Bhagavad Gita: Chapter 5, Verse 29

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  • เผยแพร่เมื่อ 16 ก.ย. 2024
  • भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्वरम् ।
    सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति ॥29॥
    जो भक्त मुझे समस्त यज्ञों और तपस्याओं का भोक्ता, समस्त लोकों का परम भगवानऔर सभी प्राणियों का सच्चा हितैषी समझते हैं, वे परम शांति प्राप्त करते हैं।

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