने और चाँदी के ढेर, निशान लगाए हुए घोड़े, मवेशी तथा खेती हैं। ये सांसारिक जीवन के सामान हैं और उत्तम ठिकाना अल्लाह के पास है।
3:15 (ऐ नबी!) कह दें : क्या मैं तुम्हें उससे बेहतर चीज़ बताऊँ? उन लोगों के लिए जो (अल्लाह से) डरने वाले हैं उनके पालनहार के पास ऐसे बाग़ हैं, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, (वे) उनमें हमेशा रहने वाले हैं और (उनके लिए उसमें) पवित्र पत्नियाँ तथा अल्लाह की प्रसन्नता है और अल्लाह बंदों को ख़ूब देखने वाला है। 3:16 जो कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! निःसंदेह हम ईमान लाए। इसलिए हमारे गुनाह माफ़ कर दे और हमें दोज़ख़ के अज़ाब से बचा। 3:17 जो धैर्य रखने वाले, सत्यवादी, आज्ञाकारी, दानशील और रात की अंतिम घड़ियों में (अल्लाह से) क्षमा याचना करने वाले हैं। 3:18 अल्लाह ने गवाही दी कि निःसंदेह उसके सिवा कोई पूज्य नहीं, तथा फ़रिश्तों और ज्ञान वालों ने भी, इस हाल में कि वह न्याय को क़ायम करने वाला है। उसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है। 3:19 निःसंदेह दीन (धर्म) अल्लाह के निकट इस्लाम ही है और किताब वालों ने अपने पास ज्ञान आ जाने के पश्चात आपस में ईर्ष्या के कारण ही मतभेद किया। तथा जो अल्लाह की आयतों का इनकार करे, तो निःसंदेह अल्लाह बहुत जल्द ह़िसाब लेने वाला है। 3:20 फिर यदि वे आपसे झगड़ा करें, तो कह दीजिए कि मैंने अपना चेहरा अल्लाह के अधीन कर दिया और उसने भी जिसने मेरा अनुसरण किया, तथा उन लोगों से जिन्हें किताब दी गई और अनपढ़ लोगों से कह दो कि क्या तुम आज्ञाकारी हो गए? यदि वे आज्ञाकारी हो जाएँ, तो निःसंदेह मार्गदर्शन पा गए और यदि वे मुँह फेर लें, तो आपका दायित्व केवल (संदेश) पहुँचा देना है तथा अल्लाह बंदों को ख़ूब देखने वाला है।
ماشاءالله تبارك الله الله كبير الله كبير سبحان الله وبحمده سبحان الله العظيم واتوب اليه عدد خلقه ورضا نفسه وزنة عرشه ومداد كلماته اللهم صل وسلم على نبينا محمد وعلى آله وصحبه أجمعين وسلم تسليما كثيرا إلى يوم الدين اللهم امين يارب العالمين يا الله يارب افوز جنى ❤❤❤
ما أجملها من تلاوة ما شاء الله لا قوة إلا بالله! تلاوة بديعة بنفحات رمضانية🌙
1:32 , 2:38 , 3:01 , 3:17 , 4:10 , 5:57 6:20 , 7:22
تُوقَدُ وَتَوَهَّج حَتَّى تَالِألأ
إِبْدَاعًا فِي سَمَاءِ مَكَّة 🩵
@@sahm.2030 أي والله، ما شاء الله عليه
ذكرتني بعشائية ٢٣ محرم ١٤٤٥ صاحب الحنجرة الذهبية و الصوت الآسر و الإبداع المتجدد و الأداء الخاشع و أحب المشايخ الي قلبي الشيخ ياسر الدوسري حفظه ووفقه وبارك الله فيه اللهم أسعده في الدارين و احشرني ووالدىّ معه و مع سيدنا محمد صلى الله عليه وسلم
❤❤
أفضل قارئ في هذا العصر لاقبله ولابعده ،ربي يحفظه ولايحرمنا منه
آميييين
فى قبله( محمد صديق المنشاوي _ محمود خليل الحصري _ محمد أيوب)
ماشاءالله على شيخ ياسر الدوسري روعه
آمين يارب العالمين
الشيخ ياسر تلميذ محمد ايوب
@@ياسرالدوسري-ي9 أي أعرف وأحياناً كثيرة يتلوا بنفس أسلوبه
3:00 ما شاء الله 😢❤.
في هاي الصلاة كنت خلف الشيخ ياسر شعور عالمي لايوصف ❤
مثليي❤❤❤
ما شاء الله تبارك الله
تلاوة رائعه لفواتح سورة آل عمران
وهذا ليس جديد على فضيلة الشيخ
الاستاذ الدكتور ياسر الدوسري
الله يحفظه ويمتعه بالصحة والعافية والعمر المديد يارب .
تبارك الرحمن 6:19
نبي نشوفك في التويتر بعد
يا الله
ما شاء الله تلاوة رائعه جدا من فواتح سورة آل عمران ❤
ما شاء الله *
ما شاء الله ،فواتح سورة آل عمران ❤تلاوة ولا أروع خشوع وتجلي تبارك الرحمن لاعاد في كلام يوصف هذا الجمال ربي يحفظك
إن شاء الله يجبر قلبك بقرأة سورة الحديد قريبا ☺️🤍
@@roqayah-o1m يارب الله يسمع منك
آمين يارب العالمين
@@roqayah-o1m أي هنا، تفضلي أسألي
يوميه نصلي ورا صوت الدوسري في مكه المكرمه❤
حضرت هذه الصلاه ربنا تقبل منا ومن الشيخ
﴿إِنَّ الدّينَ عِندَ اللَّهِ الإِسلامُ..﴾
الحمد لله علي نعمة الإسلام وكغي بها نعمة
اللهم زد وبارك يارب في عدد المسلمين واعز الاسلام والمسلمين في كل مكان يارب العالمين
كفى *
نعم
وكفي بها نعمة
معذرة غبر مقصودة الأحرف جنب بعضها بيحصل لخبطة غير مقصودة
الحمدلله على نعمه الاسلام وكفى به نعمه
@@AbdullahMizajii الحمد لله *
بها *
غريد الحرم وبلبل المحراب بلا منازع الشيخ ياسر الدوسري الله يبارك فيه
ماشاء الله انا كنت موجود كان صلاة الفجر يوم الخميس سبحان الله تلاوة على الطبيعة بصوت الشيخ ياسر تخليك فعلا خاشع وصلينا صلاة الميت على الاموات الله يرحمهم ويغفر لهم
فجريات الشيخ ياسر من النعيم المعجل في الدنيا ☺️
الله يجعلك ياشيخنا من الذين يقال لهم
يوم القيامة إقرأ ورتل وارتق مثل ما كنت ترتل في الدنيا وانزلك الفردوس الأعلى جوار نبينا محمد
وجمعنا بك بصلوات خلفك في بيته الحرام ، وفي جنة عرضها السموات والأرض آمين آمين يا رب
@@roqayah-o1m يارب اللهم آمين، وصل اللهم وسلم وبارك على نبينا وشفيعنا سيدنا محمد وعلى آله وصحبه أجمعين
اللهم آمين يا رب
ارجعي
@@KB-hy5wpشكراً ياأخي لأنك رجعتني، والله هذه التلاوة تستحق سماعها عشرات المرات
@@amena31 فعلاً والله التلاوة جميلة جداً ويارب يقرأ مثلها وأفضل منها في الفجريات القادمة
سبحان من وهبك هذا الصوت الجميل وهذا الخشوع اللهم احفظه بحفظك التام وعينك التي لا تنام وزده تألقاً وإبداعاً يارب إنك أنت الوهاب ❤🌹❤🌹❤
اللهم آمين يارب العالمين
الشيخ قاعد يذكرنا بالتلاوات القديمة له الله يحفظه❤❤
Subahan Allah
اللهم لا تحرمنا من فجريات الأسر ❤
آمين آمين آمين يا رب
كلمتان خفيفتان على اللسان ثقيلتان بالميزان حبيبتان الى الرحمن سبحان الله وبحمده سبحان الله العظيم
من تذكر ليلة 8 رمضان 1445هـ ياالله حقيقي فجرية للتاريخ
اللهم امنح شيخنا وحافظ عليه أفضل طريقة ممكنة يا الله امنحه وعائلته أفضل صحة ❤
كنت موجوده الحمدلله🤍
صوته يقشعر ويخليك غصب تخشع
4:10
(قل للذين كفروا ستغلبون وتحشرون إلى جهنم وبئس المهاد)
اللهم عليك باليهود المجرمين اللهم انتقم منهم ومن أعوانهم من الكفار والمنافقين المطبعين
اللهم ردهم خائبين خاسرين. آمين
ما شاء الله 🤍🤍🤍
الله الله الله.. الشيخ هذي اليومين يُمتع أسماعنا بتلاوات حدرية رمضانية 😍😍😍
وهل يخفى القمر 🌒🌒
Masha Allah
بارك الله في الشيخ ياسر بن راشد الدوسري ❤
يا ياسر نحن نريد 15 دقيقة الله يخليك .
والله 8 دقائق قليلة علينا❤
الله يحفظك يا شيخنا
6:56 انتقالة مميزة🤍
"إِنَّ الله لَا يَخْفَى عَلَيْهِ شَئٌ فِي الأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَاءْ"❤❤
الشيخ جالس يعيشنا تلاوته ايام زمان❤❤
اللهم بارك ..ابداع واتقان وتلاوة خاشعة ربنا يبارك فيه
الله يسلمك يا ابو راشد 🥹🥰
3:1
الٓمٓ ١
3:2
ٱللَّهُ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْحَىُّ ٱلْقَيُّومُ ٢
3:3
نَزَّلَ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ بِٱلْحَقِّ مُصَدِّقًۭا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِ وَأَنزَلَ ٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ ٣
3:4
مِن قَبْلُ هُدًۭى لِّلنَّاسِ وَأَنزَلَ ٱلْفُرْقَانَ ۗ إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ لَهُمْ عَذَابٌۭ شَدِيدٌۭ ۗ وَٱللَّهُ عَزِيزٌۭ ذُو ٱنتِقَامٍ ٤
3:5
إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَخْفَىٰ عَلَيْهِ شَىْءٌۭ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا فِى ٱلسَّمَآءِ ٥
3:6
هُوَ ٱلَّذِى يُصَوِّرُكُمْ فِى ٱلْأَرْحَامِ كَيْفَ يَشَآءُ ۚ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ ٦
3:7
هُوَ ٱلَّذِىٓ أَنزَلَ عَلَيْكَ ٱلْكِتَـٰبَ مِنْهُ ءَايَـٰتٌۭ مُّحْكَمَـٰتٌ هُنَّ أُمُّ ٱلْكِتَـٰبِ وَأُخَرُ مُتَشَـٰبِهَـٰتٌۭ ۖ فَأَمَّا ٱلَّذِينَ فِى قُلُوبِهِمْ زَيْغٌۭ فَيَتَّبِعُونَ مَا تَشَـٰبَهَ مِنْهُ ٱبْتِغَآءَ ٱلْفِتْنَةِ وَٱبْتِغَآءَ تَأْوِيلِهِۦ ۗ وَمَا يَعْلَمُ تَأْوِيلَهُۥٓ إِلَّا ٱللَّهُ ۗ وَٱلرَّٰسِخُونَ فِى ٱلْعِلْمِ يَقُولُونَ ءَامَنَّا بِهِۦ كُلٌّۭ مِّنْ عِندِ رَبِّنَا ۗ وَمَا يَذَّكَّرُ إِلَّآ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَـٰبِ ٧
3:8
رَبَّنَا لَا تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِن لَّدُنكَ رَحْمَةً ۚ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْوَهَّابُ ٨
3:9
رَبَّنَآ إِنَّكَ جَامِعُ ٱلنَّاسِ لِيَوْمٍۢ لَّا رَيْبَ فِيهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُخْلِفُ ٱلْمِيعَادَ ٩
3:10
إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَن تُغْنِىَ عَنْهُمْ أَمْوَٰلُهُمْ وَلَآ أَوْلَـٰدُهُم مِّنَ ٱللَّهِ شَيْـًۭٔا ۖ وَأُو۟لَـٰٓئِكَ هُمْ وَقُودُ ٱلنَّارِ ١٠
3:11
كَدَأْبِ ءَالِ فِرْعَوْنَ وَٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ كَذَّبُوا۟ بِـَٔايَـٰتِنَا فَأَخَذَهُمُ ٱللَّهُ بِذُنُوبِهِمْ ۗ وَٱللَّهُ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ ١١
3:12
قُل لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ سَتُغْلَبُونَ وَتُحْشَرُونَ إِلَىٰ جَهَنَّمَ ۚ وَبِئْسَ ٱلْمِهَادُ ١٢
3:13
قَدْ كَانَ لَكُمْ ءَايَةٌۭ فِى فِئَتَيْنِ ٱلْتَقَتَا ۖ فِئَةٌۭ تُقَـٰتِلُ فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ وَأُخْرَىٰ كَافِرَةٌۭ يَرَوْنَهُم مِّثْلَيْهِمْ رَأْىَ ٱلْعَيْنِ ۚ وَٱللَّهُ يُؤَيِّدُ بِنَصْرِهِۦ مَن يَشَآءُ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَعِبْرَةًۭ لِّأُو۟لِى ٱلْأَبْصَـٰرِ ١٣
3:14
زُيِّنَ لِلنَّاسِ حُبُّ ٱلشَّهَوَٰتِ مِنَ ٱلنِّسَآءِ وَٱلْبَنِينَ وَٱلْقَنَـٰطِيرِ ٱلْمُقَنطَرَةِ مِنَ ٱلذَّهَبِ وَٱلْفِضَّةِ وَٱلْخَيْلِ ٱلْمُسَوَّمَةِ وَٱلْأَنْعَـٰمِ وَٱلْحَرْثِ ۗ ذَٰلِكَ مَتَـٰعُ ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَٱللَّهُ عِندَهُۥ حُسْنُ ٱلْمَـَٔابِ ١٤
3:15
۞ قُلْ أَؤُنَبِّئُكُم بِخَيْرٍۢ مِّن ذَٰلِكُمْ ۚ لِلَّذِينَ ٱتَّقَوْا۟ عِندَ رَبِّهِمْ جَنَّـٰتٌۭ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَـٰرُ خَـٰلِدِينَ فِيهَا وَأَزْوَٰجٌۭ مُّطَهَّرَةٌۭ وَرِضْوَٰنٌۭ مِّنَ ٱللَّهِ ۗ وَٱللَّهُ بَصِيرٌۢ بِٱلْعِبَادِ ١٥
3:16
ٱلَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَآ إِنَّنَآ ءَامَنَّا فَٱغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَقِنَا عَذَابَ ٱلنَّارِ ١٦
3:17
ٱلصَّـٰبِرِينَ وَٱلصَّـٰدِقِينَ وَٱلْقَـٰنِتِينَ وَٱلْمُنفِقِينَ وَٱلْمُسْتَغْفِرِينَ بِٱلْأَسْحَارِ ١٧
3:18
شَهِدَ ٱللَّهُ أَنَّهُۥ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ وَٱلْمَلَـٰٓئِكَةُ وَأُو۟لُوا۟ ٱلْعِلْمِ قَآئِمًۢا بِٱلْقِسْطِ ۚ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ ١٨
3:19
إِنَّ ٱلدِّينَ عِندَ ٱللَّهِ ٱلْإِسْلَـٰمُ ۗ وَمَا ٱخْتَلَفَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ إِلَّا مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ ٱلْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ ۗ وَمَن يَكْفُرْ بِـَٔايَـٰتِ ٱللَّهِ فَإِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ ١٩
3:20
فَإِنْ حَآجُّوكَ فَقُلْ أَسْلَمْتُ وَجْهِىَ لِلَّهِ وَمَنِ ٱتَّبَعَنِ ۗ وَقُل لِّلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَـٰبَ وَٱلْأُمِّيِّـۧنَ ءَأَسْلَمْتُمْ ۚ فَإِنْ أَسْلَمُوا۟ فَقَدِ ٱهْتَدَوا۟ ۖ وَّإِن تَوَلَّوْا۟ فَإِنَّمَا عَلَيْكَ ٱلْبَلَـٰغُ ۗ وَٱللَّهُ بَصِيرٌۢ بِٱلْعِبَادِ ٢٠
اول❤❤
في حب الشيخ ياسر حفظه الله❤
اللهم احفظك يا شيخ ياسر الدوسرى 🤲🤲🤲❤❤
من أجمل الصلوات بارك الله فيكم❤
ماشاء الله .. خير من ابتدأ به يومي .. ❤❤❤
ما شاء الله *
فعلا
ماشاء الله تبارك الله
@@ZuZa-i2z ما شاء الله *
ما شاء الله فواتيح سوره ال عمران بصوت الشجي 😊❤
6:57 الرست❤
🕋🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋🦋👐
يديم لنا نعمة وجودك وصوتك والأيام لي تبدأ بفجرياتك وما يحرمنا منها يا رب
منور الدنيا كلها يا غالي 🤍
اللهم بارك ❤
الشيخ ياسر خلاص رجع لتلاوته القديمه
@@MalakHassan-uz6hd اجمل شيء🤍🤍
انشالله
@@campbelloctavia1863 احذف تعليقكك إن شاء الله كذا تكتب
رمضان 💜
تلاوة سريعة طويلة
ماشاء الله
ما شاء الله *
ماشاء الله تبارك الله
تلاوة عطرة خاشعة ماتعة من فواتح سورة( آل عمران )
الآية 1إلي 20
تلاوة من روائح صلاة التراويح وشهر رمضان المبارك
جزاكم الله خيرا شيخنا المبارك
اللهم زد وبارك
لا اله الاالله محمد رسول الله حسبي الله ونعم الوكيل❤❤❤
أبو راشد يا حبيب قلبي ربنا يحفظك ويرضى عنا وعنك ويرزقني الصلاة خلفك عاجلًا غير آجل🤍🤍
❤❤❤❤😭😭😭تبارك من وهبك شيخنا الفاضل
1:32
ما شاء الله
Машааллох, субханаллох
جزاكم الله خير
ا❤❤❤❤❤
انا بعشق شيخ ياسر الدوسري ❤❤❤❤ روعة
ما شاء الله عليك يا شيخ ياسر ناقص بس يقرأ بالمد المنفصل والحلاوة تكتمل ❤❤
سبحان ﷲ وبحمده سبحان ﷲ العظيم 💚.
اللهم صل وسلم على نبينا محمد
عليه أفضل الصلاة والسلام ❤
ما شاء اللّٰه تبارك الرحمن ❤
تلاوة مميزة وفقه الله وأعانه 🤍😍
تلاوة رمضانيه ❤❤❤
الهم صلی علی محمد وعلی آل محمد 🤲🏻❤️🕋
Mashallah I was there at the salah 😍😍
الله يحفظك سيخنا ياسر
ما شاء الله تبارك الرحمن
الآسر ❤❤
سبحان الله وبحمده سبحان الله العظيم
3:1
Alif, Lām, Meem.
3:2
Allāh - there is no deity except Him, the Ever-Living, the Self-Sustaining.
3:3
He has sent down upon you, [O Muḥammad], the Book in truth, confirming what was before it. And He revealed the Torah and the Gospel
3:4
Before, as guidance for the people. And He revealed the Criterion [i.e., the Qur’ān]. Indeed, those who disbelieve in the verses of Allāh will have a severe punishment, and Allāh is Exalted in Might, the Owner of Retribution.
3:5
Indeed, from Allāh nothing is hidden in the earth nor in the heaven.
3:6
It is He who forms you in the wombs however He wills. There is no deity except Him, the Exalted in Might, the Wise.
3:7
It is He who has sent down to you, [O Muḥammad], the Book; in it are verses [that are] precise - they are the foundation of the Book - and others unspecific. As for those in whose hearts is deviation [from truth], they will follow that of it which is unspecific, seeking discord and seeking an interpretation [suitable to them]. And no one knows its [true] interpretation except Allāh. But those firm in knowledge say, "We believe in it. All [of it] is from our Lord." And no one will be reminded except those of understanding.
3:8
[Who say], "Our Lord, let not our hearts deviate after You have guided us and grant us from Yourself mercy. Indeed, You are the Bestower.
3:9
Our Lord, surely You will gather the people for a Day about which there is no doubt. Indeed, Allāh does not fail in His promise."
3:10
Indeed, those who disbelieve - never will their wealth or their children avail them against Allāh at all. And it is they who are fuel for the Fire.
3:11
[Theirs is] like the custom of the people of Pharaoh and those before them. They denied Our signs, so Allāh seized them for their sins. And Allāh is severe in penalty.
3:12
Say to those who disbelieve, "You will be overcome and gathered together to Hell, and wretched is the resting place."
3:13
Already there has been for you a sign in the two armies which met [in combat at Badr] - one fighting in the cause of Allāh and another of disbelievers. They saw them [to be] twice their [own] number by [their] eyesight. But Allāh supports with His victory whom He wills. Indeed in that is a lesson for those of vision.
3:14
Beautified for people is the love of that which they desire - of women and sons, heaped-up sums of gold and silver, fine branded horses, and cattle and tilled land. That is the enjoyment of worldly life, but Allāh has with Him the best return [i.e., Paradise].
3:15
Say, "Shall I inform you of [something] better than that? For those who fear Allāh will be gardens in the presence of their Lord beneath which rivers flow, wherein they abide eternally, and purified spouses and approval from Allāh. And Allāh is Seeing [i.e., aware] of [His] servants -
3:16
Those who say, "Our Lord, indeed we have believed, so forgive us our sins and protect us from the punishment of the Fire,"
3:17
The patient, the true, the obedient, those who spend [in the way of Allāh], and those who seek forgiveness before dawn.
3:18
Allāh witnesses that there is no deity except Him, and [so do] the angels and those of knowledge - [that He is] maintaining [creation] in justice. There is no deity except Him, the Exalted in Might, the Wise.
3:19
Indeed, the religion in the sight of Allāh is Islām. And those who were given the Scripture did not differ except after knowledge had come to them - out of jealous animosity between themselves. And whoever disbelieves in the verses of Allāh, then indeed, Allāh is swift in [taking] account.
3:20
So if they argue with you, say, "I have submitted myself to Allāh [in Islām], and [so have] those who follow me." And say to those who were given the Scripture and [to] the unlearned, "Have you submitted yourselves?" And if they submit [in Islām], they are rightly guided; but if they turn away - then upon you is only the [duty of] notification. And Allāh is Seeing of [His] servants.
ما شاء تبارك الرحمن اللهم بارك
بارك الله فيكم جميعاً
اللهم صل على محمد وعلى ال محمد كما صليت على ابراهيم وعلى ال ابراهيم انك حميد مجيد وبارك على محمد وعلى ال محمد كما باركت على ابراهيم وعلى ال ابراهيم انك حميد مجيد
السلام عليكم
ماشاء الله حفض. الله الشيخ ياسر ❤❤❤❤❤❤❤
بسم الله الرحمن الرحيم
قال الله تعالى
((ثُمَّ أَتۡبَعَ سَبَبًا))
صدق الله العظيم
ماشاءاللہ
ما شاء الله *
حياك الله وجزاك الله خيرا
Masha allah
Barakallahu feekum
I'm: Arshad (noori)
From: srilanka
ما شاءالله ❤❤❤
ما شاء الله *
@@Animo464 مش كدا صح ما شاءالله ولا ايه
@@AnasMohamed-m3t افصل الكلمات عن بعضها
3:1
अलिफ़, लाम, मीम।
3:2
अल्लाह (वह है कि) उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। (वह) जीवित है, हर चीज़ को सँभालने (क़ायम रखने) वाला है।
3:3
उसने आप पर (यह) पुस्तक सत्य के साथ उतारी, जो उसकी पुष्टि करने वाली है जो इससे पूर्व है, और उसने तौरात तथा इंजील उतारी।
3:4
इससे पहले, लोगों के मार्गदर्शन के लिए। और उसने फ़ुरक़ान (सत्य और असत्य में अंतर करने वाला मानदंड) उतारा। निःसंदेह जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों का इनकार किया, उनके लिए बहुत कड़ी यातना है। और अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली, बदला लेने वाला है।
3:5
निःसंदेह अल्लाह वह है जिससे न धरती में कोई चीज़ छिपी रहती है और न आकाश में।
3:6
वही है जो गर्भाशयों में तुम्हारे रूप बनाता है, जिस तरह चाहता है। उसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, (वह) सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
3:7
(ऐ नबी!) वही है जिसने आप पर (यह) पुस्तक उतारी, जिसमें से कुछ आयतें मोह़कम (स्पष्ट तर्क वाली) हैं, वही पुस्तक का मूल हैं, तथा कुछ दूसरी (आयतें) मुतशाबेह (छिपे हुए और पोशीदा अर्थ वाली) हैं। फिर जिनके दिलों में टेढ़ है, तो वे फ़ित्ने की तलाश में तथा उसके असल आशय की तलाश के उद्देश्य से, सदृश अर्थों वाली आयतों का अनुसरण करते हैं। हालाँकि उनका वास्तविक अर्थ अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। तथा जो लोग ज्ञान में पक्के हैं, वे कहते हैं हम उसपर ईमान लाए, सब हमारे पालनहार की और से है। और शिक्षा वही लोग ग्रहण करते हैं, जो बुद्धि वाले हैं।
3:8
(तथा वे कहते हैं :) ऐ हमारे पालनहार! हमें हिदायत देने के बाद हमारे दिलों को टेढ़ा न कर, और हमें अपनी ओर से दया प्रदान कर। निःसंदेह तू ही बहुत बड़ा दाता है।
3:9
ऐ हमारे पालनहार! निःसंदेह तू सब लोगों को उस दिन के लिए इकट्ठा करने वाला है, जिस (के आने) में कोई शक नहीं। निःसंदेह अल्लाह वादे के विरुद्ध नहीं करता।
3:10
निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके धन तथा उनकी संतान उन्हें अल्लाह (की यातना) से (बचाने में) कदापि कुछ काम नहीं आएँगे, तथा वही आग का ईंधन हैं।
3:11
(इनका हाल) फ़िरऔनियों तथा उन लोगों के हाल की तरह है जो उनसे पहले थे। उन्होंने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया, तो अल्लाह ने उन्हें उनके गुनाहों के कारण पकड़ लिया और अल्लाह बहुत सख़्त अज़ाब वाला है।
3:12
(ऐ नबी!) काफ़िरों से कह दें कि तुम जल्द ही पराजित किए जाओगे तथा जहन्नम की ओर इकट्ठे किए जाओगे और वह बहुत बुरा ठिकाना है।
3:13
निश्चय तुम्हारे लिए उन दो दलों में बड़ी निशानी थी, जिनमें (बद्र के मैदान में) मुठभेड़ हुई। एक दल अल्लाह के मार्ग में लड़ता था और दूसरा काफ़िर था। ये (मुसलमान) उन (काफ़िरों) को अपनी आँखों से अपने से दुगना देख रहे थे। और अल्लाह जिसे चाहता है अपनी सहायता से शक्ति प्रदान करता है। निःसंदेह इसमें आँखों वालों के लिए निश्चय बड़ी इबरत (सीख) है।
3:14
लोगों के लिए भौतिक इच्छाओं का प्यार सुसज्जित कर दिया गया है, जो औरतें, बेटे, सोने और चाँदी के ढेर, निशान लगाए हुए घोड़े, मवेशी तथा खेती हैं। ये सांसारिक जीवन के सामान हैं और उत्तम ठिकाना अल्लाह के पास है।
3:15
(ऐ नबी!) कह दें : क्या मैं तुम्हें उससे बेहतर चीज़ बताऊँ? उन लोगों के लिए जो (अल्लाह से) डरने वाले हैं उनके पालनहार के पास ऐसे बाग़ हैं, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, (वे) उनमें हमेशा रहने वाले हैं और (उनके लिए उसमें) पवित्र पत्नियाँ तथा अल्लाह की प्रसन्नता है और अल्लाह बंदों को ख़ूब देखने वाला है।
3:16
जो कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! निःसंदेह हम ईमान लाए। इसलिए हमारे गुनाह माफ़ कर दे और हमें दोज़ख़ के अज़ाब से बचा।
3:17
जो धैर्य रखने वाले, सत्यवादी, आज्ञाकारी, दानशील और रात की अंतिम घड़ियों में (अल्लाह से) क्षमा याचना करने वाले हैं।
3:18
अल्लाह ने गवाही दी कि निःसंदेह उसके सिवा कोई पूज्य नहीं, तथा फ़रिश्तों और ज्ञान वालों ने भी, इस हाल में कि वह न्याय को क़ायम करने वाला है। उसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
3:19
निःसंदेह दीन (धर्म) अल्लाह के निकट इस्लाम ही है और किताब वालों ने अपने पास ज्ञान आ जाने के पश्चात आपस में ईर्ष्या के कारण ही मतभेद किया। तथा जो अल्लाह की आयतों का इनकार करे, तो निःसंदेह अल्लाह बहुत जल्द ह़िसाब लेने वाला है।
3:20
फिर यदि वे आपसे झगड़ा करें, तो कह दीजिए कि मैंने अपना चेहरा अल्लाह के अधीन कर दिया और उसने भी जिसने मेरा अनुसरण किया, तथा उन लोगों से जिन्हें किताब दी गई और अनपढ़ लोगों से कह दो कि क्या तुम आज्ञाकारी हो गए? यदि वे आज्ञाकारी हो जाएँ, तो निःसंदेह मार्गदर्शन पा गए और यदि वे मुँह फेर लें, तो आपका दायित्व केवल (संदेश) पहुँचा देना है तथा अल्लाह बंदों को ख़ूब देखने वाला है।
فجرية تاريخية
ماشاءالله تبارك الله الله كبير الله كبير سبحان الله وبحمده سبحان الله العظيم واتوب اليه عدد خلقه ورضا نفسه وزنة عرشه ومداد كلماته اللهم صل وسلم على نبينا محمد وعلى آله وصحبه أجمعين وسلم تسليما كثيرا إلى يوم الدين اللهم امين يارب العالمين يا الله يارب افوز جنى ❤❤❤
رب اجعل الجنة لى هي الدار والقرار
الحمد لله
فجر الجمعة بإمامة شيخنا غير . وللأسبوع الثاني على توالي ، الحمد لله 😍
وإن شاء الله للأسبوع القادم أيضا 🤲
يمكن يقرأ من سورة الكهف
@@roqayah-o1mوآلله في بالي قلت نفس السورة ،الله أعلم
بإذن الله يمسك الأسبوع الجاي
@@amena31 بإذن الله يارب ، والله أسبوعين مرو بلمح البصر 🥹 يارب يكمل الثالث 🤲
@@amena31 ما قلتلك عندنا تفكير واحد
ويارب يلبس البشت الأبيض من زمان عليه 🤭
ماشاءالله
ما شاء الله *
اللهم صلِّ على محمد وآل محمد 🌺
عليه أفضل الصلاة والسلام ❤
رمضان ❤
As Salamu Alaikum Owa Rahmatullahi Owa Barakatuhu
و عليكم السلام و رحمة الله و بركاته
Very nice saund. Yaser sahib ko Salam
ما شاء الله تبارك الرحمن حفظك الله ورعاك شيخنا الآسر ❤❤️🩹 جمعنا الله و إياك في الجنة❤
ماشاءاللہ ❤❤❤
ماشاءالله اللي بالخلف الرجّال فيه وجل
🕋❤🤲
7:02
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❤❤الغريد❤❤
Machallah Machallah ❤❤❤
MaaShaaAllahu La Kuvete ILa Bilah 🌟☀️🌟