03 अव्यवस्थित संसार का स्रष्टा ईश्वर? - मुनि सत्यजित् जी - आर्ष न्यास, रोजड़
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- เผยแพร่เมื่อ 25 เม.ย. 2024
- Aarsh Nyas - is organization driven by vedic scholars, which has sole purpose of making ved , upanishad and darshan understanding in easy and scientific way.
विश्व के सभी मनुष्य दुःख को दूर कर सुख को प्राप्त करना चाहते हैं, दुःख का कारण अज्ञान है, सभी ज्ञान का मुख्य स्रोत वेद है. महर्षि मनु ने "सर्वज्ञानमयो हि स:" कह कर वेद को ही समस्त ज्ञान का मूल माना है, "वेदोsखिलो धर्ममूलम्" मनुस्मृति २-६ में वेद को धर्म का मूल उलेखित किया है, "धर्मं जिज्ञासमानानाम् प्रमाणम् परमं श्रुति: " अर्थात् जो धर्म का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए परम प्रमाण वेद है.
इन आर्ष ग्रंथों के सरलतम रूप में प्रचार प्रसार एवं इससे सम्बंधित कार्य में कार्यरत ब्रह्मचारी, संन्यासी आर्यवीरों के सहयोग हेतु आर्ष न्यास का गठन दिनांक 16 अगस्त 2011 को स्वामी Vishvang जी, आचार्य सत्यजित् जी, श्री सुभाष स्वामी, श्री आदित्य स्वामी एवं श्री रामगोपाल गर्ग के द्वारा अजमेर में किया गया.
आर्ष न्यास आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक विषयों को जिज्ञासा समाधान, उपनिषद् भाष्य, पुस्तक एवं कथा के माध्यम से प्रस्तुत करने में अग्रणी है।
आर्ष न्यास का इस श्रृंखला शुरू करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
आदरणीय मुनि सत्यजित जी का सादर धन्यवाद एवं आभार 🙏🙏
क्षद्धेय श्री मुनिजी के चरणो प्रणामजी
सभी आर्यो को सादर नमस्ते 🙏🙏
सादर नमस्ते मुनि जी, बहुत धन्यवाद।
ओम का झण्डा ऊंचा रहे 🚩
🌹🙏🌹
वेद ग्यान पहले शाब्दिक हस्तांतरण होता था, बाद में वेदो को सबसे पहले किसने लिखा, क्या वेद व्यास जी ने ? ताकी लोग पढ सके के ?
नमस्ते जी, प्रायः ऐसा ही माना जाता है, निर्णय कठिन है।
Bhrata video ka speed badane ka option nahi hai. Kyu?
Vikalp to hai aapke app me samasya hogi update karke dekhiye