Naye Kavi Naya Kalaam | Season 2 Episode 6 | Irshad Kamil

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 23

  • @PRIYASHARMA-gk4zk
    @PRIYASHARMA-gk4zk 2 ปีที่แล้ว +6

    बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर ये मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है 🙏🙏

  • @drishyasamadhiya487
    @drishyasamadhiya487 2 ปีที่แล้ว +1

    Bahut sundar कविता

  • @user-pavan_samadhiya
    @user-pavan_samadhiya 2 ปีที่แล้ว +1

    बहुत ही सुंदर मार्मिक कविता

  • @raziakbar100
    @raziakbar100 2 ปีที่แล้ว

    लाजवाब

  • @user-pavan_samadhiya
    @user-pavan_samadhiya 2 ปีที่แล้ว +1

    बहुत सुंदर

  • @Rahul-ok9mw
    @Rahul-ok9mw 3 หลายเดือนก่อน

    Super gajab guru ji ❤😊

  • @anilgarg3678
    @anilgarg3678 2 ปีที่แล้ว

    Vaah irshad bhi aaj aap ko dhek ker ruh ko sakun mila

  • @sharwankori218
    @sharwankori218 2 ปีที่แล้ว +4

    बहुत ही खूबसूरत कविता, लेखिका को ढेरों बधाईयाँ। सच में त्याग वाली पंक्ति जिसमें बिना कुछ बोले किनारा कर लेने का जिक्र है, वो बहुत सही लगी, समुंद्र के मानवीकरण के बीच ऐसा लगा मानो मानव का समुंद्रीकरण कर दिया गया हो। बहुत-बहुत बधाई।

  • @jitendrasharma-xg5dq
    @jitendrasharma-xg5dq 2 ปีที่แล้ว +1

    Congratulations bhabhi ji

  • @UMESHMAURYA
    @UMESHMAURYA 2 ปีที่แล้ว +3

    बहुत खूबसूरत गहराई लिए कविता के लिए बधाई ...

  • @poetrybyHemantgarg
    @poetrybyHemantgarg 2 ปีที่แล้ว

    Bahut Hi Khubsurat Hai

  • @TwinsShivishivay
    @TwinsShivishivay 2 ปีที่แล้ว

    Superb 👏

  • @stylishphotostudio3202
    @stylishphotostudio3202 2 ปีที่แล้ว

    You are great sir

  • @khaalisshayaripoetry
    @khaalisshayaripoetry 2 ปีที่แล้ว +1

    Wonderful Irshad Saab 🙏👌🙂

  • @ummedparihar8033
    @ummedparihar8033 2 ปีที่แล้ว

    कविता :-
    " पापा मनमानी करने लगें "
    खुले घर की परिन्दी थीं
    आजाद घर की परी थीं
    कहाँ कमी थी उस को
    सब मनमानी उसकी थीं
    उसे पसंद था वो खिलोने
    पापा लें आते थे
    कभी घोड़ा तो कभी
    झूमका भी ले आतें थे
    बचपन गुजरा बेटी का तो
    पापा एक सोनें का महल
    और गुड्डे़ की तलाश करनें
    लगें
    अब पापा भी अपनी मन मानी
    करने लगें
    पापा ने एक उम्र के साथ
    प्यार और फिर प्यार से
    हाथों में मेहन्दी लगवाने
    को बोलें
    वो बेटी नादान थीं
    पापा को बोला पापा..!
    मेहन्दी लालम लाल
    रचीं हैं
    पापा ने बेटी के हाथ पीले
    करवाने को हल्दी की पुड़िया
    लें आये
    बेटी मेहन्दी देख के खुश
    हो रही मगर फिर हल्दी
    ओह! ये हल्दी क्यों लगाऊं
    मेहन्दी अच्छी हैं
    ना और कुछ बोले
    कि पापा गुस्सा कर बैठे
    अब पापा भी मनमानी कर बैठे
    बेटी के विदाई में भी रोने की
    कंजूसी कर बैठे
    कभी ना रो ने वाली परीं
    भी रो ने लगीं
    पापा जिभर के रो लेतें
    उससे पहले ही बेटी
    विदाई को चलने लगीं
    अब बेटी पापा से पराई
    होने लगीं
    E-Mail I'd :- ummedparihar758@gmail.com

  • @shairaf72
    @shairaf72 2 ปีที่แล้ว +4

    Apne likhe kalaam kaise Aap tak pohchayi jaye??

    • @sharwankori218
      @sharwankori218 2 ปีที่แล้ว +2

      comment me apni likhi hui panktiya post karde, aur apna email address bhi neeche mention kre, agar sir ki team ne apki hui pankti select ki to wo aapko contact karenge email ke through.

    • @shairaf72
      @shairaf72 2 ปีที่แล้ว +1

      @@sharwankori218 thanks batane k liye

  • @Sherlockhomes.777
    @Sherlockhomes.777 2 ปีที่แล้ว

    Mera comment mughe ku nai dekhai dera . jo pehle keya tha