सच्चाई में रहेंगे राममन्दिर देखेंगे राममन्दिर सुनेंगे राममन्दिर बोलेंगे राममन्दिर समझेंगे राममन्दिर को ही सबकुछ मानेंगे राममन्दिर बनाते ही रहेंगे राममन्दिर ही राममन्दिर सिर्फ राममन्दिर
प्रकाशित हुए गीतावाें मे कुछउत्कृष्ट गीता रामसुखदाशका साधकसंजिवनी(परिशिष्ट) सहितका मे संस्कृतका अनुवाद जाे किय हे वह अौराेंके तुलनामे समझनेमे सहज हे, यह शरीर उसि गीताका साथ हर काेहि से प्रस्तुत होता अाया हे, अभि इस भिडियो मे दिएगए प्रस्तुति पर चिन्तन कर कुछ लिखना उचित लगा। प्रस्तुति अन्य जिसे सत्य क्या हे अौर असत्य क्या हे उसका समझसे बहार हे उसको जरुर अच्छा लगे परन्तु महाराज वास्तविक सत्य से कुछ दुर हि हे जाे श्लोक २:१६ का पहला पद - नासताे बिद्यते भावाे नभावाे बिद्यते सत् | का अनुवाद ताे किए इससे पहले २:१३ का- देहिनाेSस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा | तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्त्र न मुह्यति || इसपर महाेदयका ध्यान छुट गए अौर कुछ अनर्थका प्रस्तुतिकरण अाया। कुछ असत्य घुस गए। यह देह जवतक देहि रहते हे तबतक देहकाे सत् कर्म अर्थ कृयान्वयनमे देहि द्वारा प्रयाेगमे लाना हि देहका अौचित्य तबतक रहता हे, देहि से देह अलग नहि, हाँ वह देहि परमात्माका अंश नहि यह ताे परमात्माका वंश हे, जाे कभि विलिन नहि होता अगर विलिन हुए ताे देहिसत्ता असत बना अौर नासताे बिद्यते भावाे भि गलत सावित हुवा देहिका अस्तित्व भि असत बना, देहि जाे वंश हे तभि सत्य हाेता हे ताे अभाव का नहि, वंश ताे विलिन दिखानेसे अभाव वाला हाेता हे यहिकारण विलिन होनेवाला देहि नहि हे तभि अजर अमर अविनाशी कहा अन्यथा विलिन होना असत भि अौर नाशवान भि। देहि हे उसका अस्तित्व देह से जुडना, जब देहसे पृथक हुवा ताे अस्तित्व टुट जाने से बाेध नहि बनते। इसिलिए अभ्यासका बहुत जरुरी हे, नहि ताे - अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् | यः प्रयाति स मद्भावं याती नास्त्यत्र संशयः ||८:५|| किन अर्थ से अौर अभ्यासेन भारथ भि गलत या असत बना। जब अभ्यास बना तब हि - तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च |(८:७ का पहला पद) सार्थक होता हे। युध्य काेइ स्थुल व हिंसा का नहि युध्य हे अान्तरिक द्वन्द जाे देहिकाे शरीर से अविभाज्य न समझ विभाज्य समझ उस परमात्मा पिताकाे अन्तकाल जब देह अौर देहिका अापसमे सम्बन्ध विच्छेद का काल यानी प्रयाणकाल जाे देहि देहमे रहते किए कर्मका लेप के साथ देह से छुटते हे, इसअर्थ देहि निर्लेप भि नहि, लेपयुक्त हे यहि कारण पुण्यकर्म करते पुण्यात्मा कहेगए, महानकर्मके साथ महानअात्मा अर्थात महात्मा बना, दैवीकर्मसे जुडे देवात्मा या धर्मात्मा रहा, पाप कृयाका सम्पादन जब देह से जुड किए कारण पापात्मा कहे पापशरिर नहि, स्पष्ट हे अात्मा या देहि निर्लेप भि नहि अौर देहि परमात्माका अंश भि नहि वंश हे, वंश टुटा नहि करते अंश विलिन बन अस्तित्व हि नहि रहते यहि कारण उस पंक्ति जाे तीन प्रश्नाेका उत्तर मे थाेडा परिमार्जित करना हि पडे अन्यथा महाराजका कुछ असत हि बने। नहि ताे अनेक प्रश्नका उत्पत्तिका कारण भि स्वयम् महाराज सिद्ध होता हे। जैसे दुसरा प्रस्तुति चार प्रश्नाेका उत्तर वाला अाया वैसे हि कल अौर पाँच प्रश्न भि जरुर अावे। ऐसा अाना असतका द्योतक हे। प्रसारक महाेदय यह प्रस्तुतिमे सत्यसे थाेडा दुरि बढे हे नजदिक जाने के प्रयास टुट न जाए अागे सत्य कि अाेर बढते रहे, तभि असताेमा सदगमय सार्थक बने, कमेन्ट नहि चिन्तन हे। धन्यवाद !!!
मेरे भगवत्स्वरूप परम श्रद्धेय सदगुरू स्वामी श्री राम सुख दास जी महराज, मैं कैसे नमन करूं आपको..? क्योंकि आप महानात्मा के समच्छ मेरा हर नमन मुझे ही तुच्छ प्रतीत होता है, पर क्या करूं...! मेरी आत्मा तो आपकी आत्मा से जुड़ी है इसलिए आप श्रीआत्मा को मेरा कोटि कोटि नमन - कोटि कोटि नमन । आपके दर्शन व कृपा पाकर मै तुच्छ आत्मा धन्य हो गया क्योंकि आज आप जैसा सच्चा गुरु हरकिसी को कहां मिलता है, ॐ जय गुरुदेव...🙏💓🙏
श्रद्धेय स्वामीजी की कल्याणकारी वाणी जनसाधारण तक पहुचानेके इस महापुनीत कार्यके लिए आपश्रीको साधुवाद।बडभागी हूँ कि महाराजजीके सानिध्यका अनेको बार अवसर मिला🙏
वो दिव्य थे, वो समस्त उलझनों के उद्धारक थे, वो अद्वित्य थे, हम भाग्यशाली है जो इस घोर कलयुग में उनके प्रति हमारी अटूट श्रद्धा है, यह श्रद्धा हमें परमात्म प्राप्ति करवा सकती है।😢😢😢😢😢😢😢
सत् वचन, विवेक ज प्रधानता आपवा योग्य छे।। घणां संतो उपवास करी आत्मदशा आत्मरति मां स्थिति धारण करी प्रकृिति-माया शरीर विसर्जन करतां दर्शन कर्या; व उपराम दशा धारण करी आत्मदशा आत्मरति मां रममाण रहेवानी युक्ति समजाई गई छे एवा एकाकी संत ना दर्शन थयां; खरेखर श्रोत्रिय व ब्रह्मनिष्ठ विलक्षण प्रतिभाशाली महात्मा व परिपक्व परमहंस संतो ना दर्शन दुर्लभ छे; ओळखवा मुश्किल व नामुमकिन अशक्य असंभव छे।। नर्मदामैया गंगामैया यमुनामैया सरयुमैया नर्मदेहर अरविंददास हरिॐ।।
महाराज जी आज और अब भी हमारे समीप हैं उनका संदेश हमें उपलब्ध है, हमकाे बस उनके समझाए अनुसार विवेक करना है। फिर देखो चमत्कारिक परिवर्तन ! उनके संदेशों को उपलब्ध कराने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद !
Hae mere naath mujhase vahi nishkam karm ho jo aap chahate haen vah kabhi bhi na ho jo maen chahata hun meri aapse prarthana hae maen aapko bhulu nahi mere uper daya karana jai shri radhe Krishna jai siya Ram jai shri hanuman ji maharaj ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
I am indebted to you Pradeep Joshiji for such an excellent presentation of the teachings of Sri Ramsukhdasji Maharaj. The clarity of your voice is amazing.
Or otherwise aide hi ,,,him pranam ,,,,,charan bandana,,,,namsn large rah jayegy,,,,,,4questions ke answer smaaz nahi aayegy,,,,,,,,,,,,,,,kyo ki,,,,,jab take hamari deep desire and god s. Kripa. Mainly. Na ho
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।🌹🌺🌷🌻🚩🙏
परम कल्याणकारी परोपकारी अद्भुत अद्वितीय सत्संग प्रवचन सुनाने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार धन्यवाद और स्वामी जी महाराज के चरणो में कोटि-कोटि नमन
सच्चाई में रहेंगे राममन्दिर देखेंगे राममन्दिर सुनेंगे राममन्दिर बोलेंगे राममन्दिर समझेंगे राममन्दिर को ही सबकुछ मानेंगे राममन्दिर बनाते ही रहेंगे राममन्दिर ही राममन्दिर सिर्फ राममन्दिर
Aaj Zee
स्वामी जी को शत शत नमन हरिओम
प्रकाशित हुए गीतावाें मे कुछउत्कृष्ट गीता रामसुखदाशका साधकसंजिवनी(परिशिष्ट) सहितका मे संस्कृतका अनुवाद जाे किय हे वह अौराेंके तुलनामे समझनेमे सहज हे, यह शरीर उसि गीताका साथ हर काेहि से प्रस्तुत होता अाया हे, अभि इस भिडियो मे दिएगए प्रस्तुति पर चिन्तन कर कुछ लिखना उचित लगा। प्रस्तुति अन्य जिसे सत्य क्या हे अौर असत्य क्या हे उसका समझसे बहार हे उसको जरुर अच्छा लगे परन्तु महाराज वास्तविक सत्य से कुछ दुर हि हे जाे श्लोक २:१६ का पहला पद - नासताे बिद्यते भावाे नभावाे बिद्यते सत् | का अनुवाद ताे किए इससे पहले २:१३ का- देहिनाेSस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा | तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्त्र न मुह्यति || इसपर महाेदयका ध्यान छुट गए अौर कुछ अनर्थका प्रस्तुतिकरण अाया। कुछ असत्य घुस गए। यह देह जवतक देहि रहते हे तबतक देहकाे सत् कर्म अर्थ कृयान्वयनमे देहि द्वारा प्रयाेगमे लाना हि देहका अौचित्य तबतक रहता हे, देहि से देह अलग नहि, हाँ वह देहि परमात्माका अंश नहि यह ताे परमात्माका वंश हे, जाे कभि विलिन नहि होता अगर विलिन हुए ताे देहिसत्ता असत बना अौर नासताे बिद्यते भावाे भि गलत सावित हुवा देहिका अस्तित्व भि असत बना, देहि जाे वंश हे तभि सत्य हाेता हे ताे अभाव का नहि, वंश ताे विलिन दिखानेसे अभाव वाला हाेता हे यहिकारण विलिन होनेवाला देहि नहि हे तभि अजर अमर अविनाशी कहा अन्यथा विलिन होना असत भि अौर नाशवान भि। देहि हे उसका अस्तित्व देह से जुडना, जब देहसे पृथक हुवा ताे अस्तित्व टुट जाने से बाेध नहि बनते। इसिलिए अभ्यासका बहुत जरुरी हे, नहि ताे - अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् | यः प्रयाति स मद्भावं याती नास्त्यत्र संशयः ||८:५|| किन अर्थ से अौर अभ्यासेन भारथ भि गलत या असत बना। जब अभ्यास बना तब हि - तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च |(८:७ का पहला पद) सार्थक होता हे। युध्य काेइ स्थुल व हिंसा का नहि युध्य हे अान्तरिक द्वन्द जाे देहिकाे शरीर से अविभाज्य न समझ विभाज्य समझ उस परमात्मा पिताकाे अन्तकाल जब देह अौर देहिका अापसमे सम्बन्ध विच्छेद का काल यानी प्रयाणकाल जाे देहि देहमे रहते किए कर्मका लेप के साथ देह से छुटते हे, इसअर्थ देहि निर्लेप भि नहि, लेपयुक्त हे यहि कारण पुण्यकर्म करते पुण्यात्मा कहेगए, महानकर्मके साथ महानअात्मा अर्थात महात्मा बना, दैवीकर्मसे जुडे देवात्मा या धर्मात्मा रहा, पाप कृयाका सम्पादन जब देह से जुड किए कारण पापात्मा कहे पापशरिर नहि, स्पष्ट हे अात्मा या देहि निर्लेप भि नहि अौर देहि परमात्माका अंश भि नहि वंश हे, वंश टुटा नहि करते अंश विलिन बन अस्तित्व हि नहि रहते यहि कारण उस पंक्ति जाे तीन प्रश्नाेका उत्तर मे थाेडा परिमार्जित करना हि पडे अन्यथा महाराजका कुछ असत हि बने। नहि ताे अनेक प्रश्नका उत्पत्तिका कारण भि स्वयम् महाराज सिद्ध होता हे। जैसे दुसरा प्रस्तुति चार प्रश्नाेका उत्तर वाला अाया वैसे हि कल अौर पाँच प्रश्न भि जरुर अावे। ऐसा अाना असतका द्योतक हे। प्रसारक महाेदय यह प्रस्तुतिमे सत्यसे थाेडा दुरि बढे हे नजदिक जाने के प्रयास टुट न जाए अागे सत्य कि अाेर बढते रहे, तभि असताेमा सदगमय सार्थक बने, कमेन्ट नहि चिन्तन हे। धन्यवाद !!!
मेरे भगवत्स्वरूप परम श्रद्धेय सदगुरू स्वामी श्री राम सुख दास जी महराज, मैं कैसे नमन करूं आपको..? क्योंकि आप महानात्मा के समच्छ मेरा हर नमन मुझे ही तुच्छ प्रतीत होता है, पर क्या करूं...! मेरी आत्मा तो आपकी आत्मा से जुड़ी है इसलिए आप श्रीआत्मा को मेरा कोटि कोटि नमन - कोटि कोटि नमन । आपके दर्शन व कृपा पाकर मै तुच्छ आत्मा धन्य हो गया क्योंकि आज आप जैसा सच्चा गुरु हरकिसी को कहां मिलता है, ॐ जय गुरुदेव...🙏💓🙏
अति सुन्दर
RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAMRAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAM RAMRAM RAM RAM RAMRAM RAM RAM RAM RAM RAM RAMRam ram Ram Ram RamRa Ram RAM Ram Ram Ram Ram Ram
🙏🏻🌺🙏🏻🌺🙏🏻👏
Narayan! Narayan! Narayan! Narayan!
Sir is this taken from any of his book? Pls refer me.🙋
राम जी राम सवामी राम सुख दास जी महाराज जी को बार बार प्रणाम आप बहुत ही भाग्य साली हो जो सवामी के दर्शन किया है
Kya apne sach me darshan kiye hai
सियाराम मय सब जग जानी। करुहूं प्रणाम जोर युग प्राणी।। परम पूज्य सद गुरु देव स्वरूप श्री श्री राम सुख दास को मेरी सत सत प्रणाम । जय हिंद जय श्रीराम
@@deepakjoshi7435 ki lo par
@@tejpalbeniwal4342 l
परम संत श्रद्धेय स्वामी रामसुखदास जी के प्रवचन जनसाधारण को उपलब्ध कराने के लिए आप श्री वाचक जी कोटि कोटि साधुवाद ।आपको प्रणाम। जय श्रीराम।
आपके स्नेह के लिए आभार
Kitna marmagya pravachan ! ghar baithe FREE mein mil raha hai. Ishwar ko koti koti dhanyawad ! Santo ko pranaam !
उत्तम सत्य अति उत्तम लेख अति उत्तम विचार
गागर में सागर (नमन)
उत्तम सत्य अति उत्तम लेख अति उत्तम विचार
उत्तम सत्य अति उत्तम लेख अति उत्तम विचार
श्रद्धेय स्वामीजी की कल्याणकारी वाणी जनसाधारण तक पहुचानेके इस महापुनीत
कार्यके लिए आपश्रीको साधुवाद।बडभागी हूँ कि महाराजजीके सानिध्यका अनेको बार अवसर मिला🙏
निस्संदेह आप बड़भागी ही हैं
रामसुखदास महाराज के प्रवचन बहुत अच्छे लगे
🌹🌹🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏👏👏👏
प्रातः स्मरणीय परम पूजनीय परम श्रद्धेय ब्रह्म लीन स्वामी जी राम सुख दास जी महाराज जी को शत शत नमन कोटि कोटि प्रणाम करता हूं
।।श्री हरि।।
बहुत सुन्दर जयजयश्रीसीतारामजीकी जयजयराधेकृष्णाजीकी जयजयश्रीसीतारामजीकी जयजयराधेकृष्णाजीकी जयजयश्रीसीतारामजीकी जयजयराधेकृष्णाजीकी
Jai mata di
जय मातादी
🙏🙏
🙏🏻🙏🏻
Thanks for broadcasting
सत्य।
👨👨👧👦👨👨👦👦👨👩👧👦🙏🙏🙏🙏🙏🙏👏👏👏👏👏❤️❤️❤️❤️❤️
वो दिव्य थे, वो समस्त उलझनों के उद्धारक थे, वो अद्वित्य थे, हम भाग्यशाली है जो इस घोर कलयुग में उनके प्रति हमारी अटूट श्रद्धा है, यह श्रद्धा हमें परमात्म प्राप्ति करवा सकती है।😢😢😢😢😢😢😢
L
निःसंदेह वो दिव्य थे,
साधु साधु संत महाराज जी। अति उत्तम।
अति सुन्दर
Jay shri ram
Param satya swami je darshan dijiye anant bar pranam
Narayan! Narayan! Narayan! Narayan!Narayan! Narayan! Narayan! Narayan!
Swami ji ko sadar dandwat pranaam
Vaise m un lucky logon m nahee hoon jinhone unko Dehe Roop m saaxat dekha h. Wo saaxat Parmatma the. Koti Koti Naman.
🙏🙏🙏💆💆💆😌😌😌
🌹💕🌹
सत् वचन, विवेक ज प्रधानता आपवा योग्य छे।। घणां संतो उपवास करी आत्मदशा आत्मरति मां स्थिति धारण करी प्रकृिति-माया शरीर विसर्जन करतां दर्शन कर्या; व उपराम दशा धारण करी आत्मदशा आत्मरति मां रममाण रहेवानी युक्ति समजाई गई छे एवा एकाकी संत ना दर्शन थयां;
खरेखर श्रोत्रिय व ब्रह्मनिष्ठ विलक्षण प्रतिभाशाली महात्मा व परिपक्व परमहंस संतो ना दर्शन दुर्लभ छे; ओळखवा मुश्किल व नामुमकिन अशक्य असंभव छे।।
नर्मदामैया गंगामैया यमुनामैया सरयुमैया नर्मदेहर अरविंददास हरिॐ।।
धन्य हो गये बन्धु ! प्रणाम आपको I
सादर प्रणाम
🙏🙏🙏🙏
जय जय श्री राधे राधे
🙏🙏
कोटि कोटि नमन स्वामी रामसुखदासजी महाराज को ,ओउम्
Jai shree ram, Jai shree Meera
Jai shri radhe kirshna ji
।।ॐ॥ स्वामीजीको शतशः प्रणाम!
Sar ki bat. Shat shat pranam.
हे नाथ आपको भूलूं नहीं
Radhe Radhe ji jai Shri Krishna Radhe Radhe ji jai Shri Ram Ram ji
प्रणाम सुन्दर ज्ञानवर्धक प्रस्तुति है जिसे अपना कर सभी का कल्याण हो और सभी सत चित आनंद का अनुभव करें 🙏
Jai shri Radhe Radhe 📯📯📯📯📯📯📯🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🌍🌍🏡🏡📯📯🔔🔔
नारायण नारायण नारायण नारायण 🌹🌺🙏
अद्वितीय ,अतुलनीय,लाजवाब।जयश्रीराम
Jay Gurudev Naman
राधे-राधे
🙏
Jai ho gurudev ji ki
जै श्री राम
Ram Ram bhaiya bahut bahut dhanyavad aapne Swami sharnanand Ji Maharaj Swami ramsukhdasji Maharaj ki Vani bhej kar bada hi Upkar kiya. Jay Shree Ram
Jay shree ram very well very good
आभार
👍 बहुत-बहुत धन्यवाद.
is se behtar defination nahi suni. 🙏🙏🙏🙏
Hare Krishna to all respected devotees
महाराज जी आज और अब भी हमारे समीप हैं उनका संदेश हमें उपलब्ध है, हमकाे बस उनके समझाए अनुसार विवेक करना है। फिर देखो चमत्कारिक परिवर्तन ! उनके संदेशों को उपलब्ध कराने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद !
agar aap unke kamre me(agar manager saahab khol de) baith kr kuchh samay dhyan lagaye to jo uplabdh hoga,weh alokik h,pustaken to hen he
Hae mere naath mujhase vahi nishkam karm ho jo aap chahate haen vah kabhi bhi na ho jo maen chahata hun meri aapse prarthana hae maen aapko bhulu nahi mere uper daya karana jai shri radhe Krishna jai siya Ram jai shri hanuman ji maharaj ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
जय भोले
Ye hui na sant.🙏🌼❤
Great 🙏🙏🙏
स्वामी जी को शत् शत् नमन्।
स्वामी जी को शत शत नमन।
Shree raam
जय गौमाता जय गोपाल भक्त वत्सल प्रभु दीनदयाल।।,👏👏👏👏✍️
जै श्री राम
Radhe Radhe
Jai shree ram , Jai shree krishna.
I am indebted to you Pradeep Joshiji for such an excellent presentation of the teachings of Sri Ramsukhdasji Maharaj. The clarity of your voice is amazing.
प्रणाम
Right. Nice message.
nice information
अति उत्तम
नमस्कार सर सहज किस प्रकार हो सकते हैं इस कलयुग का कोई सरल उपाय
आप सिर्फ यह मानना छोड़ दीजिए कि आपके किये कुछ हो सकता है
Simple wording me smjhao ji
स्वामी जी की वाणी का जो असर पड़ता है वो आपकी वाणी का असर नहीं पड़ रहा है.... माफ़ करना 🙏🙏
मैं स्वामीजी के पैर की धूल बराबर भी नहीं हूँ
He is great saint.He touched my life.
Regards Bhawnani
HIS TEACHINGS HAS TOUCHED HEARTS OF MILLIONS.
जय श्री राधे राधे।♥️🙏❤️
Shri Radhe 🙏
राधे राधे
Brilliantly explained
🙏
Ram
Sundar
Feeling blessed
Jay.shere.karshn
Bahut sunder sht shat naman
Jai Shree Ram
Jai ho
Bhagwat kripa,,,,,,se. hi,,,,,,4 questions ke answer samaZ aayegy,,,,,,,,,,,,,,,,,otherwise,,,,,,, guru darshan ,,,,,dhayan ,,,samadhi,,,,,charan bandana,,,,,,guru aarti,,,HI chaaltta rahega
ऊं नमः शिवाय
स्वामी जी को कोटि कोटि नमन। जय श्री राम
Shree Radha
Avarniya vah dhanyvad
Or otherwise aide hi ,,,him pranam ,,,,,charan bandana,,,,namsn large rah jayegy,,,,,,4questions ke answer smaaz nahi aayegy,,,,,,,,,,,,,,,kyo ki,,,,,jab take hamari deep desire and god s. Kripa. Mainly. Na ho
Narayan. Narayan. Narayan. Narayan
नारायण नारायण