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Laksh
เข้าร่วมเมื่อ 8 ต.ค. 2021
मुझे राख भले कर दे धुंआ ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू ,
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !
मेरी नब्ज ना पकड़ना , लिहाज ,नाजुक अदब वाले ,
रुकी सांसें ना आ जाये कहीं , मुझे हाथ ना लगाना तू !!
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू ,
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !
हो गया आज मैं हल्का , बंदिश ए जहां से आजाद ,
था सिर पर बोझ, मन भारी , रहा जीवन भर नाशाद !
हलक में जान थी अटकी , ज़ुबां बंद ,थे लब पर ताले ,
दिखाये क्यों कोई हमदर्दी ,तक्मीले सजा ए मौत के बाद !!
मैं सो जाऊं जो थक कर के , मुझे ना जगाना तू ,
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू !
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !!
निभाता रहा फ़र्ज़ अपना , दुत्कारता रहा जग मुझको ,
उफ़ तक ना करी दुख में , ना बद्दुआयें दी किसी को !
मैं अपने हाल में मस्त रहा , ना शिकवा, गिला किससे ,
हम दोष किसे दें बतला , जो रब ने छोड़ दिया हमको !!
गर्दिश के मारे को आ के , हरगिज़ ना सताना तू ,
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू !
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !!
मंज़र ना देख तमाशाई , तेरे संग भी खेला छल होगा ,
ख़ुदग़र्ज़ भरी इस दुनियां में , ज़ीना तक मुश्किल होगा !
बेईमान शक्स रूतबे वाला , जो सब पर भारी पड़ता है ,
सत्यधर्म का अनुकर्ता , नज़रअंदाज़ उपेक्षित रहता है !!
कर्मों का जब फल पाये , ना रो रो के सुनाना तू ,
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू !
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !!
लक्ष्य
एल पी शर्मा
जयपुर !
राज .
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !
मेरी नब्ज ना पकड़ना , लिहाज ,नाजुक अदब वाले ,
रुकी सांसें ना आ जाये कहीं , मुझे हाथ ना लगाना तू !!
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू ,
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !
हो गया आज मैं हल्का , बंदिश ए जहां से आजाद ,
था सिर पर बोझ, मन भारी , रहा जीवन भर नाशाद !
हलक में जान थी अटकी , ज़ुबां बंद ,थे लब पर ताले ,
दिखाये क्यों कोई हमदर्दी ,तक्मीले सजा ए मौत के बाद !!
मैं सो जाऊं जो थक कर के , मुझे ना जगाना तू ,
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू !
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !!
निभाता रहा फ़र्ज़ अपना , दुत्कारता रहा जग मुझको ,
उफ़ तक ना करी दुख में , ना बद्दुआयें दी किसी को !
मैं अपने हाल में मस्त रहा , ना शिकवा, गिला किससे ,
हम दोष किसे दें बतला , जो रब ने छोड़ दिया हमको !!
गर्दिश के मारे को आ के , हरगिज़ ना सताना तू ,
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू !
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !!
मंज़र ना देख तमाशाई , तेरे संग भी खेला छल होगा ,
ख़ुदग़र्ज़ भरी इस दुनियां में , ज़ीना तक मुश्किल होगा !
बेईमान शक्स रूतबे वाला , जो सब पर भारी पड़ता है ,
सत्यधर्म का अनुकर्ता , नज़रअंदाज़ उपेक्षित रहता है !!
कर्मों का जब फल पाये , ना रो रो के सुनाना तू ,
मुझे राख भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू !
यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू !!
लक्ष्य
एल पी शर्मा
जयपुर !
राज .
มุมมอง: 1
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मुझे राख भले कर दे धुंआ,मेरा दिल ना जलाना तू ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 88 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मुझे रा भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू , यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू ! मेरी नब्ज ना पकड़ना , लिहाज ,नाजुक अदब वाले , रुकी सांसें ना आ जाये कहीं , मुझे हाथ ना लगाना तू !! मुझे रा भले कर दे धुंआ , मेरा दिल ना जलाना तू , यह किसी और की अमानत , आतिश इसे बचाना तू ! हो गया आज मैं हल्का , बंदिश ए जहां से आजाद , था सिर पर बोझ, मन भारी , रहा जीवन भर नाशाद ! हलक में जान थी अटकी , ज़ुबां...
ना बसा खाली किनारे पे , रैन बसेरा आकर ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 612 ชั่วโมงที่ผ่านมา
ना बसा खाली किनारे पे , रैन बसेरा आकर , ना जाने कब लोट आये , तूफां से भरा सागर ! कहाँ ले जा रहे मेरे अरमां , बेजा इधर उधर , डुबा ना दे मझधार में , कहीं बीच में लाकर !! ना बसा खाली किनारे पे , रैन बसेरा आकर , ना जाने कब लोट आये , तूफां से भरा सागर ! क्या वज़न उस बात का , जो हो गुजरे के बाद , जो कहना कह सामने , जीवन जब तक आबाद ! ना स्मृति,ना संज्ञा-सोच , ना ज्ञान, बोध,आभास , शुन्य होत सचेतन , जब ...
सूर्य उतरा आकाश की गहराईयों में ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 1317 ชั่วโมงที่ผ่านมา
सूर्य उतरा , आकाश की गहराईयों में , खोजने को , शुन्य में कौन रह रहा है ! कौन सुनेपन , अनंत गहराई तल में , मौन रहकर भी , गुंजन कर रहा है !! सूर्य उतरा , आकाश की गहराईयों में , खोजने को , शुन्य में कौन रह रहा है !! चन्द्र निकला , खोजने उस जटा को , जिस जटा में , आदि से जकड़ा पड़ा है ! देखना चाहता , अंततः उस विभु को , जिनके आश्रय , व्योम में लटका खड़ा है !! खेल ये कैसा , अनोखा हो रहा है , सूर्य उतर...
उनसे कितना लगाव था , ना पैमाना दिखा सका ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 132 ชั่วโมงที่ผ่านมา
उनसे कितना लगाव था ! उनसे कितना लगाव था , ना कोई पैमाना दिखा सका , ना लफ़्जो में बता सका , ना हाव-भाव से जता सका ! उनसे कितना लगाव था , ना कोई पैमाना दिखा सका , किस्मत की बाजी देखिये , उनकी अजमाइश देखिये , वो शह पर शह दिये जा रहे ,मैं कोई शह ना लगा सका ! उनसे कितना लगाव था , ना कोई पैमाना दिखा सका , दिल अश्कबार हो रहा , बहता दरिया सा बह रहा , क्या करें उस आब का , जो आग तक ना बुझा सका ! उनसे कित...
आवन कह , ना आये मनहर (नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 72 ชั่วโมงที่ผ่านมา
आवन कह , ना आये मन-हर ! आवन कह ,ना आये मन-हर , कब से बैठा दर्शन मारे , क्षण को लगता संग हो मेरे ,पल में लगता स्वप्न तुम्हारे ! कल्प-बाग ही देखन था तो , देखन को थे और नज़ारे , किया उजारा तुमरे खातिर , आ जाओ मनमीत हमारे !! आवन कह , ना आये मन-हर , कब से बैठा दर्शन मारे , प्यासा ही दौड़न को जाता , मृगतृष्णा के घाट किनारे , कितने प्यासे भटक रहे हैं , मुझसे ज्यादा दुखी बेचारे ! पुष्प पराग, मकरंद, मधु...
आवन कह , ना आये मनहर ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 72 ชั่วโมงที่ผ่านมา
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चाहे मेरे इज़हार पर तू बेरुखी इख्तियार कर ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 84 ชั่วโมงที่ผ่านมา
चाहे मेरे इज़हार पर ! चाहे मेरे इज़हार पर , तू बेरुख़ी इख़्तियार कर , मान के उलफ़त गुनाह , ऐलाने जंग सौ बार कर ! मैं मुजस्समा तो नही , मेरे दिल में भी हैं धड़कनें , मेरे दिल की सदायें सुन , अनसुनी हजार कर !! चाहे मेरे इज़हार पर , तू बेरुखी इख्तियार कर . एक हसींन चाह को , तू भी तरसे मोहतरमा , ओ गुरूर ए बदगुमां , तेरा दिल भी टूटे बदनुमा ! तेरा मन भी चाहे आने को , मेरे गले लग जाने को , मेरी तलाश म...
बैठे हैं मौजे दरिया में बह जायें हम तो क्या ! रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 114 ชั่วโมงที่ผ่านมา
बैठें हैं, मौजे दरिया में , बह जायें हम तो क्या , अपने ही आहें आग में , जल जायें हम तो क्या !! बैठें हैं मौजे दरिया में , बह जायें हम तो क्या , . . किसको है फुरसत गौर से , सुनने सुनाने की , जो मन को मार मार के , मर जायें हम तो क्या !! बैठें हैं मौजे दरिया में , बह जायें हम तो क्या , . रक़ीब कितने आये गये , रहमत दिखा दिखा , जो फैसला इख्तियार , ना कर पायें हम तो क्या !! बैठें हैं मौजे दरिया में ,...
तुम्हारी याद बेजा वक्त आई ! रचना- एल पी शर्म "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 154 ชั่วโมงที่ผ่านมา
तुम्हारी याद , बेजा वक्त आई , मैं ना सो सका , ना जग सका रे ! यह कैसी बैकली , बेक़रारी , मैं ना कह सका , ना रह सका रे !! तुम्हारी याद , बेजा वक्त आई . . . खिले हैं फूल , कितने खिर रहे हैं , महके सहमे , ग़मज़दा से ! किसी की दे के , मुस्कान फीकी , मैं ना हँस सका , ना रो सका रे !! तुम्हारी याद , बेजा वक्त आई . . . अन्धेरे में , चुनिंदा रोशनाई , दिखा ना साफ , जाहिर नजारा ! होठ बंद हैं , आंखें डबडबाई...
तुम्हारी याद बेजा वक्त आई ! रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 104 ชั่วโมงที่ผ่านมา
तुम्हारी याद , बेजा वक्त आई , मैं ना सो सका , ना जग सका रे ! यह कैसी बैकली , बेक़रारी , मैं ना कह सका , ना रह सका रे !! तुम्हारी याद , बेजा वक्त आई . . . खिले हैं फूल , कितने खिर रहे हैं , महके सहमे , ग़मज़दा से ! किसी की दे के , मुस्कान फीकी , मैं ना हँस सका , ना रो सका रे !! तुम्हारी याद , बेजा वक्त आई . . . अन्धेरे में , चुनिंदा रोशनाई , दिखा ना साफ , जाहिर नजारा ! होठ बंद हैं , आंखें डबडबाई...
जो तुम ना आते लहरे दरिया ना वास्ता होता ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 117 ชั่วโมงที่ผ่านมา
जो तुम ना आते लहरे दरिया , ना वास्ता होता , ना डूबे का इरादा होता , ना कोई हादसा होता तेरे वज़्म में घुस आया , एक अनजान मुंतजिर , जो तुम रुबरू होते , ना बीच फासला होता !! जो तुम ना आते लहरे दरिया , ना वास्ता होता , . . इजहारे मोहब्बत में , आ रही दिक्कतें बहुत , मजबूरियाँ के रहते , मुक़द्दर साथ नही देता ! हम अपने ही उधेडबुन में , उलझे रहे साथी , नूर ए कोहिनूर , हर किसी के हाथ नही होता !! दो कदमो...
बैठे है दिल मसोस के ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 99 ชั่วโมงที่ผ่านมา
बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , मुलज़िम बिन कसूर के , फिर भी कोई गिला नही ! बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , . . दुनियाँ ने हर काम में , देखी कमी, बदी फ़क़त , करी कितनों ने नेकीयाँ , मिला उन्हें सिला नही ! बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , . . किस बात से है ग़मज़दा , किस बात से ख़फ़ा , खुदगर्ज रहे जहांन में , सच कभी फला नही ! बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , . . ...
बैठे हैं दिल मसोस के वक्त यह भला नही ! रचना - एल पी शर्मा लक्ष्य जयपुर राज .
มุมมอง 179 ชั่วโมงที่ผ่านมา
बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , मुलज़िम बिन कसूर के , फिर भी कोई गिला नही ! बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , . . दुनियाँ ने हर काम में , देखी कमी, बदी फ़क़त , करी हैं कितनी नेकीयाँ , मिला उनका सिला नही ! बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , . . किस बात से है ग़मज़दा , किस बात से ख़फ़ा , खुदगर्ज रहे जहांन में , सच कभी फला नही ! बैठे हैं दिल मसोस के , वक्त यह भला नही , . . बै...
गम ए हयात , सुगमता से , सह सको तो चलो ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 209 ชั่วโมงที่ผ่านมา
गम ए हयात , सुगमता से , सह सको तो चलो ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
भीगी चुनरिया आई बारिश ! रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 1312 ชั่วโมงที่ผ่านมา
भीगी चुनरिया आई बारिश ! रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
मेरे ख्वाब हर रोज , खुदकशी कर रहे रातों में ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 1012 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मेरे ख्वाब हर रोज , खुदकशी कर रहे रातों में ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
खुश आमदीद मुहिब मेरे ! रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 1114 ชั่วโมงที่ผ่านมา
खुश आमदीद मुहिब मेरे ! रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
मैं जिंदा मगर , जिन्दगी बेअसर (नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 1814 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मैं जिंदा मगर , जिन्दगी बेअसर (नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
मैं जिंदा मगर , जिन्दगी बेअसर ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 3114 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मैं जिंदा मगर , जिन्दगी बेअसर ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
मैं जिंदा मगर , जिंदगी बेअसर- न्यू रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज.
มุมมอง 3914 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मैं जिंदा मगर , जिंदगी बेअसर- न्यू रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज.
मैं जिंदा मगर , जिंदगी बेअसर ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 3714 ชั่วโมงที่ผ่านมา
मैं जिंदा मगर , जिंदगी बेअसर ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
ऐ मोत तू आना जरा धीरे धीरे ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 1814 ชั่วโมงที่ผ่านมา
ऐ मोत तू आना जरा धीरे धीरे ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
ऐ मोत तू आना जरा , धीरे धीरे मद्धम मद्धम ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 1716 ชั่วโมงที่ผ่านมา
ऐ मोत तू आना जरा , धीरे धीरे मद्धम मद्धम ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
राधा कान्हा की आली है ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 5716 ชั่วโมงที่ผ่านมา
राधा कान्हा की आली है ( नया वर्जन ) रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
ठुमक ठुमक चलत गिरत , दोड़ी दोड़ी आये मात ! रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 1419 ชั่วโมงที่ผ่านมา
ठुमक ठुमक चलत गिरत , दोड़ी दोड़ी आये मात ! रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
जाने कहाँ गये वो लोग , जानें कहाँ गये वो दिन ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
มุมมอง 1121 ชั่วโมงที่ผ่านมา
जाने कहाँ गये वो लोग , जानें कहाँ गये वो दिन ! रचना - एल पी शर्मा " लक्ष्य " जयपुर राज .
मधु में नहाया हुआ,आज मधु चन्द्र आया ! रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 23วันที่ผ่านมา
मधु में नहाया हुआ,आज मधु चन्द्र आया ! रचना - एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
खुशीयों का झरना झरता ! नवीन रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 13วันที่ผ่านมา
खुशीयों का झरना झरता ! नवीन रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
खुशीयों का झरना झरता,काँन्हा की मुरली बजती ! रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
มุมมอง 16วันที่ผ่านมา
खुशीयों का झरना झरता,काँन्हा की मुरली बजती ! रचना- एल पी शर्मा "लक्ष्य" जयपुर राज .
Beautiful song ❤
Very very nice song ,,I Love it❤❤❤❤❤
Awesome
Bahut sundar rachna
Beautiful song ! Melodious ❤
Wah
Awesome !!👍
Amazing 👌🏻👌🏻
Fabulous 👍🏻👍🏻👍🏻
Awesome 👌🏻
Nice👌🏻👌🏻
Khubsurat rachna❤️
👍
Wonderful👌🏻
Great piece of writing ❤️