#Ashokwelcome

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ส.ค. 2024
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    सभी दर्शकों का मेरे TH-cam चैनल Ashokwelcome
    में स्वागत है दोस्तों आमतौर पर मेरा वीडियो कुमाऊँनी क्षेत्र की आध्यात्मिक शांति संस्कृति और विरासत से परिलक्षित होता है, जो कुमाउनी क्षेत्र के रीति रिवाजों से बना है, अगर कोई विसंगतियां हैं, तो कृपया हमें सुझाव दें और हमें आशीर्वाद दें, मैं आपके सुझाव और सदस्यता का पालन करूंगा ताकि आपको बहुत खुशी हो सभी को मेरा धन्यवाद और सम्मानित करने की सलाह देते रहें और तब तक मुझे आशीर्वाद देते रहें और अपने प्यार और अनुग्रह के माध्यम से मेरे पूरे जीवन का मार्गदर्शन करते रहें और दोस्तों मेरा TH-cam पेज Ashokwelcome लाइक शेयर और सदस्यता (Subscribe) करना न भूले
    छुरमल देवता के अधिकाँश पूजास्थल, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीरा और अस्कोट क्षेत्र के गाँवों में पाये जाते हैं। इनको बड़ा प्रभावशाली देवता माना जाता है। छुरमल देवता का प्रसिद्ध मन्दिर अस्कोट के गर्खा गाँव के ऊपर धनलेक पर्वत के शिखर पर है जहाँ पर बहुत बड़ा मेला लगता है। पूर्वजों की गाथा के अनुसार, यह धूमाकोट के कालसिन का पुत्र था।
    छुरमल देवता के पिता कालसिन का विवाह रिखीमन की पुत्री ह्यूंला के साथ हुआ था जो उस समय एक बालिका ही थी। कालसिन उसे घर पर छोड़कर देवताओं की सभा में चला गया। कुछ वर्षों बाद जब वह लौटकर आया तो ह्यूंला पूर्ण यौवन प्राप्त कर चुकी थी। फिर भी उसने अपनी पत्नी पर ध्यान नहीं दिया। इस पर ह्यूंला ने उस पर अपने को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। जिससे नाराज होकर कालसिन उसे छोड़कर वापस देवसभा में चला गया।
    छुरमल देवता की माँ ह्यूंला जब रजस्वला हुई तो उसकी सास ने उसके रजःस्नान के लिये ऐसा स्नानागार बनाया जो चारों तरफ से पूरी तरह बंद था। परन्तु उसमें केवल एक सूक्ष्म छिद्र रह गया था। जिससे एक बार के रजःस्नान के समय सूर्य की एक किरण उस पर पड़ गई जिससे वह गर्भवती हो गई। ह्यूंला के गर्भवती होने की सूचना का पत्र, अपने तोते के द्वारा, कालसिन की माता ने देवसभा में बैठे अपने पुत्र को भेजा जिसे पढ़कर वह तुरन्त अपने घर की ओर चल पड़ा।
    घर आकर उसको वास्तविकता का पता लग गया और वह पुनः देवपुरी लौट गया। इधर कालसिन की माता ने ह्यूंला को घर से निकाल दिया। प्रसवपीड़ा से त्रस्त ह्यूंला ओखलसारी ( जिस झोपड़ी में ओखल होता है। ) में जाकर बैठ गई। वहीं पर आधीरात के समय उसने एक पुत्र को जन्म दिया जन्म देते ही उस पुत्र ने अपनी माता को व्याकुल न होने को कहा और अपने पिता के बारे में पूछा। माता ने उसे कालसिन के बारे में बताया कि वह इन्द्रपुरी में देवताओं की सभा का दीवान है।
    वह शिशु अपनी नाभिनाल को कमर में लपेट कर शीघ्र इन्द्रपुरी पहुँच गया। उसके वहाँ पहुँचते ही इन्द्रपुरी डोलने लगी। जब उसने अपने पिता के बारे में पूछा तो कालसिन ने उसे अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इस पर वहां पर काफी देर तक प्रश्नोत्तर चलता रहा बालक ने अपने जन्म से सम्बद्ध सारी स्थिति को स्पष्ट कर दिया। पर वह माना नहीं इसके बाद उसने उसके समक्ष यह शर्त रखी कि यदि वह गागर (गर्गाचल) के जंगल से एक सिंह को पकड़कर उसके सामने ले आयेगा तो वह उसे अपना पुत्र स्वीकार कर लेगा इस पर बालक छुरमल गागर के जंगल में जाकर एक शेर को पकड़कर ले आया
    इसके बाद भी वह कई कठिनतम शर्तें रखता गया और छुरमल उन्हें पूरा करता गया। अन्त में उसने यह शर्त रखी कि मैं तुम्हें सात समुन्दर पार लोहे के कड़ाओं में बन्द करूंगा और इधर सात समुन्दर पार से तुम्हारी मां ह्यूंला अपनी छाती से दूध की धार मारेगी। यदि वह तुम्हारे मुंह में ही जायेगी तो मैं तुम्हें तथा तुम्हारी मां दोनों को स्वीकार कर लूंगा इस परीक्षण में भी वह सफल हो गया।
    फिर कालसिण ने उसे पुत्र के रूप में स्वीकार करते हुए उसकी पीठ थपथपायी और कहा ‘यद्यपि तू मेरा पुत्र है पर हम दोनों आमने-सामने होने पर भी कभी परस्पर मिलेंगे नहीं यही कारण है कि पिता - पुत्र होते हुये भी दोनों को एक ही मन्दिर में स्थापित नहीं किया जाता हैं। और एक ही स्थान पर पृथक-पृथक मंदिर में स्थापित किया जाता है। इसमें मानव कल्याणार्थ कालसिण की तथा पशु सम्पदा के कल्याणार्थ छुरमल की पूजा की जाती है। छुरमल (सूर्यपुत्र) का मूल नाम सम्भवतः सूर्यमल रहा होगा जो कि उच्चारणात्मक सौकर्य के कारण कालान्तर में छुरमल के रूप में विकसित हो गया होगा।
    छुरमल देवता के मंदिर कत्यूरघाटी के तैलीहाट में हैं। और थान गांव (मल्ला कत्यूर) में है, और धाड़चौड़ (डीडीहाट) की पहाड़ी पर, अस्कोट में देवचूला क्षेत्र में स्थित हैं। धनलेख में भी मंदिर है, जहां इन्हें धनलेख देवता के नाम से भी जाना जाता है। तथा जोहार के डोरगांव आदि स्थानों पर मंदिर स्थापित हैं जोहार में ‘छुरमल पुजाई’ के नाम से भादपद मास के शुल्क पक्ष में एक उत्सव (मेले) का भी आयोजन किया जाता है। वर्षा ऋतु के अतिरिक्त छुरमल देवता की पूजा शुक्ल पक्ष में कभी भी की जा सकती है। कहीं-कहीं दोनों कालसिन और छुरमल देवता एक साथ ही आमने-सामने भी स्थापित किये गये हैं, किन्तु एक ही देवालय में कहीं भी नहीं स्थापित किये जाते हैं।
    जय छुरमल देवता।
    जय कालसिन देवता।

ความคิดเห็น • 33

  • @ashokwelcome6904
    @ashokwelcome6904 4 ปีที่แล้ว +3

    Jai ho bhagwan parmeshwar tumri pautbala chu sab ka ashirvaad diya

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  4 ปีที่แล้ว +1

      Thanks and bess you god

    • @bantisamant6765
      @bantisamant6765 ปีที่แล้ว

      ​@@Ashokwelcome 😂🎉😂😂🎉

    • @bantisamant6765
      @bantisamant6765 ปีที่แล้ว

      😂😂😂😂😂😂😂😂😂

  • @poojar.k8125
    @poojar.k8125 4 ปีที่แล้ว +1

    Jai Isht Dev

  • @dineshkumar8327
    @dineshkumar8327 2 ปีที่แล้ว

    जय हो ईष्ट देवता की 🙏🙏🙏

  • @bantisamant6765
    @bantisamant6765 ปีที่แล้ว +1

    Jay,es,dev

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  ปีที่แล้ว

      Thanks for watching and your support 🙏

  • @premchandra9620
    @premchandra9620 3 ปีที่แล้ว

    Jai ho

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  3 ปีที่แล้ว

      Thanks bhaiji video ko like aur dekhne ke liye
      th-cam.com/video/3X9Uk-plQUs/w-d-xo.html

  • @naveenchand3005
    @naveenchand3005 ปีที่แล้ว +1

    Jai baba kalshil dev maha sakti ko mera bar bar naman 👏👏👏❤️🌹🌹❤️🚩🔱🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  ปีที่แล้ว

      Dhanyawaad aapka bhagwan aapki Manokamna Puri Karen

    • @naveenchand3005
      @naveenchand3005 ปีที่แล้ว +1

      ये churamal देवता के पिता भी कहलाते है पर ये बलबाराम चारी भी है इनका अवतार जो गोल देवता होने पर शीला रख दिए थे इनके मां कलिंगा के सामने उसी शीला से इनका जन्म है अजन्मे है निराकार भी बिगड़ गए तो बाबा महाकाल भी है ये ही उज्जेनी के राजा धीरज भी है महाकाल नमः शिवाय नमः इनके संग में अलख नाथ छुरामल लातू मां भगवती गोलू देवता भी आते है हर सेम भी भोले है मेरे भोले कालशील देव पांच नाम देवो में से एक है महाशक्ति है जय हो कालशील देव आपकी सदा ही जय हो ❤❤❤❤❤❤❤🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱😘😘😘💐💐💐🌹🌹🌹🌹🌹🪔🪔🪔🪔🚩🚩🚩🚩🚩🚩

  • @NareshKumar-wd4cj
    @NareshKumar-wd4cj 3 ปีที่แล้ว

    Jai Isht dev sab par kripya karna daya drishti banaye rakhna

  • @NareshKumar-wd4cj
    @NareshKumar-wd4cj 3 ปีที่แล้ว

    Bahut hi Adhbhut Culture hai hamare kumaun ka jo ki aajkal ki is modern zindagi mein kahin lupt sa ho raha hai
    hum sab ko jarurat hai ki is sanskriti ko bachayen iska prachar prasar karen sabhi log is sanskriti ko share karen jyada se jyada tabhi hamare sahar mein reh rahe samaj ke logon ko jaagrukta aayegi............

  • @Guide453
    @Guide453 4 ปีที่แล้ว +3

    Jai prabhuji

  • @anjanamehra6106
    @anjanamehra6106 4 ปีที่แล้ว +3

    Jai jai ISHT DEV

  • @prakashpandey5954
    @prakashpandey5954 2 ปีที่แล้ว +1

    जय कालसेण देवता , महोदय इनके बारे मैं विस्तृत जानकारी देने की क्रपया करें । इनकी जीवनी और मुख्य मंदिर के बारे में

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  2 ปีที่แล้ว +1

      छुरमल देवता के अधिकाँश पूजास्थल, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीरा और अस्कोट क्षेत्र के गाँवों में पाये जाते हैं। इनको बड़ा प्रभावशाली देवता माना जाता है। छुरमल देवता का प्रसिद्ध मन्दिर अस्कोट के गर्खा गाँव के ऊपर धनलेक पर्वत के शिखर पर है जहाँ पर बहुत बड़ा मेला लगता है। पूर्वजों की गाथा के अनुसार, यह धूमाकोट के कालसिन का पुत्र था।
      छुरमल देवता के पिता कालसिन का विवाह रिखीमन की पुत्री ह्यूंला के साथ हुआ था जो उस समय एक बालिका ही थी। कालसिन उसे घर पर छोड़कर देवताओं की सभा में चला गया। कुछ वर्षों बाद जब वह लौटकर आया तो ह्यूंला पूर्ण यौवन प्राप्त कर चुकी थी। फिर भी उसने अपनी पत्नी पर ध्यान नहीं दिया। इस पर ह्यूंला ने उस पर अपने को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। जिससे नाराज होकर कालसिन उसे छोड़कर वापस देवसभा में चला गया।
      छुरमल देवता की माँ ह्यूंला जब रजस्वला हुई तो उसकी सास ने उसके रजःस्नान के लिये ऐसा स्नानागार बनाया जो चारों तरफ से पूरी तरह बंद था। परन्तु उसमें केवल एक सूक्ष्म छिद्र रह गया था। जिससे एक बार के रजःस्नान के समय सूर्य की एक किरण उस पर पड़ गई जिससे वह गर्भवती हो गई। ह्यूंला के गर्भवती होने की सूचना का पत्र, अपने तोते के द्वारा, कालसिन की माता ने देवसभा में बैठे अपने पुत्र को भेजा जिसे पढ़कर वह तुरन्त अपने घर की ओर चल पड़ा।
      घर आकर उसको वास्तविकता का पता लग गया और वह पुनः देवपुरी लौट गया। इधर कालसिन की माता ने ह्यूंला को घर से निकाल दिया। प्रसवपीड़ा से त्रस्त ह्यूंला ओखलसारी ( जिस झोपड़ी में ओखल होता है। ) में जाकर बैठ गई। वहीं पर आधीरात के समय उसने एक पुत्र को जन्म दिया जन्म देते ही उस पुत्र ने अपनी माता को व्याकुल न होने को कहा और अपने पिता के बारे में पूछा। माता ने उसे कालसिन के बारे में बताया कि वह इन्द्रपुरी में देवताओं की सभा का दीवान है।
      वह शिशु अपनी नाभिनाल को कमर में लपेट कर शीघ्र इन्द्रपुरी पहुँच गया। उसके वहाँ पहुँचते ही इन्द्रपुरी डोलने लगी। जब उसने अपने पिता के बारे में पूछा तो कालसिन ने उसे अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इस पर वहां पर काफी देर तक प्रश्नोत्तर चलता रहा बालक ने अपने जन्म से सम्बद्ध सारी स्थिति को स्पष्ट कर दिया। पर वह माना नहीं इसके बाद उसने उसके समक्ष यह शर्त रखी कि यदि वह गागर (गर्गाचल) के जंगल से एक सिंह को पकड़कर उसके सामने ले आयेगा तो वह उसे अपना पुत्र स्वीकार कर लेगा इस पर बालक छुरमल गागर के जंगल में जाकर एक शेर को पकड़कर ले आया
      इसके बाद भी वह कई कठिनतम शर्तें रखता गया और छुरमल उन्हें पूरा करता गया। अन्त में उसने यह शर्त रखी कि मैं तुम्हें सात समुन्दर पार लोहे के कड़ाओं में बन्द करूंगा और इधर सात समुन्दर पार से तुम्हारी मां ह्यूंला अपनी छाती से दूध की धार मारेगी। यदि वह तुम्हारे मुंह में ही जायेगी तो मैं तुम्हें तथा तुम्हारी मां दोनों को स्वीकार कर लूंगा इस परीक्षण में भी वह सफल हो गया।
      फिर कालसिण ने उसे पुत्र के रूप में स्वीकार करते हुए उसकी पीठ थपथपायी और कहा ‘यद्यपि तू मेरा पुत्र है पर हम दोनों आमने-सामने होने पर भी कभी परस्पर मिलेंगे नहीं यही कारण है कि पिता - पुत्र होते हुये भी दोनों को एक ही मन्दिर में स्थापित नहीं किया जाता हैं। और एक ही स्थान पर पृथक-पृथक मंदिर में स्थापित किया जाता है। इसमें मानव कल्याणार्थ कालसिण की तथा पशु सम्पदा के कल्याणार्थ छुरमल की पूजा की जाती है। छुरमल (सूर्यपुत्र) का मूल नाम सम्भवतः सूर्यमल रहा होगा जो कि उच्चारणात्मक सौकर्य के कारण कालान्तर में छुरमल के रूप में विकसित हो गया होगा।
      छुरमल देवता के मंदिर कत्यूरघाटी के तैलीहाट में हैं। और थान गांव (मल्ला कत्यूर) में है, और धाड़चौड़ (डीडीहाट) की पहाड़ी पर, अस्कोट में देवचूला क्षेत्र में स्थित हैं। धनलेख में भी मंदिर है, जहां इन्हें धनलेख देवता के नाम से भी जाना जाता है। तथा जोहार के डोरगांव आदि स्थानों पर मंदिर स्थापित हैं जोहार में ‘छुरमल पुजाई’ के नाम से भादपद मास के शुल्क पक्ष में एक उत्सव (मेले) का भी आयोजन किया जाता है। वर्षा ऋतु के अतिरिक्त छुरमल देवता की पूजा शुक्ल पक्ष में कभी भी की जा सकती है। कहीं-कहीं दोनों कालसिन और छुरमल देवता एक साथ ही आमने-सामने भी स्थापित किये गये हैं, किन्तु एक ही देवालय में कहीं भी नहीं स्थापित किये जाते हैं।
      जय छुरमल देवता।
      जय कालसिन देवता।

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  2 ปีที่แล้ว +2

      Jitna mujhe Mila mein aap se share kar rha hai badi mushkil se dhunda hai is ka itihas kya hai mujhe bhi nhi pta

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  2 ปีที่แล้ว

      Channel ko support karne ke liye dhanyawaad

    • @prakashpandey5954
      @prakashpandey5954 2 ปีที่แล้ว

      @@Ashokwelcome मान्यवर नमस्कार , कालसेण देवता के बारे मैं भी जानकारी देने का कष्ट करें । जिस तरह आपने छु रमल देवता के बारे मैं दी है

    • @naveenchand3005
      @naveenchand3005 ปีที่แล้ว +1

      Bhagwan kalshil ak maha sakti hai jo siv bhi h sem bhi nira kar bhi tur netr dhari tir bhuja dhari ak hath me chakr our hath me tirsool ak hath me kamandal hai sada siv ha kal shil ka matlab kaal hai mahakal siv garibo ke data bigd gye to chandaal bhi h sab se bade devta hai baba kalshi dev apki sada hi jai ho Malik 🔱🪔🪔🪔🪔🌺🌹🌺💞💞💞💞❤️😘💗😘💤❤️❤️🌹🌹❤️🚩🚩🔱🪔🌺🌺🌺🌺🌺🌺

  • @musafirblogger9850
    @musafirblogger9850 4 ปีที่แล้ว +3

    jai Ho parmeswar.... Kon se davta ki Pooja he

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  4 ปีที่แล้ว

      Jai ho isht dev Kaalshan devta ki pooja hai bhaiji

    • @ashokwelcome6904
      @ashokwelcome6904 4 ปีที่แล้ว

      Kaalshan devta ka jaahran hai

    • @triloksinghdhami9257
      @triloksinghdhami9257 ปีที่แล้ว +1

      Kalasam ma Kalinga ka sila se utpan

  • @pahadiboysonu7737
    @pahadiboysonu7737 27 วันที่ผ่านมา +1

    जागर लगाने वालों का संपर्क नंबर मिल सकता है क्या

    • @Ashokwelcome
      @Ashokwelcome  21 วันที่ผ่านมา

      Contact number nhi hai abhi kyonki ye video kisi aur ne bheji thi

  • @jitendarkanyalkanyal8202
    @jitendarkanyalkanyal8202 4 ปีที่แล้ว +3

    Jai Ho