@@mohitgoyal6740 nhi mante wo , anaray samaji to ved ko v Purna nhi mante to kaise vaidik dharmi hua? Or varn vyavastha janam sa he hoti ha jo ya nhi manta wo vaidik dharm ka palan nhi karta
रामदेव साधारण व्यक्ति नहीं हैं। और किसी के झांसे मे आने वाले भी नहीं हैं। रामदेव ने अपने स्वार्थ के लिए व्यवसाय नहीं किया। राष्ट्र के कल्याण के लिए है।
आपको शत् शत् नमन रामदेव को बहुत अच्छे से समझ आ जानी चाहिए अब तो कि ब्राह्मण कोई मामूली नहीं है रामदेव धिक् दुष्टं राम देव को मैं साधु सन्यासी नहीं मानता वो तो बहुत बड़ा व्यापारी हैं
बाबा रामदेव जी को चाहिए कि एक विडियो बनाये और बताये की पूजय गुरूदेव स्वामी श्री विद्या भास्कर वासुदेवाचार्य जी महाराज द्वारा कथित ज्ञान उन्हें समझ आ गया है और जनता से अनुरोध करें की मैं भुल स्वीकार करता हूं।।
Isme kya gyan hai...doctor ka beta hi beta banega...isse badi bewkufi puri duniya me koi ni hai....yhi tumhara hindu dharm hai...jalebi ban rhe hain ye maharaj.....tum ho anpadh gawaar....aao debate krne....konsa granth leke aaoyege....
स्मरण रहे सनातन का शत्रु काङ्ग्रेस को धराशायी कर के सनातन के पुरोधा सनातन के रक्षक तथा राष्ट्र भक्त मोदी जी को सिंहासन पर शोभायमान कराने वाले रामदेव जी ही हैं। विदेशी कम्पनियों के लूट को देखते हुए उनहोंने राष्ट्र कल्याण के निमित्त उद्योग स्थापित किया है। और बडे दूरदर्शी हैं तथा सनातन वैदिक परम्परा को व्यापक रूप मे देखते हैं। वह किसी के प्रभाव मे आने वाले भी नहीं हैं।
हर हर महादेव! समाज जब रक्षा करने में असमर्थ होता है तो ब्राह्मण तपस्या से दूर होकर संचय में प्रवृत हो जाता है! गोस्वामी जी ने भी लिखा कि तपसी धनवंत दरिद्र गृही! जयहिंद
Bahut hi Sundar aapka atyant Sach hone ke sath 2 mridudta bhare abhibhasan ka Mai bar 2 aadar karta hun Jai Shri mannarayn ji ki das ki or se Milan hoga kabhi Hari kripa Se
परम पूज्य एवं परम आदरणीय आपके श्री चरण कमलों में मेरा बहुत-बहुत नतमस्तक प्रणाम महाराज श्री आप जैसे विद्वानों से आपके श्री चरणों में बैठकर कुछ सीखने का मन होता है परंतु कभी अयोध्या जी आए तो आपके श्री चरणों का दर्शन हमें मिले ऐसी प्रभु से मेरी प्रार्थना है। ।। जय श्री सीतारामजी।।
महाराज श्री वैसे तो सब कुछ प्रभु श्री राम जी के हाथ में है किंतु मेरा ऐसा विश्वास है कि आप हमें अपने दर्शन देने के लिए मना नहीं करेंगे आपके श्री चरणों में मेरा बारंबार प्रणाम ।।जय श्री सीताराम जी।।
Shri swami ji ko sat sat naman swami ji kaamdev bhi byapari h aur samaj me nafrat bhi failata h aise log hi sadhu ka chola phn kr sadhuyo ko bdnaam karte h ye samaj me jhr gholte h es baniye se sabdhaan rahe
@@prabhatrajput2827 humarre hii baap dada ne brahman karam kiya tha aaj bhi wo hii kar rahe hai jab bhagwan krishna or bhagwan ram bhi brahman k liye bolte thai to tum kon ho bolne wale jab kevat hota tha
(प्रश्न) क्या जिस के माता पिता ब्राह्मण हों वह ब्राह्मणी ब्राह्मण होता है और जिसके माता पिता अन्य वर्णस्थ हों उन का सन्तान कभी ब्राह्मण हो सकता है? (उत्तर) हां बहुत से हो गये, होते हैं और होंगे भी। जैसे छान्दोग्य उपनिषद् में जाबाल ऋषि अज्ञातकुल, महाभारत में विश्वामित्र क्षत्रिय वर्ण और मातंग ऋषि चाण्डाल कुल से ब्राह्मण हो गये थे। अब भी जो उत्तम विद्या स्वभाव वाला है वही ब्राह्मण के योग्य और मूर्ख शूद्र के योग्य होता है और वैसा ही आगे भी होगा। महर्षि दयानन्द सरस्वती - सत्यार्थ प्रकाश - चतुर्थ समुल्लास
Brahman ka arth nahin hai koi bas khane aur paise ikatha karne ke sandarbh mein hi Brahman ki vyakhya kar ke swayam ko shresth brahman sabit karne mein lage hain .Kya hain pata nahin
SADAR JAY SIYA RAM SAB KE MUL ME EK HI BAAT HAI KI GRAHSTA AASRAM SABSE BADA TABHI HO SAKTA HAI JAB SAB KO SAD GRASTI HONE KI SHIKSA MILE TO SABHI VYVSTHA SUDHAR SAKTI HAI AAJ GRASTH SATI GRAST HO GAYA HAI KOI APNE KARTAVYO KA SAHI PALAN NAHI KARTA HAI
(प्रश्न)ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः । ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्या शूद्रो अजायत ।। यह यजुर्वेद के ३१वें अध्याय का ११वां मन्त्र है। इसका यह अर्थ है कि ब्राह्मण ईश्वर के मुख, क्षत्रिय बाहू, वैश्य ऊरू और शूद्र पगों से उत्पन्न हुआ है। इसलिये जैसे मुख न बाहू आदि और बाहू आदि न मुख होते हैं, इसी प्रकार ब्राह्मण न क्षत्रियादि और क्षत्रियादि न ब्राह्मण हो सकते हैं। (उत्तर) इस मन्त्र का अर्थ जो तुम ने किया वह ठीक नहीं क्योंकि यहां पुरुष अर्थात् निराकार व्यापक परमात्मा की अनुवृत्ति है। जब वह निराकार है तो उसके मुखादि अंग नहीं हो सकते, जो मुखादि अंग वाला हो वह पुरुष अर्थात् व्यापक नहीं और जो व्यापक नहीं वह सर्वशक्तिमान् जगत् का स्रष्टा, धर्त्ता, प्रलयकर्त्ता जीवों के पुण्य पापों की व्यवस्था करने हारा, सर्वज्ञ, अजन्मा, मृत्युरहित आदि विशेषणवाला नहीं हो सकता। इसलिये इस का यह अर्थ है कि जो (अस्य) पूर्ण व्यापक परमात्मा की सृष्टि में मुख के सदृश सब में मुख्य उत्तम हो वह (ब्राह्मणः) ब्राह्मण (बाहू) ‘बाहुर्वै बलं बाहुर्वै वीर्यम्’ शतपथब्राह्मण। बल वीर्य्य का नाम बाहु है वह जिस में अधिक हो सो (राजन्यः) क्षत्रिय (ऊरू) कटि के अधो और जानु के उपरिस्थ भाग का नाम है जो सब पदार्थों और सब देशों में ऊरू के बल से जावे आवे प्रवेश करे वह (वैश्यः) वैश्य और (पद्भ्याम्) जो पग के अर्थात् नीच अंग के सदृश मूर्खत्वादि गुणवाला हो वह शूद्र है। अन्यत्र शतपथ ब्राह्मणादि में भी इस मन्त्र का ऐसा ही अर्थ किया है। जैसे-‘यस्मादेते मुख्यास्तस्मान्मुखतो ह्यसृज्यन्त।’ इत्यादि। जिस से ये मुख्य हैं इस से मुख से उत्पन्न हुए ऐसा कथन संगत होता है। अर्थात् जैसा मुख सब अंगों में श्रेष्ठ है वैसे पूर्ण विद्या और उत्तम गुण, कर्म, स्वभाव से युक्त होने से मनुष्यजाति में उत्तम ब्राह्मण कहाता है। जब परमेश्वर के निराकार होने से मुखादि अंग ही नहीं हैं तो मुख आदि से उत्पन्न होना असम्भव है। जैसा कि वन्ध्या स्त्री आदि के पुत्र का विवाह होना! और जो मुखादि अंगों से ब्राह्मणादि उत्पन्न होते तो उपादान कारण के सदृश ब्राह्मणादि की आकृति अवश्य होती। जैसे मुख का आकार गोल मोल है वैसे हीे उन के शरीर का भी गोलमोल मुखाकृति के समान होना चाहिये। क्षत्रियों के शरीर भुजा के सदृश, वैश्यों के ऊरू के तुल्य और शूद्रों के शरीर पग के समान आकार वाले होने चाहिये। ऐसा नहीं होता और जो कोई तुम से प्रश्न करेगा कि जो जो मुखादि से उत्पन्न हुए थे उन की ब्राह्मणादि संज्ञा हो परन्तु तुम्हारी नहीं; क्योंकि जैसे और सब लोग गर्भाशय से उत्पन्न होते हैं वैसे तुम भी होते हो। तुम मुखादि से उत्पन्न न होकर ब्राह्मणादि संज्ञा का अभिमान करते हो इसलिये तुम्हारा कहा अर्थ व्यर्थ है और जो हम ने अर्थ किया है वह सच्चा है। ऐसा ही अन्यत्र भी कहा है। जैसा- शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्। क्षत्रियाज्जातमेवन्तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च।। मनु०।। जो शूद्रकुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के समान गुण, कर्म, स्वभाव वाला हो तो वह शूद्र ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हो जाय, वैसे ही ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यकुल में उत्पन्न हुआ हो और उस के गुण, कर्म, स्वभाव शूद्र के सदृश हों तो वह शूद्र हो जाय। वैसे क्षत्रिय, वैश्य के कुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण वा शूद्र के समान होने से ब्राह्मण और शूद्र भी हो जाता है। अर्थात् चारों वर्णों में जिस-जिस वर्ण के सदृश जो-जो पुरुष वा स्त्री हो वह-वह उसी वर्ण में गिनी जावे।धर्मचर्य्यया जघन्यो वर्णः पूर्वं पूर्वं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।१।।अधर्मचर्य्यया पूर्वो वर्णो जघन्यं जघन्यं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।२।। ये आपस्तम्ब के सूत्र हैं। धर्माचरण से निकृष्ट वर्ण अपने से उत्तम-उत्तम वर्ण को प्राप्त होता है और वह उसी वर्ण में गिना जावे कि जिस-जिस के योग्य होवे।।१।। वैसे अधर्माचरण से पूर्व अर्थात् उत्तम वर्णवाला मनुष्य अपने से नीचे-नीचे वाले वर्ण को प्राप्त होता है और उसी वर्ण में गिना जावे।।२।।जैसे पुरुष जिस-जिस वर्ण के योग्य होता है वैसे ही स्त्रियों की भी व्यवस्था समझनी चाहिये। इससे क्या सिद्ध हुआ कि इस प्रकार होने से सब वर्ण अपने-अपने गुण, कर्म, स्वभावयुक्त होकर शुद्धता के साथ रहते हैं। अर्थात् ब्राह्मणकुल में कोई क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के सदृश न रहे। और क्षत्रिय वैश्य तथा शूद्र वर्ण भी शुद्ध रहते हैं। अर्थात् वर्णसंकरता प्राप्त न होगी। इस से किसी वर्ण की निन्दा वा अयोग्यता भी न होगी।
पहली बार में ही आपने हृदय को गदगद कर दिया
वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् जयहो महराजजी आप सनातन धर्म के स्तम्भ हैं हम सब सबके आप गौरव हैं, वंदननमन अभिनन्दन
मैंने पहली बार महाराज श्री का प्रवचन श्रवण किया, हृदय गदगद हो गया। 🙏🙏🏵️❤️
अति सुन्दर कल ही इन का दर्शन प्रयागराज माघ मेला क्षेत्र में हुआ
श्री गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में दास का साष्टांग दंडवत प्रणाम।
महाराज जी चरणों में दंडवत प्रणाम, आप जैसे महान संतों की वजह से धरती टिकी हुई है 🙏🙏🙏🙏
Wonderful. Good explanation. Nice udbhodan. Respectful pranaamas.
जय श्रीसीताराम । रामदेवजी आर्य समाजी है । ये वरण व्यवस्था को नही मानते न ही वैदिक धर्म को मानते है ।
Bilkul sahi kha
गुण कर्म स्वभाव से वर्ण व्यवस्था तथा विशुद्ध वैदिक धर्म को मानते हैं।
कर्म से महान होता है मानव जन्म से nhi
@@mohitgoyal6740 nhi mante wo , anaray samaji to ved ko v Purna nhi mante to kaise vaidik dharmi hua? Or varn vyavastha janam sa he hoti ha jo ya nhi manta wo vaidik dharm ka palan nhi karta
@@devendrasahu570 Han par varn janam sa he ha
महराज जी ने वर्ण व्यवस्था को लेकर मेरा भ्रम दूर कर दिया जय हो💐💐💐
सादर चर्ण स्पर्श स्वामी जी॥
जय हो विप्र श्रेष्ठ 🙏🏻
विशिष्ट उद्बोधन🙏🌹
स्वामी जी के दंडवत प्रणाम
अच्छे से कान मरोड़े हैं आचार्य जी ने आर्यसमाजी रामदेव बाबा के।
रामदेव साधारण व्यक्ति नहीं हैं। और किसी के झांसे मे आने वाले भी नहीं हैं। रामदेव ने अपने स्वार्थ के लिए व्यवसाय नहीं किया। राष्ट्र के कल्याण के लिए है।
@@himalalpaudel8201 बिल्कुल सही कहा।लेकिन उच्च विचार और सूक्ष्म बातें सब को समझ में नही आती
@@himalalpaudel8201 lol wo sabse bada business man ha or apne faida ka he rehta ha
@@satyapalkumar3691 Han but ramdev murkh ha
बहुत ही सुंदर महाराजा श्री मैं भी रामदेव की ऐशी गलत वचन को सुना था
😂😂
जय हो जगत गुरु विद्या भास्कर जी महाराज की !अंतिम वाक्यों में आपने रामदेव को बढ़िया लपेटा और वह क्या है ,यह बता ही दिया |
रामदेव को लपेटा जाना सम्भव नहीं।
बहुत सुंदर महाराज श्री ॐ नमो नारायण
आपको शत् शत् नमन
रामदेव को बहुत अच्छे से समझ आ जानी चाहिए अब तो
कि ब्राह्मण कोई मामूली नहीं है
रामदेव धिक् दुष्टं
राम देव को मैं साधु सन्यासी नहीं मानता वो तो बहुत बड़ा व्यापारी हैं
Jitna ramdev ne sanatan ke liye kiya uska aadha tumhare teeno shankaracharyo ne mil kar bhi nahi kiya...
@@KundanKumar-ph2cr lol jake dekho kiya kiya kya ha Acharyo na or ramdev jese byapri ko Acharya sa tulna mat karoo
गुरु जी आपका शिष्य satyanarayan दण्डवत आपके चरणों में 🙏
आदरणीय महाराज जी के श्री चरणों में सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
Jai ho maharaj❤❤❤
आर्य समाज के एकोऽहं द्वितीय ना अस्ति वाले विचार से निकल कर सनातन संस्कृति में समर्पित हो जाना चाहिए।
ये स्वामी जो उपदेश दे रहे हैं इनका मोबाइल नंबर देने की कृपा करें
क्या आप ये जो स्वामी जी महाराज जो बोल रहे हैं इनका मोबाइल नंबर देने की कृपा करेंगें
बाबा रामदेव जी को चाहिए कि एक विडियो बनाये और बताये की पूजय गुरूदेव स्वामी
श्री विद्या भास्कर वासुदेवाचार्य जी महाराज द्वारा कथित ज्ञान उन्हें समझ आ गया है और
जनता से अनुरोध करें की मैं भुल स्वीकार
करता हूं।।
Hame is gyan ka rasaswadan hamesha hota rahe 🙏🙏
Isme kya gyan hai...doctor ka beta hi beta banega...isse badi bewkufi puri duniya me koi ni hai....yhi tumhara hindu dharm hai...jalebi ban rhe hain ye maharaj.....tum ho anpadh gawaar....aao debate krne....konsa granth leke aaoyege....
स्मरण रहे सनातन का शत्रु काङ्ग्रेस को धराशायी कर के सनातन के पुरोधा सनातन के रक्षक तथा राष्ट्र भक्त मोदी जी को सिंहासन पर शोभायमान कराने वाले रामदेव जी ही हैं। विदेशी कम्पनियों के लूट को देखते हुए उनहोंने राष्ट्र कल्याण के निमित्त उद्योग स्थापित किया है। और बडे दूरदर्शी हैं तथा सनातन वैदिक परम्परा को व्यापक रूप मे देखते हैं। वह किसी के प्रभाव मे आने वाले भी नहीं हैं।
Jay ho baba ramdev ki aise neech vidya bhasker ke kathor vachan sehne ke liye
Abee murkh idhar neech ramdev ha jo shastro ka galat arth kar raha tha
पूज्य श्री गुरुदेव भगवान के श्रीचरणो मे दास का साष्टांग प्रणाम..जय श्रीमन नारायण..
Swami ji apne byapari ramdev ki aankhe khol di apk is spast waktaby k liye bahut bahut sadhanywad
Maharaj ji ke charno me sadar koti koti pranam
बहुत ही ज्यादा सुन्दर
om namo narayan
हर हर महादेव!
समाज जब रक्षा करने में असमर्थ होता है तो ब्राह्मण तपस्या से दूर होकर संचय में प्रवृत हो जाता है! गोस्वामी जी ने भी लिखा कि तपसी धनवंत दरिद्र गृही!
जयहिंद
संत भगवान की जय.... जय जय सिया राम🙏
Pujya Swami Ji maharaj ko stang dandwat Jay Shrimanarayan
Bahut hi Sundar aapka atyant Sach hone ke sath 2 mridudta bhare abhibhasan ka Mai bar 2 aadar karta hun Jai Shri mannarayn ji ki das ki or se Milan hoga kabhi Hari kripa Se
Sadar parnam swami ji💐🙏🏻🙏🏻💐🌺🌿
बहुत अच्छा महाराज जी जय श्री राम
परम पुरी महाराज श्री के श्री चरणों में सादर प्रणाम बहुत सुंदर महाराज जी
परम पूज्य एवं परम आदरणीय आपके श्री चरण कमलों में मेरा बहुत-बहुत नतमस्तक प्रणाम महाराज श्री आप जैसे विद्वानों से आपके श्री चरणों में बैठकर कुछ सीखने का मन होता है परंतु कभी अयोध्या जी आए तो आपके श्री चरणों का दर्शन हमें मिले ऐसी प्रभु से मेरी प्रार्थना है। ।। जय श्री सीतारामजी।।
महाराज श्री वैसे तो सब कुछ प्रभु श्री राम जी के हाथ में है किंतु मेरा ऐसा विश्वास है कि आप हमें अपने दर्शन देने के लिए मना नहीं करेंगे आपके श्री चरणों में मेरा बारंबार प्रणाम ।।जय श्री सीताराम जी।।
Jai Shri man Narayan
JAYJAY PARAM GURUDEVG. PARNAM ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Vhut sundar guru
Maharaj aapke gyan ko, kirti ko, yash ko, darshan ko, aur Brahmanatwa ko barambaar pramaan hai. 🙏
JAY JAY SHREE RAM 🙏🙏🙏🙏🙏
ऐसे मूर्खों को केवल ऐसे ही परम विद्वतजन संत इन दुष्टों का उपचार कर सकते हैं
आप को नमन है
Pranam guru ji Jai Shri Krishna
स्वामी जी
साष्टांग दण्डवत प्रणाम
इस बात को समझ लेना आसान नहीं है।
जातिवाद कोन्ग्रेस की देन है।
आपके चरणों में सादर नमन बहुत अच्छा किया आपने स्वामी जी जो इसके मुख पर इसको जबाब दिये
Mahraj Ji Ne Bahut Achchha Vishleshan Kiya Hai
Seeyaram radheshyam putra hanuman
Jai Ho Guru ji
जय हो महाराज जी की
Jay Gurudev Jay goumata 🚩🌹🙏🏻
सियाराममय सब जग जानी करहु प्रणाम,््््
सादर चरणस्पर्श भगवन
Jai shree ram ❤️
ॐ स्वामी रामदेव जी
शिव ही सत्य है राम कृष्ण ईश्वर के भक्त हैं ईश्वर नही ईश्वर ऐक ही है शिव
जय श्रीमन्नारायण जी।।
🙏🙏🙏🙏🙏
Sant sarash jimi paatak Taraie. Sashhtang naman. Baba Ramdevji ! Raashhtra aapkaa rini Hai.
Shreemate ramanujaya namahaa...
🙏🏻🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👍👍🙏🙏
Janam se koi brahman nahi hota karm se hota h janam se sab ek h phir karm k Anusar hota h
हरि ॐ 🍀🙏🌺
आगे की video डालो, पूरी वीडियो डालो
Very good mahraj
भोजन की व्यवस्था यह सन्यास के लिए लागू होता है ना कि ब्राह्मण के लिए
👏👏
Narayan ki jai ho
Jai shree mannarayan
हर हर महादेव
Wah jai ho
महाराज श्री को दंडवत
Jaigurudev
ब्राम्हण सम्पूर्ण ब्रह्मांडों का मात्र एक अंश है।
कौन-कौन हैं जो ब्राह्मण का नहीं है?
आखरी वाली बात बहुत अच्छी लगी।
लेकिन केवल बताया जाता है।किया नही जाता
ऐसे ब्राह्मण है कि पैसा के लिए संस्कृति बेंच दे।
आप के गुरूभाई मानवर जीयर स्वामी जी महाराज तो कमर्शियल मार्केट ही खोल दिया है धर्म के नाम पर
Kaisa market khol diya hai?
Wo anarya samaji jese pakhandi thodi na ha
अंत मे बाबा रामदेव को भी लपेट लिया महाराज जी ने 🤣🤣🤣🤣
या देवी सर्वभूतेषु जाति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
Kane ramdev ki ankhe kaise khulegi?
🙏🙏🙏🙏
Wah
Jai jai
🙏🙏🙏
Shri swami ji ko sat sat naman swami ji kaamdev bhi byapari h aur samaj me nafrat bhi failata h aise log hi sadhu ka chola phn kr sadhuyo ko bdnaam karte h ye samaj me jhr gholte h es baniye se sabdhaan rahe
अभी भी ईश धरा पर विद्वान् है
❤️
महाराजजी के वचन आम लोग को भले समझ मे आ गये हो पर रामदेव बाबा के ऊपर से निकल गये होंगे।
हरी हरा
बड़ी संवैधानिक व्याख्या की आपने😅😅
खुल गई होंगी मूर्ख रामदेव की आखे अब तो
Naman
वर्ण व्यवस्था कर्म से होती है जन्म से नहीं
janam se hota ha
@@ramanujadasa121 अच्छा तो यदि एक ब्रह्मण मुसलमान बन जाये और इस्लाम के अनुसार जीवन जीने लगे तो क्या वो फिर भी ब्रह्मण ही कहलायेगा ।
@@prabhatrajput2827 humarre hii baap dada ne brahman karam kiya tha aaj bhi wo hii kar rahe hai jab bhagwan krishna or bhagwan ram bhi brahman k liye bolte thai to tum kon ho bolne wale jab kevat hota tha
@@prabhatrajput2827 jo bol rahe hai wo janam karam se brahman hii hai kisi main himmat hai kar le saastrath brahman ka 10 saal ka bacha bhi hara dega
Prabhat karm se hoti h janam se nahi koi pandit kya bol raha h iss se fark nahi padna chahiye janam se sab ek h karm k hisab se phir hota h
Jail.ho.Mahraj.Ji
(प्रश्न) क्या जिस के माता पिता ब्राह्मण हों वह ब्राह्मणी ब्राह्मण होता है और जिसके माता पिता अन्य वर्णस्थ हों उन का सन्तान कभी ब्राह्मण हो सकता है?
(उत्तर) हां बहुत से हो गये, होते हैं और होंगे भी। जैसे छान्दोग्य उपनिषद् में जाबाल ऋषि अज्ञातकुल, महाभारत में विश्वामित्र क्षत्रिय वर्ण और मातंग ऋषि चाण्डाल कुल से ब्राह्मण हो गये थे। अब भी जो उत्तम विद्या स्वभाव वाला है वही ब्राह्मण के योग्य और मूर्ख शूद्र के योग्य होता है और वैसा ही आगे भी होगा। महर्षि दयानन्द सरस्वती - सत्यार्थ प्रकाश - चतुर्थ समुल्लास
Ramdev ki aankhe ke ab baar baar nhi japkegi iska matlab to uttam Brahman to koi bacha nhi kalyug me
Brahman ka arth nahin hai koi bas khane aur paise ikatha karne ke sandarbh mein hi Brahman ki vyakhya kar ke swayam ko shresth brahman sabit karne mein lage hain .Kya hain pata nahin
Swami ji aapane ekadam sahi jawab Diya Ramdev ko
SADAR JAY SIYA RAM SAB KE MUL ME EK HI BAAT HAI KI GRAHSTA AASRAM SABSE BADA TABHI HO SAKTA HAI JAB SAB KO SAD GRASTI HONE KI SHIKSA MILE TO SABHI VYVSTHA SUDHAR SAKTI HAI AAJ GRASTH SATI GRAST HO GAYA HAI KOI APNE KARTAVYO KA SAHI PALAN NAHI KARTA HAI
इस कानिया की एक आंख पूरी कभी नहीं खुलेगी
विद्या भास्कर महाराज के सामने ये कानिया कुछ नहीं
Are bhai janam se hi hoti hai
(प्रश्न)ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्या शूद्रो अजायत ।।
यह यजुर्वेद के ३१वें अध्याय का ११वां मन्त्र है। इसका यह अर्थ है कि ब्राह्मण ईश्वर के मुख, क्षत्रिय बाहू, वैश्य ऊरू और शूद्र पगों से उत्पन्न हुआ है। इसलिये जैसे मुख न बाहू आदि और बाहू आदि न मुख होते हैं, इसी प्रकार ब्राह्मण न क्षत्रियादि और क्षत्रियादि न ब्राह्मण हो सकते हैं।
(उत्तर) इस मन्त्र का अर्थ जो तुम ने किया वह ठीक नहीं क्योंकि यहां पुरुष अर्थात् निराकार व्यापक परमात्मा की अनुवृत्ति है। जब वह निराकार है तो उसके मुखादि अंग नहीं हो सकते, जो मुखादि अंग वाला हो वह पुरुष अर्थात् व्यापक नहीं और जो व्यापक नहीं वह सर्वशक्तिमान् जगत् का स्रष्टा, धर्त्ता, प्रलयकर्त्ता जीवों के पुण्य पापों की व्यवस्था करने हारा, सर्वज्ञ, अजन्मा, मृत्युरहित आदि विशेषणवाला नहीं हो सकता।
इसलिये इस का यह अर्थ है कि जो (अस्य) पूर्ण व्यापक परमात्मा की सृष्टि में मुख के सदृश सब में मुख्य उत्तम हो वह (ब्राह्मणः) ब्राह्मण (बाहू) ‘बाहुर्वै बलं बाहुर्वै वीर्यम्’ शतपथब्राह्मण। बल वीर्य्य का नाम बाहु है वह जिस में अधिक हो सो (राजन्यः) क्षत्रिय (ऊरू) कटि के अधो और जानु के उपरिस्थ भाग का नाम है जो सब पदार्थों और सब देशों में ऊरू के बल से जावे आवे प्रवेश करे वह (वैश्यः) वैश्य और (पद्भ्याम्) जो पग के अर्थात् नीच अंग के सदृश मूर्खत्वादि गुणवाला हो वह शूद्र है। अन्यत्र शतपथ ब्राह्मणादि में भी इस मन्त्र का ऐसा ही अर्थ किया है। जैसे-‘यस्मादेते मुख्यास्तस्मान्मुखतो ह्यसृज्यन्त।’ इत्यादि।
जिस से ये मुख्य हैं इस से मुख से उत्पन्न हुए ऐसा कथन संगत होता है। अर्थात् जैसा मुख सब अंगों में श्रेष्ठ है वैसे पूर्ण विद्या और उत्तम गुण, कर्म, स्वभाव से युक्त होने से मनुष्यजाति में उत्तम ब्राह्मण कहाता है। जब परमेश्वर के
निराकार होने से मुखादि अंग ही नहीं हैं तो मुख आदि से उत्पन्न होना असम्भव है। जैसा कि वन्ध्या स्त्री आदि के पुत्र का विवाह होना! और जो मुखादि अंगों से ब्राह्मणादि उत्पन्न होते तो उपादान कारण के सदृश ब्राह्मणादि की आकृति अवश्य होती। जैसे मुख का आकार गोल मोल है वैसे हीे उन के शरीर का भी गोलमोल मुखाकृति के समान होना चाहिये। क्षत्रियों के शरीर भुजा के सदृश, वैश्यों के ऊरू के तुल्य और शूद्रों के शरीर पग के समान आकार वाले होने चाहिये। ऐसा नहीं होता और जो कोई तुम से प्रश्न करेगा कि जो जो मुखादि से उत्पन्न हुए थे उन की ब्राह्मणादि संज्ञा हो परन्तु तुम्हारी नहीं; क्योंकि जैसे और सब लोग गर्भाशय से उत्पन्न होते हैं वैसे तुम भी होते हो। तुम मुखादि से उत्पन्न न होकर ब्राह्मणादि संज्ञा का अभिमान करते हो इसलिये तुम्हारा कहा अर्थ व्यर्थ है और जो हम ने अर्थ किया है वह सच्चा है। ऐसा ही अन्यत्र भी कहा है। जैसा-
शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्।
क्षत्रियाज्जातमेवन्तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च।। मनु०।।
जो शूद्रकुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के समान गुण, कर्म, स्वभाव वाला हो तो वह शूद्र ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हो जाय, वैसे ही ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यकुल में उत्पन्न हुआ हो और उस के गुण, कर्म, स्वभाव शूद्र के सदृश हों तो वह शूद्र हो जाय। वैसे क्षत्रिय, वैश्य के कुल में उत्पन्न होके ब्राह्मण वा शूद्र के समान होने से ब्राह्मण और शूद्र भी हो जाता है। अर्थात् चारों वर्णों में जिस-जिस वर्ण के सदृश जो-जो पुरुष वा स्त्री हो वह-वह उसी वर्ण में गिनी जावे।धर्मचर्य्यया जघन्यो वर्णः पूर्वं पूर्वं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।१।।अधर्मचर्य्यया पूर्वो वर्णो जघन्यं जघन्यं वर्णमापद्यते जातिपरिवृत्तौ।।२।।
ये आपस्तम्ब के सूत्र हैं। धर्माचरण से निकृष्ट वर्ण अपने से उत्तम-उत्तम वर्ण को प्राप्त होता है और वह उसी वर्ण में गिना जावे कि जिस-जिस के योग्य होवे।।१।।
वैसे अधर्माचरण से पूर्व अर्थात् उत्तम वर्णवाला मनुष्य अपने से नीचे-नीचे वाले वर्ण को प्राप्त होता है और उसी वर्ण में गिना जावे।।२।।जैसे पुरुष जिस-जिस वर्ण के योग्य होता है वैसे ही स्त्रियों की भी व्यवस्था समझनी चाहिये। इससे क्या सिद्ध हुआ कि इस प्रकार होने से सब वर्ण अपने-अपने गुण, कर्म, स्वभावयुक्त होकर शुद्धता के साथ रहते हैं। अर्थात् ब्राह्मणकुल में कोई क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के सदृश न रहे। और क्षत्रिय वैश्य तथा शूद्र वर्ण भी शुद्ध रहते हैं। अर्थात् वर्णसंकरता प्राप्त न होगी। इस से किसी वर्ण की निन्दा वा अयोग्यता भी न होगी।
Jagat guru sri vidya bhaskar ki jai ho
Swami Ramdev ji to arya samaj waale hain. 😁