One of the best movies ever, the scene where rakhee dies and Amitabh comes and meets dilip kumar , just holds his hands and cries was brilliant by both actors
I really wish Amitabh bachan didn’t stay quiet during that scene with the mum dying. I wanted some powerful dialogues where he says “look what your kanoon has brought you? Your wife was killed in front of you and you’ve done nothing! Well you can sit here and cry - I’m going to do what a real man should, and go finish this myself.” That would’ve been powerful. I really hate how Dilip Kumar was as a character in this movie. JK who was the real villain, was not even pursued after he killed Rakhee, but he will pursue Amitabh bachan after the pettiest of crimes. Like does your kanoon only apply to Amitabh bachan and not the other criminals?? Annoyed me so much. Amitabh bachan FTW. He was justified in his hate for his dad in this. The dad was a joke of a policeman.
मि कीपिथालाल आपने ठीक कहा, मां की लाश के पास विजय यानि अमिताभ बच्चन को फ़लां फ़लां डायलॉग बोलने चाहिए थे। लेकिन आपने अपना होमवर्क ठीक नहीं कीया। वहां भी अमिताभ बच्चन को डायलॉग दिए गए थे लेकिन दिलीप कुमार के सामने वह यानि अमिताभ बच्चन इतना घबरा जाता था कि अपने डायलॉग ही भूल जाता था ! The role of Dilip Kumar was well defined ie of a DCP and what do the DCP'S do, they maintain law and order. And what the role of mr Bachchan ?Was he a hero or villain? Does he love his parents or hate them? He was a damn confused bastard every where in the movie.Hie ghabrahat in front of Dilip Kumar in the movie is a yardstick of his confidence.
Somebody has commented that the dad was a joke of a policeman.मेरा एक मामू का लड़का पुलिस में था, जो अल्लाह को प्यारा हो चुका है, अल्लाह उसे जन्नत दे! आमीन। वो मेरे पास दिल्ली आया हुआ था और हमारा पिक्चर देखने का प्रोग्राम बन गया। बात ही बातों में मैंने उसे बताया कि दिलीप कुमार पुलिस आफिसर के रोल में हैं (वो फ़िल्मों के बारे में ज़्यादा नहीं जानता था और एक्टरस को भी वो ज़्यादा नहीं जानता था ), तो उसने कहा कि फ़िल्मों में पुलिस वालों की बेइज़्ज़ती दिखाई जाती है, तो क्या मज़ा आएगा ? ख़ैर हमने फ़िल्म देखी और पूरी देखी। फ़िल्म ख़त्म होने पर हम बाहर निकले और पैदल पैदल चलते हुए फ़िल्म के बारे में भी बात कर रहे थे।मेरे उस मामूज़ात (चूंकि वह एक पुलिस वाला था ) भाई का कहना था कि उसने पहली बार ऐसी फ़िल्म देखी थी जिसमें उसे एक पुलिस वाले का रोल पसंद आया था और बहुत पसंद आया था और उसने यह भी कहा कि काश हमारी असली पुलिस भी ऐसी ही हो जाए जैसा कि इस फ़िल्म में दिखाया है। एक असली पुलिस वाला , जो ठीक से दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन को जानता तक नहीं था, ये उसका कमेंट था। आप ने शायद दिलीप साहब को ठीक से जाना और समझा नहीं। वो एक एक्टर से ऊपर उठकर एक thespian and philosopher था। यह एक रिकॉर्ड है कि उनके पूरे केरियर में उन्हें कोई subdue नहीं कर सका था। रमेश सिप्पी जो शक्ति के भी निर्देशक हैं उनका कहना है कि मैं शोले हिट होने के बाद इसलिए भी ख़ुश था कि शायद अब दिलीप कुमार साहब मेरी किसी फ़िल्म में काम करने को तैयार हो जाएंगे। बड़े बड़े सुपरस्टार इसे अपनी ख़ुशक़िस्मती समझते थे, अगर उन्हें दिलीप कुमार साहब की फ़िल्म में काम करने को मिल जाए।
ये दिलीप कुमार साहब यानि मुहम्मद युसुफ़ ख़ान साहब को ज़ेब नहीं देता कि उनके साथ कोई ऐसा एक्टर काम करें जिसकी ज़बान तक साफ़ ना हो,मेरा मतलब अमिताभ बच्चन से है।इन जनाब की ज़बान से दाल भात की बू आती है।या तो इन्हें एक आध साल उर्दू पढ़ानी चाहिए थी या फिर दिलीप साहब ख़ुद ही डबल रोल में (एक डीसीपी और दूसरा ख़ां साहब का छोटा भाई )। दिलीप साहब का रोल तो logical है लेकिन अमिताभ बच्चन क्या हैं हीरो या विलेन, अगर वो बाप से बद्तमीज़ी वाला एक भी डायलॉग नहीं बोलते और दिलीप साहब से ही दरख़्वास्त करते कि उन्हें दिलीप साहब के सामने बड़ी घबराहट हो रही है तो यक़ीन मानिए दिलीप साहब ऐसा हल निकालते कि हम लोग उसका गुमान भी नहीं कर सकते। दिलीप साहब एक देवता स्वरूप आदमी थे। और फिर चौबीस रीटेक और शाट पच्चीसवें टेक में जाकर ओके हुआ।या फिर अमिताभ बच्चन जैसे ही दिलीप कुमार की आंखों में आंखें डालते हैं तो डायलॉग भूल जाते हैं, इस सबकी नौबत नहीं आती। असल में ग़लती अमिताभ से ही हुई , उन्होंने सोचा कि जैसे वो संजीव कुमार या प्राण साहब पर ग़ालिब आ जाते हैं यहां भी कुछ ऐसा ही हो जाएगा लेकिन शायद अमिताभ ने जया बच्चन से नहीं पूछा (she is an intelligent lady), वरना वो बताती कि ख़ां साहब महज़ एक एक्टर नहीं हैं, वो एक फ़लसफ़ी हैं, एक अथाह समन्दर हैं अदाकारी के और इंसानियत के। उनके अख़्लाक़ ऐसे हैं कि दुश्मन भी तारीफ़ किए बिना नहीं रह सकता ! अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो जया भादुड़ी के अनुसार इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री में एक ही सुपरस्टार था, है और रहेगा (अपनी फ़िल्मों के ज़रिए ) और वो है मुहम्मद युसुफ़ ख़ान या दिलीप कुमार। यह कोई छोटी बात नहीं है कि यदि किसी को उस फ़िल्म में काम मिल जाए जिसमें दिलीप साहब हों तो वह फ़ख्र से कहता है कि मैंने उस फ़िल्म में काम कीमा जिसमें दिलीप साहब हैं।
Samrat legend सुपरस्टार Late Yusuf khan urf Dilipkumar sab brilliant action movie of both characters...
A full 10/10 from me because this is one of the best film of Dilip Kumar and Amitabh Bachchan who have given solid performances
One of the best movies ever, the scene where rakhee dies and Amitabh comes and meets dilip kumar , just holds his hands and cries was brilliant by both actors
Khupach Chan 👌👌me karun baghel.Thanks a lot for sharing this recipe 👍👍💐💐🙏🙏
Shakti Super Duper HitMovie❤❤❤
I really wish Amitabh bachan didn’t stay quiet during that scene with the mum dying. I wanted some powerful dialogues where he says “look what your kanoon has brought you? Your wife was killed in front of you and you’ve done nothing! Well you can sit here and cry - I’m going to do what a real man should, and go finish this myself.” That would’ve been powerful.
I really hate how Dilip Kumar was as a character in this movie. JK who was the real villain, was not even pursued after he killed Rakhee, but he will pursue Amitabh bachan after the pettiest of crimes. Like does your kanoon only apply to Amitabh bachan and not the other criminals?? Annoyed me so much.
Amitabh bachan FTW. He was justified in his hate for his dad in this. The dad was a joke of a policeman.
Please upload Trishul with English subtitles 🙏❤️
😊.
M
Ls❤ lm. 😅..,l.l🤭O_oO_o=_==_==_=O_o*\0/*O_o*\0/*O_o=-O*\0/*=-O*\kmiii 9:52
😅
Karma 1986 with english subtitle plz upload🙏
Hfuul😮
❤
❤❤@@baykhanbaykhan9999
@@baykhanbaykhan9999❤
@@baykhanbaykhan9999❤
hoh us❤T53@@baykhanbaykhan9999
Those days Dilip kumar was a super star not only Amitabh bachhan .
Lovely movie.. when I was 10. From manipur state northeast India. 1983 at asha hall in Imphal Manipur.
India ❤❤❤
Where's the need to bring in ad in the midst of a beautiful song?
At that time it was very difficult to act in front of Dilip Kumar!
Nice movie
❤
Nice ❤❤❤
S . 😢😢😢😊😢😢😢😢😢😢😢😢🎉😢
Please upload Imtihaan (1994) and Bobby (1973) with English subtitles
Hi ❤❤❤❤❤
Both the actors nailed it
मि कीपिथालाल आपने ठीक कहा, मां की लाश के पास विजय यानि अमिताभ बच्चन को फ़लां
फ़लां डायलॉग बोलने चाहिए थे। लेकिन आपने अपना होमवर्क ठीक नहीं कीया। वहां भी अमिताभ बच्चन को डायलॉग दिए गए थे लेकिन दिलीप कुमार के सामने वह यानि अमिताभ बच्चन इतना घबरा जाता था कि अपने डायलॉग ही भूल जाता था ! The role of Dilip Kumar was well defined ie of a DCP and what do the DCP'S do, they maintain law and order. And what the role of mr Bachchan ?Was he a hero or villain? Does he love his parents or hate them? He was a damn confused bastard every where in the movie.Hie ghabrahat in front of Dilip Kumar in the movie is a yardstick of his confidence.
mgmg❤❤❤❤❤❤
Please upload silsila movie
Please upload manokaamna, shiksha, kanoon aur mujrim
❤❤❤
Mashallah very nice video
عالی سپاس ازت ❤
❤️ilchasb movie
😢😮😮
Off screen shots of the movie
Last scene me JK ko marne ke bad Vijay police ko surrender kar sakta tha , use bhagne ki jarurat nhi thi.
ये मूवी देख कर पठाण गँग ने मुंबई मै ये मूवी के डारेक्टर को किडनॅप कीय था
❤😊❤😊😊❤😊❤😊❤❤❤❤❤❤❤
Vi sh mm to😊
sky
খুব ভালো
Mukdar ka sikndar
फिल्मों में बच्चों को ढाल बनाते हैं। गुंडे लोग यह बहुत बड़ी नाकामी है।
Actually not happen as such
Somebody has commented that the dad was a joke of a policeman.मेरा एक मामू का लड़का पुलिस में था, जो अल्लाह को प्यारा हो चुका है, अल्लाह उसे जन्नत दे! आमीन। वो मेरे पास दिल्ली आया हुआ था और हमारा पिक्चर देखने का प्रोग्राम बन गया। बात ही बातों में मैंने उसे बताया कि दिलीप कुमार पुलिस आफिसर के रोल में हैं (वो फ़िल्मों के बारे में ज़्यादा नहीं जानता था और एक्टरस को भी वो ज़्यादा नहीं जानता था ), तो उसने कहा कि फ़िल्मों में पुलिस वालों की बेइज़्ज़ती दिखाई जाती है, तो क्या मज़ा आएगा ? ख़ैर हमने फ़िल्म देखी और पूरी देखी। फ़िल्म ख़त्म होने पर हम बाहर निकले और पैदल पैदल चलते हुए फ़िल्म के बारे में भी बात कर रहे थे।मेरे उस मामूज़ात (चूंकि वह एक पुलिस वाला था ) भाई का कहना था कि उसने पहली बार ऐसी फ़िल्म देखी थी जिसमें उसे एक पुलिस वाले का रोल पसंद आया था और बहुत पसंद आया था और उसने यह भी कहा कि काश हमारी असली पुलिस भी ऐसी ही हो जाए जैसा कि इस फ़िल्म में दिखाया है। एक असली पुलिस वाला , जो ठीक से दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन को जानता तक नहीं था, ये उसका कमेंट था। आप ने शायद दिलीप साहब को ठीक से जाना और समझा नहीं। वो एक एक्टर से ऊपर उठकर एक thespian and philosopher था। यह एक रिकॉर्ड है कि उनके पूरे केरियर में उन्हें कोई subdue नहीं कर सका था। रमेश सिप्पी जो शक्ति के भी निर्देशक हैं उनका कहना है कि मैं शोले हिट होने के बाद इसलिए भी ख़ुश था कि
शायद अब दिलीप कुमार साहब मेरी किसी फ़िल्म में काम करने को तैयार हो जाएंगे। बड़े बड़े सुपरस्टार इसे अपनी ख़ुशक़िस्मती समझते थे, अगर उन्हें दिलीप कुमार साहब की फ़िल्म में काम करने को मिल जाए।
x
Why didn't dilap kumar short amitabh bachaban leg.
Because Vijay had reached point of no return.
ये दिलीप कुमार साहब यानि मुहम्मद युसुफ़ ख़ान साहब को ज़ेब नहीं देता कि उनके साथ कोई ऐसा एक्टर काम करें जिसकी ज़बान तक साफ़ ना हो,मेरा मतलब अमिताभ बच्चन से है।इन जनाब की ज़बान से दाल भात की बू आती है।या तो इन्हें एक आध साल उर्दू पढ़ानी चाहिए
थी या फिर दिलीप साहब ख़ुद ही डबल रोल में (एक डीसीपी और दूसरा ख़ां साहब का छोटा भाई )। दिलीप साहब का रोल तो logical है लेकिन अमिताभ बच्चन क्या हैं हीरो या विलेन,
अगर वो बाप से बद्तमीज़ी वाला एक भी डायलॉग नहीं बोलते और दिलीप साहब से ही दरख़्वास्त करते कि उन्हें दिलीप साहब के सामने बड़ी घबराहट हो रही है तो यक़ीन मानिए दिलीप साहब ऐसा हल निकालते कि हम लोग
उसका गुमान भी नहीं कर सकते। दिलीप साहब एक देवता स्वरूप आदमी थे। और फिर चौबीस रीटेक और शाट पच्चीसवें टेक में जाकर ओके हुआ।या फिर अमिताभ बच्चन जैसे ही दिलीप कुमार की आंखों में आंखें डालते हैं तो डायलॉग भूल जाते हैं, इस सबकी नौबत नहीं आती। असल में ग़लती अमिताभ से ही हुई , उन्होंने सोचा कि जैसे वो संजीव कुमार या प्राण साहब पर ग़ालिब आ जाते हैं यहां भी कुछ ऐसा ही हो
जाएगा लेकिन शायद अमिताभ ने जया बच्चन से नहीं पूछा (she is an intelligent lady),
वरना वो बताती कि ख़ां साहब महज़ एक एक्टर नहीं हैं, वो एक फ़लसफ़ी हैं, एक अथाह समन्दर हैं अदाकारी के और इंसानियत के। उनके अख़्लाक़ ऐसे हैं कि दुश्मन भी तारीफ़ किए बिना नहीं रह सकता ! अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो जया भादुड़ी के अनुसार इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री में एक ही सुपरस्टार था, है और रहेगा (अपनी फ़िल्मों के ज़रिए ) और वो है मुहम्मद युसुफ़ ख़ान या दिलीप कुमार। यह कोई छोटी बात नहीं है कि यदि किसी को उस फ़िल्म में काम
मिल जाए जिसमें दिलीप साहब हों तो वह फ़ख्र
से कहता है कि मैंने उस फ़िल्म में काम कीमा जिसमें दिलीप साहब हैं।
Hell picture for the society..
Worst story of this country,Amen..
Tere liye to Tera beta criminal bana,sala faltu ka story hai,thukta hoo tere story par,thookta hai,tere aisi story par young generation kharap honge