🕉श्रीराम 🕉 जो कुछ इस वीडियो में आपने सुनाया उसमें से एक अंश भी दिल को भिगा नहीं पाया। जब बुद्ध को पूछा जाता है कि क्या मरने के बाद भी तथागत रहते हैं तो वे हां या न में जवाब देने के बजाय कहते है कि इसे मैने अव्यक्त रखा है तो क्या ये कोई तारीफ योग्य जवाब हुआ ? इसी प्रकार किसी अन्य वीडियो में जब उनसे पुनर्जन्म के बारे में पूछा जाता है कि ये होता है कि नहीं तो इसका वे जैसा जवाब देते हैं वह भी दिल को संतुष्ट नहीं करता है। उसका उत्तर वे इस प्रकार देते हैं कि एक जलते हुए दिये से यदि दूसरे दिये को जला दिया जाए तो क्या इसे पहले वाले दिये का पुनर्जन्म माना जाएगा ? समझने की चीज है कि एक दिये से दूसरे दिये में गया प्रकाश की प्रक्रिया कुछ और है तथा एक मनुष्य की मृत्यु के बाद अर्थात उसके द्वारा पहला शरीर त्याग देने के बाद पुनः माता के गर्भ से दूसरा शरीर लेकर उत्पन्न होने की प्रक्रिया कुछ और है। एक जलते दिये में जो रोशनी के रूप में आत्मा है उससे दूसरे दिये को जलाने पर दोनों दिये एक साथ जलने लगते हैं अर्थात दोनों एक साथ जिंदा हैं ऐसा तो नहीं कि जिस दिये में से रोशनी (आत्मा ) दूसरे दिये में गयी वह खुद व खुद बुझ जाता हो और जिसमें गयी केवल वही दिया जलता हुआ शेष रह जाता हो। तब तो उदाहरण सटीक भी बैठ सकता था कि एक दिये की रोशनी खुद बुझ गयी अर्थात मर गयी जो दूसरे दिये में चली गयी अर्थात उसका दूसरा जन्म हो गया लेकिन ऐसा कहां होता है ! एक दीप से दूसरे को जलाएंगे तो किसकी मृत्यु हुई और किसका जन्म हुआ जबकि दोनों जिंदा हैं, दोनों रोशनी दे रहे हैं।
NamoBuddhay,Tathagat mahaparinirwan ke bad rahate hai Tripitak me sanghyasabdaatahai.log isi ke dwara jn am puner jnam chakra me ghumate rahate hai .Bhagwan divya rup me rahatehai .Ye buddh sashan hai .Nirwan prapt logo ki sanghya saswat lok me jati hai.Bhagwan maha parinirwan ke bad apane lok arthath ve vajrashsn par virajate hai.
भाई इतने बड़े वीडियो में सिर्फ गोल गोल घुमाते रहे। सच ये है जब मूल तत्व की बात आती है तो बौद्ध दर्शन वहाँ व्याख्या नही कर सकता है। चाहे तो इस पर मुझसे कोई भी चर्चा कर सकता है।
जब सब अव्याकृत ही बताना है तो सीधा सीधा '' अनिर्वचनीय '' शब्द का प्रयोग क्यों नहीं किया ? या सिर्फ अनात्मा सिद्धांत बचाने के लिए मात्र ? या इसका उत्तर भी अव्याकृत है ? बौद्ध धर्म परम श्रेष्ठ मानव कल्याणकारी है पर प्रश्न का मकसद उत्तर जानना है बस ।
𝓝𝓪𝓶𝓸 𝓫𝓾𝓭𝓭𝓱𝓪𝔂 🙏🙏🙏
Amithofo 🙏🙏🙏
🌷❤️ :: Mettacettana.
Sadhu ,,, 🛐 🙏
Sadhu ,,, 🛐 🙏
Sadhu ... 🛐 🙏
Buddhism ke marphat science ko samaja Gaya hai tab bhi.
Dr.Fule aap ko hats off sanajane ke liye.
Kya bemusal prastutikaran hai apka.
Namo Budhay
Namo bhuddhay
Jay Bhim.....Namo Budhay 🙏🎉🎉
Namo buddhay
Namo budhaya
Namo buddhy❤❤ Jay bhim❤
Namoo buddhay Jai Ashoka Jai Kabir Jai bheem
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
NAMO BUDDHAY
🙏🙏🙏🙏
Very clear sir thanks for making clear meaning.
Jay, bhim, Namo, 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Namo buddhya jai bhim
Jo Gyan indriyo se pare ka hai usko byakarn me nahi kaha jaskta hai sabka Mangal ho.
हार्दिक आभार
🕉श्रीराम 🕉
जो कुछ इस वीडियो में आपने सुनाया उसमें से एक अंश भी दिल को भिगा नहीं पाया। जब बुद्ध को पूछा जाता है कि क्या मरने के बाद भी तथागत रहते हैं तो वे हां या न में जवाब देने के बजाय कहते है कि इसे मैने अव्यक्त रखा है तो क्या ये कोई तारीफ योग्य जवाब हुआ ? इसी प्रकार किसी अन्य वीडियो में जब उनसे पुनर्जन्म के बारे में पूछा जाता है कि ये होता है कि नहीं तो इसका वे जैसा जवाब देते हैं वह भी दिल को संतुष्ट नहीं करता है। उसका उत्तर वे इस प्रकार देते हैं कि एक जलते हुए दिये से यदि दूसरे दिये को जला दिया जाए तो क्या इसे पहले वाले दिये का पुनर्जन्म माना जाएगा ? समझने की चीज है कि एक दिये से दूसरे दिये में गया प्रकाश की प्रक्रिया कुछ और है तथा एक मनुष्य की मृत्यु के बाद अर्थात उसके द्वारा पहला शरीर त्याग देने के बाद पुनः माता के गर्भ से दूसरा शरीर लेकर उत्पन्न होने की प्रक्रिया कुछ और है। एक जलते दिये में जो रोशनी के रूप में आत्मा है उससे दूसरे दिये को जलाने पर दोनों दिये एक साथ जलने लगते हैं अर्थात दोनों एक साथ जिंदा हैं ऐसा तो नहीं कि जिस दिये में से रोशनी (आत्मा ) दूसरे दिये में गयी वह खुद व खुद बुझ जाता हो और जिसमें गयी केवल वही दिया जलता हुआ शेष रह जाता हो। तब तो उदाहरण सटीक भी बैठ सकता था कि एक दिये की रोशनी खुद बुझ गयी अर्थात मर गयी जो दूसरे दिये में चली गयी अर्थात उसका दूसरा जन्म हो गया लेकिन ऐसा कहां होता है ! एक दीप से दूसरे को जलाएंगे तो किसकी मृत्यु हुई और किसका जन्म हुआ जबकि दोनों जिंदा हैं, दोनों रोशनी दे रहे हैं।
Jay bhim Nam buddhaya sir,
Namo buddhay krantikari jay bhim 🙏
Jay bhim namo buddhay
Is book ko jyada se jyada like subscribe share jarur kare dhanyavad
NamoBuddhay,Tathagat mahaparinirwan ke bad rahate hai Tripitak me sanghyasabdaatahai.log isi ke dwara jn am puner jnam chakra me ghumate rahate hai .Bhagwan divya rup me rahatehai .Ye buddh sashan hai .Nirwan prapt logo ki sanghya saswat lok me jati hai.Bhagwan maha parinirwan ke bad apane lok arthath ve vajrashsn par virajate hai.
एपिसोड numberwise नही मिलते है
Fir walwan ka sandhi vigrah kya hoga??
Ye book chahiye sir
Ye part samjh nhi aaya
Jay bheem aap ne bataya nahi ki punerjanm hota hai ki nai batao
Bhagvan ki vyakhya shi nhi lgti hai . Blvan , dhnva ke arth btaeye .
भाई इतने बड़े वीडियो में सिर्फ गोल गोल घुमाते रहे। सच ये है जब मूल तत्व की बात आती है तो बौद्ध दर्शन वहाँ व्याख्या नही कर सकता है। चाहे तो इस पर मुझसे कोई भी चर्चा कर सकता है।
Agar budhh bta dete ki tathagat marne ke baad bhi rahte h, to Inka atma na hone ka consept hi khatm ho jata, 😀 dhamm zero ho jata🤣😄🤣😄
स्पष्ट उत्तर नही है बस एक बात कैसे भी घुमा फिरा के कह दी है
Kuch bhi clear nahi hua sir
जब सब अव्याकृत ही बताना है तो सीधा सीधा
'' अनिर्वचनीय '' शब्द का प्रयोग क्यों नहीं किया ? या सिर्फ अनात्मा सिद्धांत बचाने के लिए मात्र ? या इसका उत्तर भी अव्याकृत है ?
बौद्ध धर्म परम श्रेष्ठ मानव कल्याणकारी है पर
प्रश्न का मकसद उत्तर जानना है बस ।
Samjh me nahi ata hai
Clear baat kyon nahi batate bakvas karte hai
Kya C knowledge hai😂😂😂
Worsted knowledge of the world
Namo Budhay
Kuch bhi clear nahi hua sir