तुम रुठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर - राज.

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  • เผยแพร่เมื่อ 22 ม.ค. 2025
  • तुम रूठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है ,
    जिन्दा जल जानें को , जिन्दा परवाना है !
    तुम रूठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है . .
    तुम महफिल में होते , कुछ और समां होता ,
    भटके हुवे राही को , मुकाम मिला होता ,
    खामोश लबों पर अब , ना कोई तराना है !
    तुम रुठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है . .
    हमनें तेरे दर से , पाया तो क्या पाया ,
    दो बूंद अश्क पाये , और दर्द ए जिगर पाया ,
    फिर भी मेरे दिल में , तेरा ही ठिकाना है !
    तुम रूठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है . .
    लिल्लाह तड़प कर भी , सकूंन नही आया ,
    आने को सब आये , महबूब नही आया ,
    यादों के झरोखे में , तेरा अक्श सुहाना है !
    तुम रूठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है .
    जिन्दा जल जानें को , जिन्दा परवाना है !
    तुम रूठ गये साथी , किस्मत का फ़साना है ,
    जिन्दा जल जानें को , जिन्दा परवाना है !!
    लक्ष्य
    एल . पी . शर्मा
    जयपुर !
    राज .

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