Lyrical: Aasay Sharan Kartam Daya || Poozai Posh || Kashmiri Devotional Track
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- เผยแพร่เมื่อ 23 ส.ค. 2022
- Aasay Sharan Kartam Daya,
Om Shri Ganeshaye Namah
Singer: Lt. Sh. Vijay Malla Ji & Smt. Kailash Mehra ji
Album: Poozai Posh
Lyrics: Pandith Krishan Ju Razdan
©KOA-USA
आसय शरण करतम दया,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
यज्ञस, ज़पस, व्यवहारसई,
ग्वड़ छीय स्वरान प्रथ कारसई,
कारस अनान छुख च़ई जमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
मूषक च़्ये वाहन शूभवुन,
त्र्यनलूकनई मंज़ फेरवुन
मदतस म्ये रोज़तम प्रथ दमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
च़ई छुख ज़गतुक आदिदीव,
च़ई छुख लछबद्य कामदीव
स्यद कर च़ वञ म्यऽञ कामना,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
प्रारान छसय ब हा डेडि तल,
आलव म्यून गोवई ना कनन
कन्न थाव वननुक छुम तमाह,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
गणपत गणेश्वर ही प्रभु,
कलिराज़ राज़न हुन्द व्यभु
पज़ि लोल पादन तल प्यमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
ग्वड़न्युक च़्ये छुया आधिकार,
कलिकालकुय छुख ताजदार
राज़स परण पादन प्यमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
बाह नाव सुन्दर शूभवञ,
त्र्यनलूकन मंज़ बोलवञ
पूरण करुम पूरण कृपा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
॥अथ श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्॥
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
सुन्दर मुख वाले, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन - गणपति के इन बारह नामों का विद्यारम्भकाल में, विवाह के समय, प्रवेश के समय, प्रस्थान के समय, संग्राम के समय अथवा संकट के समय जो व्यक्ति पठन अथवा श्रवण करता है उसके समक्ष कभी किसी प्रकार का विघ्न नहीं उपस्थित होता॥
॥अथ श्री गणेशस्तोत्रम्॥
नारद उवाच
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं दि्वतीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥
जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण च संसिद्धिं लभते नात्र संशयः॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥
॥इतिश्रीनारदपुराणे संकटनाशननाम गणेशद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥ - ภาพยนตร์และแอนิเมชัน
My new-born baby likes the tune and sleeps during the melody.
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रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥❣❣❣
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥❤❤❤
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥❤❤❤
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे।
वक्रतुंडाय धीमहि।
तन्नो दंति प्रचोदयात।❤
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥❣❣❣
एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं। विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥❤❤❤
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥❤❤❤
नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥❣
ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्....❣❣❣
केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥❣❣❣
एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥❤❤❤
आसय शरण करतम दया,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
यज्ञस, ज़पस, व्यवहारसई,
ग्वड़ छीय स्वरान प्रथ कारसई,
कारस अनान छुख च़ई जमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
मूषक च़्ये वाहन शूभवुन,
त्र्यनलूकनई मंज़ फेरवुन
मदतस म्ये रोज़तम प्रथ दमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
च़ई छुख ज़गतुक आदिदीव,
च़ई छुख लछबद्य कामदीव
स्यद कर च़ वञ म्यऽञ कामना,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
प्रारान छसय ब हा डेडि तल,
आलव म्यून गोवई ना कनन
कन्न थाव वननुक छुम तमाह,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
गणपत गणेश्वर ही प्रभु,
कलिराज़ राज़न हुन्द व्यभु
पज़ि लोल पादन तल प्यमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
ग्वड़न्युक च़्ये छुया आधिकार,
कलिकालकुय छुख ताजदार
राज़स परण पादन प्यमा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
बाह नाव सुन्दर शूभवञ,
त्र्यनलूकन मंज़ बोलवञ
पूरण करुम पूरण कृपा,
ॐ श्रऽ गणेशाये नमः
॥अथ श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम्॥
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः।
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
सुन्दर मुख वाले, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन - गणपति के इन बारह नामों का विद्यारम्भकाल में, विवाह के समय, प्रवेश के समय, प्रस्थान के समय, संग्राम के समय अथवा संकट के समय जो व्यक्ति पठन अथवा श्रवण करता है उसके समक्ष कभी किसी प्रकार का विघ्न नहीं उपस्थित होता॥
॥अथ श्री गणेशस्तोत्रम्॥
नारद उवाच
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं दि्वतीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥
जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण च संसिद्धिं लभते नात्र संशयः॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥
॥इतिश्रीनारदपुराणे संकटनाशननाम गणेशद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥
|| ॐ गं गणपतये नमो नमः ||
|| श्री सिद्धिविनायक नमो नमः ||
|| अष्टविनायक नमो नमः ||
|| गणपति बाप्पा मोरया ||❤❤❤
Om. Shree. Ganpati. Namha
🙏🙏🌹🕉️🌹🙏🙏
❤ॐ गं गणपतये नमो नम:❤
❤❤❤
Blissful Bhakti Bhajan
Jai Ganeshdeva
Jai ganpati bappa
Om shree gneshaye namo nama🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
Maa SHARIKA bless the singer's
Om Ganesh Deva Namoh !
OM SHREE GANESHAAYE NAMAH❣❣❣
Om Ganeshaye Namah
God bless you
Jai BapaDaua
❤❤❤❤❤ nomo nomo ganesha🎉🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🤩🤩🤩🤩🤩🤩😛🤩🤩🤩🤩🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚
Om gan ganpatey namah
Meledious ❤❤❤❤❤
Melodious!
🙏🙏🙏♥️
Keep shining 🌟
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥❤❤❤
ॐ एकदन्ताय विद्महे।
वक्रतुंडाय धीमहि।
तन्नो दंति प्रचोदयात।❤
❤❤❤
❤ॐ गं गणपतये नमो नम:❤
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥❤❤❤