परसाई जी के जमाने में हम डाक्टर, इंजीनियर टेलेंट एक्सपोर्ट करते थे। आज हम हर तरह का मानव टेलेंट थोक में एक्सपोर्ट करने की स्थिति में है। धार्मिक, आर्थिक, राजनीति, डोमेस्टिक, सर्विसेज, लेबर, पेट भरे, भूखे, जैसी डिमांड वैसी सप्लाई।
rachnakar ki rachna hai sir! maine bhi aise hi sochkar padhi, aap bhi aise hi sochkar sun lijiye. aap ise aadhyatm par prahaar hi kyun sochte hain. kuch hi dino me isi channel par main ramcharit manas lekar aa rha hun. wahaan hum kewal aadhyatm par charcha karenge
बिना ट्रांसफॉर्मेशन के पहले ये सब बोलना अच्छा लगता है। परसाई जी यदि अपने गहराई में उतरते तो शायद कुछ हासिल कर पाते। उन्होने केवल बाहरी तर्क पर जोर दिया। इसलिए वे चूक गए।
परसाई जी के जमाने में हम डाक्टर, इंजीनियर टेलेंट एक्सपोर्ट करते थे। आज हम हर तरह का मानव टेलेंट थोक में एक्सपोर्ट करने की स्थिति में है। धार्मिक, आर्थिक, राजनीति, डोमेस्टिक, सर्विसेज, लेबर, पेट भरे, भूखे, जैसी डिमांड वैसी सप्लाई।
Or kaam karo
Good work
😊 yes sir adhyatmik paglo ko America hi nhi visv me bhejte rhenge akhirkar Jagadguru jo thahre
Kya soch hi prsaiji ki very nice sir 🙏👍
Amazing satire😮
मज़ा आ ग़या महोदय...इतने गूढ़ अर्थ वाले व्यंग को सुनकर
Kya krte ho ap bhai
Kha se ho ap bhai
👍👍
Thank you
Divine Lunatic Mission... 😎Already has been Accomplished in our Country 🎙️📺 📻 😜😂 🙏
एकदम बकबास कोई गहराई नहीं ......
कोरे , शब्दों को तोड़ मरोड़कर अपनी सतही समझ से कही गयी बेतुकी बातें मात्र है
अध्यात्म के "अ" तक का ज्ञान नहीं और इतना बड़बोलापन
rachnakar ki rachna hai sir! maine bhi aise hi sochkar padhi, aap bhi aise hi sochkar sun lijiye. aap ise aadhyatm par prahaar hi kyun sochte hain. kuch hi dino me isi channel par main ramcharit manas lekar aa rha hun. wahaan hum kewal aadhyatm par charcha karenge
@@Kathakalp वैसे आपका प्रस्तुतीकरण बहुत बढ़िया है
आध्यात्म का ज्ञान कोई रॉकेट साइंस नहीं है। कोरी कल्पनाओं की गट्ठरी है।
परिपक्व स्थिति नहीं लगी, बिना अनुभव की वार्ता लगी
संभवतः मैं वाचन सही नहीं कर पाया।
Sir apke vachan me koe dos nhi hi ati sundar thi
परसाई पर मुझे तरस आ रही है l
उसका खुद का जीवन मज़ाक हो गया l
उनको ये नियम पता नही कि इक नियम सभी जगह काम नही आते
बिना ट्रांसफॉर्मेशन के पहले ये सब बोलना अच्छा लगता है। परसाई जी यदि अपने गहराई में उतरते तो शायद कुछ हासिल कर पाते। उन्होने केवल बाहरी तर्क पर जोर दिया। इसलिए वे चूक गए।
मेरा तर्क यह है कि उन्होंने जिस भी दृष्टि से देखा हो, लेकिन उनमें खरा कहने का सामर्थ्य तो था! आज तो दुर्लभ है (परसाई को एक व्यंग्य से न आँका जाए)
@@Kathakalp प्रणाम 🙏🙏🙏
@@roshankannouje4900kya krte ho ap bhai