Gopaldas Neeraj recites his poem "Aisi Kya Baat ke Chalta Hoon"

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  • เผยแพร่เมื่อ 27 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 8

  • @gopaltiwari3339
    @gopaltiwari3339 2 ปีที่แล้ว +1

    वाह नीरज जी कमाल थे आप

  • @shashikantmalviya7485
    @shashikantmalviya7485 3 ปีที่แล้ว +1

    Great geetkar Neeraj koti koti vandan

  • @ashutoshpandey8153
    @ashutoshpandey8153 4 ปีที่แล้ว +2

    Fantastic sir

  • @Sir-gr3jp
    @Sir-gr3jp 6 หลายเดือนก่อน

    Very nice

  • @PrashantKumar-iv2bj
    @PrashantKumar-iv2bj 5 ปีที่แล้ว +2

    neeraj ji great

  • @harikumars.
    @harikumars. 4 ปีที่แล้ว +1

    यह भुवन -- भूमि अयोध्या, यह विकल वृन्दावन,
    .. why was this line deleted?

  • @gravitydahiya9777
    @gravitydahiya9777 ปีที่แล้ว

    ऐसी क्या बात है
    चलता हूँ, अभी चलता हूँ
    गीत इक और ज़रा झूम के गा लूँ, तो चलूँ
    भटकी-भटकी है नज़र, गहरी-गहरी है निशा
    उलझी-उलझी है डगर, धुँधली-धुँधली है दिशा
    तारे ख़ामोश खड़े, द्वारे बेहोश पड़े
    सहमी-सहमी है किरण, बहकी-बहकी है उषा
    गीत बदनाम न हो, ज़िन्दगी शाम न हो
    बुझते दीपों को ज़रा सूर्य बना लूँ तो चलूँ
    बाद मेरे जो यहाँ और हैं गाने वाले
    सुर की थपकी से पहाड़ों को सुलाने वाले
    उजाड़ बाग़-बियाबान-सूनसानों में
    छंद की गंध से फूलों को खिलाने वाले
    उनके पैरों के फफोले न कहीं फूट पड़ें
    उनकी राहों के ज़रा शूल हटा लूँ तो चलूँ
    ये घुमड़ती हुईं सावन की घटाएँ काली
    पेंगें भरती हुई आमों की ये गद्दड़ डाली
    ये कुएँ, ताल, ये पनघट ये त्रिवेणी संगम
    कूक कोयल की, ये पपिहे की पिऊँ मतवाली
    क्या पता स्वर्ग में फिर इनका दरस हो कि न हो
    धूल धरती की ज़रा सिर पे चढ़ा लूँ तो चलूँ
    कैसे चल दूँ अभी कुछ और यहाँ मौसम है
    होने वाली है सुबह पर न सियाही कम है
    भूख, बेकारी, ग़रीबी की घनी छाया में
    हर ज़ुबाँ बंद है हर एक नज़र पुरनम है
    तन का कुछ ताप घटे, मन का कुछ पाप कटे
    दुखी इंसान के आँसू में नहा लूँ तो चलूँ

  • @theindian5083
    @theindian5083 3 ปีที่แล้ว

    Lodha ko chup krao