इस कविता की दो महत्वपूर्ण पंक्तियों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है, और जो मेरे दिल के बहुत करीब है। "जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है सब जन्म मुझी से पाते हैं और लौट मुझी में आते हैं।" અતુલ્ય કાવ્ય કંડિકાઓ...
दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशिष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जन नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान कुपित होकर बोले- 'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। 'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर। 'शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। 'भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख, यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण, मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, इसमें कहाँ तू है। 'अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख, मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख। सब जन्म मुझी से पाते हैं, फिर लौट मुझी में आते हैं। 'जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन, पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर! मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण। 'बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है? यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन। सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है? 'हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ। याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा। 'टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर, फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा। 'भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।' थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे 'जय-जय'!
I am tired of people commenting on how it should be done. I appreciate your feedback but if you have such great ideas then please record it yourself and post it to illustrate your point. Else, please don't bring negativity to the Internet. Edit: Yes. I agree about the mistake in last line.
You definitely have the voice for voice over and the sense to narrate.If I ever had any need I am going to contact you to lend your voice. All the best
Amazing Voice
इस कविता की दो महत्वपूर्ण पंक्तियों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है, और जो मेरे दिल के बहुत करीब है।
"जब नाश मनुज पर छाता है
पहले विवेक मर जाता है
सब जन्म मुझी से पाते हैं
और लौट मुझी में आते हैं।"
અતુલ્ય કાવ્ય કંડિકાઓ...
yachna nahi ab ran hoga
when a strong poem meet a strong voice this great piece of art is created
thanks
बांधने मुझे तो आया है,
जंजीर बड़ी क्या लाया है।
यदि मुझे बांधना चाहे मन,
पहले तो बांध अनंत गगन।
सूने को साध ना सकता है,
वह मुझे बांध कब सकता है
दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला।
जन नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान कुपित होकर बोले-
'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
'उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
'शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
'भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है,
पहचान, इसमें कहाँ तू है।
'अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं,
फिर लौट मुझी में आते हैं।
'जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,
छा जाता चारों ओर मरण।
'बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?
'हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
'टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
'भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।'
थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय,
दोनों पुकारते थे 'जय-जय'!
Very nice , inspired me
Excellent sir
Ramdhari singh dinkar is all time best writer
Koti-Koti Dhanyawad Aapko dost. The best kavitapath I have ever heard.
Waah Agarwal Sahab main bta nhe sakte kitne Baar sun Liya very great aapko mera namaskar jai shri Krishna
LOVELY POEM BY RAMDHARI SINGH DINKAR JII ...
Thank you.
the best ever recitation of this poem. brilliant
Ja jai Hari Hari
Awesome, one of the best recitation ever heard
One Of The Best 🔥🔥🔥🔥
most powerful recitation i have come across.. too good ..it just draws you in.. what a voice
मजा आ गया जिन्दगी का वाह . जय वासुदेव कृष्ण
Nice video telling us about mahabharat😉😉😉😉
Brilliant recital, especially the voice modulation.. Thanks a lot for this wonderful upload :)
awesomely read, koti koti dhanyawad for such a fabulous upload.
Excellent poetry, words has peak of his in shri Ramdhari singh dinkar's pen
Please complete the narration. I actually relived the moment. You are awesome !
God is the source of all power
🥀Jay 💞 Shri 🌹Hari 🙏🔔🙌😘
sir I'm a 13yr old and yet I can make out that what u said is wonderful..
if u liked my comment please reply.
Can u recite some more poems?please....
Perfect. 'Shandaar, Zabardast, Zindabad'. Thanks for lending your voice and tone.
What a voice! Awesomely delivered! Thanks for sharing Himanshuji!
Brilliant voice...Himanshu will be inspiring to hear more of your voice on Dinkar's Rashmirathi. It just inspires in ur voice bro
excellent recitation himanshu,you have done a great job
Very Nice.
wow perfect voice and nice background music for the this wonderful creation. You should read the rest too.
Thank you.
No words. Best poem ever heard.
Really appreciate your hard work. Thanks for uploading.
bahut hi sundar va shaktishaali! maza aa gaya :D
Thank you.
this is the best video I have ever watched on TH-cam
awesome voice
Excellent rendition of this powerful poem. Your voice and delivery is perfect for this. Bravo!!
Thank you.
Superb. One of my friend, used to recite it in class. Nostalgia brought me here .. but I found something much better.
Very nice and superb himanshu
Superb voice man !!!! Maja aa gaya
best reading ever... hats off man
Wonderful...incredibly done
I am tired of people commenting on how it should be done. I appreciate your feedback but if you have such great ideas then please record it yourself and post it to illustrate your point. Else, please don't bring negativity to the Internet.
Edit: Yes. I agree about the mistake in last line.
Sir, It's the best of the all the present videos on TH-cam. Keep it up!
i found it perfect ...these poems were taught when we were in class 6 . but this is not for a child mind...
dhritarashtr vidur sukh pate the!!!!
Are sir, it can’t be done better than what you did
Krishn ki chetavani is nice poem
भैय्या और बनाए
best voice over....
zabardast prastutati !!
jai jai
बहुत अच्छा
You definitely have the voice for voice over and the sense to narrate.If I ever had any need I am going to contact you to lend your voice. All the best
great work Himanshu
Nicely done i hope u put out whole rashmirathi
सर सुन्दर प्रस्तुतिकरण किन्तु आपने इसकी अंतिम पंक्तियों में भूलवश धृतराष्ट्र के स्थान पर भीष्म कह दिया।
Kindly read the other parts also.. this is epic!
Excellent rendition!!
Excellent work.. Great job.
Thank you.
bahut sundar
superb sir fantastic
Very well recited
ati sundar uchcharan. very well read! thank you so much. may i request that you read the whole poem?
Exellent
hey u are awesome man
wow..amazing
Its a kind request, please do the whole book, please..
request man... plz do more on this ...!
hari hariiii
Can you do a similar recitation of 'Khooni Hastakshar' by Gopal Prasad Vyas
excellency at its best
Superb!
सर जी अंतिम पंक्तिया मे - धृत राष्ट्र विदुर सुख पाते थे, होगा
Aashutosh rana ne bhi ye kavita padhi ha Jo best ha
Bhism vidur sukh pate the
Is line me to Dhritrasthra aana chahiye tha
Apne glt naam kese Kaha
Please reply kijiyega
great
brilliant...
Waise ye bhot hi bet hai
Wondergul
Bhishm vidur ya dhritrashtra vidur
Can u pls recite all of rashmirathi of dinkar
Sir it was not bhishma vidura, it was dhritrashtara - vidura sukh pate hai
Very Impressive, only in last line you have changed Dhritarashtra with Bhishma.
Par dhritrashtra to putra moh me andha tha.
love u bro
bahot hi sunder..
Himanshu ji apka phone number mil sakta hai.??
One Correction guess???
ati sundar
Wow! What a voice! Excellent. Rashmirathi ke isi kavita ka ek aur dilchasp andaz: th-cam.com/video/dY0RvruZArQ/w-d-xo.html
Mujhme sara brahmand dekh
bhishma vidur ki jagah dhritrashtra vidur
please read the other verses :)
Maybe I will. :-)
krishna ki chetavani must watch th-cam.com/video/Xot6Ez4yS6E/w-d-xo.html
कही कही गलत उच्चारण कर दिया है आपने
the best ever recitation of this poem. brilliant
jai jai
the best ever recitation of this poem. brilliant