45 एकड़ जमीन उपलब्ध / मध्यप्रदेश की बिकाउ जमीने
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- เผยแพร่เมื่อ 18 ธ.ค. 2024
- यह जमीन मध्यप्रदेश के मंडला जिले में स्थित है, जमीन का रकवा 45 एकड़ है, जमीन से मंडला शहर की दूरी तकरीबन 25 से 30 किलोमीटर है,और जमीन से नजदीकी बड़ा कस्बा 8 किलोमीटर पर है. इसके अलावा जमीन से गांव लगा हुआ है, और जमीन से हाईवे की दूरी 7 किलोमीटर है,हाईवे से जमीन तक पहुंचने का जो मार्ग है वह प्रधानमंत्री सड़क है,जमीन तक पहुंचते पहुंचते रास्ते में छोटे बड़े गांव मिलते हैं. तत्काल की स्थिति में कुछ किलोमीटर के रास्ते से डामर उखड़ गया है. जिससे बीच बीच में गढ्ढे मिलेंगे, रास्ते में हमने देखा की यह रास्ता नये सिरे से बनने जा रहा है.क्योंकि बीच गांवों के नजदीक रोड बनाने वाली कंपनियों की तैयारी हो चुकी है. मशीनरी वगैरह आ चुकी हैं,और सड़क का नाप भी होता दिखा है,जमीन से तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पर यह डामर रोड रूक जाता है उसके बाद नहर के बगल से एक कुछ चौंडा रास्ता गुजरता है जिसके द्वारा जमीन के नजदीक के गांव में पहुंचा जाता है,जमीन तक जाने के लिए तत्काल में 3 रास्ते समझ आते हैं. पहला जो कि गांव में प्रवेश होकर जाता है. दूसरा जो कि गांव के बगल से जाता है. और तीसरा जो दो गांव के बीच से जाता है. हमारे द्वारा तीसरे रास्ते को नहीं देखा गया था,यह जमीन गांव से लगी है अर्थात गांव समाप्त होते ही जमीन शुरू हो जाती है मगर जो जमीन शुरू होती है उसमें जंगल लगा हुआ है जो की प्राईवेट जमीन है, पढने में जितना सरल लगता है उतना है नहीं क्योंकि गांव से जमीन तक स्वयं का रास्ता बनाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. बहरहाल हम जिस रास्ते से जमीन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे थे वह रास्ता हमें फारेस्ट का समझ आया और उसी रस्ते से बीते वर्षों से किसान या अन्य जनमानस आना जाना करते रहे हैं. जिसको लेकर कभी किसी प्रकार की रोकटोक नहीं होती है, आगे का जो रास्ता है वह सीधा फारेस्ट के रास्ते को मिलता है जिसी चौंडाई ज्यादा है और दूरी भी कम हो जाती है. हालंकि तीनो रास्ते नहर के बाजू से जो रास्ता है उनही से निकलकर जमीन तक जाता है. अब बात की जाए जमीन की ,जमीन के शुरुआती हिस्से से ही जंगल लग जाता है जिसमें ज्यदातर सगौन के वृक्ष लगे हुए हैं. इसके अलावा कुछ महुआ ,पलाश ,सतकठा आदी भी प्रतीत होते हैं. हमें जानकारी दी गई की तकरीबन 14 एकड़ से लेकर 18 एकड़ के दायरे में जंगल लगा हुआ है जो की प्राईवेट लैंड है. इसके अलावा जो भूभाग है वह समतल और खाली पड़ा हुआ है, जितने हिस्से में जंगल है उसकी मिट्टी लाल रंग में है. उंचा नीचा है. और कुछ मात्रा में बड़े छोटे पत्थर भी हैं,बाकी जो जमीन बचती है उसकी मिट्टी काली और कुछ दोमटी भी है, जमीन के दूसरे तरफ फारेस्ट का जंगल नजर आता है.जो कि जमीन से लगा हुआ ही है. पानी की यदि बात की जाए तो जमीन पर व्यवस्था करने पर भरपूर पानी रहेगा. कुंआ खोदने पर 20 से 25 फिट बहुत हो जाएगा और बोर यदि करते हैं तो 100 से 150 फिट पर्याप्त होगा ,यह संभावित स्थति बताई जा रही है,जमीन केनजदीक स्टाप डेंम भी बना हुआ है,बिजली की यदि बात की जाए तो गांव से बिजली लाई जा सकती है जो की बड़ा विषय नहीं है,जमीन परिवार के नाम पर है जिसके सभी सदस्य तैयार हैं. जमीन की खूबसूरती की बात की जाए तो कहने ही क्या हैं. शांत वातावरण चारों तरफ पहाड़ी से घिरा हुआ द्रश्य देखते ही बनता है. यह जमीन कुछ उंचाई पर है ,लेकिन आना जाना संभव है,जमीन के नजदिक जो गांव है उसमें सर्वाधिक यादव समान के लोग रहते है और कुछ घर आदीवासी वर्ग के लोग रहते हैं,जिसम़े कुछ घर ऐंसे भी दिखे जो क्षेत्र के हिसब से संपन्न परिवार से हैं,यदि संपूर्ण क्षेत्र की बात की जाए तो यह आदीवासी बेल्ट कहा जा सकता है, संबंधित भूमि का मूल्य 3 लाख 30 हजार प्रति एकड़ है.
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