ध्यान के पश्चात क्रोध आने का कारण है की ध्यान की एकाग्रता से जो शक्ती उत्पन्न हुई है वो सूक्ष्म शरीर मे जज्ब नही हो पाई है ओर मूलाधार चक्र के मूहाने पर ही इकठी हो गई है, अतः जब भी आपको जरा सा भी अगर छेड़ दे तो आपकी ये उर्जा विस्फोटित हो जाती है । इस चीज़ से बचने के लिये जरुरी है की जो भी ऊर्जा उत्पन हो उसका उर्ध गमन भी हो, इसके लिये आपको ध्यान के बाद थोडा संगीत आदि सुनकर या नृत्य करके उर्जा को हृदय चक्र पर लाना चाहिए ताकी अतिरिक्त उर्जा हृदय चक्र मे जाके प्रेम बन जाये और क्रोध ना बने । या कुछ सृजनात्मक कार्य करने चाहिए, जिसमे आपको आनंद आता हो ।
pranam guruji 🙏 guruji mai apne jeevan me naaya ideas ni la parahi hu aur koi kuch bol diya ya puch liya to uspe shak krne lagti hu.confusing energy me rahti hu mujhe kya Krna chahiye.please guide kare.🙏🙏💐💐
प्रभुजी आपके एक एक शब्द किसी किताब में पढ़ कर बोले हुए बिल्कुल नहीं लगते,, ये तो बिल्कुल ऐसा है कि मेने आपके शरीर में आकर या आपने मेरे शरीर में आकर अनुभव किया हो,,🙏🙏🙏🙏
Yess mujhe nind baut zada aa rahi thi.. Aur mujhe kaali mata baut dikhte the, jaha wo deep meditation kar rahe the.. Jinhe dekh ke mujhe baut dar laga tha, fir maine uss energy ko mera saath dene ka request ki.. Ek ajib si khushi hoti hai😊, aur back me sach me kuch chal raha hai aise feel hota hai..
Swami ji aap bilkul thik bol rhe hai me durgashaptasati ke sadhna se mera mooladhar jagrit ho gaya he me jab sadhna me baitha hu kundalini nicha se upar uthtai hai par mujhe yeh smj nhi aata ki aage ke chakra kaisa khulaga or swami ji jab mujhe guru diksha mili mera 1 week ke andar he anubhav hona suru ho gaya tha bina bramachriya or yog ke
@@tarun_sharma9 agar adishakti ka ashirvad ho sab sambhav hai jab mujhe anubhav Hua TB mujhe kundalini or bramachriya ka bare me kuch pata nhi tha sirf guru diksha mila tha phle aap tanta ko samjho bramachriya koi palan karne ki koi chij nhi hai yah apna aap ghatit hone ki chij hai
@@lawnorder2709 durga saptashati me koi niyam nhi hota sirf bhakti or samarpan hona chiyea mera guru sivanand ji hai online shivyog ko search kare aapko mil jyga 🙏🏽
Swamin ji .. 1 question. . I like to eat sea fish food as i am from costal area.. So is it ok to have non veg food and do dhyan.. Can i achive / activte 7 chakras ... Pls suggest what to eat and what not to eat during dhyan...
NO ABSOLUTELY NOT......................IF U EAT SOMETHING BY KILLING THEM...AND SERVING AS UR FOOD..........IT WILL NOT HAPPEN EVEN U CANT DO MEDITATION PROPERLY
नमस्ते गुरुजी, में हर रोज शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता हूँ और ओम् नमः शिवाय का कर्माला से जाप करता हूँ, विनियोग और न्यास कैसे करना चाहिए ओम नमः शिवाय मंत्र और शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लिए? कृपया आप कोई video हो तो link share कीजिए। कृपया मेरा मार्ग दर्शन करे 🙏 जय श्री राम 🙏
गुरुजी.. नमस्कार. ईसका आंनद मैनै बहोत बार लीया है.लेकीन ईसमे नियमितपणा नही होता. अभी दो सालसे तो ओ आंनद मिला ही नही..नही तो पहले दो तीन महीने बाद तीन चार घंटेके लीये ये आनंद मेरा रोम रोम भर देता था.पुरे शरीर मे गुदगुदीया होती. अपनेआप मंत्रजप चालू होता था.ऊसे विणा तंबोरेकी,सप्तसुरो की साथ मिलती थी.पुरे शरीर मे मंत्रजप सुनाई देता था.लेकीन कँ हुवा मालुम नही अचानक सब ष्टाँप हुवा..बाकी क्रिया मतलब पेट का व्हाँयब्रैशन वैगरा चालू है.लेकीन जो द्रुष्टी थी वो भि बंद हो गयी धंन्यवाद. क्रुपया मार्गदर्शन करे🌹🙏
क्या इसके लिए गुरु का होना जरूरी है। क्योंकि मेरे गुरु अब इस दुनिया मे नही हैं। लेकिन में मानसिक रूप से उनको याद करता हूं और भोजन करते समय पहले उनका खिलाता हु फ़िर में खाता हूं। तो अब में क्या करूँ? कृपया मार्गदर्शन करने की कृपा करें।
अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Hari om sir, bahut achcha se aapne explain kiya.mooladhar chakra , agar koi side ho effect ho toh Kya karna chahiye..koi mansik santulan bigadne ka darr toh nahi ki, puri tarha pagal ho jaye
ध्यान के अभ्यास से जो पागल होता है वो भी ठीक हो जाता है तो कोई पागल तो क्यूं होगा । किन्तु यदि ध्यान मे गहरे जाने से पहले कुछ सावधानियों का अगर ख्याल ना रखा जाये तो कुछ साइड इफेक्टस जरूर आ सकते है। और सावधानियों मे सब से बड़ी सावधानी यही है की आरंभ मे अपनी नाड़ी शुद्धि अवश्य कर ले, ताकि यदि मूलाधार से ऊर्जा उठे तो उसे आगे का मार्ग साफ़ मिले। और कपालभांति, अग्निसार, अनुलोम विलोम, जल नेती आदि योग की क्रियाओं से य़ह शुद्धि सुनिश्चित की जा सकती है, इसके अलावा अपना खान पान और जीवन चर्या शुद्ध बनाए रखने से भी सहायता मिलती है।
गुरुजी प्रणाम मेरा सवाल है कि क्या मैं ध्यान की शुरुआत कुंडलिनी योग से कर सकता हूं मेरी उम्र 16 वर्ष है और मैं अपने सातों चक्रों को एक एक करके जाग्रत कर लू मुझे इससे कोई नुक़सान तो नही होगा क्योंकि गुरुजी में कुंडलिनी योग से बहुत प्रभावित हूं मैने आपके बहुत सारे विडियो देखें है मैने आपके कुंडलिनी शक्ति के विडियो भी देखे हैं में काफी उत्साहित हूं इसे जाग्रत करने के लिए मेरा मार्गदर्शन करें गुरुजी ❤❤ please reply guruji ❤❤
आप चाहें किसी भी चक्र पर ध्यान करे, लेकिन मूलाधार चक्र तो हर अवस्था मे सक्रीय होगा ही होगा क्यूंकि आप जिस भी चक्र पर ध्यान करेगे और उस चक्र पर जो ऊर्जा पैदा होगी, वो ऊर्जा हमेशा मूलाधार चक्र पर स्थित कुंड से ही उस चक्र तक आएगी, तो इसलिए मूलाधार तो हर स्थिति मे आरंभिक रूप से सक्रियता मे आता ही आता है क्योंकि सभी चक्रों की ऊर्जा सप्लाई इसी चक्र से ही होती है।
🙏🙏 sir ahanke band karne par subkuch blur kyon dik raha hai sub kuch white milky fog aisa kyon aap bata sakte hai or sir ek baat or batade pls kisi particular chakra par kuch bahut thanda sa feel hona iska kya meaning hota hai
जब ध्यान मे साँस की गति और हृदय की गति धीमी पड़ जाती है तो शरीर ऐसी स्थिति मे ज्यादा गर्मी नहीं उत्पन करता, जिस कारण से शरीर ठण्डा़ हो जाता है, शरीर के विश्राम मे जाने के कारण ऐसा होता है य़ह एक स्वाभाविक स्थिति है। किन्तु यदि ऐसी स्थिति केवल चक्र विशेष पर ही बन रही हो तो इसका मतलब इड़ा नाड़ी जो एक ठण्डी नाड़ी है इसके सक्रीय होने पर भी चक्र मे ठण्डी धारा आदि फिल हो सकती है।
आप अपना मूलाधार चक्र इस प्रकार विकसित कर सकते है:- सप्त चक्रों के क्रम मे मूलाधार पहला चक्र है, इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है तथा उसकी समाजिक असुरक्षा दूर होती है । व्यक्ति के शरीर का मध्य भाग व इसके अंग गुप्तांग, गुर्दे, लिवर आदि का स्वास्थ्य उतम रहता है । ऊर्जा की प्रबलता बनी रहती है तथा मूलाधार से आगे के चक्रों मे बढने मे सुविधा हो जाती है । इस चक्र के जागृत होने से भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । मूलाधार जागृति के लिये निम्न बाते बहुत जरुरी है :- मूलाधार चक्र का रंग लाल है अतः लाल रंग की वस्तुओं को अपने समीप रखना व लाल रंग के खाध पदार्थों का उपभोग करना उतम है, इसके इलावा कुछ ऐसे व्यायाम करना जिससे हमारे शरीर के मध्य भाग मे जोर पडे जैसे उठक-बैठक, दौडना, टहलना आदि लाभदायक है । कुछ योग आसन जैसे भुजंंग आसन, धनुरसन, चक्र आसन, कुर्सी आसन आदि भी मूलाधार जागृति करते है, कपालभाति, अग्निसार, भस्त्रिका आदि प्राणायाम भी मूलाधार मे जाग्रति लाते है । इसके इलावा ताड़न क्रिया, अश्वनी मुद्रा भी बहुत प्रभावी है । इस चक्र के देवता श्री गणेश है अतः इस चक्र पर ध्यान लगाते हुए भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से यह चक्र जागृत होता है । मंत्र इस प्रकार है : ॐ गं गणपतये नम: निम्नलिखित ध्यान से भी आप मूलाधार जागृति कर सकते है : किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें तथा अपनी आंखों को बन्द करके रखें। अपनी गर्दन, पीठ व कमर को सीधा करके रखें। अब सबसे पहले अपने ध्यान को गुदा द्वार व जननेन्द्रिय के बीच स्थान मे मूलाधार चक्र पर ले जाएं। फिर मूलाधार चक्र पर अपने मन को एकाग्र व स्थिर करें और अपने मन में चार पंखुड़ियों वाले बन्द लाल रंग वाले कमल के फूल की कल्पना करें। फिर अपने मन को एकाग्र करते हुए उस फूल की पंखुड़ियों को एक-एक करके खुलते हुए कमल के फूल का अनुभव करें। इसकी कल्पना के साथ ही उस आनन्द का अनुभव करने की कोशिश करें। उसकी पंखुड़ियों तथा कमल के बीच परागों से ओत-प्रोत सुन्दर फूल की कल्पना करें। इस तरह कल्पना करते हुए तथा उसके आनन्द को महसूस करते हुए अपने मन को कुछ समय तक मूलाधार चक्र पर स्थिर रखें। अथवा शांत होकर, आँखे बंद करके, कमर को सीधा रखते हुए, ध्यानस्थ मुद्रा मे बैठ जाये, अब अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती श्वास पर लाये और जब भी श्वास अंदर आये तो " औम" और जब भी श्वास बाहर आये तो " लं " बीज मंत्र का मानसिक उचारण करे ।
गुरुजी, ocd की बीमारी क्या किसी चक्र के असंतुलन का परिणाम है। आंखों के खुली रहने पर ही तर्कहीन विचारो की बाढ़ आई रहती है,आंखों के बंद करके ध्यान करने पर तो विचारो की सुनामी आ जाती है तो ध्यान भी नहीं होता जबकि मन बहुत करता है कि ध्यान करू।कृपया बताए क्या करूं?
अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है । धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे । आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान । अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये । कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
Aisa energy ke guptano ke pass ikhatha ho jane ke karan hota hai, isme kuch galat nahi hai, actually jab energy activate hoti hai toh mooladhar chakr par hi guptang bhi sthit hai, jisse kai baar energy unme entre kar jati hai or aisa feel hone lagta hai jaisa aapko ho raha hai, its fine, dheere dheere jab energy ooper jane lagegi toh ye nahi hoga
@@Dhyankagyan777 swami ji me kis tarah se abhyaas karu taki energy jaldi uper uth sake mujhe ek mahena hone wala hai kya enrgy uthne ke baad swapndosh khAtam ho jata hai 🙏
स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, य़ह शरीर के रसायनों की अपनी एक व्यव्स्था है, अगर युवावस्था मे माह मे एक दो बार ऐसा हो जाये तो घबराना नहीं चाहिए क्यूंकि कई बार शरीर मे गर्मी की अधिकता के कारण सोते समय वीर्य पात हो जाता है, इसमे कोई दोष नहीं है, लेकिन दोष तब होता है जब अज्ञानता वश आप अपने अंदर अपराध बोध करने लगते है की कुछ गलत हुआ जा रहा है, स्वप्नदोष से तो कुछ गलत नहीं होता लेकिन ये धारणा की य़ह चीज गलत है, इस धारणा से जरूर आपके शरीर पर मनोविज्ञानीक दबाव पड़ने के कारण आपका नुकसान होने लग जाएगा, जैसा आप मान लेगे शरीर वैसा ही करने लगेगा, आपकी ये सोच की स्वप्नदोष से शरीर खराब होता है, इसी कारण से आपको नुकसान हो रहा है, आप अपनी धारणा बदले और इस चीज से इतने परेशान ना हो, क्यूंकि अक्सर एक खास उम्र मे ऐसा होता है। फिर भी मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हू, इन का पालन करे और आपकी स्थिति सामान्य हो जायेगी। 1) आयु : यदि आपकी आयु 16 वर्ष से 24 वर्ष के बीच है अथार्त आप नवयुवक है तो आपके साथ ऐसी स्थिति बीच बीच मे बनती रहेगी क्युकी इस आयु मे शरीर अपनी पूरी कामुकता से जुड़ी व्यवस्था को गतिशिल करता रहता है । अतः यदि माह मे 1 या 2 बार यदि आपको स्वप्नदोश हो भी जाता है तो उसके लिये मन मे अपराध भाव ना लाये, इस आयु मे इतनी मात्रा मे ऐसा हो जाना स्वाभविक व प्राकृतिक होता है अतः इसे स्वीकार करे । 2) आहार : अपने आहार मे उतेजक, गर्म तासिर वाला, तला भुना, मादक व खट्टा पदार्थो का सेवन ना करे व ठण्डी तासिर की खाध वस्तुएं व हरि सब्जियां, सलाद, फल आदि का सेवन अधिक करे । खुब पानी पिये । 3) योग : कुछ आसन जैसे सिद्ध आसन, वज्रासन, पद्मासन, सर्वांग आसन, हलासन, शीर्षासन, मयूर आसन आदि का नित्य अभ्यास करे । इन आसनो के अभ्यास से हमारा शरीर का मध्य भाग मजबूत बनता है जिससे स्वप्नदोश जैसी समस्या खत्म हो जाती है । इसके इलावा अश्वनी मुद्रा, मूलबंध दो ऐसी शक्तिशाली योग की क्रियाएं है जो काम उर्जा को ऊर्ध्वगामी बना देती है और हर प्रकार के यौन रोगो को समाप्त कर देती है । कपालभाति, अनुलोम-विलोम, चंद्र भेदी, भ्रामरी, शीतली, सित्कारि प्राणायाम भी अति उतम लाभ करते है । विपश्यना ध्यान का अभ्यास भी लाभकारी है । 4) सामजिक परिवेश : अपने आसपास के सूचना प्रसारण के माध्यमों, मित्रों आदि के प्रति सजग रहे । देखे की सारा दिन आप अपने चेतन मन मे किन विचारों को इकठा कर रहे है क्युकी यही सब विचार अवचेतन मन मे चले जायेगे और फिर स्वप्न मे प्रकट होगे । 5) व्यक्तित्व निर्माण : अपना पुरा ध्यान हर समय अपने लक्ष्य को पाने मे व अपना विकास करने मे लगा कर रखे, खाली ना रहे, कुछ ना कुछ सृजनात्मक करते रहे । 6) ओषधि : आर्युवेद के अनुसार पित की अधिकता, पेट की खराबी व कब्ज आदि के कारण स्वप्नदोश की शिकायत हो जाती है अतः इसके निवारण के लिये वैध से परामर्श करके आवला, सफेद मूसली, कोच पाक, शिलाजीत, अश्वगंधा, श्तवर आदि औषधियों का सेवन करना चाहिये । 7) रोज ठण्डे पानी से स्नान करे, प्रातकाल जल्दी उठे व सैर करे, रात को सोने से पहले अपने हाथ पैर धो ले, पेट के बल ना सोये ।
to aap apne pero ki achhi tarah se malish ki jiye then fir aap thoda thoda kar kar meditation kijiye aap ko jarur fayada mehasus hoga hamne bhi kiya tha fayad mehasus hua aap bhi karo aap ki problem khatm ho jaye gi jai shree Krishnan
जब हम लंबे समय तक बिना हिले डूले एक ही आसन मे बैठते है तो रक्त का प्रवाह बाधित या धीमा होने के कारण सम्बंधित शरीर का अंग सुन्न ( numbness ) होने लगता है अथवा सो जाता है या दर्द करने लगता है अथवा खली चढ़ने लगती है यह एक स्व्भाविक स्थिति है । किंतु इसमे कुछ गलत नही है, शुरु शुरु मे चुकि शरीर इस चीज़ का अभ्यस्त नही होता इसलिये ऐसा होता ही है । धीरे धीरे जब शरीर अभ्यस्त हो जायेगा तो यह समस्यया खत्म हो जायेगी । इस स्थिति से निपटने के लिये आपको चाहिए की ध्यान मे बैठने से पहले आप थोड़ा वार्म अप कर ले, टाँगो की कुछ एक्सरसाइज करे, बटर फ़्लाई करे, दोनो पैरों के तलवो पर दोनो हाथों से कुछ देर ताली बजाये फिर बैठे तो इतना कष्ट नही होगा और फिर धीरे-धीरे आपके बिना हिले डूले बैठने का समय बढ़ता चला जाएगा । य़ह समस्या लंबे क्रमिक अभ्यास से ही दूर होगी। आपका समय धीरे-धीरे बढ़ेगा, एकदम से नहीं। अगर आपको लंबे समय तक बैठना है तो आप अपनी टांगों को सामने की और सीधा फेला कर और कमर को सीधा रखते हुए दीवार का सहारा देकर और अपने नितम्ब के नीचे एक कुशन रख कर भी बैठ सकते है, इससे आपको दर्द कम होगा। अथवा अगर आपको ज्यादा समस्या आए तो आप लेटकर भी ध्यान कर सकते है, लेकिन तब शर्त ये है की आपको सो नहीं जाना है। लेकिन यदि आपको दर्द पहले से ही रहता है और आप चौकड़ी मार कर नहीं बैठ सकते तो ऐसी स्थिति में आप कुर्सी पर बैठ कर अभ्यास कर सकते है।
Guru ji pranam mujhe bar bar ek baat ko dohrane ki adat ya bimari h main kya karu ke yeh band hojaye koi baat bolta hu toh mann mai apne aap dohrata hu na chahkar bhi
ग्रहस्थी आदमी का मूलाधार चक्र जागरत होने के बाद वह आदमी अपनी पत्नी के साथ संसारीक कार्य कर सकता है अगर कर सकता है तोऐक महीने मे कितनी बार क्रपा करके थोडा बताये
It is on tailbone or pelvic floor? If it is on tailbone say it is on tailbone. If it is on pelvic floor say it is on pelvic floor. Please confuse saying it is near tailbone. Please reply!!!
Guru Ji help me Where exactly is mooladhar? You said it is on the pelvic floor near tailbone Well how can it be near tailbone because between tailbone and pelvic floor we have anus
Swamiji muze bahot krodh aa raha tha to maine meditation band kiya one month.
ध्यान के पश्चात क्रोध आने का कारण है की ध्यान की एकाग्रता से जो शक्ती उत्पन्न हुई है वो सूक्ष्म शरीर मे जज्ब नही हो पाई है ओर मूलाधार चक्र के मूहाने पर ही इकठी हो गई है, अतः जब भी आपको जरा सा भी अगर छेड़ दे तो आपकी ये उर्जा विस्फोटित हो जाती है ।
इस चीज़ से बचने के लिये जरुरी है की जो भी ऊर्जा उत्पन हो उसका उर्ध गमन भी हो, इसके लिये आपको ध्यान के बाद थोडा संगीत आदि सुनकर या नृत्य करके उर्जा को हृदय चक्र पर लाना चाहिए ताकी अतिरिक्त उर्जा हृदय चक्र मे जाके प्रेम बन जाये और क्रोध ना बने । या कुछ सृजनात्मक कार्य करने चाहिए, जिसमे आपको आनंद आता हो ।
@@interestingvideos9041 krodh se sirf swadistan active ho sakta hai
Dhanyabad Shree Guruji bhot gyan mila 🙏🕉️🌹🤗🌞🙌👍👏
pranam guruji 🙏 guruji mai apne jeevan me naaya ideas ni la parahi hu aur koi kuch bol diya ya puch liya to uspe shak krne lagti hu.confusing energy me rahti hu mujhe kya Krna chahiye.please guide kare.🙏🙏💐💐
मूलाधार से सम्बन्धित जानकारी बहुत ज्ञानवर्दक थी, धन्यवाद
गुरुजी चरण स्पर्श,आप जो जानकारियां देते हैं उसके लिए धन्यवाद बहुत ही छोटा शब्द है🙏🙏🙏
प्रभुजी आपके एक एक शब्द किसी किताब में पढ़ कर बोले हुए बिल्कुल नहीं लगते,, ये तो बिल्कुल ऐसा है कि मेने आपके शरीर में आकर या आपने मेरे शरीर में आकर अनुभव किया हो,,🙏🙏🙏🙏
guru g inme se 45% lakshan h mijme ab mujhe hairani ho rhi h............hre krshna.......om namh sivay
बेहतरीन वर्णन, दिशाज्ञान के लिए धन्यवाद ❤
Yess mujhe nind baut zada aa rahi thi.. Aur mujhe kaali mata baut dikhte the, jaha wo deep meditation kar rahe the.. Jinhe dekh ke mujhe baut dar laga tha, fir maine uss energy ko mera saath dene ka request ki.. Ek ajib si khushi hoti hai😊, aur back me sach me kuch chal raha hai aise feel hota hai..
धन्यवाद सर मुलाधार चक्र की जानकारी के लिये
Very good explanation. Thank you sir
बहुत अछि जानकारी दी आपने आपका बहुत बहुत धन्यवाद❤
Bhut acchi information guruji dhanyawad asp ke gayn ke aage natmastak hoon 🙏🙏🙏coti pranam aap ko
Bohot acchi information he... very good..
Beautiful jankari ke liye bhut2 denyewad
अति सुंदर जानकारी
बहुत अच्छा है
Bohot bohot dhanyavaad sir itni achi janikari pradan krne ke liye 😇
अच्छा लगा।
Thank you.
Stay blessed always 🙏🎉💐
आपकी वीडियो बहुत्रही ज्ञान वर्धक है
सारे चक्रों पर विस्तार से ऐसे ही बनाना गुरूजी
Guru ji parnam ❤❤❤❤❤
Super explaination danyavad
AAP ne bahut acche se samjaya hai
Thanks for this vedeo this is very important
U are giving deep knowledge about chakra. Great 👍
Bilkul sahi
Apko shat shat naman or ati shukrana guruji🙏
Swami ji aap bilkul thik bol rhe hai me durgashaptasati ke sadhna se mera mooladhar jagrit ho gaya he me jab sadhna me baitha hu kundalini nicha se upar uthtai hai par mujhe yeh smj nhi aata ki aage ke chakra kaisa khulaga or swami ji jab mujhe guru diksha mili mera 1 week ke andar he anubhav hona suru ho gaya tha bina bramachriya or yog ke
Kaun hai apke Guru. Mujhe v diksha leni hai. Durga saptshati me niyam hota hai.
Bina bhramcharya k koi sadhna possible nhi. Aap sari shakti to swadishthan chakra ki bahar nikkal rahe ho fir kaise upar uthegi kudlini
@@tarun_sharma9 agar adishakti ka ashirvad ho sab sambhav hai jab mujhe anubhav Hua TB mujhe kundalini or bramachriya ka bare me kuch pata nhi tha sirf guru diksha mila tha phle aap tanta ko samjho bramachriya koi palan karne ki koi chij nhi hai yah apna aap ghatit hone ki chij hai
@@lawnorder2709 durga saptashati me koi niyam nhi hota sirf bhakti or samarpan hona chiyea mera guru sivanand ji hai online shivyog ko search kare aapko mil jyga 🙏🏽
Very good 🙏🏻
Radhey Radhey
Absolutely agreed.Thanks
Swamin ji .. 1 question. . I like to eat sea fish food as i am from costal area.. So is it ok to have non veg food and do dhyan.. Can i achive / activte 7 chakras ... Pls suggest what to eat and what not to eat during dhyan...
NO ABSOLUTELY NOT......................IF U EAT SOMETHING BY KILLING THEM...AND SERVING AS UR FOOD..........IT WILL NOT HAPPEN EVEN U CANT DO MEDITATION PROPERLY
Thank you very much Sir🙏🙏🙏🙏🙏
Bil kul sach
नमस्ते गुरुजी,
में हर रोज शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता हूँ और ओम् नमः शिवाय का कर्माला से जाप करता हूँ, विनियोग और न्यास कैसे करना चाहिए ओम नमः शिवाय मंत्र और शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लिए?
कृपया आप कोई video हो तो link share कीजिए।
कृपया मेरा मार्ग दर्शन करे 🙏
जय श्री राम 🙏
7:50 13:00
👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌Kaya bat hai
अच्छा अभ्यास करके विस्तृत विवरण किया है। नमस्कार।
🌷🌹🍇🌼🍀🌸🌻ओम्।शान्ति।मेरा।करन।करावनहार।मेरा।बाप।दादा।शुक्रिया।बाबा।शुक्रिया।बाबा।शुक्रिया।बाबा।शुक्रिया।
Thanks Gurudev
गुरुजी.. नमस्कार. ईसका आंनद मैनै बहोत बार लीया है.लेकीन ईसमे नियमितपणा नही होता. अभी दो सालसे तो ओ आंनद मिला ही नही..नही तो पहले दो तीन महीने बाद तीन चार घंटेके लीये ये आनंद मेरा रोम रोम भर देता था.पुरे शरीर मे गुदगुदीया होती. अपनेआप मंत्रजप चालू होता था.ऊसे विणा तंबोरेकी,सप्तसुरो की साथ मिलती थी.पुरे शरीर मे मंत्रजप सुनाई देता था.लेकीन कँ हुवा मालुम नही अचानक सब ष्टाँप हुवा..बाकी क्रिया मतलब पेट का व्हाँयब्रैशन वैगरा चालू है.लेकीन जो द्रुष्टी थी वो भि बंद हो गयी धंन्यवाद. क्रुपया मार्गदर्शन करे🌹🙏
क्या इसके लिए गुरु का होना जरूरी है। क्योंकि मेरे गुरु अब इस दुनिया मे नही हैं। लेकिन में मानसिक रूप से उनको याद करता हूं और भोजन करते समय पहले उनका खिलाता हु फ़िर में खाता हूं। तो अब में क्या करूँ? कृपया मार्गदर्शन करने की कृपा करें।
अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Namasthe
Ji ap help muje help kriye meratho chakr na balance hai
Hari om sir, bahut achcha se aapne explain kiya.mooladhar chakra , agar koi side ho effect ho toh Kya karna chahiye..koi mansik santulan bigadne ka darr toh nahi ki, puri tarha pagal ho jaye
ध्यान के अभ्यास से जो पागल होता है वो भी ठीक हो जाता है तो कोई पागल तो क्यूं होगा ।
किन्तु यदि ध्यान मे गहरे जाने से पहले कुछ सावधानियों का अगर ख्याल ना रखा जाये तो कुछ साइड इफेक्टस जरूर आ सकते है।
और सावधानियों मे सब से बड़ी सावधानी यही है की आरंभ मे अपनी नाड़ी शुद्धि अवश्य कर ले, ताकि यदि मूलाधार से ऊर्जा उठे तो उसे आगे का मार्ग साफ़ मिले।
और कपालभांति, अग्निसार, अनुलोम विलोम, जल नेती आदि योग की क्रियाओं से य़ह शुद्धि सुनिश्चित की जा सकती है, इसके अलावा अपना खान पान और जीवन चर्या शुद्ध बनाए रखने से भी सहायता मिलती है।
धन्यवाद
In sabhi lakshanose guzar gaya hun ab thhek hun
Jii Hind 😎
गुरुजी प्रणाम मेरा सवाल है कि क्या मैं ध्यान की शुरुआत कुंडलिनी योग से कर सकता हूं मेरी उम्र 16 वर्ष है और मैं अपने सातों चक्रों को एक एक करके जाग्रत कर लू मुझे इससे कोई नुक़सान तो नही होगा क्योंकि गुरुजी में कुंडलिनी योग से बहुत प्रभावित हूं मैने आपके बहुत सारे विडियो देखें है मैने आपके कुंडलिनी शक्ति के विडियो भी देखे हैं में काफी उत्साहित हूं इसे जाग्रत करने के लिए मेरा मार्गदर्शन करें गुरुजी ❤❤ please reply guruji ❤❤
Guruji Namah
Sir namaskar
Very nice video
Root chakra body ke kis part se liver, kidney ya kisi aur part se please jankari dene ki kripa kare prdam
गुरुजी चक्र स्वतः भी जाग्रत होने लगते हैं क्या? यदि प्रतिदिन ध्यान करें तो ।
Hannn mere sath hota he
Sir Hari om, mooladhar chakra ko activate kerne per jo Shakti ( energy)aati hai. Uska kya karna chahiye please guide
क्या रात में सोने के समय लेटकर इस किर्या को कर सकते हैं ?
इस क्रिया को करते समय कमर को सीधा रखना ज्यादा अच्छा है इसलिए बैठकर ही करना चाहिए, किन्तु यदि कोई मजबूरी हो तो लेटकर भी कर सकते हैं।
Agar Manipur chakra jagrit karna ho toh kya uske liye mooladhar chakra active kerna zaroori hai
आप चाहें किसी भी चक्र पर ध्यान करे, लेकिन मूलाधार चक्र तो हर अवस्था मे सक्रीय होगा ही होगा क्यूंकि आप जिस भी चक्र पर ध्यान करेगे और उस चक्र पर जो ऊर्जा पैदा होगी, वो ऊर्जा हमेशा मूलाधार चक्र पर स्थित कुंड से ही उस चक्र तक आएगी, तो इसलिए मूलाधार तो हर स्थिति मे आरंभिक रूप से सक्रियता मे आता ही आता है क्योंकि सभी चक्रों की ऊर्जा सप्लाई इसी चक्र से ही होती है।
Pranam 🙏🏻
Kya kewal mooladhar chakra bhi jagrat karke agle na bhi jagrat karen to kuch gadbad to nahi hogi?🙏🏻
🙏👌👌💐
🙏🙏 sir ahanke band karne par subkuch blur kyon dik raha hai sub kuch white milky fog aisa kyon aap bata sakte hai or sir ek baat or batade pls kisi particular chakra par kuch bahut thanda sa feel hona iska kya meaning hota hai
जब ध्यान मे साँस की गति और हृदय की गति धीमी पड़ जाती है तो शरीर ऐसी स्थिति मे ज्यादा गर्मी नहीं उत्पन करता, जिस कारण से शरीर ठण्डा़ हो जाता है, शरीर के विश्राम मे जाने के कारण ऐसा होता है य़ह एक स्वाभाविक स्थिति है।
किन्तु यदि ऐसी स्थिति केवल चक्र विशेष पर ही बन रही हो तो इसका मतलब इड़ा नाड़ी जो एक ठण्डी नाड़ी है इसके सक्रीय होने पर भी चक्र मे ठण्डी धारा आदि फिल हो सकती है।
@@Dhyankagyan777 thanku so mich sir🙏🙏🙏🙏
Root chakra kaise jagrit kare so batayiye and mai visualise nahi kar pati root chakra ko
आप अपना मूलाधार चक्र इस प्रकार विकसित कर सकते है:-
सप्त चक्रों के क्रम मे मूलाधार पहला चक्र है, इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है तथा उसकी समाजिक असुरक्षा दूर होती है । व्यक्ति के शरीर का मध्य भाग व इसके अंग गुप्तांग, गुर्दे, लिवर आदि का स्वास्थ्य उतम रहता है । ऊर्जा की प्रबलता बनी रहती है तथा मूलाधार से आगे के चक्रों मे बढने मे सुविधा हो जाती है । इस चक्र के जागृत होने से भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
मूलाधार जागृति के लिये निम्न बाते बहुत जरुरी है :-
मूलाधार चक्र का रंग लाल है अतः लाल रंग की वस्तुओं को अपने समीप रखना व लाल रंग के खाध पदार्थों का उपभोग करना उतम है, इसके इलावा कुछ ऐसे व्यायाम करना जिससे हमारे शरीर के मध्य भाग मे जोर पडे जैसे उठक-बैठक, दौडना, टहलना आदि लाभदायक है । कुछ योग आसन जैसे भुजंंग आसन, धनुरसन, चक्र आसन, कुर्सी आसन आदि भी मूलाधार जागृति करते है, कपालभाति, अग्निसार, भस्त्रिका आदि प्राणायाम भी मूलाधार मे जाग्रति लाते है । इसके इलावा ताड़न क्रिया, अश्वनी मुद्रा भी बहुत प्रभावी है ।
इस चक्र के देवता श्री गणेश है अतः इस चक्र पर ध्यान लगाते हुए भगवान गणेश जी के मंत्र का जाप करने से यह चक्र जागृत होता है । मंत्र इस प्रकार है : ॐ गं गणपतये नम:
निम्नलिखित ध्यान से भी आप मूलाधार जागृति कर सकते है :
किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ज्ञान मुद्रा में रखें तथा अपनी आंखों को बन्द करके रखें। अपनी गर्दन, पीठ व कमर को सीधा करके रखें। अब सबसे पहले अपने ध्यान को गुदा द्वार व जननेन्द्रिय के बीच स्थान मे मूलाधार चक्र पर ले जाएं। फिर मूलाधार चक्र पर अपने मन को एकाग्र व स्थिर करें और अपने मन में चार पंखुड़ियों वाले बन्द लाल रंग वाले कमल के फूल की कल्पना करें। फिर अपने मन को एकाग्र करते हुए उस फूल की पंखुड़ियों को एक-एक करके खुलते हुए कमल के फूल का अनुभव करें। इसकी कल्पना के साथ ही उस आनन्द का अनुभव करने की कोशिश करें। उसकी पंखुड़ियों तथा कमल के बीच परागों से ओत-प्रोत सुन्दर फूल की कल्पना करें। इस तरह कल्पना करते हुए तथा उसके आनन्द को महसूस करते हुए अपने मन को कुछ समय तक मूलाधार चक्र पर स्थिर रखें।
अथवा
शांत होकर, आँखे बंद करके, कमर को सीधा रखते हुए, ध्यानस्थ मुद्रा मे बैठ जाये, अब अपना पुरा ध्यान अपनी आती जाती श्वास पर लाये और जब भी श्वास अंदर आये तो " औम" और जब भी श्वास बाहर आये तो " लं " बीज मंत्र का मानसिक उचारण करे ।
@@Dhyankagyan777 kalpana hi toh karna mushkil hai mere liye or dhyan sthir karna ek jagah
Aap kalpna se related vidhi skip kar sakte hai
Or mind ka focus hona time leta hai, isliye practice karte rahe
@@Dhyankagyan777 ok
Ok
Sir 🙏 ay sab kuch nahi hota agar to fir dhan kahase laga 🙏🌹?×
Guruji har chakra ka abhiyas karayein...
🙏🙏🙏🙏
गुरुजी, ocd की बीमारी क्या किसी चक्र के असंतुलन का परिणाम है। आंखों के खुली रहने पर ही तर्कहीन विचारो की बाढ़ आई रहती है,आंखों के बंद करके ध्यान करने पर तो विचारो की सुनामी आ जाती है तो ध्यान भी नहीं होता जबकि मन बहुत करता है कि ध्यान करू।कृपया बताए क्या करूं?
Bhai ji aapke anusaar sabse jaldi quickly kaun sa chakra activate hota hai....?
आज्ञा चक्र।
Ji shukriya ....
Sir i want to start meditation. Shall I start with प्रणयम.pl advise.
अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है ।
धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे ।
आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान ।
अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये ।
कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
अति उत्तम उपयोगी जानकारी दी धन्यवाद
👏👏👍👍❤️💜🧡🦋
Gurujee bina guru ke kiya ja sakta he kya
Guru ji jb me muladhar chakra pe dhyan lgata hu to mere ling se esa lgata h jese ab veerya girne wala ho kyu hota hai ese guru ji 🙏😔
Aisa energy ke guptano ke pass ikhatha ho jane ke karan hota hai, isme kuch galat nahi hai, actually jab energy activate hoti hai toh mooladhar chakr par hi guptang bhi sthit hai, jisse kai baar energy unme entre kar jati hai or aisa feel hone lagta hai jaisa aapko ho raha hai, its fine, dheere dheere jab energy ooper jane lagegi toh ye nahi hoga
@@Dhyankagyan777 swami ji me kis tarah se abhyaas karu taki energy jaldi uper uth sake mujhe ek mahena hone wala hai kya enrgy uthne ke baad swapndosh khAtam ho jata hai 🙏
स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, य़ह शरीर के रसायनों की अपनी एक व्यव्स्था है, अगर युवावस्था मे माह मे एक दो बार ऐसा हो जाये तो घबराना नहीं चाहिए क्यूंकि कई बार शरीर मे गर्मी की अधिकता के कारण सोते समय वीर्य पात हो जाता है, इसमे कोई दोष नहीं है, लेकिन दोष तब होता है जब अज्ञानता वश आप अपने अंदर अपराध बोध करने लगते है की कुछ गलत हुआ जा रहा है, स्वप्नदोष से तो कुछ गलत नहीं होता लेकिन ये धारणा की य़ह चीज गलत है, इस धारणा से जरूर आपके शरीर पर मनोविज्ञानीक दबाव पड़ने के कारण आपका नुकसान होने लग जाएगा, जैसा आप मान लेगे शरीर वैसा ही करने लगेगा, आपकी ये सोच की स्वप्नदोष से शरीर खराब होता है, इसी कारण से आपको नुकसान हो रहा है, आप अपनी धारणा बदले और इस चीज से इतने परेशान ना हो, क्यूंकि अक्सर एक खास उम्र मे ऐसा होता है।
फिर भी मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हू, इन का पालन करे और आपकी स्थिति सामान्य हो जायेगी।
1) आयु : यदि आपकी आयु 16 वर्ष से 24 वर्ष के बीच है अथार्त आप नवयुवक है तो आपके साथ ऐसी स्थिति बीच बीच मे बनती रहेगी क्युकी इस आयु मे शरीर अपनी पूरी कामुकता से जुड़ी व्यवस्था को गतिशिल करता रहता है । अतः यदि माह मे 1 या 2 बार यदि आपको स्वप्नदोश हो भी जाता है तो उसके लिये मन मे अपराध भाव ना लाये, इस आयु मे इतनी मात्रा मे ऐसा हो जाना स्वाभविक व प्राकृतिक होता है अतः इसे स्वीकार करे ।
2) आहार : अपने आहार मे उतेजक, गर्म तासिर वाला, तला भुना, मादक व खट्टा पदार्थो का सेवन ना करे व ठण्डी तासिर की खाध वस्तुएं व हरि सब्जियां, सलाद, फल आदि का सेवन अधिक करे । खुब पानी पिये ।
3) योग : कुछ आसन जैसे सिद्ध आसन, वज्रासन, पद्मासन, सर्वांग आसन, हलासन, शीर्षासन, मयूर आसन आदि का नित्य अभ्यास करे । इन आसनो के अभ्यास से हमारा शरीर का मध्य भाग मजबूत बनता है जिससे स्वप्नदोश जैसी समस्या खत्म हो जाती है ।
इसके इलावा अश्वनी मुद्रा, मूलबंध दो ऐसी शक्तिशाली योग की क्रियाएं है जो काम उर्जा को ऊर्ध्वगामी बना देती है और हर प्रकार के यौन रोगो को समाप्त कर देती है ।
कपालभाति, अनुलोम-विलोम, चंद्र भेदी, भ्रामरी, शीतली, सित्कारि प्राणायाम भी अति उतम लाभ करते है ।
विपश्यना ध्यान का अभ्यास भी लाभकारी है ।
4) सामजिक परिवेश : अपने आसपास के सूचना प्रसारण के माध्यमों, मित्रों आदि के प्रति सजग रहे । देखे की सारा दिन आप अपने चेतन मन मे किन विचारों को इकठा कर रहे है क्युकी यही सब विचार अवचेतन मन मे चले जायेगे और फिर स्वप्न मे प्रकट होगे ।
5) व्यक्तित्व निर्माण : अपना पुरा ध्यान हर समय अपने लक्ष्य को पाने मे व अपना विकास करने मे लगा कर रखे, खाली ना रहे, कुछ ना कुछ सृजनात्मक करते रहे ।
6) ओषधि : आर्युवेद के अनुसार पित की अधिकता, पेट की खराबी व कब्ज आदि के कारण स्वप्नदोश की शिकायत हो जाती है अतः इसके निवारण के लिये वैध से परामर्श करके आवला, सफेद मूसली, कोच पाक, शिलाजीत, अश्वगंधा, श्तवर आदि औषधियों का सेवन करना चाहिये ।
7) रोज ठण्डे पानी से स्नान करे, प्रातकाल जल्दी उठे व सैर करे, रात को सोने से पहले अपने हाथ पैर धो ले, पेट के बल ना सोये ।
@@Dhyankagyan777 swami ji sabse bada karan 4 likha hai jo apne ye wala hai dost bekar ki baat karte rehte hai
Guruji muje 7chakra jagrut karne hai to muje app bataye plese
ऊँ लम्हँ का जाय कितनी बार करना चाहिए क्या पूजा घर में खडे़ होकर कर सकते कृपया मार्ग दर्शन अवश्य करे।
Use sukhasan by sitting on earth. Please Google for more details
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🙏🌹🙏👍👌
Kya hm tino tariko kr skte ek sath.
Karne ko toh kar sakte hai but better yahi rahega ki ek time me ek hi method se kare
😊
Kab dhyan me om gam ganpati namah bolna hai aur kab lam
Aap dono me se koi ek chun le, ya toh om lam ya ganpati mantra, or dono me se kewal ek ka hi jaap karna hai, dono ka nahi
Guru ji me jab dhyan me bhedti hu to yek perr me asehaniy dard hota he fir me dhya se udh jati hu kirpa kuch btaye or per sun bhi ho jata he
to aap apne pero ki achhi tarah se malish ki jiye then fir aap thoda thoda kar kar meditation kijiye aap ko jarur fayada mehasus hoga hamne bhi kiya tha fayad mehasus hua aap bhi karo aap ki problem khatm ho jaye gi jai shree Krishnan
जब हम लंबे समय तक बिना हिले डूले एक ही आसन मे बैठते है तो रक्त का प्रवाह बाधित या धीमा होने के कारण सम्बंधित शरीर का अंग सुन्न ( numbness ) होने लगता है अथवा सो जाता है या दर्द करने लगता है अथवा खली चढ़ने लगती है यह एक स्व्भाविक स्थिति है ।
किंतु इसमे कुछ गलत नही है, शुरु शुरु मे चुकि शरीर इस चीज़ का अभ्यस्त नही होता इसलिये ऐसा होता ही है । धीरे धीरे जब शरीर अभ्यस्त हो जायेगा तो यह समस्यया खत्म हो जायेगी ।
इस स्थिति से निपटने के लिये आपको चाहिए की ध्यान मे बैठने से पहले आप थोड़ा वार्म अप कर ले, टाँगो की कुछ एक्सरसाइज करे, बटर फ़्लाई करे, दोनो पैरों के तलवो पर दोनो हाथों से कुछ देर ताली बजाये फिर बैठे तो इतना कष्ट नही होगा और फिर धीरे-धीरे आपके बिना हिले डूले बैठने का समय बढ़ता चला जाएगा । य़ह समस्या लंबे क्रमिक अभ्यास से ही दूर होगी। आपका समय धीरे-धीरे बढ़ेगा, एकदम से नहीं।
अगर आपको लंबे समय तक बैठना है तो आप अपनी टांगों को सामने की और सीधा फेला कर और कमर को सीधा रखते हुए दीवार का सहारा देकर और अपने नितम्ब के नीचे एक कुशन रख कर भी बैठ सकते है, इससे आपको दर्द कम होगा।
अथवा अगर आपको ज्यादा समस्या आए तो आप लेटकर भी ध्यान कर सकते है, लेकिन तब शर्त ये है की आपको सो नहीं जाना है।
लेकिन यदि आपको दर्द पहले से ही रहता है और आप चौकड़ी मार कर नहीं बैठ सकते तो ऐसी स्थिति में आप कुर्सी पर बैठ कर अभ्यास कर सकते है।
👌
Mere sath aisa hi hua hai pls help me
In my experience, it's wrong to say that u feel anger when ur muladhar chakra is active 🙏
13:00
Guru ji pranam mujhe bar bar ek baat ko dohrane ki adat ya bimari h main kya karu ke yeh band hojaye koi baat bolta hu toh mann mai apne aap dohrata hu na chahkar bhi
Ap Dr. Dikhaye. Ye thik nahi ho raha
Muladhar ko jagrut kare kese ato batavo
ग्रहस्थी आदमी का मूलाधार चक्र जागरत होने के बाद वह आदमी अपनी पत्नी के साथ संसारीक कार्य कर सकता है अगर कर सकता है तोऐक महीने मे कितनी बार क्रपा करके थोडा बताये
It is on tailbone or pelvic floor?
If it is on tailbone say it is on tailbone.
If it is on pelvic floor say it is on pelvic floor.
Please confuse saying it is near tailbone.
Please reply!!!
Muladhara chakra is situated on the pelvic floor, its exact location is between anus and genitals
🙏💜🙏
Pranam. AP k sath kaise sampark kare
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Dhyan karta hu to Mera Baya hath bhut hi akad jata hai
Om pronounce nhi karna hai lam karna hai
Guru Ji help me
Where exactly is mooladhar?
You said it is on the pelvic floor near tailbone
Well how can it be near tailbone because between tailbone and pelvic floor we have anus
Muladhara chakra is situated on the pelvic floor, its exact location is between anus and genitals
सब कर के दिखाते तो अच्छा होता
गुरुजी अभ्यास के समय काम जागृत होगा तो कैसे रोके अगर काम हो गया तो क्या होगा गुरुजी
Guruji Namah jay Ganesh
जब साँस के साथ प्रक्रिया करें तबॐ और लं मुंहसे नहि बोलना है? मुंह बंध रखना हैं ? मौन अवस्था मैं करना हैं ?
जी हाँ, मोन अवस्था मे करना है।
@@Dhyankagyan777aap shikha sakte hai kya ?
Radhe Radhe 🙏🏻 kya aap mujhe apna WhatsApp number de sakte ho guru ji mujhe kuch puchna hai 🙏🏻plz
धन्यवाद
👏👏👏👍👍❤️💜🧡
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